Rabies Test

Rabies Test

रैबिज टेस्ट (Rabies Test)

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

रैबिज टेस्ट का उपयोग रैबिज वायरस (Rabies Lyssavirus) के संक्रमण की पुष्टि के लिए किया जाता है। यह टेस्ट उन लोगों या जानवरों पर किया जाता है जिन्हें किसी संक्रमित जानवर (जैसे कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़, लोमड़ी) ने काटा हो या जो संदिग्ध लक्षण दिखा रहे हों।

रैबिज एक जानलेवा वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से संक्रमित जानवर के लार (saliva) के संपर्क से फैलती है। संक्रमण के बाद लक्षण विकसित होने पर इसका कोई प्रभावी इलाज नहीं होता, इसलिए जल्दी पहचान और टीकाकरण (Post-Exposure Prophylaxis – PEP) ही इसका बचाव है।

इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

  1. रेबीज वायरस संक्रमण (Rabies Virus Infection)
  2. एनसेफेलाइटिस (Encephalitis) – दिमाग में सूजन, जो रेबीज के कारण हो सकती है।

यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

1. नमूना एकत्र करना (Sample Collection)

रैबिज वायरस का पता लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के सैंपल लिए जा सकते हैं:

  • त्वचा की बायोप्सी (Skin Biopsy) – गर्दन के पिछले हिस्से की त्वचा से।
  • लार (Saliva Sample) – वायरस के RNA की पहचान के लिए।
  • सीएसएफ (Cerebrospinal Fluid) और रक्त (Blood Sample) – एंटीबॉडी जांच के लिए।
  • मस्तिष्क ऊतक (Brain Tissue) – मरने के बाद रैबिज की पुष्टि के लिए (Direct Fluorescent Antibody Test – dFA)।

2. टेस्टिंग प्रक्रिया (Testing Procedure)

रैबिज की पुष्टि के लिए कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं:

A. डायरक्ट फ्लोरेसेंट एंटीबॉडी टेस्ट (Direct Fluorescent Antibody – dFA Test)
  • यह सबसे विश्वसनीय टेस्ट माना जाता है।
  • मर चुके जानवर या व्यक्ति के मस्तिष्क ऊतक की जांच की जाती है।
  • वायरस के प्रोटीन को पहचानने के लिए फ्लोरोसेंट डाई से रंगे एंटीबॉडी का उपयोग किया जाता है।
  • माइक्रोस्कोप के नीचे फ्लोरोसेंट ग्लो दिखने पर टेस्ट पॉजिटिव माना जाता है।
B. रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (RT-PCR)
  • लार, सीएसएफ, या त्वचा की बायोप्सी से RNA निकाला जाता है।
  • PCR तकनीक से रैबिज वायरस के जेनेटिक मटेरियल की पहचान की जाती है।
  • यह शुरुआती संक्रमण का पता लगाने के लिए बहुत उपयोगी होता है।
C. सीरोलॉजिकल टेस्ट (Serological Tests – RFFIT)
  • मरीज के रक्त और सीएसएफ में रैबिज एंटीबॉडी की जांच की जाती है।
  • रैपिड फोकस रेडक्शन न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट (Rapid Fluorescent Focus Inhibition Test – RFFIT) इसका सबसे सटीक तरीका है।
  • यह टेस्ट यह जांचने के लिए किया जाता है कि मरीज के शरीर में रैबिज वैक्सीन के प्रति प्रतिरक्षा विकसित हुई है या नहीं।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. Fluorescence Microscope – dFA टेस्ट में वायरस का पता लगाने के लिए।
  2. RT-PCR Machine (Thermocycler) – वायरस RNA की जांच के लिए।
  3. ELISA Reader – रक्त में एंटीबॉडी की जांच के लिए।
  4. Centrifuge Machine – रक्त और सीएसएफ को अलग करने के लिए।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. Fluorescent-labeled Rabies Antibodies – dFA टेस्ट में वायरस की पहचान के लिए।
  2. Reverse Transcriptase Enzymes और Primers – RT-PCR टेस्ट के लिए।
  3. ELISA Reagents (Substrate और Enzyme-linked Antibodies) – रक्त में एंटीबॉडी की जांच के लिए।
  4. Viral Transport Medium (VTM) – लार और अन्य सैंपल को स्टोर करने के लिए।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझा जाता है?

