माइक्रोबायोलॉजी लैब में कई तरह के परीक्षण (टेस्ट) किए जाते हैं, जो मुख्य रूप से बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और पैरासाइट्स की पहचान, संक्रमण का निदान और एंटीबायोटिक संवेदनशीलता की जांच के लिए होते हैं। प्रमुख माइक्रोबायोलॉजी लैब टेस्ट निम्नलिखित हैं:
- 1. बैक्टीरियोलॉजी (Bacteriology Tests)
- 2. माइकोलॉजी (Mycology Tests – फंगल इंफेक्शन जांच)
- 3. वायरोलॉजी (Virology Tests – वायरस संबंधी जांच)
- 4. इम्यूनोलॉजी और सेरोलॉजी (Immunology & Serology Tests)
- 5. पैरासिटोलॉजी (Parasitology Tests)
- 6. मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स (Molecular Diagnostics)
- 7. माइक्रोस्कोपिक और बायोकेमिकल टेस्ट
1.बैक्टीरियोलॉजी (Bacteriology) टेस्ट
मुख्य रूप से बैक्टीरिया की पहचान, संक्रमण की पुष्टि और एंटीबायोटिक संवेदनशीलता की जांच के लिए किए जाते हैं। ये टेस्ट विभिन्न प्रकार के शारीरिक सैंपल जैसे कि रक्त, मूत्र, थूक, घाव का स्राव आदि पर किए जाते हैं।मुख्य बैक्टीरियोलॉजी टेस्ट:
1. कल्चर और सेंसिटिविटी टेस्ट (Culture & Sensitivity Test – C/S Test)। 8Test
2. माइक्रोस्कोपिक टेस्ट (Microscopic Tests) 4Test
3. बैक्टीरियल एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट (Bacterial Antigen Detection Tests)। 3Test
4. मॉलिक्यूलर और बायोकेमिकल टेस्ट (Molecular & Biochemical Tests)
5. एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट (Antibiotic Sensitivity Test – AST)
1. कल्चर और सेंसिटिविटी टेस्ट (Culture & Sensitivity Test – C/S Test)यह टेस्ट बैक्टीरिया की पहचान और उसके प्रति प्रभावी एंटीबायोटिक्स निर्धारित करने के लिए किया जाता है इसमें आठ तरह की जाति होती है
- ब्लड कल्चर (Blood Culture): रक्त संक्रमण (सेप्सिस) की जांच
- यूरिन कल्चर (Urine Culture): मूत्र संक्रमण (UTI) की पुष्टि
- स्पूटम कल्चर (Sputum Culture): फेफड़ों और श्वसन तंत्र के संक्रमण की पहचान
- स्टूल कल्चर (Stool Culture): आंतों के बैक्टीरिया की जांच
- थ्रोट स्वैब कल्चर (Throat Swab Culture): गले के संक्रमण (स्ट्रेप्टोकोकस, स्टैफिलोकोकस) की पहचान
- सर्जिकल साइट या घाव कल्चर (Wound/Pus Culture): किसी जख्म या फोड़े-फुंसी के बैक्टीरिया की पहचान
- सीएसएफ कल्चर (CSF Culture): मैनिंजाइटिस (Meningitis) की जांच
- फ्लूइड कल्चर (Body Fluid Culture): पेरिटोनियल, प्लूरल, या अन्य बॉडी फ्लूइड में बैक्टीरिया की जांच
2. माइक्रोस्कोपिक टेस्ट (Microscopic Tests)
इसमें चार तरह की जांच होती है
- ग्राम स्टेनिंग (Gram Staining): बैक्टीरिया को ग्राम-पॉजिटिव या ग्राम-नेगेटिव के रूप में वर्गीकृत करने के लिए
- जील-नीलसन (ZN) स्टेनिंग: टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) के माइकोबैक्टीरिया की पहचान
- इंडिया इंक स्टेनिंग: क्रिप्टोकॉकस फंगल संक्रमण की जांच
- स्पोर स्टेनिंग: बैक्टीरिया के स्पोर्स की पहचान
3. बैक्टीरियल एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट (Bacterial Antigen Detection Tests)
इसमें तीन जांच होती हैं
- वाइडल टेस्ट (Widal Test): टाइफाइड (Salmonella Typhi) संक्रमण की जांच
- टीपीएचए (TPHA) और वी.डी.आर.एल. (VDRL) टेस्ट: सिफिलिस (Treponema pallidum) संक्रमण की पुष्टि
- एलाइजा टेस्ट (ELISA for Bacterial Antigens): बैक्टीरिया जनित संक्रमण की जांच
4. मॉलिक्यूलर और बायोकेमिकल टेस्ट (Molecular & Biochemical Tests)
इसमें 6 जांच होती हैं
- PCR टेस्ट (Polymerase Chain Reaction – PCR): बैक्टीरियल DNA/RNA की जांच
- GeneXpert टेस्ट: टीबी और अन्य बैक्टीरिया के लिए
- Catalase टेस्ट: बैक्टीरिया की ऑक्सीजन उपयोग करने की क्षमता की जांच
- Coagulase टेस्ट: स्टैफिलोकोकस ऑरियस की पहचान
- Oxidase टेस्ट: बैक्टीरिया की एरोबिक मेटाबॉलिज्म क्षमता की जांच
- TSI (Triple Sugar Iron) टेस्ट: बैक्टीरिया के शर्करा उपयोग और गैस उत्पादन की पहचान
5. एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट (Antibiotic Sensitivity Test – AST)
इसमें दो जांचहोती हैं
- Kirby-Bauer डिस्क डिफ्यूजन मेथड: यह जांचता है कि कौन सा एंटीबायोटिक बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी है।
- MIC (Minimum Inhibitory Concentration) टेस्ट: बैक्टीरिया को रोकने के लिए आवश्यक न्यूनतम एंटीबायोटिक मात्रा की जांच।
निष्कर्षबैक्टीरियोलॉजी टेस्ट का मुख्य उद्देश्य बैक्टीरिया की पहचान, संक्रमण के प्रकार का पता लगाना और उचित एंटीबायोटिक थेरेपी निर्धारित करना है। यदि आपको किसी विशेष टेस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी चाहिए तो बताएं!
