(HPV-16, HPV-18)

सर्वाइकल कैंसर से जुड़े वायरस (HPV-16, HPV-18) की पहचान।

Identification of viruses (HPV-16, HPV-18) associated with cervical cancer.—

सर्वाइकल कैंसर से जुड़े वायरस (HPV-16, HPV-18) की पहचान के लिए टेस्ट

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

यह टेस्ट ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) के हाई-रिस्क स्ट्रेन्स, विशेष रूप से HPV-16 और HPV-18 की पहचान के लिए किया जाता है, जो सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर) के सबसे प्रमुख कारण हैं

HPV-16 और HPV-18 संक्रमण लंबे समय तक बने रहने पर गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में असामान्य परिवर्तन कर सकते हैं, जिससे कैंसर विकसित हो सकता है। इस टेस्ट का उपयोग कैंसर के जोखिम का पता लगाने और समय पर रोकथाम के लिए किया जाता है।

इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

  1. सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) – HPV-16 और HPV-18 के कारण होने वाला गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर।
  2. पूर्व-कैंसरियस कोशिकीय परिवर्तन (Cervical Dysplasia) – कैंसर बनने से पहले कोशिकाओं में होने वाले असामान्य परिवर्तन।
  3. योनि और गुदा कैंसर (Vaginal and Anal Cancer) – हाई-रिस्क HPV संक्रमण से संबंधित।
  4. गले और मुंह का कैंसर (Oropharyngeal Cancer) – कुछ मामलों में HPV-16 से जुड़ा होता है।

यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

  1. नमूना संग्रह:
    • महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) से कोशिकाओं का सैंपल लिया जाता है
    • पुरुषों और अन्य मामलों में गुदा, मुंह, या जननांगों से सैंपल लिया जा सकता है
    • यह प्रक्रिया पैप स्मीयर टेस्ट के समान होती है और दर्दरहित होती है।
  2. लैब में जांच:
    • PCR (Polymerase Chain Reaction) तकनीक का उपयोग कर एचपीवी-16 और एचपीवी-18 का DNA पहचाना जाता है।
    • Hybrid Capture 2 (HC2) तकनीक द्वारा भी एचपीवी के हाई-रिस्क और लो-रिस्क प्रकारों की पहचान की जाती है।
  3. रिपोर्ट तैयार की जाती है:
    • टेस्ट रिपोर्ट में बताया जाता है कि HPV-16 या HPV-18 मौजूद है या नहीं
    • पॉजिटिव रिपोर्ट का मतलब है कि संक्रमण मौजूद है और कैंसर का जोखिम हो सकता है।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. Real-Time PCR मशीन – HPV DNA की सटीक पहचान के लिए।
  2. Hybrid Capture 2 (HC2) मशीन – हाई-रिस्क और लो-रिस्क एचपीवी के भेद के लिए।
  3. Automated Nucleic Acid Extraction मशीन – DNA को सैंपल से अलग करने के लिए।

टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. DNA Extraction Buffers – कोशिकाओं से डीएनए निकालने के लिए।
  2. PCR Master Mix – एचपीवी DNA की कॉपी बनाने के लिए।
  3. Fluorescent Probes – HPV-16 और HPV-18 के लिए विशेष जांच के लिए।
  4. Hybridization Probes – HC2 तकनीक में इस्तेमाल होने वाले एंटीबॉडी आधारित रसायन।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझाया और पढ़ा जाता है?

  1. HPV-16 या HPV-18 पॉजिटिव:
    • संक्रमण मौजूद है और सर्वाइकल कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।
    • डॉक्टर आगे की जांच (कोलपोस्कोपी या बायोप्सी) की सलाह दे सकते हैं।
  2. HPV-16 या HPV-18 नेगेटिव:
    • संक्रमण नहीं मिला है।
    • दोबारा स्क्रीनिंग की जरूरत आमतौर पर 3-5 साल बाद होती है।

उदाहरण:

यदि किसी महिला की HPV DNA रिपोर्ट पॉजिटिव आती है और हाई-रिस्क स्ट्रेन्स (HPV-16 या HPV-18) की पुष्टि होती है, तो उसे कोलपोस्कोपी और बायोप्सी टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है

बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव

  1. वैक्सीनेशन:
    • HPV वैक्सीन (Gardasil 9, Cervarix) 9 से 26 वर्ष की उम्र तक लेने की सलाह दी जाती है।
  2. नियमित स्क्रीनिंग:
    • महिलाओं को हर 3-5 साल में पैप स्मीयर और HPV DNA टेस्ट कराना चाहिए
  3. संक्रमण का इलाज:
    • एचपीवी का कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन संक्रमण के लक्षणों, जननांग मस्सों, और कैंसर-पूर्व घावों का इलाज किया जाता है
  4. लाइफस्टाइल सुधार:
    • धूम्रपान और शराब से बचें, हेल्दी डाइट लें और इम्यून सिस्टम मजबूत करें।

यह टेस्ट सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और समय पर इलाज के लिए बहुत जरूरी है। नियमित जांच और सही कदम उठाने से गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।

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