Throat Swab Culture Test

थ्रोट स्वैब कल्चर (Throat Swab Culture) टेस्ट

थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट एक प्रयोगशाला परीक्षण है जिसका उपयोग गले में संक्रमण के कारणों को पहचानने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में गले से स्वैब (सूती की छड़ी) लेकर उसे एक कल्चर मीडिया पर लगाया जाता है ताकि किसी भी बैक्टीरिया, वायरस या फंगस की पहचान की जा सके जो गले के संक्रमण का कारण हो सकते हैं। यह टेस्ट मुख्यतः गले के संक्रमण, टॉन्सिलिटिस, फेफड़े का संक्रमण, स्ट्रेप थ्रोट, या अन्य गले की समस्याओं के कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है।


थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट कैसे किया जाता है?

  1. स्वैब लिया जाता है:
    टेस्ट करने के लिए, एक चिकित्सक या नर्स गले के पीछे से एक स्वैब (सूती की छड़ी) का उपयोग करके नमूना लेते हैं। यह प्रक्रिया कुछ सेकंड में होती है, और थोड़ी असुविधा हो सकती है, लेकिन यह दर्दनाक नहीं होती।
  2. नमूना संग्रहण:
    स्वैब को गले के संक्रमित क्षेत्र पर घुमाया जाता है, जैसे टॉन्सिल्स या गले के पीछे का हिस्सा, ताकि संक्रमण के कारण मौजूद बैक्टीरिया या वायरस का नमूना लिया जा सके।
  3. कल्चर मीडिया में रखा जाता है:
    स्वैब को एक विशेष कल्चर मीडिया (जैसे Blood Agar या Chocolate Agar) पर रखा जाता है, जो बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ावा देता है। इस दौरान, बैक्टीरिया या वायरस बढ़ते हैं, जिससे उनकी पहचान करना संभव होता है।
  4. इन्क्यूबेशन:
    स्वैब को एक इन्क्यूबेटर में रखा जाता है, जहां पर इसे सामान्य शरीर के तापमान (37°C) पर कुछ समय के लिए रखा जाता है, ताकि बैक्टीरिया और वायरस विकसित हो सकें। यह प्रक्रिया आमतौर पर 24 से 48 घंटे तक होती है।
  5. रिपोर्ट तैयार करना:
    इन्क्यूबेशन के बाद, लैब तकनीशियन कल्चर मीडिया की जांच करते हैं और यह निर्धारित करते हैं कि कोई बैक्टीरिया या वायरस बढ़ा है या नहीं। यदि बैक्टीरिया पाया जाता है, तो उसके प्रकार को पहचाना जाता है और एंटीबायोटिक संवेदनशीलता का परीक्षण भी किया जाता है।

थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट से क्या पता चलता है?

  1. बैक्टीरिया संक्रमण:
    सबसे आम कारणों में से एक Streptococcus pyogenes (जो स्ट्रेप थ्रोट का कारण बनता है) और अन्य बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया गले के संक्रमण, बुखार, और गले में सूजन का कारण बन सकते हैं।
  2. वायरल संक्रमण:
    कुछ वायरल संक्रमण जैसे इन्फ्लूएंजा (Flu), एडेनोवायरस, या साइटोमेगालोवायरस (CMV) गले में संक्रमण का कारण बन सकते हैं, और इनका भी पता थ्रोट स्वैब कल्चर द्वारा लगाया जा सकता है।
  3. फंगस संक्रमण:
    यदि गले में फंगल संक्रमण हो, जैसे कैंडिडा (जो कि यीस्ट संक्रमण है), तो यह टेस्ट फंगस की पहचान करने में मदद कर सकता है।
  4. एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी:
    यदि बैक्टीरिया पाया जाता है, तो एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट किया जाता है, जिससे यह पता चलता है कि कौन-सी एंटीबायोटिक दवाएं उस बैक्टीरिया पर असरदार होंगी। इससे डॉक्टर को सही दवा का चयन करने में मदद मिलती है।

थ्रोट स्वैब कल्चर रिपोर्ट को कैसे समझें?