1. पॉजिटिव रिजल्ट (Positive Result)

  • यदि dFA टेस्ट में वायरस के प्रोटीन फ्लोरोसेंट रूप में दिखते हैं, या RT-PCR में वायरस RNA मिलता है, तो रिपोर्ट पॉजिटिव होती है।
  • इसका मतलब है कि मरीज को रैबिज वायरस का संक्रमण है।
  • संक्रमण की पुष्टि के बाद कोई प्रभावी इलाज नहीं होता, इसलिए लक्षण आने से पहले वैक्सीन (PEP) दी जानी चाहिए।

2. नेगेटिव रिजल्ट (Negative Result)

  • यदि कोई वायरस एंटीजन या RNA नहीं पाया जाता, तो रिपोर्ट नेगेटिव होती है।
  • इसका मतलब है कि रैबिज वायरस की उपस्थिति नहीं है या वायरस की मात्रा बहुत कम है।
  • यदि व्यक्ति को संदिग्ध जानवर ने काटा है, तो डॉक्टर लक्षणों को देखते हुए टीकाकरण की सलाह दे सकते हैं।

उदाहरण द्वारा समझना

केस 1: रेबीज संक्रमण की पुष्टि

  • 45 वर्षीय व्यक्ति को एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था।
  • मरीज को 10 दिन तक कोई लक्षण नहीं थे, लेकिन बाद में उसे बेचैनी, जल से डर (Hydrophobia) और मांसपेशियों में ऐंठन शुरू हुई।
  • डॉक्टर ने RT-PCR और dFA टेस्ट किया, जो पॉजिटिव आया।
  • मरीज का इलाज नहीं हो पाया क्योंकि लक्षण आने के बाद रेबीज का कोई इलाज नहीं है।

केस 2: संदेहास्पद जानवर का निगरानी परीक्षण

  • एक किसान ने अपने पालतू कुत्ते को गंभीर रूप से बीमार पाया, जो आक्रामक व्यवहार कर रहा था।
  • डॉक्टर ने कुत्ते के मरने के बाद dFA टेस्ट किया, जो पॉजिटिव आया।
  • किसान को तुरंत रैबिज पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) के तहत टीकाकरण दिया गया, जिससे उसकी जान बच गई।

बीमारी का उपचार और सुझाव

1. रेबीज संक्रमण के बाद (Post-Exposure Prophylaxis – PEP)

यदि किसी को संक्रमित जानवर ने काटा है, तो तुरंत PEP वैक्सीन लगवानी चाहिए।

  • पहली खुराक तुरंत (0 दिन) लगती है।
  • अगली खुराकें 3, 7, और 14वें दिन दी जाती हैं।
  • यदि काटने के घाव से खून निकला है, तो साथ में रैबिज इम्युनोग्लोबुलिन (Rabies Immunoglobulin – RIG) भी दिया जाता है।

2. पहले से वैक्सीनेटेड व्यक्ति को सिर्फ बूस्टर डोज दी जाती है।

3. रेबीज से बचाव के उपाय

  • पालतू कुत्तों और बिल्लियों को रेबीज वैक्सीन लगवाएं।
  • जंगली और आवारा जानवरों से दूरी बनाएं।
  • अगर किसी को जानवर ने काटा है, तो तुरंत साबुन और पानी से 15 मिनट तक घाव धोएं और डॉक्टर से सलाह लें।
  • यदि संदिग्ध जानवर मर जाता है, तो उसकी जांच करवाएं।

निष्कर्ष

रेबीज एक घातक बीमारी है, लेकिन समय पर पहचान और टीकाकरण से इसे रोका जा सकता है। यदि किसी को संक्रमित जानवर ने काटा है, तो बिना देर किए PEP वैक्सीन लगवानी चाहिए। रेबीज टेस्ट की पुष्टि के लिए dFA, RT-PCR और RFFIT टेस्ट किए जाते हैं। एक बार लक्षण विकसित होने के बाद रेबीज का कोई इलाज नहीं होता, इसलिए सतर्कता और समय पर टीकाकरण ही इसका सबसे अच्छा बचाव है।

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