Stool Culture Test

स्टूल कल्चर टेस्ट क्या होता है?

स्टूल कल्चर (Stool Culture) एक प्रयोगशाला परीक्षण है, जिसमें पेट, आंत या आंतों से जुड़ी बीमारियों के कारण होने वाले बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस का पता लगाने के लिए मल (Stool) का नमूना लिया जाता है।
यह टेस्ट आमतौर पर दस्त, पेट दर्द, मिचली, बुखार या उल्टी के लक्षणों वाले मरीजों के लिए किया जाता है।


स्टूल कल्चर टेस्ट क्यों किया जाता है?

  1. दस्त (Diarrhea): अगर दस्त 3 या उससे ज्यादा दिन तक हो रहे हों।
  2. पेट में दर्द और ऐंठन (Abdominal Pain or Cramping): यदि यह लगातार हो रही हो।
  3. खून या बलगम आना (Blood or Mucus in Stool): अगर मल में खून या बलगम हो।
  4. बुखार (Fever): बुखार के साथ पेट की समस्याएं।
  5. वायरल, बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन का संदेह (Suspected Infection): अगर डॉक्टर को बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से संक्रमण का शक हो।
  6. रोटावायरस, शिगेला, सालमोनेला (Salmonella), ई. कोलाई (E. coli) जैसे हानिकारक बैक्टीरिया के संक्रमण का पता लगाना।

स्टूल कल्चर टेस्ट कैसे किया जाता है?

  1. सैंपल संग्रह (Sample Collection):
    • मरीज से नमूना (स्टूल) एक विशेष कंटेनर में लिया जाता है।
    • टॉयलेट में मल करने के बाद उसे Sterile (स्वच्छ) कंटेनर में इकट्ठा किया जाता है।
    • कोशिश करें कि मल में खून या म्यूकस (बलगम) हो तो उसे भी नमूने में शामिल करें।
  2. सैंपल का लैब में भेजना (Sending Sample to Lab):
    • मल का नमूना एक प्लास्टिक कंटेनर में, जो लैब से स्टेराइल हो, एकत्र करके तत्काल लैब भेजा जाता है।
    • अगर सैंपल देर से भेजना हो, तो उसे फ्रीजर में रखा जाता है, ताकि बैक्टीरिया मरने न पाएं।

स्टूल कल्चर टेस्ट में क्या देखा जाता है?

  1. बैक्टीरिया की पहचान (Bacterial Identification):
    • आमतौर पर यह टेस्ट फूड पॉयज़निंग, डायरिया और पेट के अन्य संक्रमणों के कारण होने वाले बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए किया जाता है।
    • कई प्रकार के बैक्टीरिया की जांच की जाती है जैसे:
      • Salmonella
      • Shigella
      • Escherichia coli (E. coli)
      • Campylobacter
      • Clostridium difficile
      • Vibrio cholerae (कॉलरा का कारण)
  2. वायरस (Viruses):
    • कभी-कभी, रोटावायरस या नॉरोवायरस जैसे वायरल संक्रमण का कारण भी दस्त हो सकते हैं।
  3. फंगल संक्रमण (Fungal Infection):
    • Candida albicans जैसे फंगस भी पेट में संक्रमण का कारण बन सकते हैं, खासकर अगर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो।
  4. पैथोजेनिक (Harmful Organisms):
    • रिपोर्ट में किसी भी पैथोजेनिक (हानिकारक) जीवाणु, वायरस या फंगस की मौजूदगी की पुष्टि होती है।

स्टूल कल्चर रिपोर्ट को कैसे समझें?

