Bone Marrow or Splenic Aspirate Smear

Bone Marrow or Splenic Aspirate Smear: To identify Leishmania parasites in severe cases.

Bone Marrow or Splenic Aspirate Smear: गंभीर मामलों में लीशमैनिया परजीवी की पहचान के लिए।

Bone Marrow या Splenic Aspirate Smear Test: गंभीर मामलों में लीशमैनिया परजीवी की पहचान के लिए

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

Bone Marrow या Splenic Aspirate Smear टेस्ट गंभीर कालाजार (Visceral Leishmaniasis) के मामलों में लीशमैनिया परजीवी की प्रत्यक्ष पहचान के लिए किया जाता है। यह टेस्ट उन मरीजों में किया जाता है, जिनमें RK39 एंटीबॉडी टेस्ट या अन्य परीक्षण अस्पष्ट या नकारात्मक आते हैं, लेकिन लक्षण कालाजार के अनुरूप होते हैं।

यह परीक्षण रक्त कोशिकाओं में Leishmania donovani परजीवी की प्रत्यक्ष उपस्थिति की पुष्टि करता है और संक्रमण की तीव्रता का आकलन करने में मदद करता है।

मुख्य उद्देश्य:

  1. कालाजार के संदिग्ध लेकिन जटिल मामलों की पुष्टि करना।
  2. RK39 या अन्य सीरोलॉजिकल टेस्ट से नकारात्मक आने वाले मामलों की जांच।
  3. संक्रमण की गंभीरता का आकलन करना और उपयुक्त उपचार योजना बनाना।

इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

  1. कालाजार (Visceral Leishmaniasis / VL)Leishmania donovani परजीवी के कारण होने वाली गंभीर संक्रमण जिसमें बुखार, तिल्ली व यकृत का बढ़ना, एनीमिया, और कमजोरी होती है।
  2. पोस्ट-कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (PKDL) – कालाजार उपचार के बाद त्वचा पर सफेद या लाल धब्बे बनने की स्थिति।

यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

टेस्ट प्रक्रिया:

  1. नमूना एकत्र करना:
    • Bone Marrow Aspirate:
      • हड्डी के गूदे (Bone Marrow) से सैंपल निकाला जाता है, आमतौर पर इलियक क्रेस्ट (hip bone) या स्टर्नम (sternum) से।
    • Splenic Aspirate:
      • तिल्ली (Spleen) से एक पतली सुई के माध्यम से तरल निकाला जाता है। यह अधिक संवेदनशील होता है लेकिन आंतरिक रक्तस्राव का जोखिम रहता है।
  2. स्मियर तैयार करना:
    • प्राप्त सैंपल को एक ग्लास स्लाइड पर फैलाया जाता है और सूखने दिया जाता है।
  3. रंजक (Staining) प्रक्रिया:
    • स्लाइड को Giemsa Stain या Wright Stain से रंगा जाता है।
  4. माइक्रोस्कोप द्वारा जांच:
    • Oil immersion lens (100x) का उपयोग कर लीशमैनिया परजीवी की प्रत्यक्ष जांच की जाती है।
    • लीशमैनिया परजीवी के Amastigote Stage (गोलाकार, केंद्र में नाभिक और किनारे पर काइनेटोप्लास्ट) को पहचाना जाता है।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. Sterile Aspiration Needle and Syringe – बोन मैरो या स्प्लीन से सैंपल निकालने के लिए।
  2. Centrifuge Machine – रक्त और बोन मैरो के सैंपल को अलग करने के लिए।
  3. Microscope (Oil Immersion Lens के साथ) – स्मियर पर लीशमैनिया परजीवी की पहचान के लिए।
  4. Automated Staining System (कुछ लैब में) – स्मियर को तेजी से स्टेन करने के लिए।

टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. Giemsa Stain या Wright Stain – लीशमैनिया परजीवी को स्पष्ट रूप से पहचानने के लिए।
  2. Methanol – स्लाइड को फिक्स करने के लिए।
  3. Buffered Water – धुलाई प्रक्रिया के लिए।
  4. Oil Immersion Liquid – माइक्रोस्कोप में उच्च स्पष्टता के लिए।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझाया और पढ़ा जाता है?

सकारात्मक (Positive) रिपोर्ट:

  • अगर माइक्रोस्कोप के तहत लीशमैनिया परजीवी के अमास्टिगोट रूप (Amastigotes) देखे जाते हैं, तो कालाजार संक्रमण की पुष्टि होती है।
  • रिपोर्ट में “Leishmania amastigotes seen” लिखा जाएगा।
  • संक्रमण की गंभीरता परजीवी की संख्या के आधार पर आंकी जाती है।

नकारात्मक (Negative) रिपोर्ट:

  • अगर स्मियर में परजीवी नहीं दिखते, तो संक्रमण की संभावना कम होती है, लेकिन इसे पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।
  • रिपोर्ट में “No Leishmania amastigotes seen” लिखा जाएगा।
  • कुछ मामलों में, अगर रिपोर्ट नेगेटिव आती है लेकिन लक्षण बने रहते हैं, तो PCR या अन्य परीक्षण किए जाते हैं।

उदाहरण:

  1. अगर रिपोर्ट पॉजिटिव है और मरीज को लक्षण (बुखार, तिल्ली का बढ़ना) हैं, तो कालाजार की पुष्टि होती है और तुरंत उपचार की जरूरत होती है।
  2. अगर रिपोर्ट नेगेटिव है लेकिन लक्षण मौजूद हैं, तो डॉक्टर अन्य परीक्षणों की सलाह दे सकते हैं।

बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव

1. दवाइयों से उपचार (Anti-Leishmanial Treatment):

  • Liposomal Amphotericin B (Ambisome) – WHO द्वारा अनुशंसित, 10-15 mg/kg IV।
  • Miltefosine (Oral Therapy) – 28 दिनों तक 50-100 mg/day।
  • Sodium Stibogluconate (SSG) + Paromomycin – कुछ क्षेत्रों में प्रभावी।

2. लक्षणों का प्रबंधन (Symptomatic Treatment):

  • बुखार और कमजोरी के लिए पोषण और हाइड्रेशन।
  • एनीमिया के लिए आयरन और फोलिक एसिड सप्लीमेंट।
  • अगर स्प्लेनोमेगाली (तिल्ली का बढ़ना) अधिक हो तो सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।

3. रोकथाम (Prevention):

  • बालू मक्खी से बचाव के लिए कीटनाशकों और मच्छरदानी का उपयोग।
  • संक्रमित क्षेत्रों में स्वच्छता बनाए रखना।
  • Kala-Azar Control Program के तहत सामूहिक जांच और उपचार।

निष्कर्ष:

Bone Marrow या Splenic Aspirate Smear टेस्ट कालाजार के कठिन मामलों में सबसे सटीक परीक्षणों में से एक है, क्योंकि यह लीशमैनिया परजीवी को सीधे पहचानता है।
हालांकि, यह एक आक्रामक प्रक्रिया है और केवल उन्हीं मरीजों पर की जाती है, जिनमें अन्य परीक्षणों से स्पष्ट निदान नहीं हो पाया हो।
कालाजार की पुष्टि होने पर तत्काल उपचार आवश्यक होता है, ताकि मरीज गंभीर जट

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