2.माइकोलॉजी (Mycology) टेस्ट
- माइक्रोस्कोपिक जांच (Microscopic Examination)
- कल्चर टेस्ट (Fungal Culture Tests)
- सीरोलॉजिकल और बायोकेमिकल टेस्ट (Serological & Biochemical Tests)
- मॉलिक्यूलर और जेनेटिक टेस्ट (Molecular & Genetic Tests)
- एंटीफंगल संवेदनशीलता परीक्षण (Antifungal Sensitivity Testing)
- स्पेशल माइकोलॉजी टेस्ट (Special Mycology Tests) दो टेस्ट निम्नलिखित में
फंगल (फफूंदी) संक्रमण की पहचान, वर्गीकरण और उपचार के लिए किए जाते हैं। ये टेस्ट विभिन्न शारीरिक नमूनों जैसे त्वचा, नाखून, बाल, रक्त, बलगम, मूत्र, सीएसएफ (CSF), और ऊतकों पर किए जाते हैं।मुख्य माइकोलॉजी टेस्ट (Mycology Test)
1. माइक्रोस्कोपिक जांच (Microscopic Examination)
- KOH (Potassium Hydroxide) माउंट टेस्ट:त्वचा, नाखून, और बाल के फंगल संक्रमण की पहचान के लिए।KOH सॉल्यूशन में नमूना मिलाकर माइक्रोस्कोप के तहत फंगल संरचनाओं को देखा जाता है।
- इंडिया इंक स्टेनिंग (India Ink Staining):क्रिप्टोकॉकस (Cryptococcus neoformans) फंगल संक्रमण की पहचान के लिए।विशेष रूप से मेनिंजाइटिस (Meningitis) से जुड़े मामलों में सीएसएफ (CSF) नमूने की जांच के लिए।
- लैक्टोफिनॉल कॉटन ब्लू (LPCB) स्टेनिंग:फंगल हाइफे (Hyphae) और स्पोर्स की माइक्रोस्कोपिक पहचान के लिए।
- ग्राम स्टेनिंग (Gram Stain):कुछ यीस्ट (Yeast) जैसे कैंडिडा (Candida) की पहचान के लिए।
2. कल्चर टेस्ट (Fungal Culture Tests)
चार टेस्ट निम्नलिखित ह
- साबोरोड डेक्सट्रोज एगर (SDA) कल्चर:अधिकांश फंगस के विकास के लिए प्रयोग किया जाता है।
- क्रोमोगेनिक मीडिया (Chromogenic Agar):कैंडिडा (Candida) की विभिन्न प्रजातियों की पहचान के लिए।
- डिमॉर्फिक फंगस कल्चर:हिस्टोप्लास्मा (Histoplasma), ब्लास्टोमाइसेस (Blastomyces) और कोक्सीडियोइड्स (Coccidioides) की पहचान के लिए।
- डीटीएम (Dermatophyte Test Medium):डर्माटोफाइट फंगल संक्रमण (त्वचा और नाखून के फंगस) की जांच के लिए।
3. सीरोलॉजिकल और बायोकेमिकल टेस्ट (Serological & Biochemical Tests)
तीन टेस्ट निम्नलिखित हैं
- ग्लूकेन टेस्ट (1,3-β-D-glucan Test):इनवेसिव फंगल संक्रमण (Invasive Fungal Infections) का पता लगाने के लिए।
- गैलैक्टोमैन्नान टेस्ट (Galactomannan Antigen Test):एस्परगिलस (Aspergillus) संक्रमण की जांच के लिए।
- कैंडिडा एंटीबॉडी टेस्ट (Candida Antibody Test):कैंडिडा संक्रमण की पुष्टि के लिए।
4. मॉलिक्यूलर और जेनेटिक टेस्ट (Molecular & Genetic Tests)
दो टेस्ट निम्नलिखित ह
- PCR (Polymerase Chain Reaction):विशेष रूप से दुर्लभ और गंभीर फंगल संक्रमण की पहचान के लिए।
- GeneXpert for Fungal Infections:टारगेटेड फंगल डीएनए की जांच के लिए।
5. एंटीफंगल संवेदनशीलता परीक्षण (Antifungal Sensitivity Testing)
दो टेस्ट निम्नलिखित है
- E-Test (Epsilometer Test):फंगस के प्रति एंटीफंगल दवाओं की संवेदनशीलता मापने के लिए।
- Broth Microdilution Method:न्यूनतम अवरोधक सांद्रता (MIC) निर्धारित करने के लिए।
6. स्पेशल माइकोलॉजी टेस्ट (Special Mycology Tests) दो टेस्ट निम्नलिखित में
- वुडलैंप (Wood’s Lamp) टेस्ट:त्वचा और सिर के फंगल संक्रमण (Microsporum species) की पहचान के लिए।
- टिशू बायोप्सी और PAS स्टेनिंग:टिशू सैंपल में फंगस की मौजूदगी की पुष्टि करने के लिए।
निष्कर्ष
माइकोलॉजी टेस्ट का चयन संक्रमण के प्रकार और गंभीरता के आधार पर किया जाता है। यदि आपको किसी विशेष फंगल संक्रमण के बारे में जानकारी चाहिए, तो बताएं!
