Strongyloides stercoralis Test: by stool microscopy and serology.
Strongyloides stercoralis Test:मल माइक्रोस्कोपी और सेरोलॉजी द्वारा।
Strongyloides stercoralis टेस्ट की विस्तृत जानकारी
Strongyloides stercoralis एक परजीवी नेमाटोड (राउंडवर्म) है, जो मानव आंतों में रहता है और ऑटो-इंफेक्शन (स्वयं संक्रमण) की क्षमता रखता है। यह संक्रमित मिट्टी के संपर्क में आने, दूषित पानी पीने या गंदे हाथों के कारण शरीर में प्रवेश कर सकता है।
यह टेस्ट क्यों किया जाता है?
- Strongyloidiasis (स्ट्रॉन्गीलॉइडियासिस) संक्रमण की पुष्टि करने के लिए।
- यदि किसी मरीज को पेट दर्द, लंबे समय तक दस्त, उल्टी, वजन घटना, खांसी या चकत्ते हो रहे हैं, तो डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।
- कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीजों (जैसे HIV/AIDS, किमोथेरेपी या स्टेरॉयड लेने वाले लोग) में यह संक्रमण खतरनाक हो सकता है, इसलिए समय पर जांच जरूरी होती है।
इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?
- स्ट्रॉन्गीलॉइडियासिस (Strongyloidiasis): यह Strongyloides stercoralis के कारण होने वाला संक्रमण है, जिसमें परजीवी आंतों में लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं और ऑटो-इंफेक्शन कर सकते हैं।
- हाइपरइंफेक्शन सिंड्रोम (Hyperinfection Syndrome): यदि मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो, तो परजीवी तेजी से फैल सकते हैं और जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं।
- फेफड़ों की समस्याएं: लार्वा रक्तप्रवाह के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं, जिससे खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
इस टेस्ट को कैसे किया जाता है?
- मल नमूना संग्रह (Stool Sample Collection):
- मरीज को एक साफ कंटेनर में सुबह का ताजा मल जमा करना होता है।
- संक्रमण की पुष्टि के लिए लगातार 3 दिनों तक मल के नमूने लिए जाते हैं।
- माइक्रोस्कोपिक जांच (Microscopic Examination):
- मल के नमूने को स्लाइड पर रखकर माइक्रोस्कोप से देखा जाता है ताकि Strongyloides stercoralis के लार्वा की पहचान हो सके।
- कॉन्सेंट्रेशन तकनीक (Concentration Techniques):
- यदि परजीवी कम मात्रा में मौजूद होते हैं, तो मल के नमूने को सेंट्रीफ्यूज करके लार्वा को अलग किया जाता है।
- हर्पीच कल्चर (Harada-Mori Culture Method):
- मल को गीले फिल्टर पेपर पर रखा जाता है, जिससे लार्वा विकसित हो सकते हैं और संक्रमण की पुष्टि हो सकती है।
- सेरोलॉजिकल टेस्ट (Serological Test):
- यदि मल में परजीवी नहीं मिलते, लेकिन संक्रमण का संदेह हो, तो ब्लड टेस्ट (ELISA) किया जाता है, जो Strongyloides stercoralis के प्रति एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच करता है।
- PCR टेस्ट:
- यह टेस्ट Strongyloides stercoralis के DNA की पहचान करता है और अधिक संवेदनशील होता है।
- इमेजिंग टेस्ट:
- हाइपरइंफेक्शन सिंड्रोम के मामलों में फेफड़ों और आंतों की स्थिति की जांच के लिए X-ray, CT स्कैन या MRI किया जाता है।
इस टेस्ट को करने के लिए कौन-कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?
- माइक्रोस्कोप (Microscope): परजीवी की पहचान के लिए।
- सेंट्रीफ्यूज (Centrifuge): मल के नमूने को संसाधित करने के लिए।
- ELISA रीडर: सेरोलॉजिकल टेस्ट के लिए।
- PCR मशीन: Strongyloides stercoralis के DNA की पहचान के लिए।
- X-ray, CT स्कैन और MRI: हाइपरइंफेक्शन के मामलों में परजीवी के प्रभाव का पता लगाने के लिए।
टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?
- फॉर्मलिन-इथर सॉल्यूशन: मल के नमूने को संरक्षित करने और परजीवी को अलग करने के लिए।
- लुगोल्स आयोडीन (Lugol’s Iodine): परजीवी को रंगीन करने के लिए ताकि वे स्पष्ट रूप से दिखें।
- सोडियम एसिटेट-एसिटिक एसिड फॉर्मलिन (SAF): मल के नमूने को स्टेबल रखने के लिए।
- ELISA किट: रक्त में Strongyloides stercoralis एंटीबॉडी की पहचान के लिए।
टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे पढ़ा और समझाया जाता है?
- सकारात्मक (Positive) रिपोर्ट:
- यदि मल में Strongyloides stercoralis लार्वा या PCR टेस्ट में DNA मिलता है, तो मरीज को स्ट्रॉन्गीलॉइडियासिस संक्रमण है।
- यदि ELISA टेस्ट पॉजिटिव है, तो इसका मतलब शरीर ने Strongyloides stercoralis के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित की है, जो संक्रमण या पिछले संक्रमण को दर्शाता है।
- नकारात्मक (Negative) रिपोर्ट:
- यदि मल में कोई लार्वा नहीं मिलता और ELISA टेस्ट निगेटिव आता है, तो इसका मतलब Strongyloides stercoralis संक्रमण नहीं है।
- लेकिन यदि लक्षण बने रहते हैं, तो डॉक्टर दोबारा जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।
उदाहरण:
- रिपोर्ट:Strongyloides stercoralis larvae detected in stool sample.
- इसका मतलब मरीज को Strongyloidiasis संक्रमण है।
- रिपोर्ट:No larvae or DNA detected.
- इसका मतलब कोई संक्रमण नहीं मिला, लेकिन यदि लक्षण मौजूद हैं तो आगे की जांच की जा सकती है।
बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव
- दवा उपचार:
- Ivermectin (200 mcg/kg, 2 दिन तक): Strongyloides stercoralis को खत्म करने के लिए।
- Albendazole (400 mg, 3 दिन तक): वैकल्पिक उपचार के रूप में दिया जाता है, लेकिन Ivermectin ज्यादा प्रभावी मानी जाती है।
- HIV/AIDS या किमोथेरेपी वाले मरीजों को लंबे समय तक उपचार की जरूरत हो सकती है।
- जीवनशैली और आहार सुधार:
- दूषित मिट्टी और पानी के संपर्क से बचें।
- शौचालय जाने के बाद और खाने से पहले हाथ धोने की आदत डालें।
- सब्जियों और फलों को अच्छी तरह धोकर खाएं।
- यदि किसी व्यक्ति को Strongyloidiasis संक्रमण है, तो उसके परिवार के अन्य सदस्यों की भी जांच होनी चाहिए।
- गंभीर मामलों में उपचार:
- हाइपरइंफेक्शन सिंड्रोम के मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती कर IV एंटी-पैरासिटिक दवाएं दी जाती हैं।
- यदि संक्रमण फेफड़ों या अन्य अंगों तक फैल गया हो, तो डॉक्टर इम्यूनोथेरेपी या स्टेरॉयड ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं।
निष्कर्ष
Strongyloides stercoralis संक्रमण से आंतों, फेफड़ों और पूरे शरीर में गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। मल परीक्षण, ELISA और PCR के माध्यम से इसकी सटीक पहचान की जाती है। सही दवाओं और स्वच्छता उपायों से इस संक्रमण को पूरी तरह रोका और ठीक किया जा सकता है।