AFP Test

AFP (Alpha-Fetoprotein) Test: For liver and testicular cancer.

AFP (Alpha-Fetoprotein) Test: लीवर और टेस्टीक्युलर कैंसर के लिए।

AFP (Alpha-Fetoprotein) टेस्ट: लीवर और टेस्टीक्युलर कैंसर की जांच के लिए

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

AFP (Alpha-Fetoprotein) टेस्ट लीवर, अंडकोष (टेस्टीस) और डिम्बग्रंथि (ओवरी) से जुड़े कैंसर की पहचान, निगरानी और उपचार की प्रतिक्रिया को मापने के लिए किया जाता है। यह एक रक्त परीक्षण है, जिसमें शरीर में मौजूद AFP प्रोटीन की मात्रा को मापा जाता है।

इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य:

  1. लीवर कैंसर (Hepatocellular Carcinoma – HCC) का पता लगाना।
  2. टेस्टीक्युलर (अंडकोष) और ओवरी कैंसर की जांच करना।
  3. कैंसर के इलाज की निगरानी करना।
  4. गर्भावस्था में भ्रूण के विकास संबंधी असामान्यताओं की जांच करना।
  5. लीवर सिरोसिस और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों में कैंसर के जोखिम का आकलन करना।

इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

  1. लीवर कैंसर (Hepatocellular Carcinoma – HCC): AFP का उच्च स्तर लीवर कैंसर का संकेत दे सकता है।
  2. टेस्टीक्युलर कैंसर (Testicular Cancer): खासतौर पर नॉन-सेमिनोमेटस जर्म सेल ट्यूमर से जुड़े मामलों में AFP बढ़ सकता है।
  3. ओवरी कैंसर (Ovarian Cancer): कुछ प्रकार के डिम्बग्रंथि (ओवरी) कैंसर में AFP का स्तर बढ़ सकता है।
  4. लीवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis): लिवर में स्थायी क्षति के कारण AFP का स्तर बढ़ सकता है।
  5. क्रॉनिक हेपेटाइटिस B और C: लीवर के लंबे समय तक संक्रमित रहने से AFP बढ़ सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
  6. न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (Neural Tube Defect): गर्भावस्था में भ्रूण की असामान्यताओं का पता लगाने के लिए भी यह टेस्ट किया जाता है।

यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

  1. ब्लड सैंपल लिया जाता है।
  2. सैंपल को प्रयोगशाला में विशेष मशीनों द्वारा जांचा जाता है।
  3. AFP प्रोटीन का स्तर नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (ng/mL) में मापा जाता है।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. ELISA (Enzyme-Linked Immunosorbent Assay) Analyzer – AFP प्रोटीन की मात्रा मापने के लिए।
  2. Chemiluminescent Immunoassay (CLIA) Analyzer – अधिक संवेदनशील और तेजी से परिणाम देने वाला उपकरण।
  3. Radioimmunoassay (RIA) Analyzer – रेडियोएक्टिव तत्वों का उपयोग करके सटीक परिणाम देता है।
  4. Automated Immunoassay Analyzers – बड़े स्तर पर टेस्ट करने के लिए।

टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. Monoclonal Antibodies against AFP – AFP प्रोटीन को पहचानने के लिए।
  2. Horseradish Peroxidase (HRP) Conjugate – संकेत को मजबूत करने के लिए।
  3. Chromogenic Substrate (TMB – Tetramethylbenzidine) – रंग परिवर्तन के लिए, जिससे परिणाम पढ़ा जा सके।
  4. Phosphate Buffered Saline (PBS) – ब्लड सैंपल को स्थिर बनाए रखने के लिए।
  5. Luminol या Acridinium Ester – CLIA टेस्ट में उपयोग किया जाता है।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझाया और पढ़ा जाता है?

AFP का स्तर नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (ng/mL) में मापा जाता है।

  • 0-10 ng/mL – सामान्य सीमा, कैंसर की संभावना कम।
  • 10-500 ng/mL – हल्का बढ़ा हुआ स्तर, लीवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस या अन्य बीमारियों का संकेत हो सकता है।
  • 500 ng/mL से अधिक – कैंसर (लीवर, टेस्टीक्युलर, ओवरी) की संभावना।

उदाहरण:

  1. अगर किसी मरीज की रिपोर्ट में AFP स्तर 700 ng/mL आता है और उसे लीवर सिरोसिस की समस्या है, तो डॉक्टर लीवर कैंसर की पुष्टि के लिए अल्ट्रासाउंड, CT स्कैन और बायोप्सी की सलाह देंगे।
  2. अगर किसी व्यक्ति का AFP पहले 1200 ng/mL था और कीमोथेरेपी के बाद यह घटकर 50 ng/mL हो गया है, तो यह इलाज के प्रभावी होने का संकेत है।
  3. यदि गर्भवती महिला में AFP बहुत अधिक (200 ng/mL से ऊपर) है, तो भ्रूण में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (जैसे स्पाइना बिफिडा) की संभावना हो सकती है।

बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव

1. लीवर कैंसर का उपचार:

  • सर्जरी (Liver Resection or Transplantation): यदि कैंसर शुरुआती स्टेज में है, तो ट्यूमर को हटाया जा सकता है या लीवर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy): कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का उपयोग।
  • टार्गेटेड थेरेपी (Sorafenib, Lenvatinib): कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने के लिए।
  • इम्यूनोथेरेपी (Atezolizumab + Bevacizumab): शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए।
  • रेडियोथेरेपी (Radiation Therapy): कैंसर के उन्नत चरणों में उपयोग किया जाता है।

2. टेस्टीक्युलर कैंसर का उपचार:

  • ऑरकिएक्टोमी (Orchiectomy): प्रभावित अंडकोष को हटाने के लिए सर्जरी।
  • कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी: कैंसर को फैलने से रोकने के लिए।

3. ओवरी कैंसर का उपचार:

  • सर्जरी (Oophorectomy या Hysterectomy): प्रभावित ओवरी को हटाने के लिए।
  • कीमोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी।

4. लीवर सिरोसिस और हेपेटाइटिस का उपचार:

  • हेपेटाइटिस B और C के लिए एंटीवायरल थेरेपी।
  • लीवर सिरोसिस को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव, शराब और धूम्रपान से बचाव।

निष्कर्ष

AFP टेस्ट लीवर कैंसर, टेस्टीक्युलर कैंसर और ओवरी कैंसर की पहचान और निगरानी में एक महत्वपूर्ण जांच है। हालांकि, सिर्फ AFP बढ़ने से कैंसर की पुष्टि नहीं होती, इसलिए अल्ट्रासाउंड, MRI और बायोप्सी जैसे अन्य परीक्षणों के साथ इसकी पुष्टि की जाती है।

यदि कोई व्यक्ति लीवर से संबंधित समस्याओं से ग्रसित है या उसे पेट में दर्द, वजन कम होना, या थकान जैसे लक्षण हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेकर यह टेस्ट करवाना जरूरी हो सकता है। शुरुआती पहचान से कैंसर का प्रभावी इलाज संभव है।

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