Schistosoma haematobium Test

Schistosoma haematobium Test: यूरिन में इस परजीवी के अंडों की पहचान।

Schistosoma haematobium Test: Identification of eggs of this parasite in urine.

Schistosoma haematobium Test: यूरिन में इस परजीवी के अंडों की पहचान

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

Schistosoma haematobium एक परजीवी फ्लूक (Trematode) है जो ब्लैडर (मूत्राशय) और मूत्र प्रणाली में संक्रमण करता है। यह यूरिन में मौजूद परजीवी के अंडों (eggs) की पहचान करने के लिए किया जाता है

यह टेस्ट उन मरीजों में किया जाता है जिनमें निम्नलिखित लक्षण होते हैं:

  • गहरा या खून मिश्रित पेशाब (Hematuria)
  • बार-बार यूरिन इन्फेक्शन
  • मूत्र मार्ग में जलन और दर्द
  • गुर्दे और मूत्राशय की पुरानी सूजन
  • अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया जैसी स्थानों की यात्रा का इतिहास

Schistosoma haematobium के कारण होने वाले संक्रमण को यूरिनरी शिस्टोसोमियासिस (Urinary Schistosomiasis) कहा जाता है।


इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

यह टेस्ट मुख्य रूप से यूरिनरी शिस्टोसोमियासिस का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस संक्रमण के कारण निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं:

  1. ब्लैडर फाइब्रोसिस और यूरिनरी ट्रैक्ट ऑब्स्ट्रक्शन – मूत्राशय में सूजन और पेशाब रुकने की समस्या।
  2. ब्लैडर कैंसर (Squamous Cell Carcinoma of the Bladder) – लंबे समय तक संक्रमण बने रहने से कैंसर का खतरा।
  3. गुर्दे की क्षति (Hydronephrosis और Kidney Failure) – किडनी की कार्यक्षमता पर असर।
  4. मूत्र मार्ग में पत्थरी (Urinary Stones) – संक्रमण से यूरिन में कैल्शियम का जमाव बढ़ जाता है।

यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

1. नमूना संग्रह (Sample Collection)

  • मरीज से मध्य-दिन (Midday Urine Sample) का सैंपल लिया जाता है क्योंकि Schistosoma haematobium के अंडे सुबह और दोपहर के समय अधिक मात्रा में यूरिन में निकलते हैं।
  • सैंपल को Sterile Container में इकट्ठा किया जाता है और तुरंत जांच के लिए भेजा जाता है।

2. प्रयोगशाला में जांच प्रक्रिया (Laboratory Examination Procedure)

(A) Microscopic Examination:

  1. यूरिन सैंपल को सेंट्रीफ्यूज (Centrifuge) मशीन में रखकर तरल और ठोस भाग अलग किया जाता है।
  2. तलछट (Sediment) को ग्लास स्लाइड पर रखकर उसे Giemsa या Methylene Blue स्टेनिंग के साथ रंगा जाता है।
  3. माइक्रोस्कोप के तहत Schistosoma haematobium के अंडों की पहचान की जाती है।
  4. यह अंडे अंडाकार (Oval) होते हैं और इनकी एक साइड पर नुकीला सिरा (Terminal Spine) होता है।

(B) Antigen Detection Test (Serology):

  • यदि यूरिन में अंडे नहीं मिलते लेकिन मरीज में लक्षण मौजूद हैं, तो Schistosoma एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट (ELISA, Rapid Diagnostic Test) किया जाता है।

(C) PCR Test (Polymerase Chain Reaction):

  • जटिल मामलों में डीएनए टेस्ट (PCR) के जरिए परजीवी के जीन की पुष्टि की जाती है।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. Centrifuge Machine – यूरिन से तलछट अलग करने के लिए।
  2. Light Microscope – अंडों की पहचान के लिए।
  3. ELISA Reader – Schistosoma एंटीजन जांच के लिए।
  4. PCR Machine – डीएनए आधारित पुष्टि के लिए।

टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. Normal Saline – यूरिन सैंपल को संसाधित करने के लिए।
  2. Methylene Blue या Giemsa Stain – माइक्रोस्कोप में अंडों को अधिक स्पष्ट रूप से देखने के लिए।
  3. ELISA Reagents (Schistosoma Antigen Detection Kit) – रक्त में परजीवी के एंटीजन की जांच के लिए।
  4. PCR Chemicals (DNA Extraction Reagents, Primers, Buffers) – जीनोम आधारित जांच के लिए।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझाया और पढ़ा जाता है?

1. पॉजिटिव (Positive) रिपोर्ट:

  • यदि माइक्रोस्कोपी में Schistosoma haematobium के अंडे पाए जाते हैं, तो मरीज को यूरिनरी शिस्टोसोमियासिस की पुष्टि होती है।
  • ELISA या PCR टेस्ट में Schistosoma का एंटीजन या डीएनए मिलने पर भी संक्रमण की पुष्टि होती है।

उदाहरण:

  • “Schistosoma haematobium eggs detected in urine sediment microscopy.”
  • “Schistosoma antigen detected in ELISA test.”

2. नेगेटिव (Negative) रिपोर्ट:

  • यदि यूरिन में अंडे नहीं मिलते और एंटीजन टेस्ट भी नेगेटिव आता है, तो संक्रमण की संभावना कम होती है।
  • हालांकि, यदि लक्षण बने रहते हैं, तो दोबारा टेस्ट करने या PCR द्वारा पुष्टि करने की सलाह दी जाती है।

बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव

1. दवाइयों से उपचार (Medications):

Schistosomiasis का प्राथमिक उपचार Praziquantel (PZQ) नामक दवा से किया जाता है।

  • Praziquantel (40 mg/kg, दो खुराक में, एक दिन तक) – परजीवी को मारने के लिए।
  • Steroids (जैसे Prednisolone) – यदि ब्लैडर में सूजन या गंभीर लक्षण हों।

2. लक्षणों का प्रबंधन (Symptomatic Treatment):

  • पेशाब में जलन और दर्द: पेरासिटामोल और पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी जाती है।
  • ब्लैडर संक्रमण: यदि बैक्टीरियल इंफेक्शन हो गया है, तो एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं।
  • गुर्दे की क्षति: गंभीर मामलों में किडनी फंक्शन टेस्ट और अन्य उपचार की जरूरत पड़ सकती है।

3. रोकथाम (Prevention):

  • संक्रमित जल में न नहाएं और न ही तैराकी करें।
  • पीने के पानी को उबालकर या फ़िल्टर करके पिएं।
  • Schistosomiasis प्रभावित क्षेत्रों में जाने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।
  • साल में एक बार स्क्रीनिंग टेस्ट कराएं यदि आप प्रभावित क्षेत्र में रहते हैं।

निष्कर्ष:

Schistosoma haematobium टेस्ट यूरिन में मौजूद इस परजीवी के अंडों की पहचान करने के लिए किया जाता है। यदि मरीज में पेशाब में खून, बार-बार यूरिन इन्फेक्शन, या गुर्दे की समस्या हो रही हो, तो यह टेस्ट अत्यंत आवश्यक होता है। माइक्रोस्कोपी, ELISA और PCR जैसी आधुनिक तकनीकों से संक्रमण की सटीक पुष्टि की जाती है।

सही समय पर Praziquantel दवा से इलाज करने से संक्रमण पूरी तरह ठीक किया जा सकता है और आगे की जटिलताओं से बचा जा सकता है।

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