(A) रिपोर्ट का परिणाम:

  1. नेगेटिव रिपोर्ट (Negative Report):
    • अगर रिपोर्ट में “No Pathogenic Organism Is Found” लिखा हो, तो इसका मतलब है कि किसी हानिकारक बैक्टीरिया या वायरस का पता नहीं चला
    • इस स्थिति में, पेट दर्द और दस्त का कारण कुछ और हो सकता है (जैसे वायरल इन्फेक्शन, स्ट्रेस या अन्य कारण)।
  2. पॉजिटिव रिपोर्ट (Positive Report):
    • अगर रिपोर्ट में किसी बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस का नाम लिखा हो, तो इसका मतलब है कि पेट के लक्षण इन संक्रमणों के कारण हो रहे हैं।
      उदाहरण:
      • Salmonella – सैल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण हो सकता है।
      • Shigella – शिगेला बैक्टीरिया से दस्त और बुखार हो सकते हैं।
      • Escherichia coli (E. coli) – विशेष E. coli स्ट्रेन से रक्तस्त्राव, दस्त और पेट दर्द हो सकते हैं।
      • Campylobacter – यह बैक्टीरिया गंभीर दस्त और बुखार का कारण बनता है।
      • Clostridium difficile – यह फेकल संक्रमण के बाद एंटीबायोटिक सेवन से हो सकता है।

(B) एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट (Antibiotic Sensitivity Test):

  • अगर बैक्टीरिया पाया गया, तो रिपोर्ट में यह भी होता है कि बैक्टीरिया किस एंटीबायोटिक से संवेदनशील है और किससे प्रतिरोधी (resistant) है।
  • रिपोर्ट में S (Sensitive), I (Intermediate), और R (Resistant) जैसे संकेत मिल सकते हैं, जो डॉक्टर को सही दवा चुनने में मदद करते हैं।

(C) वायरस और फंगल रिपोर्ट:

  • वायरस या फंगस के कारण होने वाले संक्रमण की पहचान भी की जाती है।
  • अगर रिपोर्ट में “Rotavirus Positive” या “Candida Albicans” का उल्लेख है, तो इसका मतलब है कि वायरस या फंगस संक्रमण हो सकता है।

स्टूल कल्चर टेस्ट के लिए आवश्यक टिप्स:

  • सही सैंपल: टेस्ट के लिए ताजे मल का नमूना चाहिए।
  • नमूने की शुद्धता: सुनिश्चित करें कि मल में बाहरी प्रदूषक (जैसे पेशाब) न हो।
  • लैब में ताजगी: सैंपल को जल्दी लैब में भेजें, ताकि बैक्टीरिया जीवित रहें और सही पहचान हो सके।
  • एंटीबायोटिक का असर: अगर आप पहले से एंटीबायोटिक ले रहे हैं, तो रिपोर्ट में बदलाव हो सकता है। डॉक्टर को बताएं।

निष्कर्ष:

स्टूल कल्चर टेस्ट बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण पेट के संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट दस्त, पेट दर्द, बुखार और उल्टी के लक्षणों वाले रोगियों के लिए महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में बैक्टीरिया या वायरस की पहचान और इलाज के लिए उपयुक्त दवाइयों की जानकारी दी जाती है।

स्टूल कल्चर टेस्ट के लिए मशीनें और केमिकल्स

स्टूल कल्चर टेस्ट में उपयोग किए जाने वाले मशीनों और रसायनों (केमिकल्स) का उद्देश्य बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस की पहचान करना और उनकी एंटीबायोटिक संवेदनशीलता का परीक्षण करना है। इसके लिए विभिन्न मशीनों और रसायनों की आवश्यकता होती है।


1. स्टूल कल्चर टेस्ट के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनें (Instruments Used in Stool Culture)

(A) इन्क्यूबेटर (Incubator)

  • उपयोग: स्टूल नमूनों को 37°C पर इनक्यूबेट करने के लिए ताकि बैक्टीरिया की वृद्धि हो सके।
  • मॉडल: BOD Incubator, CO₂ Incubator
  • काम: बैक्टीरिया का विकास और उन पर स्टेनिंग के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करना।

(B) ऑटोमेटेड कल्चर सिस्टम (Automated Culture Systems)

  • उपयोग: बैक्टीरिया की पहचान और एंटीबायोटिक संवेदनशीलता (Antibiotic Sensitivity) टेस्ट के लिए।
  • उदाहरण:
    • VITEK 2 Compact – बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए।
    • BACTEC – बैक्टीरिया के विकास की निगरानी और पहचान के लिए।
    • Phoenix System – बैक्टीरिया और उनके एंटीबायोटिक प्रतिरोध की पहचान के लिए।