3.वायरोलॉजी (Virology)
टेस्ट वायरस जनित संक्रमणों की पहचान, उनके प्रकार, गंभीरता और उपचार के लिए किए जाते हैं। ये टेस्ट विभिन्न प्रकार के वायरस जैसे इन्फ्लूएंजा, हेपेटाइटिस, एचआईवी, डेंगू, चिकनगुनिया, रैबिज, कोविड-19, हर्पीस आदि की पहचान में मदद करते हैं।—मुख्य वायरोलॉजी टेस्ट (Virology Tests)
1. मोलेक्युलर टेस्ट (Molecular Tests) – वायरस की जीन जांच
- RT-PCR (Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction) टेस्टकोविड-19 (SARS-CoV-2), इन्फ्लूएंजा (Influenza), H1N1, डेंगू, चिकनगुनिया, हेपेटाइटिस B और C जैसे वायरस की पहचान के लिए।
- GeneXpert टेस्टहेपेटाइटिस, एचआईवी, टीबी और अन्य वायरल संक्रमण की पहचान के लिए।
- PCR टेस्ट (Polymerase Chain Reaction)एपस्टीन-बार वायरस (EBV), साइटोमेगालोवायरस (CMV), हर्पीस वायरस (HSV), HPV (Human Papillomavirus) की पुष्टि के लिए।—
2. सीरोलॉजिकल टेस्ट (Serology Tests) – वायरस एंटीबॉडी और एंटीजन जांच
- एचआईवी टेस्ट (HIV Test)
- HIV ELISA (Enzyme-Linked Immunosorbent Assay) – एचआईवी एंटीबॉडी और एंटीजन की जांच।
- Western Blot Test – एचआईवी संक्रमण की पुष्टि के लिए।
- CD4 Count & Viral Load Test – एड्स रोग की गंभीरता मापने के लिए।
- हेपेटाइटिस टेस्ट (Hepatitis Test)
- HBsAg (Hepatitis B Surface Antigen Test) – हेपेटाइटिस B वायरस की मौजूदगी की जांच।
- HCV Antibody Test – हेपेटाइटिस C वायरस (HCV) संक्रमण की पहचान।
- डेंगू टेस्ट (Dengue Test)
- NS1 एंटीजन टेस्ट – डेंगू वायरस की पुष्टि के लिए।
- IgM & IgG एंटीबॉडी टेस्ट – डेंगू संक्रमण की स्टेज जानने के लिए।
- चिकनगुनिया टेस्ट (Chikungunya Test)
- IgM & IgG एंटीबॉडी टेस्ट – चिकनगुनिया संक्रमण की पुष्टि।
- इन्फ्लूएंजा टेस्ट (Influenza Test – H1N1, Swine Flu)
- Influenza Rapid Antigen Test – फ्लू वायरस (H1N1, H3N2) की पहचान।
- रैबिज टेस्ट (Rabies Test)
- Rabies Virus Neutralizing Antibody Test (RVNA) – रैबिज वायरस एंटीबॉडी की जांच।
- Direct Fluorescent Antibody (DFA) Test – रैबिज वायरस का सीधा पता लगाने के लिए।
- हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (Herpes Simplex Virus – HSV) टेस्ट
- HSV-1 & HSV-2 IgM/IgG Test – हर्पीस संक्रमण की पुष्टि।—
3. वायरल एंटीजन टेस्ट (Viral Antigen Tests)
- रैपिड एंटीजन टेस्ट (Rapid Antigen Test – RAT)
- कोविड-19, इन्फ्लूएंजा, डेंगू आदि की तेज़ी से जांच करने के लिए।
- HBeAg टेस्ट (Hepatitis B e-Antigen Test)
- हेपेटाइटिस B संक्रमण की सक्रियता मापने के लिए।
- HPV DNA टेस्ट (Human Papillomavirus Test)
- सर्वाइकल कैंसर से जुड़े वायरस (HPV-16, HPV-18) की पहचान।—
4. वायरल लोड टेस्ट (Viral Load Tests) – संक्रमण की गंभीरता मापने के लिए
- HIV Viral Load Test – शरीर में एचआईवी वायरस की मात्रा मापने के लिए।
- HBV DNA & HCV RNA Test – हेपेटाइटिस B और C वायरस की संख्या जांचने के लिए।—
5. वायरस कल्चर (Viral Culture) – वायरस को लैब में विकसित करने की प्रक्रिया
- Cell Culture Method – वायरस को विशेष कोशिकाओं में विकसित करके उनकी पहचान की जाती है।
- Plaque Assay Test – वायरस की मात्रा और संक्रमण की तीव्रता जांचने के लिए।
निष्कर्ष वायरोलॉजी टेस्ट वायरस जनित बीमारियों की पहचान और उनके उपचार की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर आपको किसी विशेष टेस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी चाहिए तो बताएं!
