Kidney Function Tests (KFTs) – Creatinine, Urea, BUN, Electrolytes.
Kidney Function Tests (KFTs) – Creatinine, Urea, BUN, Electrolytes की जांच।
Kidney Function Test (KFT) – Creatinine, Urea, BUN, Electrolytes की जांच
किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) का उपयोग गुर्दे (किडनी) की कार्यप्रणाली की जांच के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में रक्त में क्रिएटिनिन, यूरिया, ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN), और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड) के स्तर की जांच की जाती है।
यह टेस्ट क्यों किया जाता है?
- किडनी की कार्यप्रणाली को जांचने के लिए।
- किडनी फेल्योर (Kidney Failure) या क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) का पता लगाने के लिए।
- डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के कारण किडनी पर पड़ने वाले प्रभाव की जांच के लिए।
- डिहाइड्रेशन, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और किडनी संक्रमण का मूल्यांकन करने के लिए।
- डायलिसिस (Dialysis) की आवश्यकता का आकलन करने के लिए।
इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?
KFT से निम्नलिखित किडनी संबंधी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है:
- क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) – धीरे-धीरे किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट
- एक्यूट किडनी फेल्योर (Acute Kidney Injury – AKI) – अचानक से किडनी की कार्यक्षमता का खराब होना
- नेफ्रोटिक सिंड्रोम (Nephrotic Syndrome) – किडनी से अत्यधिक प्रोटीन का नुकसान
- ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis) – किडनी में सूजन
- यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) और पायलोनेफ्राइटिस (Pyelonephritis) – किडनी संक्रमण
- डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन
- हाई ब्लड प्रेशर से संबंधित किडनी की क्षति
- डायबिटिक नेफ्रोपैथी (Diabetic Nephropathy) – डायबिटीज के कारण किडनी को नुकसान
इस टेस्ट को कैसे किया जाता है?
- रक्त का नमूना लिया जाता है:
- मरीज के हाथ की नस से रक्त लिया जाता है।
- रक्त को प्रयोगशाला में जांचा जाता है:
- विभिन्न जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से किडनी फंक्शन से संबंधित घटकों का स्तर मापा जाता है।
- रिपोर्ट तैयार की जाती है:
- रिपोर्ट में क्रिएटिनिन, यूरिया, BUN, इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर दिए होते हैं।
इस टेस्ट को करने के लिए कौन-कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?
- Autoanalyzer (Biochemistry Analyzer) – किडनी फंक्शन से जुड़े घटकों का विश्लेषण करने के लिए।
- Centrifuge Machine – रक्त से प्लाज्मा या सीरम अलग करने के लिए।
- Spectrophotometer – विभिन्न रसायनों की प्रतिक्रिया का विश्लेषण करने के लिए।
- Ion-Selective Electrode (ISE) Analyzer – इलेक्ट्रोलाइट्स (Sodium, Potassium, Chloride) की जांच के लिए।
टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?
- Creatinine Reagent (Creatinine Test के लिए)
- Urease-Glutamate Dehydrogenase Reagent (Urea Test के लिए)
- BUN Reagent Kit (Blood Urea Nitrogen Test के लिए)
- Electrolyte Reagent Kits (Sodium, Potassium, Chloride Test के लिए)
- Buffer Solutions (pH संतुलन बनाए रखने के लिए)
टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे पढ़ा और समझाया जाता है?
मुख्य पैरामीटर और उनके सामान्य मान (Normal Ranges)
- Creatinine
- सामान्य सीमा: 0.6-1.3 mg/dL
- बढ़ा हुआ स्तर: किडनी फेल्योर, डिहाइड्रेशन, मांसपेशियों की क्षति
- कम स्तर: कुपोषण, लिवर डिजीज
- Urea (Blood Urea)
- सामान्य सीमा: 7-20 mg/dL
- बढ़ा हुआ स्तर: किडनी खराबी, डिहाइड्रेशन, हाई प्रोटीन डाइट
- कम स्तर: लिवर डिजीज, कुपोषण
- BUN (Blood Urea Nitrogen)
- सामान्य सीमा: 6-20 mg/dL
- बढ़ा हुआ स्तर: किडनी डिजीज, हार्ट फेल्योर
- कम स्तर: लिवर डिजीज, ओवरहाइड्रेशन
- Sodium (Na⁺)
- सामान्य सीमा: 135-145 mEq/L
- बढ़ा हुआ स्तर: डिहाइड्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर
- कम स्तर: किडनी डिजीज, ओवरहाइड्रेशन
- Potassium (K⁺)
- सामान्य सीमा: 3.5-5.0 mEq/L
- बढ़ा हुआ स्तर: किडनी फेल्योर, एडिसन डिजीज
- कम स्तर: डिहाइड्रेशन, डायरिया
- Chloride (Cl⁻)
- सामान्य सीमा: 96-106 mEq/L
- बढ़ा हुआ स्तर: मेटाबोलिक एसिडोसिस
- कम स्तर: उल्टी, डिहाइड्रेशन
उदाहरण के साथ रिपोर्ट की व्याख्या
रिपोर्ट 1 (सामान्य किडनी फंक्शन)
- Creatinine: 1.0 mg/dL
- Urea: 15 mg/dL
- BUN: 12 mg/dL
- Sodium: 140 mEq/L
- Potassium: 4.0 mEq/L
➡ इसका मतलब किडनी सामान्य रूप से काम कर रही है।
रिपोर्ट 2 (किडनी फेल्योर का संकेत)
- Creatinine: 5.0 mg/dL
- Urea: 80 mg/dL
- BUN: 50 mg/dL
➡ इसका मतलब किडनी की कार्यक्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है।
रिपोर्ट 3 (डिहाइड्रेशन या इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन का संकेत)
- Sodium: 150 mEq/L
- Potassium: 2.8 mEq/L
➡ इसका मतलब शरीर में पानी की कमी या इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है।
बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव
1. क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) का उपचार
- कम प्रोटीन और कम नमक वाला आहार
- दवाइयां: एसीई इनहिबिटर (ACE Inhibitors), ARBs
- रक्तचाप और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना
- डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है
2. एक्यूट किडनी फेल्योर (AKI) का उपचार
- दवाओं को नियंत्रित करना
- पानी और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखना
- संक्रमण का इलाज करना
3. इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन का उपचार
- उचित मात्रा में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स लेना
- हाइपरकलेमिया (Potassium बढ़ने) के लिए विशेष दवाएं
निष्कर्ष
KFT (Kidney Function Test) किडनी की स्थिति की जांच करने का एक आवश्यक परीक्षण है। इस टेस्ट से किडनी फेल्योर, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, नेफ्रोटिक सिंड्रोम, और हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। समय पर जांच और सही इलाज से किडनी को स्वस्थ रखा जा सकता है।