(C) माइक्रोस्कोप (Microscope)

  • उपयोग: बैक्टीरिया की पहचान के लिए ग्राम स्टेनिंग (Gram Staining) या कास्ट स्टेनिंग (Cast Staining) जैसी प्रक्रिया के बाद।
  • मॉडल: Light Microscope, Fluorescence Microscope
  • काम: बैक्टीरिया, फंगस या परजीवियों का निरीक्षण करने के लिए।

(D) बायोसेफ्टी कैबिनेट (Biosafety Cabinet)

  • उपयोग: स्टूल सैंपल के दौरान बैक्टीरिया के फैलाव को रोकने के लिए।
  • काम: यह एक स्टरलाइज्ड और सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है।

2. स्टूल कल्चर टेस्ट के लिए आवश्यक रसायन (Chemicals Used in Stool Culture)

(A) कल्चर मीडिया (Culture Media)

बैक्टीरिया की पहचान और विकास के लिए कल्चर मीडिया का उपयोग किया जाता है। अलग-अलग बैक्टीरिया के लिए विभिन्न मीडिया का उपयोग किया जाता है:

(B) ग्राम स्टेनिंग (Gram Staining Reagents)

ग्राम स्टेनिंग बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए किया जाता है और इसके लिए निम्नलिखित रसायनों का उपयोग किया जाता है:

(C) अन्य स्टेनिंग तकनीकें (Other Staining Techniques)

कभी-कभी फंगस या पैथोजेनिक वायरस की पहचान के लिए विशेष स्टेनिंग प्रक्रियाएं की जाती हैं:

(D) एंटीबायोटिक डिस्क (Antibiotic Discs)

जब बैक्टीरिया की पहचान हो जाती है, तो एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट के लिए एंटीबायोटिक डिस्क का उपयोग किया जाता है:


निष्कर्ष:

स्टूल कल्चर टेस्ट में इन्क्यूबेटर, माइक्रोस्कोप, ऑटोमेटेड कल्चर सिस्टम (VITEK, BACTEC), और बायोसेफ्टी कैबिनेट जैसी मशीनों का उपयोग किया जाता है। वहीं, बैक्टीरिया की पहचान और वृद्धि के लिए MacConkey Agar, Blood Agar, XLD Agar, Selenite F Broth जैसे कल्चर मीडिया का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए ग्राम स्टेनिंग, Acid-fast Staining और एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट के लिए एंटीबायोटिक डिस्क का उपयोग किया जाता है।

स्टूल कल्चर टेस्ट रिपोर्ट को कैसे समझें

स्टूल कल्चर टेस्ट का उद्देश्य पेट के संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया, वायरस या फंगस का पता लगाना है। इस टेस्ट की रिपोर्ट में बैक्टीरिया की पहचान, उनके प्रकार और एंटीबायोटिक के प्रति संवेदनशीलता (antibiotic sensitivity) के बारे में जानकारी होती है।

यहां बताया गया है कि आप स्टूल कल्चर रिपोर्ट को कैसे समझ सकते हैं:


1. रिपोर्ट का मुख्य हिस्सा

रिपोर्ट में निम्नलिखित बिंदु होते हैं:

(A) कल्चर रिजल्ट (Culture Result):

  • नेगेटिव रिजल्ट (Negative Result):
    अगर रिपोर्ट में लिखा है “No Pathogenic Organism Is Found” या “No Growth”, तो इसका मतलब है कि स्टूल नमूने में कोई हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस या फंगस नहीं पाया गया है।
    इसका मतलब है कि पेट की समस्या किसी और कारण (जैसे वायरल संक्रमण, तनाव, डाइटरी समस्याएं) से हो सकती है।
  • पॉजिटिव रिजल्ट (Positive Result):
    अगर रिपोर्ट में किसी बैक्टीरिया, वायरस या फंगस का नाम है, तो इसका मतलब है कि ये संक्रमण का कारण हो सकते हैं।
    उदाहरण के लिए, रिपोर्ट में लिखा हो सकता है:
    • Salmonella
    • Shigella
    • Escherichia coli (E. coli)
    • Campylobacter
    • Clostridium difficile (C. difficile)
    • Vibrio cholerae (कॉलरा का कारण)