4.इम्यूनोलॉजी और सेरोलॉजी टेस्ट (Immunology & Serology Tests)
इम्यूनोलॉजी (Immunology) और सेरोलॉजी (Serology) टेस्ट शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया (immune response), एंटीबॉडी (Antibodies) और एंटीजन (Antigens) की जांच करने के लिए किए जाते हैं। इनका उपयोग इंफेक्शन, ऑटोइम्यून डिजीज, एलर्जी और इम्यून डिसऑर्डर की पहचान और निदान के लिए किया जाता है।—
1. एंटीबॉडी टेस्ट (Antibody Tests)यह टेस्ट शरीर में किसी विशेष संक्रमण के खिलाफ बनी एंटीबॉडी की पहचान करते हैं।
- IgM एंटीबॉडी टेस्ट: हाल ही में हुए संक्रमण का पता लगाने के लिए।
- IgG एंटीबॉडी टेस्ट: पुरानी या पूर्व संक्रमण की पुष्टि के लिए।
- IgA एंटीबॉडी टेस्ट: म्यूकस मेम्ब्रेन (श्वसन व गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम) से जुड़े संक्रमणों की जांच के लिए।
संक्रमण से जुड़े एंटीबॉडी टेस्ट:
- एचआईवी एंटीबॉडी टेस्ट (HIV Antibody Test – ELISA, Western Blot)हेपेटाइटिस ए, बी, सी एंटीबॉडी टेस्ट (Hepatitis A, B, C Antibody Test)डेंगू IgM & IgG एंटीबॉडी टेस्ट (Dengue Antibody Test)चिकनगुनिया IgM & IgG एंटीबॉडी टेस्टसिफिलिस टेस्ट (VDRL & TPHA – Treponema Pallidum Hemagglutination Assay)मलेरिया एंटीबॉडी टेस्टटॉक्सोप्लाज्मा एंटीबॉडी टेस्ट (Toxoplasma IgG/IgM)रूबेला, साइटोमेगालोवायरस (CMV) और हर्पीस IgG/IgM टेस्ट—
2. ऑटोइम्यून डिजीज टेस्ट (Autoimmune Disease Tests)यह टेस्ट शरीर की खुद की कोशिकाओं पर इम्यून सिस्टम के हमले को मापने के लिए किए जाते हैं।
- ANA (Antinuclear Antibody Test): ल्यूपस (Lupus) और अन्य ऑटोइम्यून रोगों के लिए।
- Anti-dsDNA Test: ल्यूपस (SLE – Systemic Lupus Erythematosus) की पुष्टि के लिए।
- Rheumatoid Factor (RF) Test: गठिया (Rheumatoid Arthritis) की जांच के लिए।
- Anti-CCP (Anti-Cyclic Citrullinated Peptide) Test: रूमेटॉइड अर्थराइटिस (RA) की पुष्टि के लिए।
- ASO (Antistreptolysin O) Test: स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण के कारण होने वाले रोगों की पहचान के लिए।
- C3 और C4 कॉम्प्लिमेंट टेस्ट: ऑटोइम्यून डिजीज की सक्रियता को मापने के लिए।—
3. एलर्जी टेस्ट (Allergy Tests)एलर्जी से जुड़ी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मापने के लिए किए जाते हैं।
- टोटल IgE (Total Immunoglobulin E) Test: शरीर की एलर्जिक प्रतिक्रिया का स्तर मापने के लिए।
- स्पेसिफिक IgE एलर्जी टेस्ट (Specific IgE Allergy Test): किसी विशेष एलर्जी (धूल, पराग, भोजन, दवा) के प्रति प्रतिक्रिया की जांच के लिए।
- स्किन प्रिक टेस्ट (Skin Prick Test): त्वचा पर एलर्जी परीक्षण।
- RAST (Radioallergosorbent Test): एलर्जी की गंभीरता की जांच के लिए।—
4. टिशू और ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी टेस्ट (Tissue & Transplant Immunology Tests)
- HLA Typing (Human Leukocyte Antigen Typing): अंग प्रत्यारोपण (Kidney, Liver, Bone Marrow) के लिए मैचिंग जांच।
- Crossmatch Test: डोनर और रिसीवर के इम्यून सिस्टम की संगतता जांचने के लिए।
- Direct & Indirect Coombs Test: एंटीबॉडी से जुड़ी ब्लड डिसऑर्डर की पहचान के लिए।—
5. ट्यूमर मार्कर और कैंसर इम्यूनोलॉजी टेस्ट (Tumor Markers & Cancer Immunology Tests)
- PSA (Prostate-Specific Antigen) Test: प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए।
- CA-125 Test: ओवरी (अंडाशय) के कैंसर की पहचान के लिए।
- AFP (Alpha-Fetoprotein) Test: लीवर और टेस्टीक्युलर कैंसर के लिए।
- CEA (Carcinoembryonic Antigen) Test: कोलन, पैंक्रियास, और अन्य कैंसर की जांच के लिए।
- Beta-HCG Test: गर्भावस्था की पुष्टि और कुछ प्रकार के कैंसर की पहचान के लिए।—
6. सूजन और इम्यून सिस्टम से जुड़े टेस्ट (Inflammation & Immune System Tests)
- CRP (C-Reactive Protein) Test: शरीर में सूजन और इंफेक्शन की पहचान के लिए।
- ESR (Erythrocyte Sedimentation Rate): क्रॉनिक इंफ्लेमेटरी डिजीज की जांच के लिए।
- Procalcitonin Test: बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण की गंभीरता की जांच के लिए।
निष्कर्षइम्यूनोलॉजी और सेरोलॉजी टेस्ट संक्रमण, ऑटोइम्यून रोग, एलर्जी, कैंसर, और ट्रांसप्लांट से जुड़े इम्यून रिस्पॉन्स की जांच के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। यदि आपको किसी विशेष टेस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी चाहिए, तो बताएं!
