Enzyme-Linked Immunosorbent Assay (ELISA)

Enzyme-Linked Immunosorbent Assay (ELISA) – For testing diseases like HIV, Hepatitis, Dengue, COVID-19.

Enzyme-Linked Immunosorbent Assay (ELISA) – HIV, Hepatitis, Dengue, COVID-19 जैसी बीमारियों की जांच के लिए।

Enzyme-Linked Immunosorbent Assay (ELISA) – संक्रमण और वायरल बीमारियों की जांच के लिए

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

ELISA (इंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट एस्से) एक प्रतिरक्षा-आधारित (Immunoassay) टेस्ट है, जिसका उपयोग शरीर में एंटीबॉडी (Antibodies) या एंटीजन (Antigen) की उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट वायरल, बैक्टीरियल और ऑटोइम्यून बीमारियों की जांच में मदद करता है। ELISA की उच्च संवेदनशीलता (Sensitivity) और विशिष्टता (Specificity) इसे संक्रमण की शुरुआती पहचान और निदान के लिए एक प्रभावी तरीका बनाती है।

मुख्य उद्देश्‍य:

  1. संक्रामक रोगों की जांच – जैसे HIV, हेपेटाइटिस B और C, डेंगू, COVID-19, मलेरिया आदि।
  2. ऑटोइम्यून बीमारियों की पहचान – जैसे लुपस (Lupus), रूमेटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)।
  3. कैंसर बायोमार्कर की जांच – कुछ प्रकार के कैंसर से संबंधित प्रोटीन की पहचान।
  4. हार्मोन और ड्रग टेस्टिंग – जैसे गर्भावस्था परीक्षण (hCG), स्टेरॉयड और अन्य हार्मोन स्तर की जांच।
  5. फूड एलर्जी टेस्टिंग – एलर्जी उत्पन्न करने वाले प्रोटीन की उपस्थिति की पहचान करना।

इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

ELISA टेस्ट विभिन्न बीमारियों की जांच के लिए प्रयोग किया जाता है। इनमें प्रमुख हैं:

1. वायरल संक्रमण:

  • HIV (Human Immunodeficiency Virus) – शरीर में HIV एंटीबॉडी/एंटीजन की पहचान के लिए।
  • Hepatitis B और C – लिवर इंफेक्शन का कारण बनने वाले वायरस की जांच के लिए।
  • COVID-19 (SARS-CoV-2) – वायरस के एंटीबॉडी की जांच के लिए।
  • डेंगू वायरस – डेंगू संक्रमण के दौरान उत्पन्न एंटीबॉडी की पहचान।

2. बैक्टीरियल संक्रमण:

  • ट्यूबरकुलोसिस (TB) के लिए ELISA – माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस एंटीजन/एंटीबॉडी की पहचान।
  • सिफिलिस और लाइम डिजीज – बैक्टीरियल संक्रमण की पुष्टि के लिए।

3. ऑटोइम्यून बीमारियां:

  • सिस्टमेटिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (SLE) – एंटी-DSDNA और ANA एंटीबॉडी की जांच।
  • रूमेटॉइड आर्थराइटिस – रूमेटॉइड फैक्टर (RF) की पहचान।

4. कैंसर बायोमार्कर:

  • PSA (Prostate-Specific Antigen) – प्रोस्टेट कैंसर की जांच।
  • CA-125 – ओवेरियन कैंसर की पहचान के लिए।

इस टेस्ट को कैसे किया जाता है?

1. सैंपल कलेक्शन (Sample Collection)

  • रक्त (Blood Sample) – सबसे आम नमूना जो एंटीबॉडी या एंटीजन की पहचान के लिए लिया जाता है।
  • प्लाज्मा या सीरम (Plasma/Serum) – रक्त को प्रसंस्करण कर प्लाज्मा या सीरम अलग किया जाता है।
  • मूत्र या अन्य शारीरिक तरल पदार्थ – कुछ विशेष बीमारियों की जांच के लिए।

2. टेस्ट प्रक्रिया (ELISA Test Process)

ELISA टेस्ट आमतौर पर चार प्रकार के होते हैं:

  1. Indirect ELISA – शरीर में एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगाने के लिए।
  2. Sandwich ELISA – किसी वायरस या बैक्टीरिया के एंटीजन की जांच के लिए।
  3. Competitive ELISA – एंटीजन और एंटीबॉडी के बीच प्रतिस्पर्धा पर आधारित।
  4. Direct ELISA – एंटीजन का सीधे पता लगाने के लिए।

टेस्ट की स्टेप्स:

  1. Microplate Coating – टेस्ट प्लेट में एंटीजन या एंटीबॉडी को कोट किया जाता है।
  2. Sample Addition – मरीज के रक्त या प्लाज्मा का नमूना डाला जाता है।
  3. Enzyme-Linked Antibody Binding – एंटीजन-एंटीबॉडी प्रतिक्रिया के बाद एंजाइम युक्त एंटीबॉडी जोड़ी जाती है।
  4. Substrate Addition & Color Change – एक विशेष केमिकल (Substrate) मिलाया जाता है, जिससे रंग परिवर्तन होता है।
  5. Optical Density Measurement – मशीन के जरिए रंग परिवर्तन को मापा जाता है, जिससे परिणाम निर्धारित होते हैं।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन-कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. ELISA Plate Reader – रंग परिवर्तन को मापने के लिए।
  2. Microplate Washer – वेल प्लेट्स को साफ करने के लिए।
  3. Incubator & Shaker – सैंपल को सही तापमान पर रखने के लिए।
  4. Pipettes & Automated Liquid Handlers – सटीक मात्रा में सैंपल और रसायन जोड़ने के लिए।

टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. Coating Buffer – प्लेट में एंटीजन/एंटीबॉडी लगाने के लिए।
  2. Blocking Buffer – अनावश्यक प्रतिक्रियाओं को रोकने के लिए।
  3. Washing Buffer – प्लेट को साफ करने के लिए।
  4. Enzyme-Linked Secondary Antibody – परीक्षण में रंग परिवर्तन करने के लिए।
  5. Substrate (TMB/H2O2) – एंजाइम की प्रतिक्रिया से रंग परिवर्तन कराने के लिए।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझाया और पढ़ा जाता है?

  • Positive (सकारात्मक) → यदि रंग परिवर्तन या ऑप्टिकल डेंसिटी (OD) एक निश्चित सीमा से अधिक हो, तो टेस्ट पॉजिटिव माना जाता है।
  • Negative (नकारात्मक) → यदि OD मान कम है और रंग परिवर्तन नहीं होता, तो टेस्ट नेगेटिव है।
  • Borderline (सीमा रेखा पर) → यदि परिणाम संदिग्ध हैं, तो पुनः परीक्षण की सलाह दी जाती है।

उदाहरण:

  1. HIV ELISA टेस्ट पॉजिटिव:
    • यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो Western Blot या PCR टेस्ट से पुष्टि की जाती है।
  2. डेंगू ELISA IgM पॉजिटिव:
    • यह संकेत करता है कि मरीज को हाल ही में डेंगू संक्रमण हुआ है।
  3. Hepatitis B ELISA पॉजिटिव:
    • यह इंगित करता है कि व्यक्ति को हेपेटाइटिस B संक्रमण है।

बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव

1. HIV और Hepatitis का उपचार:

  • HIV के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) – संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए।
  • Hepatitis B & C के लिए एंटीवायरल ड्रग्स – संक्रमण को रोकने और लिवर क्षति को कम करने के लिए।

2. डेंगू और COVID-19 का उपचार:

  • डेंगू के लिए: हाइड्रेशन बनाए रखें, दर्द निवारक लें (जैसे पैरासिटामोल), और डॉक्टर की निगरानी में रहें।
  • COVID-19 के लिए: एंटी-वायरल दवाएं, इम्यूनोमॉड्यूलेटर्स और ऑक्सीजन सपोर्ट आवश्यक हो सकता है।

निष्कर्ष:

ELISA टेस्ट संक्रामक रोगों, ऑटोइम्यून बीमारियों और कैंसर बायोमार्कर की पहचान के लिए एक विश्वसनीय और संवेदनशील तकनीक है। इसकी मदद से प्रारंभिक निदान कर मरीज को उचित उपचार दिया जा सकता है। यदि ELISA टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो आगे की पुष्टि के लिए PCR या अन्य डायग्नोस्टिक टेस्ट किए जाते हैं।

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