Blood Culture Test

ब्लड कल्चर टेस्ट एक प्रयोगशाला परीक्षण (Lab Test) है, जिसका उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि किसी व्यक्ति के खून में बैक्टीरिया, फंगस या अन्य सूक्ष्मजीव (Microorganisms) मौजूद हैं या नहीं। यह टेस्ट गंभीर संक्रमणों, जैसे सेप्सिस (Sepsis), का पता लगाने और सही एंटीबायोटिक दवा निर्धारित करने में मदद करता है।

ब्लड कल्चर टेस्ट क्यों किया जाता है?

यह टेस्ट आमतौर पर तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को निम्नलिखित लक्षण हों:

  • तेज बुखार
  • ठंड लगना और कंपकंपी
  • तेजी से हृदय गति (Heart Rate) बढ़ना
  • कमज़ोरी या चक्कर आना
  • कम रक्तचाप (Low BP)

ब्लड कल्चर टेस्ट की प्रक्रिया

  1. डॉक्टर या नर्स आपकी बांह से नस (Vein) से ब्लड सैंपल लेते हैं।
  2. इसे एक विशेष माध्यम (Culture Medium) में रखा जाता है, जिससे बैक्टीरिया या फंगस बढ़ सके।
  3. सैंपल को 24-48 घंटे तक इनक्यूबेट किया जाता है और बैक्टीरिया की ग्रोथ देखी जाती है।
  4. यदि बैक्टीरिया पाए जाते हैं, तो उनकी पहचान कर सही एंटीबायोटिक निर्धारित किया जाता है।

ब्लड कल्चर टेस्ट रिपोर्ट

  • नेगेटिव (Negative): यदि कोई बैक्टीरिया या फंगस नहीं मिलता, तो संक्रमण की संभावना कम होती है।
  • पॉजिटिव (Positive): यदि बैक्टीरिया या फंगस मिलते हैं, तो संक्रमण की पुष्टि होती है और उपचार शुरू किया जाता है।

ब्लड कल्चर टेस्ट की कीमत

भारत में इसकी कीमत ₹500 से ₹5000 के बीच हो सकती है, जो लैब और शहर के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।

अगर आपको डॉक्टर ने यह टेस्ट कराने के लिए कहा है, तो इसे नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह गंभीर संक्रमण का संकेत हो सकता है।

ब्लड कल्चर टेस्ट एक विशेष प्रयोगशाला परीक्षण है, जिसे संक्रमण (बैक्टीरिया या फंगस) का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी की जाती है:

ब्लड कल्चर टेस्ट की प्रक्रिया

1. सैंपल लेने की तैयारी

  • मरीज की बांह को साफ किया जाता है ताकि बाहरी बैक्टीरिया ब्लड सैंपल में न आएं।
  • आमतौर पर एल्कोहल या एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन से त्वचा को सैनिटाइज किया जाता है।

2. ब्लड सैंपल लेना

  • नस (Vein) से सिरिंज या वैक्यूटेनर (विशेष टेस्ट ट्यूब) के माध्यम से 5-10 मिलीलीटर खून लिया जाता है।
  • सटीक परिणाम के लिए दो या अधिक अलग-अलग जगहों से ब्लड सैंपल लिए जा सकते हैं।

3. सैंपल को कल्चर माध्यम (Culture Medium) में डालना

  • ब्लड को एक विशेष कल्चर बोतल (Culture Bottle) में डाला जाता है, जिसमें बैक्टीरिया को बढ़ने के लिए आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।
  • इसे एरोबिक (ऑक्सीजन वाले) और एनेरोबिक (बिना ऑक्सीजन वाले) दोनों प्रकार के बैक्टीरिया की जांच के लिए अलग-अलग माध्यमों में रखा जाता है।

4. इनक्यूबेशन (Incubation)

  • ब्लड सैंपल को 24 से 48 घंटे तक एक विशेष तापमान (लगभग 37°C) पर रखा जाता है।
  • यदि खून में बैक्टीरिया या फंगस होते हैं, तो वे इस माध्यम में विकसित होने लगते हैं।

