Chromogenic Agar Test

Chromogenic Agar Test : For identification of different species of Candida.

क्रोमोगेनिक मीडिया (Chromogenic Agar) टेस्ट

क्रोमोगेनिक मीडिया टेस्ट क्या है?

क्रोमोगेनिक मीडिया एक विशेष प्रकार का कल्चर मीडिया (Culture Media) है, जिसे मुख्य रूप से कैंडिडा (Candida) की विभिन्न प्रजातियों की पहचान करने के लिए उपयोग किया जाता है।

इस मीडिया में क्रोमोजेनिक सब्सट्रेट्स (Chromogenic Substrates) होते हैं, जो कैंडिडा की अलग-अलग प्रजातियों के एंजाइम्स से प्रतिक्रिया करके अलग-अलग रंगों की कॉलोनियां बनाते हैं। इससे विभिन्न कैंडिडा प्रजातियों को आसानी से पहचाना जा सकता है


यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

  • कैंडिडा संक्रमण (Candidiasis) की पहचान करने के लिए।
  • कैंडिडा की अलग-अलग प्रजातियों का तेजी से निदान करने के लिए।
  • सही एंटीफंगल दवा निर्धारित करने में मदद के लिए।
  • गंभीर संक्रमणों, जैसे कि सिस्टमिक कैंडिडियासिस (Systemic Candidiasis) की पुष्टि करने के लिए।

इस टेस्ट से किन बीमारियों का पता चलता है?

क्रोमोगेनिक मीडिया का उपयोग मुख्य रूप से कैंडिडा संक्रमण की पहचान के लिए किया जाता है, जैसे कि:

  1. ओरोफेरींजियल कैंडिडियासिस (Oropharyngeal Candidiasis) – मुंह और गले का फंगल संक्रमण।
  2. वजाइनल कैंडिडियासिस (Vaginal Candidiasis) – महिलाओं में गुप्तांगों का यीस्ट संक्रमण।
  3. इनवेसिव कैंडिडियासिस (Invasive Candidiasis) – रक्त और अंगों का संक्रमण, जो गंभीर हो सकता है।
  4. कैटेटर-एसोसिएटेड कैंडिडियासिस – यूरिनरी कैटेटर के कारण मूत्र मार्ग में संक्रमण।
  5. स्किन कैंडिडियासिस (Skin Candidiasis) – त्वचा पर सफेद दाने या लाल चकत्ते।

क्रोमोगेनिक मीडिया टेस्ट कैसे किया जाता है?

1. सैंपल कलेक्शन (Sample Collection)

  • कैंडिडा संक्रमण के संदेह वाले अंग से नमूना लिया जाता है:
    • मुंह से स्वाब
    • योनि से स्वाब
    • मूत्र (Urine) या रक्त (Blood) का सैंपल
    • त्वचा या नाखून से स्क्रैपिंग
  • सैंपल को स्टेराइल स्वाब की मदद से एकत्र किया जाता है।

2. क्रोमोगेनिक मीडिया प्लेट पर इनोकुलेशन (Inoculation on Chromogenic Agar Plate)

  • नमूने को क्रोमोगेनिक एगर प्लेट (Chromogenic Agar Plate) पर डालकर फैलाया जाता है।
  • प्लेट को स्टेराइल लूप की मदद से स्ट्रेकिंग की जाती है ताकि कॉलोनियां अलग-अलग विकसित हो सकें।

3. इन्क्यूबेशन (Incubation)

  • प्लेट को 37°C पर 24-48 घंटे के लिए इन्क्यूबेटर (Incubator) में रखा जाता है
  • इस दौरान विभिन्न कैंडिडा प्रजातियों की रंगीन कॉलोनियां (Colored Colonies) विकसित होती हैं।

4. माइक्रोस्कोपिक और बायोकैमिकल जांच (Microscopic & Biochemical Identification)

  • कॉलोनी के रंग और बनावट को ध्यान से देखा जाता है
  • यदि अधिक पुष्टि की आवश्यकता हो तो LPCB स्टेनिंग या जर्म ट्यूब टेस्ट किया जाता है।

क्रोमोगेनिक मीडिया टेस्ट के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनें

  1. इन्क्यूबेटर (Incubator) – कॉलोनी विकसित करने के लिए।
  2. लैमिनार एयरफ्लो कैबिनेट (Laminar Airflow Cabinet) – सैंपल हैंडलिंग के दौरान स्टेराइल कंडीशन बनाए रखने के लिए।
  3. माइक्रोस्कोप (Microscope) – कॉलोनी की माइक्रोस्कोपिक जांच के लिए।
  4. ऑटोक्लेव (Autoclave) – मीडिया को स्टरलाइज़ करने के लिए।

इस टेस्ट के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन

  1. क्रोमोगेनिक सब्सट्रेट (Chromogenic Substrate) – कैंडिडा प्रजातियों की पहचान के लिए।
  2. पेप्टोन (Peptone) – फंगस के विकास को बढ़ाने के लिए।
  3. ग्लूकोज (Glucose/Dextrose) – ऊर्जा स्रोत के रूप में।
  4. एंटीबायोटिक्स (Antibiotics, जैसे क्लोरैम्फेनिकोल या जेंटामाइसिन) – बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकने के लिए।

क्रोमोगेनिक मीडिया रिपोर्ट को कैसे पढ़ें?

1. पॉजिटिव रिपोर्ट (Positive Report) – कैंडिडा संक्रमण मौजूद है

अगर प्लेट पर रंगीन कॉलोनियां विकसित होती हैं, तो कैंडिडा संक्रमण की पुष्टि होती है।
विभिन्न कैंडिडा प्रजातियों की पहचान कॉलोनी के रंग से की जाती है:

उदाहरण:

  • यदि प्लेट पर हल्की हरी कॉलोनियां विकसित होती हैं, तो यह Candida albicans का संकेत है।
  • यदि कॉलोनियां नीली-हरी हैं, तो Candida tropicalis मौजूद हो सकती है।
  • गुलाबी कॉलोनियां दिखने पर Candida krusei की पुष्टि हो सकती है।

2. नेगेटिव रिपोर्ट (Negative Report) – कोई कैंडिडा संक्रमण नहीं

  • अगर 48 घंटे तक प्लेट पर कोई कॉलोनी विकसित नहीं होती, तो टेस्ट नेगेटिव होता है।
  • इसका मतलब है कि सैंपल में कोई कैंडिडा नहीं मिला या फिर कैंडिडा की संख्या बहुत कम थी।

निष्कर्ष

  • क्रोमोगेनिक मीडिया टेस्ट एक तेज़ और प्रभावी तरीका है कैंडिडा संक्रमण की पहचान करने का।
  • यह विभिन्न कैंडिडा प्रजातियों को अलग-अलग रंगों में पहचानने में मदद करता है, जिससे निदान और उपचार में आसानी होती है।
  • पॉजिटिव रिपोर्ट में रंगीन कॉलोनियों की जांच की जाती है, जबकि नेगेटिव रिपोर्ट में कोई वृद्धि नहीं होती।
  • इस टेस्ट का उपयोग त्वचा, मूत्र, रक्त, और अन्य ऊत्तकों में कैंडिडा संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है।

यदि किसी व्यक्ति को बार-बार यीस्ट संक्रमण होता है, तो डॉक्टर क्रोमोगेनिक मीडिया टेस्ट की सलाह दे सकते हैं ताकि उचित एंटीफंगल उपचार शुरू किया जा सके।

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