(A) यदि रिपोर्ट नेगेटिव हो:

  • “No Pathogenic Organism Found” का मतलब है कि गले में कोई बैक्टीरिया, वायरस या फंगस नहीं पाया गया है। यह संकेत हो सकता है कि गले में समस्या कोई वायरल संक्रमण या गैर-संक्रामक कारण हो सकती है।

(B) यदि रिपोर्ट पॉजिटिव हो:

  • यदि रिपोर्ट में बैक्टीरिया या वायरस पाया जाता है, तो इसके बारे में विवरण दिया जाएगा, जैसे:
    • Streptococcus pyogenes (स्ट्रेप थ्रोट)
    • Haemophilus influenzae
    • Neisseria gonorrhoeae (गोनोरिया संक्रमण)
    • Corynebacterium diphtheriae (डिफ्थीरिया)
    • Viral infections जैसे इन्फ्लूएंजा वायरस या एडेनोवायरस

(C) एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी:

  • यदि बैक्टीरिया पाया जाता है, तो रिपोर्ट में यह भी बताया जाएगा कि वह बैक्टीरिया किस एंटीबायोटिक के प्रति संवेदनशील (Sensitive), प्रतिरोधी (Resistant), या मध्यम (Intermediate) है। इस जानकारी के आधार पर डॉक्टर सही इलाज निर्धारित करते हैं।

थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट क्यों कराया जाता है?

यह टेस्ट तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को गले में संक्रमण, गले में सूजन, बुखार, या खाने-पीने में कठिनाई होती है। यह विशेष रूप से स्ट्रेप थ्रोट, टॉन्सिलिटिस, डिफ्थीरिया, या अन्य गले के बैक्टीरियल संक्रमण की पहचान में मदद करता है।


निष्कर्ष:

थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट गले के संक्रमण के कारण की पहचान करने का एक प्रभावी तरीका है। यह बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारणों को पहचानने में मदद करता है और सही इलाज के लिए जानकारी प्रदान करता है। इस टेस्ट के द्वारा डॉक्टर को उचित एंटीबायोटिक दवाएं निर्धारित करने में मदद मिलती है, जिससे जल्दी और प्रभावी उपचार संभव हो सकता है।

थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनें और रसायन

थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट में बैक्टीरिया, वायरस या फंगस की पहचान के लिए विशेष मशीनों और रसायनों का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण और रसायन गले से प्राप्त स्वैब के नमूने का सही तरीके से विश्लेषण करने में मदद करते हैं।


1. थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनें (Instruments Used)

(A) इन्क्यूबेटर (Incubator)

  • उपयोग:
    इन्क्यूबेटर का उपयोग गले से लिए गए स्वैब को उपयुक्त तापमान पर रखने के लिए किया जाता है ताकि बैक्टीरिया या वायरस की वृद्धि हो सके। आमतौर पर, यह तापमान 37°C होता है, जो मानव शरीर के तापमान के समान होता है।
  • मॉडल:
    • BOD Incubator
    • CO₂ Incubator (अगर बैक्टीरिया को CO₂ की आवश्यकता होती है)
  • कार्य:
    यह बैक्टीरिया, वायरस या फंगस को बढ़ने और कल्चर मीडिया पर विकास करने के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ प्रदान करता है।

(B) माइक्रोस्कोप (Microscope)

  • उपयोग:
    बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के आकार, रूप और गुण की पहचान करने के लिए माइक्रोस्कोप का उपयोग किया जाता है। खासतौर पर ग्राम स्टेनिंग (Gram Staining) या स्पेशल स्टेनिंग तकनीकों (जैसे Ziehl-Neelsen) का उपयोग किया जाता है।
  • मॉडल:
    • Light Microscope
    • Fluorescence Microscope (यदि फंगस या कुछ विशिष्ट बैक्टीरिया की पहचान करनी हो)
  • कार्य:
    बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के विश्लेषण के लिए नमूने को सूक्ष्मदर्शी में देखा जाता है।

(C) ऑटोमेटेड कल्चर सिस्टम (Automated Culture Systems)

  • उपयोग:
    यह प्रणाली बैक्टीरिया की पहचान और एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट करने में मदद करती है। जैसे VITEK 2 Compact या BACTEC जैसी प्रणालियां।
  • कार्य:
    बैक्टीरिया की पहचान के लिए स्वचालित तरीके से कल्चर का परीक्षण किया जाता है और एंटीबायोटिक के प्रति संवेदनशीलता का परीक्षण किया जाता है।

