Direct & Indirect Coombs Test

Direct & Indirect Coombs Test: To identify blood disorders related to antibodies.—

Direct & Indirect Coombs Test: एंटीबॉडी से जुड़ी ब्लड डिसऑर्डर की पहचान के लिए।

Direct & Indirect Coombs Test: एंटीबॉडी से जुड़ी ब्लड डिसऑर्डर की पहचान के लिए

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

Direct और Indirect Coombs टेस्ट (Antiglobulin Test) का उपयोग रक्त से जुड़ी विभिन्न बीमारियों की पहचान करने के लिए किया जाता है। ये टेस्ट लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) पर एंटीबॉडी के हमले का पता लगाने में मदद करते हैं, जिससे एनीमिया (Anemia) और रक्त संक्रमण (Hemolysis) जैसी स्थितियों का मूल्यांकन किया जाता है।

1. Direct Coombs Test (DCT)

यह टेस्ट जांचता है कि क्या किसी व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं पर पहले से एंटीबॉडीज मौजूद हैं, जो उन्हें नुकसान पहुंचा सकती हैं।

2. Indirect Coombs Test (ICT)

यह टेस्ट रक्त में मुक्त एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच करता है, जो भविष्य में किसी रक्त संक्रमण या प्रत्यारोपण (Transfusion) में समस्या पैदा कर सकती हैं।

इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

Direct Coombs Test (DCT) से पहचानी जाने वाली बीमारियां:

  1. Autoimmune Hemolytic Anemia (AIHA) – शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला करती है।
  2. Hemolytic Disease of the Newborn (HDN) – जब माँ की एंटीबॉडी गर्भ में शिशु के RBCs पर हमला करती हैं।
  3. Hemolytic Transfusion Reaction – गलत ब्लड ग्रुप ट्रांसफ्यूजन से होने वाला नुकसान।
  4. Drug-Induced Hemolytic Anemia – कुछ दवाओं के कारण RBCs नष्ट होना।

Indirect Coombs Test (ICT) से पहचानी जाने वाली बीमारियां:

  1. ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए एंटीबॉडी स्क्रीनिंग – यह जांचता है कि क्या किसी व्यक्ति के रक्त में अन्य रक्त समूहों के खिलाफ एंटीबॉडीज हैं।
  2. गर्भावस्था के दौरान Rh इनकंपैटिबिलिटी (Rh Incompatibility) – जब माँ Rh- होती है और भ्रूण Rh+ होता है, जिससे माँ के शरीर में भ्रूण के खिलाफ एंटीबॉडी बन सकती हैं।
  3. ऑर्गन ट्रांसप्लांट रिजेक्शन – किसी अंग प्रत्यारोपण से पहले शरीर में एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच।

यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

Direct Coombs Test (DCT) की प्रक्रिया:

  1. ब्लड सैंपल लिया जाता है।
  2. लाल रक्त कोशिकाओं को अलग किया जाता है।
  3. Coombs reagent (Anti-human globulin) मिलाया जाता है।
  4. अगर एंटीबॉडी मौजूद हैं, तो RBC आपस में चिपककर (Agglutinate) दिखेंगे।
  5. अगर RBCs आपस में नहीं चिपकते, तो टेस्ट नेगेटिव होता है।

Indirect Coombs Test (ICT) की प्रक्रिया:

  1. रक्त के सीरम से एंटीबॉडी अलग किए जाते हैं।
  2. ब्लड सैंपल को मानक टेस्ट RBCs के साथ मिलाया जाता है।
  3. Coombs reagent डाला जाता है।
  4. अगर एंटीबॉडी मौजूद हैं, तो RBCs आपस में चिपक जाएंगे, जिससे पॉजिटिव रिजल्ट मिलेगा।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. Centrifuge Machine – रक्त कोशिकाओं को अलग करने के लिए।
  2. Microplate Reader – ELISA आधारित Indirect Coombs टेस्ट के लिए।
  3. Automated Hematology Analyzer – एंटीबॉडीज की उपस्थिति का विश्लेषण करने के लिए।
  4. Light Microscope – RBCs की चिपकने की प्रक्रिया (Agglutination) देखने के लिए।

टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. Coombs Reagent (Anti-human globulin, AHG) – एंटीबॉडी और RBCs के बीच इंटरैक्शन को पहचानने के लिए।
  2. Phosphate Buffered Saline (PBS) – ब्लड सैंपल को डायल्यूट करने के लिए।
  3. LISS (Low Ionic Strength Solution) – एंटीबॉडी के साथ RBCs की प्रतिक्रिया तेज करने के लिए।
  4. Test RBCs (Indicator Cells) – Indirect Coombs टेस्ट में मानक रूप से उपयोग किए जाने वाले RBCs।
  5. Trypan Blue Dye – सेल डैमेज का विश्लेषण करने के लिए।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझाया और पढ़ा जाता है?

Direct Coombs Test (DCT) रिपोर्ट:

  • पॉजिटिव DCT:
    • व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं पर एंटीबॉडी मौजूद हैं।
    • यह Autoimmune Hemolytic Anemia, Hemolytic Disease of the Newborn, या Drug-Induced Hemolysis का संकेत हो सकता है।
    • उदाहरण: यदि एक नवजात का DCT पॉजिटिव आता है, तो इसका मतलब है कि माँ की एंटीबॉडी उसके RBCs पर हमला कर रही हैं, जिससे एनीमिया और पीलिया (Jaundice) हो सकता है।
  • नेगेटिव DCT:
    • व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं पर कोई हानिकारक एंटीबॉडी नहीं हैं।
    • यह सामान्य स्थिति दर्शाता है।

Indirect Coombs Test (ICT) रिपोर्ट:

  • पॉजिटिव ICT:
    • व्यक्ति के ब्लड सीरम में एंटीबॉडीज मौजूद हैं, जो भविष्य में ब्लड ट्रांसफ्यूजन या गर्भावस्था के दौरान समस्या पैदा कर सकते हैं।
    • उदाहरण: यदि एक गर्भवती महिला का ICT पॉजिटिव आता है, तो उसे Rh- और भ्रूण Rh+ होने का खतरा हो सकता है, जिससे Hemolytic Disease of the Newborn हो सकता है।
  • नेगेटिव ICT:
    • व्यक्ति के शरीर में कोई हानिकारक एंटीबॉडी नहीं हैं।
    • यह दर्शाता है कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन या गर्भावस्था के दौरान कोई खतरा नहीं है।

बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव

1. Autoimmune Hemolytic Anemia (AIHA) का उपचार:

  • Steroids (Prednisone, Dexamethasone) – प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को दबाने के लिए।
  • Immunosuppressive Drugs (Rituximab, Cyclosporine) – एंटीबॉडी उत्पादन को कम करने के लिए।
  • Blood Transfusion – गंभीर मामलों में आवश्यक हो सकता है।

2. Hemolytic Disease of the Newborn (HDN) का उपचार:

  • Anti-D Immunoglobulin (Rhogam Injection) – Rh Incompatibility को रोकने के लिए।
  • Phototherapy या Exchange Transfusion – नवजात में पीलिया (Jaundice) को कम करने के लिए।

3. Hemolytic Transfusion Reaction से बचाव:

  • ब्लड ट्रांसफ्यूजन से पहले Indirect Coombs टेस्ट कराना आवश्यक है।
  • सही ब्लड ग्रुप के मिलान की जांच करना।

4. दवाओं से संबंधित Hemolytic Anemia का उपचार:

  • संदिग्ध दवा को तुरंत बंद करना।
  • यदि गंभीर स्थिति हो, तो स्टेरॉयड और ब्लड ट्रांसफ्यूजन का उपयोग किया जाता है।

निष्कर्ष

Direct & Indirect Coombs टेस्ट एंटीबॉडी से जुड़ी ब्लड डिसऑर्डर की पहचान में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। DCT लाल रक्त कोशिकाओं पर मौजूद एंटीबॉडी की पहचान करता है, जबकि ICT शरीर में घूम रही मुक्त एंटीबॉडी की जांच करता है। यह टेस्ट ब्लड ट्रांसफ्यूजन, ऑटोइम्यून डिजीज, नवजात शिशुओं में रक्त समस्याओं और गर्भावस्था में Rh Incompatibility से संबंधित खतरों को कम करने में मदद करता है।

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