Crossmatch Test: To check the compatibility of the immune systems of the donor and receiver.
Crossmatch Test: डोनर और रिसीवर के इम्यून सिस्टम की संगतता जांचने के लिए।
Crossmatch Test: डोनर और रिसीवर के इम्यून सिस्टम की संगतता जांचने के लिए
यह टेस्ट क्यों किया जाता है?
Crossmatch टेस्ट का उपयोग अंग प्रत्यारोपण (Kidney, Liver, Heart, Bone Marrow) या ब्लड ट्रांसफ्यूजन से पहले यह जांचने के लिए किया जाता है कि डोनर और रिसीवर के इम्यून सिस्टम आपस में संगत (compatible) हैं या नहीं।
इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या रिसीवर के शरीर में डोनर के अंग या रक्त को अस्वीकार (Rejection) करने के लिए एंटीबॉडीज़ पहले से मौजूद हैं। यदि रिसीवर के शरीर में डोनर के खिलाफ एंटीबॉडीज होती हैं, तो प्रत्यारोपण का असफल होने का जोखिम बढ़ जाता है।
इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?
- Hyperacute Rejection – प्रत्यारोपण के तुरंत बाद अंग अस्वीकार हो सकता है।
- Chronic Graft Rejection – धीरे-धीरे प्रत्यारोपित अंग काम करना बंद कर सकता है।
- HLA Antibody-Mediated Rejection (AMR) – HLA एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडीज बनने से अंग अस्वीकार हो सकता है।
- Hemolytic Transfusion Reaction – गलत ब्लड ग्रुप मिलाने से रक्त ट्रांसफ्यूजन के दौरान प्रतिक्रिया हो सकती है।
- Graft-versus-host disease (GVHD) – बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बाद नई कोशिकाएं शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर सकती हैं।
यह टेस्ट कैसे किया जाता है?
- ब्लड सैंपल कलेक्शन
- डोनर और रिसीवर दोनों के ब्लड सैंपल लिए जाते हैं।
- कुछ मामलों में, डोनर के लिवर, किडनी या बोन मैरो की कोशिकाएं भी ली जाती हैं।
- सीरम और लिंफोसाइट अलग करना
- रिसीवर के ब्लड से सीरम (Serum) निकाला जाता है, जिसमें संभावित एंटीबॉडीज हो सकती हैं।
- डोनर के ब्लड से लिंफोसाइट्स (Lymphocytes) को अलग किया जाता है।
- इंटरैक्शन टेस्ट
- दो मुख्य तरीके होते हैं:
- Cytotoxic Crossmatch (CDC Crossmatch): रिसीवर के एंटीबॉडी और डोनर की कोशिकाओं को मिलाकर देखा जाता है कि क्या कोशिकाएं नष्ट होती हैं।
- Flow Cytometry Crossmatch: यह अधिक संवेदनशील टेस्ट है, जो डोनर के एंटीजन के प्रति रिसीवर के एंटीबॉडी की उपस्थिति को मापता है।
- दो मुख्य तरीके होते हैं:
- रिएक्शन का विश्लेषण
- यदि रिसीवर के एंटीबॉडी डोनर की कोशिकाओं पर हमला करते हैं, तो प्रत्यारोपण संभव नहीं होता।
- यदि कोई प्रतिक्रिया नहीं होती, तो प्रत्यारोपण की संभावना अधिक होती है।
इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?
- Flow Cytometer – फ्लो साइटोमेट्री द्वारा एंटीबॉडी प्रतिक्रिया की जांच के लिए।
- Microplate Reader – एलिजा (ELISA) आधारित एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को पढ़ने के लिए।
- Centrifuge Machine – सीरम और कोशिकाओं को अलग करने के लिए।
- Microscope – सेल लिसिस (Cell Lysis) यानी कोशिकाओं के नष्ट होने की जांच के लिए।
- Luminex Assay Machine – HLA एंटीबॉडीज की उपस्थिति की जांच के लिए।
टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?
- Complement Proteins – सेल लिसिस (कोशिका नष्ट होने) को ट्रिगर करने के लिए।
- Fluorescent Dye (FITC-conjugated Anti-human IgG) – फ्लो साइटोमेट्री के लिए।
- PBS (Phosphate-buffered saline) – सैंपल को डायल्यूट करने के लिए।
- Serum Separation Reagents – सीरम को अलग करने के लिए।
- Trypan Blue Dye – कोशिकाओं की मृत्यु का विश्लेषण करने के लिए।
टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझाया और पढ़ा जाता है?
Crossmatch टेस्ट के पॉजिटिव या नेगेटिव परिणाम आते हैं:
- पॉजिटिव Crossmatch:
- रिसीवर के शरीर में पहले से डोनर के एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडीज मौजूद हैं।
- प्रत्यारोपण संभव नहीं है क्योंकि अंग अस्वीकार हो सकता है।
- उदाहरण: यदि एक किडनी ट्रांसप्लांट मरीज में पॉजिटिव Crossmatch आता है, तो ट्रांसप्लांट करने पर उसका शरीर नई किडनी को अस्वीकार कर सकता है।
- नेगेटिव Crossmatch:
- रिसीवर के शरीर में डोनर के खिलाफ एंटीबॉडीज नहीं हैं।
- प्रत्यारोपण किया जा सकता है।
- उदाहरण: यदि एक मरीज को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत है और नेगेटिव Crossmatch आता है, तो प्रत्यारोपण सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।
बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव
1. प्रत्यारोपण से पहले प्लाज्मा एक्सचेंज (Plasmapheresis) या इम्यूनोसप्रेसिव थेरेपी
- यदि पॉजिटिव Crossmatch आता है, तो Plasmapheresis या Intravenous Immunoglobulin (IVIG) थेरेपी दी जाती है ताकि रिसीवर के शरीर से एंटीबॉडीज हटाई जा सकें।
2. इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं (Immunosuppressive Drugs)
- Prednisone, Tacrolimus, Mycophenolate Mofetil (MMF) जैसी दवाएं प्रत्यारोपण के बाद दी जाती हैं ताकि शरीर अंग को अस्वीकार न करे।
3. ब्लड ट्रांसफ्यूजन से पहले Compatibility Testing
- गलत रक्त समूह का ट्रांसफ्यूजन न हो, इसके लिए हमेशा Crossmatch टेस्ट कराना चाहिए।
4. जीवनशैली में सुधार
- संक्रमण से बचाव के लिए हाइजीन का ध्यान रखें।
- इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं डॉक्टर की सलाह के बिना बंद न करें।
- संतुलित आहार और व्यायाम से प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित रखें।
निष्कर्ष
Crossmatch टेस्ट डोनर और रिसीवर के इम्यून सिस्टम की संगतता की जांच करने के लिए एक अनिवार्य टेस्ट है। यह अंग प्रत्यारोपण और रक्त आधान (Blood Transfusion) से पहले किया जाता है ताकि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (Immune Response) से बचा जा सके। यदि टेस्ट नेगेटिव आता है, तो प्रत्यारोपण संभव होता है, लेकिन पॉजिटिव आने पर प्रत्यारोपण से पहले अतिरिक्त सावधानियां बरतनी पड़ती हैं।