(B) बैक्टीरिया या वायरस की पहचान (Pathogen Identification):

रिपोर्ट में पैथोजेन (संक्रमण के कारण) का नाम होता है, जो निम्नलिखित में से एक हो सकता है:

  • Salmonella: सैल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण पेट में संक्रमण और बुखार हो सकता है।
  • Shigella: शिगेला बैक्टीरिया के कारण गंभीर दस्त और बुखार हो सकते हैं।
  • Escherichia coli (E. coli): खास प्रकार के E. coli बैक्टीरिया से रक्तस्त्राव वाली दस्त हो सकती है।
  • Campylobacter: ये बैक्टीरिया दस्त और बुखार का कारण बन सकते हैं।
  • Clostridium difficile: यह विशेष रूप से एंटीबायोटिक लेने के बाद पेट में संक्रमण कर सकता है।

(C) एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट (Antibiotic Sensitivity Test):

अगर बैक्टीरिया पाया गया है, तो रिपोर्ट में यह जानकारी दी जाती है कि कौन-सी एंटीबायोटिक दवा उस बैक्टीरिया को मार सकती है (संवेदनशील – Sensitive), असर कर सकती है लेकिन पूरी तरह नहीं (मध्यम – Intermediate), या असर नहीं करेगी (प्रतिरोधी – Resistant)।
इसमें तीन प्रमुख संकेत होते हैं:

(D) वायरस या फंगस का परिणाम (Viral or Fungal Pathogens):

रिपोर्ट में कभी-कभी यह भी बताया जा सकता है कि वायरस (जैसे रोटावायरस, नॉरोवायरस) या फंगस (जैसे कैंडिडा) मौजूद हैं।

  • Rotavirus: वायरल दस्त का कारण हो सकता है, खासकर बच्चों में।
  • Candida albicans: यदि यह पाया जाता है, तो यह फंगल संक्रमण का संकेत हो सकता है, जो विशेष रूप से इम्यून सिस्टम के कमजोर होने पर होता है।

2. रिपोर्ट का उदाहरण (Sample Report Explanation):

इस रिपोर्ट के अनुसार, मरीज को सैल्मोनेला बैक्टीरिया का संक्रमण है, और इलाज के लिए Ciprofloxacin उपयुक्त एंटीबायोटिक होगी। Amoxicillin इस बैक्टीरिया पर असरदार नहीं है।


3. रिपोर्ट के आधार पर आगे क्या करें?

  1. नेगेटिव रिपोर्ट:
    • यदि रिपोर्ट नेगेटिव है तो इसका मतलब है कि बैक्टीरिया, वायरस या फंगस नहीं पाया गया। डॉक्टर अन्य कारणों (जैसे वायरल संक्रमण, डाइट, तनाव) की जांच कर सकते हैं।
  2. पॉजिटिव रिपोर्ट:
    • संक्रमण की पहचान: डॉक्टर संक्रमण के कारण के आधार पर उपयुक्त दवाइयों का सुझाव देंगे।
    • एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी: रिपोर्ट में दिए गए Sensitive (S) एंटीबायोटिक का चयन इलाज के लिए किया जाएगा।
  3. वायरस या फंगस:
    • अगर वायरस या फंगस का पता चला है तो डॉक्टर इसके लिए विशेष एंटीवायरल या एंटीफंगल दवाइयों का सुझाव देंगे।

निष्कर्ष:

स्टूल कल्चर रिपोर्ट में संक्रमण के कारण का पता चलता है, जैसे बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस। रिपोर्ट में एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट भी होता है, जो डॉक्टर को यह बताता है कि कौन-सी दवा प्रभावी होगी। रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर इलाज की योजना बनाएंगे और उचित दवा देंगे।

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