Culture for Intestinal Parasites Test

Culture for Intestinal Parasites

Culture for Intestinal Parasites (आंतों के परजीवियों के लिए कल्चर टेस्ट)

यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

Culture for Intestinal Parasites टेस्ट का उपयोग आंतों में पाए जाने वाले परजीवियों की पहचान और उनके प्रकार को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट उन मामलों में किया जाता है जब सामान्य स्टूल माइक्रोस्कोपी या एंटीजन टेस्ट से सटीक परिणाम नहीं मिलते या संक्रमण का कारण स्पष्ट नहीं होता।

यह परीक्षण विशेष रूप से उन मरीजों के लिए किया जाता है जो लंबे समय से डायरिया, पेट दर्द, अपच, कमजोरी और वजन घटने की समस्या से जूझ रहे होते हैं।


इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

इस टेस्ट से विभिन्न प्रकार के आंतों के परजीवी (Intestinal Parasites) की पहचान की जा सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  1. प्रोटोजोआ (Protozoa):
    • Entamoeba histolytica – अमीबायसिस का कारण बनता है।
    • Giardia lamblia – गियार्डियासिस का कारण बनता है।
    • Cryptosporidium spp. – इम्यूनो-कंप्रोमाइज मरीजों में गंभीर डायरिया का कारण बनता है।
    • Cyclospora cayetanensis – लंबे समय तक चलने वाले डायरिया का कारण बनता है।
  2. हेल्मिन्थ (Helminths – कृमि संक्रमण):
    • Ascaris lumbricoides – राउंडवॉर्म संक्रमण।
    • Hookworms (Ancylostoma duodenale, Necator americanus) – एनीमिया और पोषण की कमी का कारण बनते हैं।
    • Strongyloides stercoralis – गंभीर आंतों की समस्याएं पैदा करता है।
    • Trichuris trichiura (Whipworm) – कोलाइटिस और एनीमिया का कारण बनता है।

यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

1. नमूना संग्रह (Sample Collection):

  • स्टूल (मल) सैंपल: मरीज को एक साफ, सूखे कंटेनर में स्टूल सैंपल देना होता है।
  • आंतों के टिशू बायोप्सी (दुर्लभ मामलों में): जब स्टूल सैंपल से परजीवी की पुष्टि नहीं होती, तो बायोप्सी ली जा सकती है।

2. प्रयोगशाला में कल्चर विधि (Laboratory Culture Procedure):

स्टूल या बायोप्सी के नमूने को एक विशेष पोषण माध्यम (Nutrient Medium) में रखा जाता है, ताकि परजीवी विकसित होकर बढ़ सकें और उनकी पहचान की जा सके।

प्रक्रिया:

  1. स्टूल सैंपल को फॉर्मलिन या सालाइन सॉल्यूशन में मिलाया जाता है।
  2. सैंपल को एक विशेष कल्चर मीडिया (Jones’ Medium, Robinson’s Medium, या Modified Boeck and Drbohlav Medium) में इनक्यूबेट किया जाता है।
  3. 37°C पर इनक्यूबेटर में 24-72 घंटे तक रखा जाता है, ताकि परजीवी विकसित हो सकें।
  4. परजीवी की पहचान माइक्रोस्कोप और अन्य बायोकेमिकल टेस्ट के माध्यम से की जाती है।

इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. Incubator – कल्चर सैंपल को नियंत्रित तापमान (37°C) पर रखने के लिए।
  2. Light Microscope – विकसित परजीवियों की पहचान के लिए।
  3. Centrifuge Machine – परजीवी को स्टूल सैंपल से अलग करने के लिए।
  4. Laminar Flow Hood – सैंपल को सुरक्षित रूप से प्रोसेस करने के लिए।

टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. Saline (Normal Saline Solution) – स्टूल सैंपल को संसाधित करने के लिए।
  2. Formalin (10%) – परजीवी को संरक्षित करने के लिए।
  3. Culture Media (Jones’ Medium, Boeck and Drbohlav Medium, Modified Egg Medium) – परजीवी के विकास के लिए।
  4. Lugol’s Iodine – परजीवी को अधिक स्पष्ट रूप से देखने के लिए।
  5. Methylene Blue Stain – माइक्रोस्कोप में परजीवियों की पहचान करने के लिए।

टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझाया और पढ़ा जाता है?

सकारात्मक (Positive) रिपोर्ट:

  • यदि कल्चर माध्यम में परजीवी विकसित हो जाते हैं, तो इसका मतलब मरीज को आंतों का परजीवी संक्रमण है।
  • रिपोर्ट में परजीवी का नाम, उसकी संख्या और प्रकार दिया जाता है।
  • उदाहरण के लिए:
    • Entamoeba histolytica – अमीबिक डायरिया की पुष्टि।
    • Giardia lamblia – गियार्डियासिस की पुष्टि।
    • Hookworm larvae – हुकवर्म संक्रमण की पुष्टि।

नकारात्मक (Negative) रिपोर्ट:

  • यदि कोई परजीवी विकसित नहीं होते, तो इसका मतलब संक्रमण नहीं है।
  • अगर लक्षण बने रहते हैं, तो डॉक्टर PCR टेस्ट, एंटीजन टेस्ट या स्टूल माइक्रोस्कोपी की सलाह दे सकते हैं।

बीमारी के उपचार के बारे में सुझाव

1. दवाइयों से उपचार (Medications):

परजीवी की पहचान होने के बाद डॉक्टर निम्नलिखित दवाएं लिख सकते हैं:

  • प्रोटोजोआ संक्रमण के लिए:
    • Metronidazole (500-750 mg, दिन में 3 बार, 7-10 दिन तक)Entamoeba histolytica और Giardia lamblia के लिए।
    • Nitazoxanide (500 mg, दिन में 2 बार, 3 दिन तक)Cryptosporidium संक्रमण के लिए।
  • हेल्मिन्थ (कृमि) संक्रमण के लिए:
    • Albendazole (400 mg, एक बार, 3-5 दिन तक)Hookworm, Ascaris, और Trichuris संक्रमण के लिए।
    • Mebendazole (100 mg, दिन में 2 बार, 3 दिन तक)Whipworm और Roundworm के लिए।
    • Ivermectin (200 mcg/kg, एक बार)Strongyloides stercoralis संक्रमण के लिए।

2. लक्षणों का प्रबंधन (Symptomatic Treatment):

  • डायरिया होने पर: ORS (Oral Rehydration Solution) लेना चाहिए।
  • पेट दर्द और ऐंठन के लिए: Dicyclomine या Paracetamol दिया जा सकता है।
  • एनीमिया होने पर: आयरन सप्लीमेंट्स और हेल्दी डाइट की सलाह दी जाती है।

3. रोकथाम (Prevention):

  • साफ और उबला हुआ पानी पिएं।
  • खाने से पहले और टॉयलेट के बाद हाथ धोएं।
  • खाना पूरी तरह से पकाकर खाएं।
  • कृमि संक्रमण से बचने के लिए साल में 2 बार डी-वर्मिंग ट्रीटमेंट लें।
  • गंदगी और दूषित भोजन से बचें।

निष्कर्ष:

Culture for Intestinal Parasites एक सटीक और विश्वसनीय तरीका है जिससे आंतों के परजीवियों की पहचान की जा सकती है। यदि मरीज को लंबे समय से डायरिया, पेट दर्द, या कमजोरी की समस्या है, और अन्य स्टूल टेस्ट से स्पष्ट नतीजे नहीं मिलते, तो यह टेस्ट किया जाता है। सही समय पर पहचान और उचित इलाज से परजीवी संक्रमण को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

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