5. माइक्रोस्कोप और केमिकल टेस्टिंग

  • यदि बैक्टीरिया की ग्रोथ होती है, तो उसे माइक्रोस्कोप और अन्य जैविक परीक्षणों से पहचाना जाता है।
  • ग्राम स्टेनिंग (Gram Staining) और एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट भी किए जाते हैं ताकि यह पता चले कि कौन सी दवा संक्रमण को खत्म कर सकती है।

6. रिपोर्ट तैयार करना

  • यदि बैक्टीरिया या फंगस पाया जाता है, तो रिपोर्ट पॉजिटिव (Positive) आती है।
  • अगर कोई बैक्टीरिया नहीं मिलता, तो रिपोर्ट नेगेटिव (Negative) होती है।
  • रिपोर्ट सामान्यतः 2 से 5 दिन में तैयार होती है, लेकिन कुछ विशेष मामलों में इसे बढ़ाया भी जा सकता है।

ब्लड कल्चर टेस्ट से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  • टेस्ट कराने से पहले डॉक्टर किसी विशेष एंटीबायोटिक को बंद करने की सलाह दे सकते हैं, ताकि टेस्ट का सही परिणाम आए।
  • यह टेस्ट सेप्सिस (Sepsis), निमोनिया, मेनिन्जाइटिस और अन्य गंभीर संक्रमणों के निदान में मदद करता है।
  • कभी-कभी फॉल्स पॉजिटिव या फॉल्स नेगेटिव रिपोर्ट भी आ सकती है, इसलिए संदेह होने पर डॉक्टर दोबारा टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।

यदि डॉक्टर ने यह टेस्ट करवाने को कहा है, तो इसे समय पर कराना जरूरी है, क्योंकि रक्त में संक्रमण गंभीर हो सकता है।

ब्लड कल्चर टेस्ट से यह पता चलता है कि किसी व्यक्ति के खून में संक्रमण (बैक्टीरिया या फंगस) है या नहीं। यह टेस्ट गंभीर बैक्टीरियल और फंगल संक्रमणों की पहचान करने में मदद करता है, जो पूरे शरीर में फैल सकते हैं और सेप्सिस (Sepsis) जैसी जानलेवा स्थिति पैदा कर सकते हैं।

ब्लड कल्चर टेस्ट से क्या पता चलता है?

  1. बैक्टीरिया या फंगस की मौजूदगी
    • यह टेस्ट यह पता लगाता है कि खून में कोई हानिकारक बैक्टीरिया या फंगस मौजूद है या नहीं।
  2. संक्रमण का प्रकार
    • यह निर्धारित करता है कि संक्रमण बैक्टीरियल है या फंगल
    • कुछ आम बैक्टीरिया: Staphylococcus, Streptococcus, E. coli, Klebsiella, Pseudomonas
    • कुछ आम फंगस: Candida, Aspergillus
  3. संक्रमण की गंभीरता
    • अगर खून में बैक्टीरिया पाए जाते हैं, तो इसका मतलब है कि संक्रमण पूरे शरीर में फैल रहा है (सेप्सिस का खतरा है)।
  4. कौन-सी एंटीबायोटिक दवा प्रभावी होगी? (Antibiotic Sensitivity Test)
    • अगर संक्रमण पाया जाता है, तो यह टेस्ट यह भी बताता है कि कौन-सी एंटीबायोटिक या एंटीफंगल दवा सबसे ज्यादा असरदार होगी।

किन बीमारियों के लिए यह टेस्ट किया जाता है?

  • सेप्सिस (Sepsis) – खून में बैक्टीरिया का संक्रमण
  • निमोनिया (Pneumonia)
  • मेनिन्जाइटिस (Meningitis)
  • एंडोकार्डाइटिस (Endocarditis) – हृदय के वाल्व का संक्रमण
  • ऑस्टियोमाइलाइटिस (Osteomyelitis) – हड्डियों का संक्रमण
  • यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) का गंभीर रूप

ब्लड कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट कैसे समझें?