5.पैरासिटोलॉजी टेस्ट (Parasitology Tests)
पैरासिटोलॉजी टेस्ट शरीर में मौजूद परजीवी (Parasites) संक्रमण की पहचान के लिए किए जाते हैं। ये टेस्ट मलेरिया, अमीबियासिस, फाइलेरिया, लीशमैनियासिस, ट्रिपैनोसोमियासिस, टॉक्सोप्लाज्मोसिस, हेलमिंथ इंफेक्शन (कृमि संक्रमण) आदि की जांच में मदद करते हैं।—
1. रक्त (Blood) पैरासिटोलॉजी टेस्ट
रक्त में पाए जाने वाले परजीवी संक्रमण की जांच के लिए किए जाते हैं।
- मलेरिया पैरासाइट टेस्ट (MP Test)Peripheral Blood Smear (Thick & Thin Smear): मलेरिया परजीवी की माइक्रोस्कोप से पहचान।
- Rapid Diagnostic Test (RDT) for Malaria: मलेरिया एंटीजन की तेजी से पहचान।
- Quantitative Buffy Coat (QBC) Test: अधिक संवेदनशील मलेरिया टेस्ट।
- फाइलेरिया टेस्ट (Filaria Test)Microfilaria Smear Test: रक्त में फाइलेरिया परजीवी (Wuchereria bancrofti) की पहचान।
- Antigen Detection Test for Filaria: वयस्क फाइलेरिया वर्म का पता लगाने के लिए।
- Kala-Azar (Visceral Leishmaniasis) TestRK39 Test: लीशमैनिया डोनोवानी (Leishmania donovani) परजीवी की पुष्टि के लिए।
- Bone Marrow or Splenic Aspirate Smear: गंभीर मामलों में लीशमैनिया परजीवी की पहचान के लिए।
- ट्रिपैनोसोमियासिस टेस्ट (Trypanosomiasis Test)
- Giemsa Staining of Blood Smear: अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस (African Sleeping Sickness) की पहचान के लिए।
- Babesia TestBlood Smear Microscopy: बैबेसिया परजीवी की जांच के लिए।—
2. मल (Stool) पैरासिटोलॉजी टेस्ट
यह टेस्ट आंतों के परजीवी जैसे अमीबा, गियार्डिया, टेपवर्म, हुकवर्म, राउंडवर्म आदि की पहचान के लिए किए जाते हैं।
- Stool Microscopy (Ova & Parasite Examination – O&P Test)
- मल में कृमियों (Worms) और उनके अंडों (Ova) की जांच के लिए।
- Stool Concentration Techniques (Formol-Ether Concentration)परजीवी की कम मात्रा में मौजूदगी का भी पता लगाने के लिए।
- Stool Antigen TestGiardia Antigen Test: गियार्डिया संक्रमण की पुष्टि।
- Entamoeba histolytica Antigen Test: अमीबिक डिजेंट्री (Amoebiasis) की जांच।
- Modified Acid-Fast StainingCryptosporidium & Cyclospora Parasites की पहचान के लिए।
- Culture for Intestinal Parasites
विशेषकर Strongyloides stercoralis जैसे दुर्लभ परजीवी की पहचान के लिए।—
3. मूत्र (Urine) पैरासिटोलॉजी टेस्ट
- Schistosoma haematobium Test: यूरिन में इस परजीवी के अंडों की पहचान।
- Filariasis Microfilaria Test: मूत्र में माइक्रोफाइलेरिया की जांच।—
4. अन्य फ्लूइड (Other Body Fluids) पैरासिटोलॉजी टेस्ट
- CSF (Cerebrospinal Fluid) Test for Parasites
- ट्रिपैनोसोमियासिस और न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस (Neurocysticercosis – मस्तिष्क में टेपवर्म लार्वा) की जांच।
- Liver Abscess Aspirate Test
- Entamoeba histolytica DNA/PCR Test – अमीबिक लिवर एब्सेस (Amoebic Liver Abscess) की पुष्टि।
- Lymph Node Aspirate for LeishmaniaKala-Azar की जांच।—
5. सेरोलॉजिकल और मॉलिक्यूलर टेस्ट (Serology & Molecular Tests)
- Toxoplasmosis TestToxoplasma IgG/IgM Antibody Test: टॉक्सोप्लाज्मा गोंडी (Toxoplasma gondii) संक्रमण की पहचान।
