Filariasis Microfilaria Test

Filariasis Microfilaria Test: Test for microfilariae in urine.

Filariasis Microfilaria Test: मूत्र में माइक्रोफाइलेरिया की जांच।

Filariasis Microfilaria Test: मूत्र में माइक्रोफाइलेरिया की जांच

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

Filariasis Microfilaria Test मुख्य रूप से फाइलेरिया संक्रमण (Lymphatic Filariasis) की जांच के लिए किया जाता है। यह संक्रमण Wuchereria bancrofti और Brugia malayi नामक परजीवी कृमियों के कारण होता है, जो मच्छरों के काटने से फैलते हैं।

जब ये परजीवी शरीर में प्रवेश करते हैं, तो वे लसीका तंत्र (Lymphatic System) को प्रभावित करते हैं और समय के साथ एलिफेंटियासिस (Elephantiasis) जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं। इस टेस्ट को उन मरीजों में किया जाता है जिनमें निम्नलिखित लक्षण होते हैं:

  • शरीर के किसी हिस्से (विशेषकर पैरों, हाथों, अंडकोष, या स्तनों) में सूजन
  • मूत्र में दूधिया रंग (Chyluria – मूत्र में लसीका तरल और वसा का मिश्रण)
  • बार-बार बुखार और थकान
  • मच्छरों से संक्रमित क्षेत्रों में रहने का इतिहास

यह टेस्ट मूत्र में मौजूद माइक्रोफाइलेरिया (Microfilariae – परजीवी के लार्वा स्टेज) की पहचान करता है, जिससे फाइलेरिया संक्रमण की पुष्टि की जाती है।


इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

  1. लसीका फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) – जिसमें पैरों, हाथों और अन्य अंगों में सूजन हो जाती है।
  2. एलिफेंटियासिस (Elephantiasis) – लंबे समय तक संक्रमण रहने से अंगों में अत्यधिक सूजन और विकृति हो सकती है।
  3. हाइड्रोसील (Hydrocele) – अंडकोष में सूजन और तरल पदार्थ भर जाना।
  4. कायलूरिया (Chyluria) – लसीका द्रव मूत्र में मिल जाता है, जिससे मूत्र का रंग सफेद दूधिया हो जाता है।
  5. क्रोनिक लसीका अवरोध (Chronic Lymphatic Obstruction) – जिसके कारण शरीर में तरल पदार्थ जमा हो सकता है।

यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

1. नमूना संग्रह (Sample Collection)

  • रात के समय (Midnight Urine Sample) का संग्रह किया जाता है, क्योंकि माइक्रोफाइलेरिया परजीवी रात में अधिक मात्रा में रक्त और मूत्र में पाए जाते हैं।
  • मूत्र को एक Sterile Container में इकट्ठा किया जाता है।

2. प्रयोगशाला में जांच प्रक्रिया (Laboratory Examination Process)

(A) Microscopic Examination:

  1. मूत्र को सेंट्रीफ्यूज (Centrifuge) मशीन में घुमाकर तलछट (sediment) अलग किया जाता है।
  2. तलछट को ग्लास स्लाइड पर रखा जाता है और Giemsa या Hematoxylin Stain से रंगा जाता है।
  3. माइक्रोस्कोप से देखा जाता है कि Microfilariae (परजीवी के लार्वा) मौजूद हैं या नहीं।
  4. माइक्रोफाइलेरिया पतले, धागे जैसे, और सक्रिय रूप से हिलते हुए दिखते हैं।

(B) Concentration Technique (Filtration Method):

  • मूत्र को मिलिपोर फिल्टर (Millipore Filter) से गुजारा जाता है ताकि माइक्रोफाइलेरिया को अलग किया जा सके और अधिक स्पष्ट रूप से देखा जा सके।

(C) Serological Tests (Antigen Detection ELISA, ICT Card Test):

  • यदि मूत्र में माइक्रोफाइलेरिया नहीं मिलते, लेकिन संक्रमण की संभावना बनी रहती है, तो Wuchereria bancrofti एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट (ELISA या ICT कार्ड टेस्ट) किया जाता है।

(D) PCR Test (Polymerase Chain Reaction):