(D) बायोसेफ्टी कैबिनेट (Biosafety Cabinet)

  • उपयोग:
    स्वैब नमूने को संग्रहण और विश्लेषण के दौरान संक्रमण के जोखिम से बचाने के लिए बायोसेफ्टी कैबिनेट का उपयोग किया जाता है।
  • कार्य:
    यह बैक्टीरिया और वायरस के फैलाव को रोकने के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है।

2. थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट के लिए रसायन (Chemicals Used)

(A) कल्चर मीडिया (Culture Media)

कल्चर मीडिया वह माध्यम होता है जिस पर बैक्टीरिया या वायरस को वृद्धि करने दिया जाता है। कुछ प्रमुख मीडिया हैं:

(B) ग्राम स्टेनिंग (Gram Staining Reagents)

ग्राम स्टेनिंग बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए किया जाता है, और इसमें निम्नलिखित रसायनों का उपयोग होता है:

(C) स्पेशल स्टेनिंग (Special Staining Techniques)

कभी-कभी विशेष स्टेनिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे:

(D) एंटीबायोटिक डिस्क (Antibiotic Discs)

  • उपयोग:
    एंटीबायोटिक डिस्क का उपयोग बैक्टीरिया के एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी का परीक्षण करने के लिए किया जाता है।
  • मुख्य एंटीबायोटिक:
    • Amoxicillin
    • Ciprofloxacin
    • Penicillin
    • Vancomycin
    • Tetracycline

इन एंटीबायोटिक डिस्क का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि कौन सी दवाएं बैक्टीरिया पर प्रभावी हैं और कौन सी नहीं।


निष्कर्ष:

थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट के लिए मुख्य रूप से इन्क्यूबेटर, माइक्रोस्कोप, ऑटोमेटेड कल्चर सिस्टम, और बायोसेफ्टी कैबिनेट जैसी मशीनों का उपयोग किया जाता है। वहीं, बैक्टीरिया, वायरस या फंगस की पहचान के लिए Blood Agar, Chocolate Agar, MacConkey Agar जैसे कल्चर मीडिया और Crystal Violet, Safranin जैसे रसायन इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके अलावा, ग्राम स्टेनिंग और स्पेशल स्टेनिंग तकनीकों का भी उपयोग किया जाता है।

थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझें

थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट में गले में संक्रमण के कारणों (जैसे बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस) के बारे में जानकारी दी जाती है। इस रिपोर्ट को समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखें:


1. रिपोर्ट का मुख्य भाग (Main Components of the Report)

(A) कल्चर रिजल्ट (Culture Result)

  • नेगेटिव रिजल्ट (Negative Result):
    अगर रिपोर्ट में “No Pathogenic Organism Is Found” (कोई हानिकारक बैक्टीरिया नहीं पाया गया) या “No Growth” (कोई वृद्धि नहीं हुई) लिखा होता है, तो इसका मतलब है कि गले में कोई बैक्टीरिया, वायरस या फंगस नहीं पाया गया है। इसका मतलब हो सकता है कि समस्या का कारण कोई वायरल संक्रमण, एलर्जी या अन्य गैर-संक्रामक कारण हो।
  • पॉजिटिव रिजल्ट (Positive Result):
    अगर रिपोर्ट में किसी विशेष बैक्टीरिया, वायरस या फंगस का नाम है, तो इसका मतलब है कि गले में उस पैथोजेन का संक्रमण पाया गया है। उदाहरण के लिए:
    • Streptococcus pyogenes (स्ट्रेप थ्रोट)
    • Haemophilus influenzae (फेफड़ों के संक्रमण का कारण)
    • Neisseria gonorrhoeae (गोनोरिया)
    • Corynebacterium diphtheriae (डिफ्थीरिया)

2. बैक्टीरिया की पहचान (Bacterial Identification)

