PCR Test

PCR (Polymerase Chain Reaction): Especially for identifying rare and serious fungal infections.

PCR (Polymerase Chain Reaction) टेस्ट: दुर्लभ और गंभीर फंगल संक्रमण की पहचान के लिए

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

PCR टेस्ट विशेष रूप से दुर्लभ और गंभीर फंगल संक्रमण की पहचान के लिए किया जाता है। यह परीक्षण फंगल डीएनए (Fungal DNA) का पता लगाने के लिए जीन-अनुक्रमण (Gene Amplification) तकनीक का उपयोग करता है।

  • संस्कृति (Culture) और माइक्रोस्कोपी टेस्ट की तुलना में यह ज्यादा संवेदनशील (Sensitive) और सटीक (Specific) होता है।
  • यह उन मरीजों में उपयोगी होता है जिनमें फंगल संक्रमण के स्पष्ट लक्षण तो हैं लेकिन अन्य पारंपरिक टेस्ट (Culture, Staining) में संक्रमण नहीं दिख रहा होता है।
  • गंभीर इम्यूनोडिफिशिएंसी (HIV/AIDS, कैंसर, ऑर्गन ट्रांसप्लांट) वाले मरीजों में फंगल सेप्सिस (Fungal Sepsis) के जल्दी निदान के लिए यह टेस्ट बहुत महत्वपूर्ण है।

PCR टेस्ट से किन बीमारियों का पता चलता है?

  1. इनवेसिव एस्परगिलोसिस (Invasive Aspergillosis)
    • Aspergillus fumigatus के कारण होने वाला गंभीर फंगल संक्रमण।
  2. इनवेसिव कैंडिडायसिस (Invasive Candidiasis)
    • Candida albicans, Candida glabrata के कारण होने वाला रक्त और आंतरिक अंगों का संक्रमण।
  3. म्यूरकोमाइकोसिस (Mucormycosis – Black Fungus)
    • Rhizopus, Mucor फंगस के कारण होने वाला खतरनाक संक्रमण।
  4. क्रिप्टोकोकल मेनिन्जाइटिस (Cryptococcal Meningitis)
    • Cryptococcus neoformans द्वारा मस्तिष्क में संक्रमण।
  5. ब्लास्टोमायकोसिस (Blastomycosis)
    • Blastomyces dermatitidis के कारण फेफड़ों का संक्रमण।
  6. हिस्टोप्लास्मोसिस (Histoplasmosis)
    • Histoplasma capsulatum द्वारा फेफड़ों और अन्य अंगों का संक्रमण।
  7. कोक्सीडियोडोमायकोसिस (Coccidioidomycosis – Valley Fever)
    • Coccidioides immitis फंगस के कारण होने वाला संक्रमण।

PCR टेस्ट कैसे किया जाता है?

1. सैंपल कलेक्शन (Sample Collection)

  • ब्लड (Serum या Plasma)
  • ब्रोंकोएल्विओलर लैवेज (BAL) फ्लूइड
  • स्पाइनल फ्लूइड (CSF) – Cryptococcus की जांच के लिए
  • टिशू बायोप्सी – गहरे फंगल संक्रमण की जांच के लिए

2. DNA एक्सट्रैक्शन (DNA Extraction)

  • सैंपल से फंगल डीएनए को विशेष रसायनों की मदद से अलग किया जाता है।

3. PCR रिएक्शन (Amplification Process)

  • PCR मशीन में थर्मल साइक्लिंग (Thermal Cycling) प्रक्रिया से फंगल डीएनए की कॉपी बनाई जाती है।
  • अगर सैंपल में फंगल डीएनए मौजूद होता है, तो यह कई गुना बढ़कर डिटेक्ट किया जा सकता है।

4. रिजल्ट एनालिसिस (Result Analysis)

  • जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस (Gel Electrophoresis) या रियल-टाइम PCR (RT-PCR) की मदद से डीएनए की पुष्टि की जाती है।
  • फ्लोरेसेंस सिग्नल (Fluorescent Signal) आने पर फंगल संक्रमण की पुष्टि होती है।

