Lactophenol cotton blue (LPCB) staining
लैक्टोफिनॉल कॉटन ब्लू (LPCB) स्टेनिंग टेस्ट क्या है?
लैक्टोफिनॉल कॉटन ब्लू (LPCB) स्टेनिंग टेस्ट एक माइक्रोस्कोपिक टेस्ट है, जिसका उपयोग फंगल संक्रमण (Fungal Infection) की पहचान करने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट फंगस की संरचना को स्पष्ट रूप से देखने में मदद करता है, जिससे उसकी सही पहचान की जा सकती है।
LPCB स्टेनिंग टेस्ट क्यों किया जाता है?
- फंगल संक्रमण की पुष्टि करने के लिए।
- फंगल संरचना (Hyphae, Spores, Conidia) को बेहतर तरीके से देखने के लिए।
- अलग-अलग प्रकार के फंगस की पहचान के लिए।
LPCB स्टेनिंग टेस्ट करने के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनें
- माइक्रोस्कोप (Microscope) – स्लाइड पर फंगल संरचना देखने के लिए।
- स्लाइड और कवर स्लिप – नमूना रखने और उसे माइक्रोस्कोप के नीचे देखने के लिए।
- इन्क्यूबेटर (Incubator) या स्टेराइल वर्कबेंच (Sterile Workbench) – यदि कल्चर की आवश्यकता हो तो।
LPCB स्टेनिंग टेस्ट करने के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन
- लैक्टिक एसिड (Lactic Acid) – फंगल संरचना को स्पष्ट रखने में मदद करता है।
- फिनॉल (Phenol) – जीवाणुओं को मारता है और स्लाइड को संरक्षित करता है।
- ग्लिसरॉल (Glycerol) – स्लाइड को सूखने से बचाता है।
- कॉटन ब्लू (Cotton Blue Dye) – फंगल हाइफे और स्पोर्स को नीला रंग देकर उन्हें आसानी से पहचानने में मदद करता है।
LPCB स्टेनिंग टेस्ट कैसे किया जाता है?
1. सैंपल कलेक्शन (Sample Collection)
- त्वचा, नाखून, बाल, बलगम (Sputum), मूत्र (Urine), या किसी भी प्रभावित ऊतक से नमूना लिया जाता है।
2. स्लाइड की तैयारी (Slide Preparation)
- स्लाइड पर नमूना रखा जाता है।
- उस पर LPCB स्टेनिंग सॉल्यूशन की कुछ बूंदें डाली जाती हैं।
- कवर स्लिप रखी जाती है और धीरे से दबाया जाता है ताकि हवा के बुलबुले न बनें।
3. माइक्रोस्कोप द्वारा जांच (Microscopic Examination)
- माइक्रोस्कोप के 10x, 40x या 100x मैग्निफिकेशन के तहत स्लाइड का निरीक्षण किया जाता है।
- नीले रंग के फंगल हाइफे (Hyphae), स्पोर्स (Spores), कंडिडिया (Conidia) आदि की उपस्थिति को देखा जाता है।
LPCB स्टेनिंग टेस्ट से किन बीमारियों का पता लगाया जाता है?
- डर्माटोफाइटोसिस (Dermatophytosis) – त्वचा, नाखून और बालों का फंगल संक्रमण।
- कैंडिडायसिस (Candidiasis) – यीस्ट संक्रमण, जो मुंह, त्वचा और जननांगों को प्रभावित करता है।
- एस्परगिलोसिस (Aspergillosis) – फेफड़ों में फंगल संक्रमण।
- क्रिप्टोकोकोसिस (Cryptococcosis) – दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करने वाला फंगल संक्रमण।
- हिस्टोप्लाज्मोसिस (Histoplasmosis) – फेफड़ों में गंभीर संक्रमण।
LPCB स्टेनिंग टेस्ट की रिपोर्ट कैसे पढ़ें?
1. पॉजिटिव रिपोर्ट (Positive Report) – फंगल संक्रमण मौजूद है
यदि माइक्रोस्कोप में फंगल हाइफे (Hyphae), स्पोर्स (Spores), या कंडिडिया (Conidia) दिखाई देते हैं, तो यह संक्रमण की पुष्टि करता है।
उदाहरण:
- यदि लंबे, ट्यूब जैसे हाइफे दिखते हैं, तो यह डर्माटोफाइटोसिस (Dermatophytosis) का संकेत है।
- यदि गोलाकार यीस्ट सेल्स और बडिंग स्पोर्स दिखते हैं, तो यह कैंडिडायसिस (Candidiasis) हो सकता है।
- यदि क्लस्टर में छोटे, गोलाकार स्पोर्स दिखते हैं, तो यह एस्परगिलोसिस (Aspergillosis) हो सकता है।
2. नेगेटिव रिपोर्ट (Negative Report) – कोई फंगल संक्रमण नहीं
- यदि कोई फंगल संरचना नहीं दिखाई देती, तो रिपोर्ट नेगेटिव होती है।
- इसका मतलब यह हो सकता है कि संक्रमण किसी अन्य कारण से हो रहा है, जैसे कि बैक्टीरियल इंफेक्शन या एलर्जी।
निष्कर्ष
LPCB स्टेनिंग टेस्ट फंगल संक्रमण की पहचान के लिए एक अत्यंत उपयोगी माइक्रोस्कोपिक टेस्ट है। इसका उपयोग त्वचा, नाखून, बाल, फेफड़े, और अन्य ऊत्तकों में फंगल संरचनाओं को स्पष्ट रूप से देखने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर यह तय कर सकते हैं कि कौन सा फंगल संक्रमण मौजूद है और उसके अनुसार उचित उपचार दिया जा सकता है।