HBV DNA & HCV RNA Test

HBV DNA & HCV RNA Test – हेपेटाइटिस B और C वायरस की संख्या जांचने के लिए।

HBV DNA & HCV RNA Test – To check the number of hepatitis B and C viruses.

HBV DNA & HCV RNA Test – हेपेटाइटिस B और C वायरस की संख्या जांचने के लिए

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

HBV DNA (Hepatitis B Virus DNA) और HCV RNA (Hepatitis C Virus RNA) टेस्ट का मुख्य उद्देश्य हेपेटाइटिस B और C वायरस की रक्त में मात्रा (viral load) की गणना करना है। यह टेस्ट निम्नलिखित कारणों से किया जाता है:

  1. संक्रमण की पुष्टि करने के लिए – यदि व्यक्ति को हेपेटाइटिस B या C का संदेह है, तो यह टेस्ट संक्रमण की पुष्टि कर सकता है।
  2. रोग की गंभीरता का आकलन करने के लिए – वायरल लोड अधिक होने का मतलब है कि संक्रमण सक्रिय है और लिवर को अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
  3. एंटीवायरल उपचार की प्रभावशीलता जानने के लिए – अगर मरीज पहले से दवा ले रहा है, तो यह टेस्ट यह दिखा सकता है कि वायरस की संख्या घट रही है या नहीं।
  4. हेपेटाइटिस के क्रोनिक (Chronic) या एक्यूट (Acute) होने का पता लगाने के लिए – अगर वायरस लंबे समय तक शरीर में बना रहता है, तो यह लीवर फाइब्रोसिस या सिरोसिस का कारण बन सकता है।

इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

  1. हेपेटाइटिस B संक्रमण (HBV Infection) – यह लिवर को प्रभावित करने वाला वायरस है, जो समय के साथ सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण बन सकता है।
  2. हेपेटाइटिस C संक्रमण (HCV Infection) – यह वायरस भी लिवर को नुकसान पहुंचाता है और यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह क्रोनिक हो सकता है।
  3. क्रोनिक हेपेटाइटिस B और C – यदि वायरस शरीर में छह महीने से अधिक समय तक बना रहता है, तो इसे क्रोनिक कहा जाता है, जो लिवर फेल्योर का कारण बन सकता है।
  4. लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का खतरा – अधिक वायरल लोड वाले मरीजों में सिरोसिस और लिवर कैंसर का जोखिम अधिक होता है।

यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

  1. ब्लड सैंपल कलेक्शन:
    • डॉक्टर मरीज के ब्लड का सैंपल लेते हैं।
    • सैंपल को विशेष रूप से स्टोर किया जाता है ताकि वायरस का RNA या DNA नष्ट न हो।
  2. लैब में जांच:
    • PCR (Polymerase Chain Reaction) तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो वायरस के जेनेटिक मटेरियल (HBV DNA या HCV RNA) की कॉपी बनाकर उनकी संख्या मापता है।
    • Real-Time PCR और TMA (Transcription-Mediated Amplification) तकनीकें भी इस्तेमाल की जाती हैं।
  3. रिपोर्ट तैयार की जाती है:
    • रिपोर्ट में बताया जाता है कि HBV DNA या HCV RNA प्रति मिलीलीटर रक्त में कितनी संख्या में मौजूद है

इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. Real-Time PCR Machine – वायरस के जेनेटिक मटेरियल की कॉपी बनाकर उनकी संख्या मापने के लिए।
  2. Automated Nucleic Acid Extraction System – ब्लड सैंपल से वायरस का RNA या DNA अलग करने के लिए।
  3. TMA Analyzer (Transcription-Mediated Amplification System) – वायरस के RNA को मापने के लिए।

टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. Reverse Transcriptase Enzyme – वायरस के RNA को DNA में बदलने के लिए।
  2. PCR Master Mix – DNA को बढ़ाने के लिए।
  3. Fluorescent Probes – वायरस की उपस्थिति का पता लगाने के लिए।
  4. RNA Extraction Buffers – ब्लड सैंपल से RNA को अलग करने के लिए।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझाया और पढ़ा जाता है?