PCR टेस्ट के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनें

  1. थर्मो-साइक्लर (Thermal Cycler) – PCR प्रतिक्रिया (Amplification) के लिए।
  2. रियल-टाइम PCR मशीन (Real-Time PCR Machine) – तुरंत रिजल्ट एनालिसिस के लिए।
  3. स्पेक्ट्रोफोटोमीटर (Spectrophotometer) – डीएनए क्वांटिफिकेशन के लिए।
  4. जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस सिस्टम (Gel Electrophoresis System) – डीएनए फ्रैगमेंट की पुष्टि के लिए।

इस टेस्ट के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन (Reagents)

  1. DNA एक्सट्रैक्शन किट (DNA Extraction Kit) – फंगल डीएनए निकालने के लिए।
  2. PCR मास्टर मिक्स (PCR Master Mix) – डीएनए को बढ़ाने (Amplification) के लिए।
  3. फंगल-विशिष्ट प्राइमर्स (Fungal-Specific Primers) – फंगल डीएनए को टारगेट करने के लिए।
  4. डाई (Fluorescent Dye) – PCR प्रतिक्रिया को डिटेक्ट करने के लिए।
  5. पोस्ट-PCR स्टेन्स (Gel Staining Reagents) – इलेक्ट्रोफोरेसिस में डीएनए देखने के लिए।

PCR टेस्ट रिपोर्ट कैसे पढ़ें और समझें?

1. नेगेटिव रिपोर्ट (Negative Report)

  • फंगल डीएनए का पता नहीं चला → मरीज में फंगल संक्रमण नहीं है।

2. पॉजिटिव रिपोर्ट (Positive Report)

  • फंगल डीएनए पाया गया → मरीज में फंगल संक्रमण की पुष्टि होती है।
  • Ct Value (Threshold Cycle) के आधार पर संक्रमण की गंभीरता का अनुमान लगाया जाता है:
    • Ct < 30 → हाई लोड (Severe Infection)
    • Ct 30-35 → मीडियम लोड (Moderate Infection)
    • Ct > 35 → लो लोड (Mild Infection)

उदाहरण:
एक मरीज जिसे ब्लैक फंगस (Mucormycosis) का संदेह है, उसका PCR टेस्ट किया गया और Ct Value = 28 आई।
इसका मतलब यह हुआ कि संक्रमण गंभीर है और तुरंत एंटीफंगल उपचार की जरूरत है।


इन बीमारियों का इलाज कैसे किया जाता है?

1. एंटीफंगल दवाएँ (Antifungal Medications)

  • वोरिकोनाजोल (Voriconazole) – Aspergillosis के लिए।
  • एंफोटेरिसिन बी (Amphotericin B) – Mucormycosis और अन्य गंभीर संक्रमणों के लिए।
  • फ्लुकोनाजोल (Fluconazole) – Candida संक्रमण के लिए।
  • इचिनोकैंडिंस (Echinocandins – Caspofungin, Micafungin) – Drug-resistant Candida के लिए।

2. सर्जरी (Surgical Intervention)

  • गंभीर मामलों में संक्रमित ऊतकों को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

3. इम्यूनोथैरेपी और प्रोफिलैक्सिस

  • इम्यूनो-कॉम्प्रोमाइज्ड मरीजों (HIV, कैंसर, ट्रांसप्लांट) को प्रिवेंटिव एंटीफंगल थेरेपी दी जाती है।

निष्कर्ष

  • PCR टेस्ट गंभीर और दुर्लभ फंगल संक्रमणों की पुष्टि करने के लिए सबसे तेज़ और सटीक तरीका है।
  • Ct Value के आधार पर संक्रमण की गंभीरता को आंका जाता है।
  • प्रारंभिक निदान और सही दवा से मरीज की जान बचाई जा सकती है।
  • अगर किसी मरीज में Culture या Microscopy से संक्रमण की पुष्टि नहीं हो रही, लेकिन संदेह बना हुआ है, तो PCR सबसे अच्छा विकल्प है।

अगर किसी मरीज में लंबे समय तक फंगल संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं, तो डॉक्टर PCR टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।

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