- Neurocysticercosis Test Taenia solium Antibody Test: मस्तिष्क में टेपवर्म संक्रमण की जांच।
- Echinococcus (Hydatid Cyst) TestEchinococcus Antibody ELISA Test: हाइडैटिड सिस्ट (Hydatid Disease) की पुष्टि।
- Leishmania PCR Testलीशमैनियासिस संक्रमण की अधिक संवेदनशील जांच।—
6. हेलमिंथ (कृमि संक्रमण) टेस्ट (Helminthic Infections Tests)
- Tape Worm (Taeniasis) Test:मल में टेपवर्म अंडे या प्रोग्लोटिड्स की जांच।
- Hookworm Test:मल में Necator americanus और Ancylostoma duodenale अंडों की पहचान।
- Ascaris Lumbricoides Test:मल में राउंडवर्म अंडों की उपस्थिति की जांच।
- Strongyloides stercoralis Test:मल माइक्रोस्कोपी और सेरोलॉजी द्वारा।
7. बायोप्सी और इमेजिंग टेस्ट (Biopsy & Imaging Tests)
- Tissue Biopsy for Parasitesपरजीवी संक्रमण की पुष्टि के लिए त्वचा, यकृत (लिवर), या अन्य ऊतकों (Tissues) की बायोप्सी।
- CT Scan / MRI for Neurocysticercosisमस्तिष्क में टेपवर्म (Cysticercosis) की जांच के लिए।
- Ultrasound for Hydatid Cyst (Echinococcosis)लिवर, फेफड़े और अन्य अंगों में हाइडैटिड सिस्ट की पुष्टि।
निष्कर्ष
पैरासिटोलॉजी टेस्ट परजीवी संक्रमण की पहचान और उपचार की योजना के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यदि आपको किसी विशेष परजीवी टेस्ट के बारे में विस्तृत जानकारी चाहिए, तो बताएं!
6. माइक्रोस्कोपिक टेस्ट (Microscopic Tests) & बायोकेमिकल टेस्ट (Biochemical Tests)
माइक्रोस्कोपिक टेस्ट विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस, फंगी, परजीवी और सेलुलर स्ट्रक्चर की पहचान करने के लिए किए जाते हैं।
A. डायरेक्ट माइक्रोस्कोपी (Direct Microscopy)
1. Gram Stain Test – बैक्टीरिया की पहचान के लिए।
2. Acid-Fast Stain (Ziehl-Neelsen Stain) – टीबी (Mycobacterium tuberculosis) और लेप्रोसी (Mycobacterium leprae) की जांच के लिए।
3. India Ink Staining – Cryptococcus neoformans (फंगल संक्रमण) की पहचान के लिए।
4. Giemsa Stain – मलेरिया (Plasmodium), ट्रिपैनोसोमा, और लीशमैनिया की जांच के लिए।
5. Wright Stain – रक्त कोशिकाओं और परजीवी (Babesia, Trypanosoma) की जांच के लिए।6. Lactophenol Cotton Blue Stain – फंगल संरचना की पहचान के लिए।
7. Iodine Staining – मल में परजीवी की जांच के लिए।
8. Dark Field Microscopy – Treponema pallidum (सिफिलिस) की पहचान के लिए।
B. फ्लोरोसेंस माइक्रोस्कोपी (Fluorescence Microscopy)
1. Auramine-Rhodamine Stain – माइकोबैक्टीरियम टीबी (MTB) की जांच के लिए।
2. Direct Fluorescent Antibody (DFA) Test – रैबिज और कुछ अन्य वायरल संक्रमणों के लिए।
C. इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (Electron Microscopy)
1. Scanning Electron Microscopy (SEM) – बैक्टीरिया और वायरस के अल्ट्रा-स्ट्रक्चर की जांच।
2. Transmission Electron Microscopy (TEM) – वायरल संरचनाओं और बैक्टीरिया की जटिल जांच।—
2. बायोकेमिकल टेस्ट (Biochemical Tests)
बायोकेमिकल टेस्ट का उपयोग बैक्टीरिया, एंजाइम, मेटाबोलाइट्स और बॉडी फ्लूइड्स की पहचान और विश्लेषण के लिए किया जाता है।