  • गंभीर मामलों में परजीवी के डीएनए की पुष्टि के लिए PCR टेस्ट किया जाता है।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. Centrifuge Machine – मूत्र के तलछट को अलग करने के लिए।
  2. Light Microscope – माइक्रोफाइलेरिया की पहचान के लिए।
  3. Millipore Filter Unit – मूत्र से माइक्रोफाइलेरिया को एकत्र करने के लिए।
  4. ELISA Reader – रक्त में परजीवी के एंटीजन की जांच के लिए।
  5. PCR Machine – परजीवी के डीएनए की पुष्टि के लिए।

टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. Normal Saline – मूत्र को संसाधित करने के लिए।
  2. Giemsa या Hematoxylin Stain – माइक्रोस्कोपी में माइक्रोफाइलेरिया को स्पष्ट रूप से देखने के लिए।
  3. ELISA Reagents (Filariasis Antigen Detection Kit) – परजीवी एंटीजन की जांच के लिए।
  4. PCR Chemicals (DNA Extraction Reagents, Primers, Buffers) – जीनोम आधारित पुष्टि के लिए।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझाया और पढ़ा जाता है?

1. पॉजिटिव (Positive) रिपोर्ट:

  • यदि माइक्रोस्कोपी में मूत्र में माइक्रोफाइलेरिया मिलते हैं, तो फाइलेरिया संक्रमण की पुष्टि होती है।
  • ELISA या PCR टेस्ट में फाइलेरिया परजीवी के एंटीजन या डीएनए मिलने पर भी संक्रमण की पुष्टि होती है।

उदाहरण:

  • “Microfilariae detected in urine sediment microscopy.”
  • “Wuchereria bancrofti antigen detected in ELISA test.”

2. नेगेटिव (Negative) रिपोर्ट:

  • यदि मूत्र में माइक्रोफाइलेरिया नहीं मिलते और एंटीजन टेस्ट भी नेगेटिव आता है, तो संक्रमण की संभावना कम होती है।
  • हालांकि, यदि लक्षण बने रहते हैं, तो रात में रक्त का माइक्रोफाइलेरिया टेस्ट (Night Blood Smear Test) कराने की सलाह दी जाती है।

बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव

1. दवाइयों से उपचार (Medications):

Filariasis का उपचार एंटी-फाइलेरियल दवाओं से किया जाता है।

  • Diethylcarbamazine (DEC) (6 mg/kg प्रतिदिन, 12 दिनों तक) – परजीवी को मारने के लिए।
  • Ivermectin (200 μg/kg एक बार) – माइक्रोफाइलेरिया को खत्म करने में सहायक।
  • Albendazole (400 mg एक बार) – अन्य कृमियों को खत्म करने के लिए।

2. लक्षणों का प्रबंधन (Symptomatic Treatment):

  • एलिफेंटियासिस (Elephantiasis): सूजन को कम करने के लिए फिजियोथेरेपी और विशेष ड्रेसिंग की जरूरत होती है।
  • कायलूरिया (Chyluria): प्रोटीन-रहित डाइट और विशेष दवाओं से मूत्र में लसीका के रिसाव को कम किया जाता है।
  • हाइड्रोसील (Hydrocele): अत्यधिक सूजन होने पर सर्जरी (Hydrocelectomy) की जरूरत होती है।

3. रोकथाम (Prevention):

  • मच्छरों से बचाव करें (Mosquito Protection):
    • सोते समय मच्छरदानी (Bed Nets) का उपयोग करें।
    • शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
    • घर और आसपास मच्छर नियंत्रण उपाय अपनाएं।
  • WHO द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (Mass Drug Administration – MDA) के तहत सभी को साल में एक बार DEC + Albendazole दवा दी जाती है।

निष्कर्ष:

Filariasis Microfilaria Test मूत्र में मौजूद माइक्रोफाइलेरिया की पहचान करने के लिए किया जाता है। यदि मरीज में मूत्र का रंग दूधिया, पैरों में सूजन, या बार-बार यूरिन इन्फेक्शन हो रहा हो, तो यह टेस्ट अत्यंत आवश्यक होता है।

सही समय पर DEC, Ivermectin और Albendazole से इलाज करने से संक्रमण को रोका जा सकता है और आगे की जटिलताओं से बचा जा सकता है।

Scroll to Top