  1. HBV DNA या HCV RNA “Not Detected”
    • इसका मतलब है कि शरीर में वायरस की संख्या इतनी कम है कि उसे मापा नहीं जा सकता
    • यह संकेत देता है कि एंटीवायरल उपचार प्रभावी है।
  2. HBV DNA या HCV RNA 1000 से 10,000 copies/ml के बीच है
    • संक्रमण हल्का है, लेकिन इसे मॉनिटर करने की जरूरत है।
  3. HBV DNA या HCV RNA 10,000 से 1,00,000 copies/ml के बीच है
    • वायरस सक्रिय रूप से बढ़ रहा है, और लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है।
    • दवा की प्रभावशीलता की जांच के लिए डॉक्टर ART या अन्य एंटीवायरल थेरेपी में बदलाव कर सकते हैं।
  4. HBV DNA या HCV RNA 1,00,000 copies/ml से अधिक है
    • संक्रमण बहुत अधिक गंभीर है, और तुरंत उपचार की जरूरत है।
    • यह लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर का कारण बन सकता है।

उदाहरण:

यदि एक मरीज की रिपोर्ट में HCV RNA 5,00,000 copies/ml दिखाता है, तो इसका मतलब है कि संक्रमण बहुत गंभीर है और एंटीवायरल थेरेपी तुरंत शुरू करनी चाहिए
यदि दूसरे मरीज की रिपोर्ट में HBV DNA “Not Detected” आता है, तो इसका मतलब है कि दवाएं काम कर रही हैं और संक्रमण नियंत्रण में है

बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव

  1. एंटीवायरल दवाएं लें
    • हेपेटाइटिस B के लिए टेनोफोविर (Tenofovir) और एंटेकाविर (Entecavir) जैसी दवाएं दी जाती हैं।
    • हेपेटाइटिस C के लिए सोफोसबुवीर (Sofosbuvir), लेडिपासवीर (Ledipasvir) और डाकलाटासवीर (Daclatasvir) जैसी दवाएं दी जाती हैं।
  2. नियमित रूप से वायरल लोड टेस्ट कराएं
    • हर 3-6 महीने में जांच करानी चाहिए ताकि यह देखा जा सके कि दवा असर कर रही है या नहीं।
  3. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
    • शराब और धूम्रपान पूरी तरह बंद करें, क्योंकि ये लिवर को और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
    • हेल्दी डाइट लें – हरी सब्जियां, फल, प्रोटीन युक्त भोजन और पर्याप्त पानी पिएं।
    • योग और हल्का व्यायाम करें – शरीर को मजबूत बनाए रखने के लिए।
  4. टीकाकरण कराएं (Vaccination)
    • हेपेटाइटिस B का टीका (Hepatitis B Vaccine) उपलब्ध है, जिसे समय पर लेने से संक्रमण से बचा जा सकता है।
    • हेपेटाइटिस C का अभी तक कोई टीका नहीं है, इसलिए सुरक्षा उपाय जैसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन से पहले जांच और सुइयों का दोबारा उपयोग न करना जरूरी है
  5. संक्रमण फैलने से रोकें
    • किसी और के साथ ब्लेड, टूथब्रश, या सुई साझा न करें।
    • असुरक्षित यौन संबंध से बचें और कंडोम का उपयोग करें।

निष्कर्ष

HBV DNA और HCV RNA टेस्ट हेपेटाइटिस B और C वायरस की सक्रियता और गंभीरता को जांचने का एक प्रभावी तरीका हैयदि वायरल लोड कम है, तो संक्रमण नियंत्रण में होता है, और यदि अधिक है, तो उपचार में बदलाव की जरूरत होती हैनियमित जांच, सही दवाएं और स्वस्थ जीवनशैली लिवर को सुरक्षित रखने में मदद कर सकती हैं।

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