A. बैक्टीरियल आइडेंटिफिकेशन के लिए बायोकेमिकल टेस्ट
- Catalase Test – बैक्टीरिया की ऑक्सीजन उपयोग क्षमता की पहचान के लिए।
- Coagulase Test – Staphylococcus aureus और अन्य स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया की पहचान के लिए।
- Oxidase Test – Pseudomonas, Neisseria, Vibrio की जांच के लिए।
- Urease Test – Helicobacter pylori, Proteus species की पहचान के लिए।
- Indole Test – E. coli, Proteus vulgaris की जांच के लिए।
- Methyl Red (MR) Test – बैक्टीरिया द्वारा एसिड उत्पादन की पहचान के लिए।
- Voges-Proskauer (VP) Test – बैक्टीरिया के एसिटोइन उत्पादन की जांच के लिए।
- Citrate Utilization Test – बैक्टीरिया की साइट्रेट उपयोग क्षमता जांचने के लिए।
- Triple Sugar Iron (TSI) Test – बैक्टीरिया के कार्बोहाइड्रेट उपयोग की जांच के लिए।
- H2S Production Test – Salmonella, Proteus की पहचान के लिए।
11. Nitrate Reduction Test – बैक्टीरिया की नाइट्रेट को नाइट्राइट में बदलने की क्षमता की जांच के लिए।
B. ब्लड और सीरम बायोकेमिकल टेस्ट
- 1. Liver Function Tests (LFTs) – SGOT, SGPT, Bilirubin, Albumin, ALP आदि की जांच।
- 2. Kidney Function Tests (KFTs) – Creatinine, Urea, BUN, Electrolytes की जांच।
- Blood Glucose Test – डायबिटीज की पहचान के लिए।
- Lipid Profile Test – कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की जांच।
- Thyroid Function Tests (T3, T4, TSH) – थायराइड हार्मोन स्तर की जांच।
- C-Reactive Protein (CRP) Test – इंफ्लेमेशन की जांच के लिए।
- Erythrocyte Sedimentation Rate (ESR) – शरीर में सूजन और संक्रमण की पहचान के लिए।
- Procalcitonin Test – बैक्टीरियल इंफेक्शन की गंभीरता मापने के लिए।
- Serum Amylase & Lipase Test – पैंक्रियाटाइटिस की जांच के लिए।
- Electrolyte Test (Na, K, Cl, Ca, Mg) – शरीर के इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस की जांच।
C. अन्य बायोकेमिकल टेस्ट
- CSF Biochemical Analysis – मस्तिष्कमेरु द्रव (Cerebrospinal Fluid) में प्रोटीन, ग्लूकोज, और कोशिकाओं की जांच।
- Urine Biochemical Analysis – प्रोटीन, ग्लूकोज, कीटोन बॉडीज़ और pH की जांच।
- Serum Protein Electrophoresis (SPEP) – इम्यूनोग्लोबुलिन और प्लाज्मा प्रोटीन की पहचान।
- HBA1c Test – ब्लड शुगर कंट्रोल की दीर्घकालिक निगरानी के लिए।
- Enzyme-Linked Immunosorbent Assay (ELISA) – HIV, Hepatitis, Dengue, COVID-19 जैसी बीमारियों की जांच के लिए।
- Western Blot Test – HIV और अन्य वायरल संक्रमणों की पुष्टि के लिए।
- Serum Iron & Ferritin Test – एनीमिया और आयरन स्टोरेज की जांच के लिए।
- Rheumatoid Factor (RF) Test – गठिया (Rheumatoid Arthritis) की पहचान के लिए।—
निष्कर्षमाइक्रोस्कोपिक टेस्ट बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, परजीवी और सेलुलर संरचनाओं की पहचान में मदद करते हैं।बायोकेमिकल टेस्ट शरीर में एंजाइम, प्रोटीन, ग्लूकोज, इलेक्ट्रोलाइट्स, और अन्य मेटाबोलाइट्स की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।यदि आपको किसी विशेष टेस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी चाहिए, तो बताएं!