  • रिपोर्ट में यह बताया जाएगा कि कौन सा बैक्टीरिया या वायरस पाया गया है। जैसे:
    • Streptococcus pyogenes (Group A Streptococcus): यह बैक्टीरिया स्ट्रेप थ्रोट का कारण बनता है, जिसमें गले में सूजन, दर्द और बुखार होता है।
    • Neisseria gonorrhoeae: यह गोनोरिया का कारण हो सकता है।
    • Haemophilus influenzae: यह बैक्टीरिया गले और श्वसन तंत्र में संक्रमण कर सकता है।
    • Corynebacterium diphtheriae: यह डिफ्थीरिया का कारण होता है, जो गले की गंभीर सूजन और श्वसन समस्या उत्पन्न कर सकता है।

3. वायरस की पहचान (Viral Identification)

रिपोर्ट में यह भी हो सकता है कि वायरस जैसे इन्फ्लूएंजा, एडेनोवायरस, या साइटोमेगालोवायरस (CMV) पाया गया हो, जो गले के संक्रमण का कारण हो सकते हैं।

  • Influenza Virus: फ्लू का कारण बन सकता है, जिससे गले में सूजन, बुखार और ठंड लग सकती है।
  • Adenovirus: यह वायरस आमतौर पर गले में सूजन और बुखार का कारण होता है।

4. फंगस की पहचान (Fungal Identification)

कभी-कभी गले में कैंडिडा (Candida albicans) जैसे फंगस का संक्रमण हो सकता है, जो विशेष रूप से इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर होता है।

  • Candida albicans: यह फंगस गले में सूजन और सफ़ेद धब्बे बना सकता है।

5. एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट (Antibiotic Sensitivity Test)

यदि बैक्टीरिया पाया जाता है, तो रिपोर्ट में एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट के परिणाम होते हैं, जिसमें यह बताया जाता है कि बैक्टीरिया किस एंटीबायोटिक के प्रति संवेदनशील (Sensitive) है, किसके प्रति प्रतिरोधी (Resistant) है, और किसके प्रति मध्यम (Intermediate) प्रतिक्रिया है।

  • S (Sensitive): इसका मतलब है कि यह बैक्टीरिया इस एंटीबायोटिक से नष्ट हो सकता है।
  • R (Resistant): इसका मतलब है कि यह बैक्टीरिया इस एंटीबायोटिक से प्रभावित नहीं होगा।
  • I (Intermediate): इसका मतलब है कि बैक्टीरिया पर दवा का असर हो सकता है, लेकिन पूरी तरह से नहीं।

उदाहरण:

  • Penicillin – S (Sensitive): बैक्टीरिया पर पेनिसिलिन प्रभावी होगा।
  • Amoxicillin – R (Resistant): बैक्टीरिया पर अमोक्सिसिलिन असरदार नहीं होगा।

6. रिपोर्ट का उदाहरण (Sample Report Explanation)

रिपोर्ट के अनुसार, मरीज को स्ट्रेप थ्रोट बैक्टीरिया का संक्रमण है, और पेनिसिलिन दवा असरदार होगी।


7. रिपोर्ट के आधार पर आगे क्या करें?

  • नेगेटिव रिपोर्ट:
    • यदि रिपोर्ट में बैक्टीरिया या वायरस नहीं पाया जाता, तो यह संकेत हो सकता है कि गले में समस्या किसी वायरल संक्रमण या अन्य कारणों से हो रही है।
    • डॉक्टर वायरल संक्रमण या अन्य कारणों का इलाज निर्धारित करेंगे।
  • पॉजिटिव रिपोर्ट:
    • यदि रिपोर्ट में बैक्टीरिया पाया जाता है, तो डॉक्टर उपयुक्त एंटीबायोटिक दवाइयों की सिफारिश करेंगे।
    • एंटीबायोटिक सेंसिटिविटी टेस्ट की रिपोर्ट यह बताएगी कि कौन-सी दवाएं प्रभावी होंगी।

निष्कर्ष:

थ्रोट स्वैब कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट में संक्रमण के कारण (बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस) और उनके इलाज के लिए एंटीबायोटिक की जानकारी दी जाती है। रिपोर्ट में बैक्टीरिया या वायरस की पहचान, और दवाओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता की जानकारी से डॉक्टर को सही इलाज निर्धारित करने में मदद मिलती है।

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