Thyroid Function Tests

Thyroid Function Tests (T3, T4, TSH) – Checking thyroid hormone levels.

Thyroid Function Tests (T3, T4, TSH) – थायराइड हार्मोन स्तर की जांच।

Thyroid Function Tests (T3, T4, TSH) – थायराइड हार्मोन स्तर की जांच

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

थायराइड फंक्शन टेस्ट (TFT) का उपयोग शरीर में थायराइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली की जांच के लिए किया जाता है। यह ग्रंथि हार्मोन T3 (Triiodothyronine), T4 (Thyroxine), और TSH (Thyroid-Stimulating Hormone) का उत्पादन करती है, जो शरीर के मेटाबोलिज्म, ऊर्जा स्तर, वजन, हृदय गति और कई अन्य महत्वपूर्ण शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

यह टेस्ट उन लोगों के लिए आवश्यक होता है जो थकान, वजन बढ़ने या घटने, बाल झड़ने, अवसाद, ठंड या गर्मी के प्रति असहिष्णुता जैसी समस्याओं का अनुभव कर रहे होते हैं। यह गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड हार्मोन की कमी) या हाइपरथायरायडिज्म (थायराइड हार्मोन की अधिकता) के संदिग्ध मरीजों के लिए भी किया जाता है।

इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

थायराइड फंक्शन टेस्ट से कई स्वास्थ्य स्थितियों का पता लगाया जा सकता है, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) – जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन नहीं बनाती। इसके लक्षणों में थकान, वजन बढ़ना, सुस्ती, ठंड लगना, सूखी त्वचा और कब्ज शामिल हैं।
  2. हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) – जब थायराइड हार्मोन का उत्पादन बहुत अधिक हो जाता है। इसके लक्षणों में तेजी से वजन घटना, हृदय की धड़कन बढ़ना, पसीना आना, घबराहट, और भूख अधिक लगना शामिल हैं।
  3. ग्रेव्स डिजीज (Graves’ Disease) – यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से थायराइड ग्रंथि को अधिक हार्मोन बनाने के लिए प्रेरित करती है।
  4. हाशिमोटो थायरायडिटिस (Hashimoto’s Thyroiditis) – एक ऑटोइम्यून स्थिति जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली थायराइड को नुकसान पहुंचाकर हाइपोथायरायडिज्म का कारण बनती है।
  5. गण्डमाला (Goiter) – यह थायराइड ग्रंथि के असामान्य बढ़ने की स्थिति है, जो हार्मोन असंतुलन के कारण हो सकती है।
  6. थायराइड कैंसर (Thyroid Cancer) – हालांकि दुर्लभ होता है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए थायराइड फंक्शन टेस्ट और अन्य परीक्षण किए जाते हैं।

इस टेस्ट को कैसे किया जाता है?

थायराइड फंक्शन टेस्ट एक साधारण ब्लड टेस्ट है, जिसमें मरीज की नस से रक्त का नमूना लिया जाता है।

टेस्ट की प्रक्रिया:
  1. मरीज को टेस्ट के लिए बैठाया जाता है और उसकी बांह पर एक टूरनीकेट (रबर बैंड) बांधा जाता है।
  2. नस से रक्त निकाला जाता है और इसे एक टेस्ट ट्यूब में एकत्र किया जाता है।
  3. ब्लड सैंपल को प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जहां इसे विशेष मशीनों से विश्लेषण किया जाता है।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन-कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

थायराइड फंक्शन टेस्ट के लिए विभिन्न प्रकार की आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जाता है, जैसे:

  1. केमिल्युमिनेसेंस इम्यूनोसे (CLIA) एनालाइजर – यह एक अत्यधिक सटीक मशीन है, जो टीएसएच, टी3 और टी4 हार्मोन का स्तर मापती है।
  2. एलिसा (ELISA) रीडर – इसका उपयोग थायराइड हार्मोन के एंटीबॉडीज की जांच के लिए किया जाता है।
  3. इलेक्ट्रोकेमिल्युमिनेसेंस इम्यूनोसे (ECLIA) एनालाइजर – यह बहुत संवेदनशील मशीन होती है और हार्मोन के छोटे स्तर को भी माप सकती है।

टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

थायराइड फंक्शन टेस्ट के लिए विभिन्न प्रकार के बायोकेमिकल रिएजेंट्स (रसायन) का उपयोग किया जाता है, जैसे:

  1. एंटीबॉडी रिएजेंट्स – थायराइड हार्मोन को पहचानने और उनकी मात्रा मापने के लिए।
  2. बफर सॉल्यूशंस – पीएच को संतुलित करने के लिए।
  3. ल्यूमिनेसेंट सब्सट्रेट्स – केमिल्युमिनेसेंस परीक्षणों में सिग्नल उत्पन्न करने के लिए।
  4. कैलिब्रेटर्स और कंट्रोल्स – मशीनों को सटीकता से जांचने के लिए।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझा और पढ़ा जाता है?

रिपोर्ट में मुख्य रूप से तीन पैरामीटर्स देखे जाते हैं – T3 (Triiodothyronine), T4 (Thyroxine), और TSH (Thyroid-Stimulating Hormone)।

  1. टीएसएच (TSH) का स्तर
    • यदि TSH का स्तर बढ़ा हुआ है, तो यह हाइपोथायरायडिज्म को दर्शाता है।
    • यदि TSH का स्तर कम है, तो यह हाइपरथायरायडिज्म का संकेत हो सकता है।
  2. टी3 (T3) और टी4 (T4) का स्तर
    • यदि T3 और T4 का स्तर बढ़ा हुआ है, तो यह हाइपरथायरायडिज्म को इंगित करता है।
    • यदि T3 और T4 का स्तर कम है, तो यह हाइपोथायरायडिज्म का संकेत हो सकता है।

उदाहरण के द्वारा समझें:

उदाहरण:
सीमा की रिपोर्ट में TSH 8.5 mIU/L, T3 1.2 ng/mL, और T4 4.0 µg/dL आया है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि TSH का स्तर अधिक है, जबकि T3 और T4 का स्तर कम है। इसका मतलब है कि सीमा को हाइपोथायरायडिज्म की समस्या है, जिससे उसे थकान, वजन बढ़ने और ठंड लगने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

बीमारी के उपचार के सुझाव:

  1. हाइपोथायरायडिज्म का उपचार:
    • डॉक्टर आमतौर पर लेवोथायरोक्सिन (Levothyroxine) नामक दवा देते हैं, जो थायराइड हार्मोन की कमी को पूरा करती है।
    • आयोडीन युक्त भोजन (नमक, मछली, डेयरी उत्पाद) का सेवन बढ़ाएं।
    • नियमित रूप से व्यायाम करें और वजन नियंत्रित रखें।
  2. हाइपरथायरायडिज्म का उपचार:
    • डॉक्टर एंटी-थायराइड दवाएं (Methimazole या Propylthiouracil) देते हैं, जो हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करती हैं।
    • अत्यधिक मामलों में रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी दी जाती है, जिससे थायराइड ग्रंथि का आकार कम किया जाता है।
    • जरूरत पड़ने पर सर्जरी द्वारा थायराइड ग्रंथि का कुछ हिस्सा हटाया जा सकता है।

निष्कर्ष:

थायराइड फंक्शन टेस्ट शरीर के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने वाले महत्वपूर्ण हार्मोनों की जांच करता है। यह टेस्ट हाइपोथायरायडिज्म, हाइपरथायरायडिज्म और अन्य थायराइड विकारों के निदान में मदद करता है। सही आहार, दवा और जीवनशैली में बदलाव करके इन बीमारियों को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।

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