7.मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स (Molecular Diagnostics) टेस्ट
मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स आधुनिक लैब टेस्टिंग तकनीक है, जिसमें डीएनए (DNA), आरएनए (RNA), और प्रोटीन्स का विश्लेषण करके बीमारियों का पता लगाया जाता है। इसका उपयोग संक्रामक रोगों (Infectious Diseases), कैंसर, अनुवांशिक बीमारियों (Genetic Disorders), और फार्माकोजेनेटिक्स में किया जाता है।—
1. न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (NAATs – Nucleic Acid Amplification Tests)
यह तकनीक DNA/RNA को बढ़ाकर सूक्ष्मजीवों की पहचान करती है।
A. पीसीआर (Polymerase Chain Reaction – PCR) टेस्ट
PCR टेस्ट का उपयोग बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, परजीवी, और कैंसर की पहचान के लिए किया जाता है।
(i) संक्रामक रोगों के लिए पीसीआर टेस्ट
1. RT-PCR for COVID-19 – SARS-CoV-2 वायरस की जांच।
2. TB-PCR (Mycobacterium tuberculosis PCR) – टीबी की तेज़ और सटीक पहचान।
3. HPV-PCR (Human Papillomavirus PCR) – सर्वाइकल कैंसर के लिए हाई-रिस्क एचपीवी प्रकारों की जांच।
4. HIV-1 & HIV-2 PCR – एचआईवी संक्रमण की पुष्टि और वायरल लोड की गणना।
5. Hepatitis B & C PCR (HBV-DNA & HCV-RNA PCR) – हेपेटाइटिस बी और सी की वायरल गणना।
6. CMV-PCR (Cytomegalovirus PCR) – इम्यूनो-कॉम्प्रोमाइज्ड मरीजों में संक्रमण की पहचान।
7. Dengue & Chikungunya RT-PCR – डेंगू और चिकनगुनिया वायरस की पुष्टि।
8. Zika Virus RT-PCR – जीका वायरस संक्रमण की जांच।
9. Influenza A & B PCR – फ्लू वायरस की पहचान।
10. Leptospira PCR – लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण की जांच।
(ii) बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण के लिए पीसीआर टेस्ट
1. Neisseria gonorrhoeae & Chlamydia trachomatis PCR – गोनोरिया और क्लैमाइडिया संक्रमण की पुष्टि।
2. MRSA-PCR (Methicillin-resistant Staphylococcus aureus) – MRSA संक्रमण की पहचान।3. Candida & Aspergillus PCR – गंभीर फंगल संक्रमणों की जांच।—
2. डिजिटल पीसीआर (Digital PCR – dPCR)
1. HIV Viral Load Test – HIV RNA की सटीक मात्रा मापने के लिए।
2. Cancer Mutation Detection (e.g., EGFR, KRAS, BRAF Mutations) – फेफड़े, कोलन और अन्य कैंसर में म्यूटेशन का विश्लेषण।—
3. जीनोमिक और जेनेटिक टेस्टिंग (Genomic & Genetic Testing)
यह टेस्ट जेनेटिक म्यूटेशन और इनहेरिटेड डिसऑर्डर की पहचान में उपयोग होते हैं।
A. ह्यूमन जेनेटिक टेस्टिंग (Human Genetic Testing)1. Whole Genome Sequencing (WGS) – पूरे जीनोम (DNA) की मैपिंग।
2. Whole Exome Sequencing (WES) – सभी एक्टिव जीन की जांच।
3. BRCA1 & BRCA2 Gene Test – ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर की संभावना का विश्लेषण।
4. CFTR Gene Test – सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis) की पहचान।
5. Thalassemia & Sickle Cell Mutation Test – जेनेटिक रक्त विकारों की पहचान।
6. Huntington’s Disease Genetic Test – न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी की पुष्टि।
7. DMD Gene Test (Duchenne Muscular Dystrophy) – मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की पहचान।
8. Spinal Muscular Atrophy (SMA) Test – न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर का पता लगाने के लिए।
B. प्रीनेटल और न्यूबॉर्न स्क्रीनिंग (Prenatal & Newborn Screening)1. Non-Invasive Prenatal Testing (NIPT) – डाउन सिंड्रोम और अन्य क्रोमोसोमल विकारों की जांच।
2. Newborn Screening Panel (Genetic Metabolic Disorders) – जन्मजात विकारों की जल्दी पहचान।—
4. कैंसर जेनेटिक्स और मॉलिक्यूलर ऑन्कोलॉजी (Cancer Genetics & Molecular Oncology)
1. Oncogene Panel Testing (EGFR, KRAS, ALK, BRAF Mutations) – कैंसर में जीन म्यूटेशन की पहचान।
2. Circulating Tumor DNA (ctDNA) Test – लिक्विड बायोप्सी द्वारा कैंसर सेल डीएनए की जांच।3. Microsatellite Instability (MSI) Testing – कोलन कैंसर में जेनेटिक अस्थिरता की जांच।4. HER2/Neu Gene Amplification Test – ब्रेस्ट कैंसर में HER2 जीन की पहचान।
5. P53 Mutation Analysis – ट्यूमर सप्रेसर जीन की जांच।—
5. फार्माकोजेनेटिक्स (Pharmacogenetics Testing)
यह टेस्ट यह निर्धारित करने में मदद करता है कि किसी व्यक्ति का DNA किसी विशेष दवा पर कैसे प्रतिक्रिया करेगा।
1. CYP450 Genotyping (CYP2C19, CYP2D6, CYP3A4) – दवाओं के मेटाबोलिज्म की जांच।
2. TPMT Gene Test – इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं की सुरक्षा की जांच।3. Warfarin Sensitivity Test (VKORC1 & CYP2C9) – ब्लड थिनर की सही डोज पता करने के लिए।4. Clopidogrel Resistance (CYP2C19) – एंटी-प्लेटलेट दवा की प्रतिक्रिया की जांच।—
6. मेटाजेनोमिक्स और माइक्रोबायोम एनालिसिस (Metagenomics & Microbiome Analysis)
1. 16S rRNA Sequencing – बैक्टीरियल मेटाजेनोमिक्स के लिए।
2. Shotgun Metagenomics – संपूर्ण माइक्रोबियल जीनोम का विश्लेषण।
3. Gut Microbiome Test – आंतों में बैक्टीरिया की संरचना की पहचान।—
निष्कर्ष मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स अत्यधिक सटीक और संवेदनशील तकनीक है, जो संक्रामक रोगों, कैंसर, अनुवांशिक विकारों और व्यक्तिगत चिकित्सा (Personalized Medicine) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।यदि आपको किसी विशेष टेस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी चाहिए, तो बताएं!