  • नेगेटिव रिपोर्ट (-) → कोई संक्रमण नहीं मिला।
  • पॉजिटिव रिपोर्ट (+) → संक्रमण की पुष्टि हुई, और रिपोर्ट में बैक्टीरिया या फंगस का नाम बताया जाएगा।

अगर डॉक्टर ने यह टेस्ट करवाने के लिए कहा है, तो इसे टालना नहीं चाहिए, क्योंकि यह शरीर में छिपे गंभीर संक्रमण का संकेत हो सकता है।

ब्लड कल्चर टेस्ट की जानकारी समझने के लिए आपको यह जानना होगा कि यह टेस्ट क्यों किया जाता है, इसकी प्रक्रिया क्या होती है, और इसकी रिपोर्ट का मतलब क्या होता है। इसे समझने के लिए हम इसे तीन हिस्सों में बांट सकते हैं:

1. ब्लड कल्चर टेस्ट क्यों किया जाता है?

यह टेस्ट यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि ब्लड में बैक्टीरिया, फंगस, या अन्य सूक्ष्मजीव (Microorganisms) हैं या नहीं। इसका उपयोग गंभीर संक्रमणों, जैसे सेप्सिस (Sepsis) और मेनिन्जाइटिस (Meningitis), की जांच के लिए किया जाता है।

संकेत और लक्षण (Symptoms):

  • बार-बार तेज़ बुखार आना
  • ठंड लगना और कांपना
  • हृदय गति (Heart Rate) तेज़ होना
  • ब्लड प्रेशर कम होना
  • कमजोरी और थकान

अगर इन लक्षणों के साथ डॉक्टर को संक्रमण का संदेह होता है, तो वह ब्लड कल्चर टेस्ट लिखते हैं।


2. ब्लड कल्चर टेस्ट की प्रक्रिया कैसे होती है?

(A) ब्लड सैंपल लिया जाता है:

  • नस (Vein) से 5-10 मिलीलीटर ब्लड लिया जाता है।
  • सैंपल दो या अधिक बार (अलग-अलग जगहों से) लिया जा सकता है।
  • इससे यह पक्का होता है कि कोई बाहरी बैक्टीरिया (contamination) रिपोर्ट को गलत न करे।

(B) बैक्टीरिया या फंगस की पहचान:

  • ब्लड को एक स्पेशल कल्चर मीडियम (Culture Medium) में रखा जाता है, जिससे बैक्टीरिया या फंगस बढ़ सके।
  • 24 से 48 घंटे तक इसे एक खास तापमान (37°C) पर रखा जाता है।
  • यदि बैक्टीरिया बढ़ते हैं, तो माइक्रोस्कोप और अन्य टेस्ट से उनकी पहचान की जाती है।

(C) एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट (Antibiotic Sensitivity Test):

  • अगर बैक्टीरिया या फंगस मिलते हैं, तो यह टेस्ट किया जाता है कि कौन-सी एंटीबायोटिक सबसे असरदार होगी।

3. ब्लड कल्चर रिपोर्ट को कैसे समझें?

  • नेगेटिव रिपोर्ट (-):
    • इसका मतलब है कि खून में कोई बैक्टीरिया या फंगस नहीं मिला
    • यह अच्छा संकेत है, क्योंकि इसका मतलब है कि आपको कोई बड़ी ब्लड इन्फेक्शन नहीं है।
  • पॉजिटिव रिपोर्ट (+):
    • इसका मतलब है कि ब्लड में बैक्टीरिया या फंगस मिला है
    • रिपोर्ट में बैक्टीरिया का नाम दिया जाएगा, जैसे:
      • Staphylococcus aureus
      • Escherichia coli (E. coli)
      • Klebsiella pneumoniae
    • एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी रिपोर्ट: यह दिखाएगी कि कौन-सी दवा इस बैक्टीरिया को खत्म कर सकती है।

समझने का आसान तरीका:

  • अगर रिपोर्ट नेगेटिव है = कोई टेंशन नहीं
  • अगर रिपोर्ट पॉजिटिव है = डॉक्टर सही एंटीबायोटिक देंगे
  • रिपोर्ट समझने में दिक्कत हो तो डॉक्टर से पूछें, क्योंकि सही इलाज जरूरी है

अगर आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें और समय पर दवा लें




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