बिंदुसार: मौर्य साम्राज्य का दूसरा सम्राट
1. बिंदुसार कौन था?
- बिंदुसार मौर्य साम्राज्य के दूसरे सम्राट थे और वे चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र थे।
- इनका जन्म लगभग 320 ईसा पूर्व में हुआ था और इन्हें अमित्रघात (शत्रु विनाशक) भी कहा जाता था।
- इन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य के बाद 298 ईसा पूर्व में सत्ता संभाली और लगभग 273 ईसा पूर्व तक शासन किया।
2. किसने किसको हराकर साम्राज्य की स्थापना की?
- बिंदुसार को सत्ता अपने पिता चंद्रगुप्त मौर्य से उत्तराधिकार में मिली और उन्हें किसी बड़े युद्ध के माध्यम से सत्ता प्राप्त नहीं करनी पड़ी।
- हालांकि, उन्होंने अपने शासनकाल में दक्षिण भारत में कई नए क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की।
3. बिंदुसार का साम्राज्य कब से कब तक रहा?
- 298 ईसा पूर्व से 273 ईसा पूर्व तक, यानी लगभग 25 वर्षों तक उन्होंने शासन किया।
4. बिंदुसार के शासनकाल में किए गए प्रमुख कार्य:
- साम्राज्य का विस्तार: उन्होंने दक्षिण भारत के लगभग 16 राज्यों पर विजय प्राप्त की, जिससे मौर्य साम्राज्य का विस्तार आगे बढ़ा।
- प्रशासनिक सुधार: उन्होंने अपने पिता चंद्रगुप्त मौर्य की प्रशासनिक नीतियों को जारी रखा और साम्राज्य को स्थिरता प्रदान की।
- विदेशी संबंध: बिंदुसार ने यूनानी शासकों (सीरिया के सम्राट एंटियोकस-I) से राजनयिक संबंध बनाए, जिससे व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ।
- कर व्यवस्था: उनके शासन में कर संग्रह प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाया गया, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।
- धार्मिक सहिष्णुता: उन्होंने अजिविक धर्म को संरक्षण दिया, जो उनके समय में बहुत प्रभावशाली था।
5. बिंदुसार के युद्ध:
- बिंदुसार ने दक्षिण भारत के 16 राज्यों पर आक्रमण किया और उन्हें अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया।
- हालांकि, उन्होंने कर्नाटक और केरल क्षेत्र को पूरी तरह से जीतने में सफलता नहीं पाई।
- उनके शासन में मौर्य साम्राज्य हिमालय से लेकर लगभग दक्षिण भारत (कर्नाटक तक) फैला हुआ था।
6. बिंदुसार की मृत्यु कैसे हुई?
- बिंदुसार की मृत्यु 273 ईसा पूर्व में प्राकृतिक कारणों से हुई।
- उनकी मृत्यु के बाद, उनके पुत्र अशोक ने सत्ता संभाली।
7. बिंदुसार के पुत्र और परिवार:
- बिंदुसार के कई पुत्र थे, जिनमें सबसे प्रमुख अशोक, सुसीम और विताशोक थे।
- अशोक, जो बाद में मौर्य साम्राज्य के सबसे महान शासक बने, ने सत्ता संघर्ष में अपने भाइयों को पराजित कर सम्राट की उपाधि प्राप्त की।
8. बिंदुसार से जुड़ी विशेष बातें:
- उन्हें “अमित्रघात” (शत्रु विनाशक) कहा जाता था क्योंकि वे अपने विरोधियों को कुचलने में माहिर थे।
- वे अजिविक संप्रदाय के अनुयायी थे, लेकिन अन्य धर्मों के प्रति भी सहिष्णुता रखते थे।
- उनके शासन में यूनानी दूत “डायमेकस” भारत आया, जिससे यह साबित होता है कि मौर्य साम्राज्य का अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव बढ़ रहा था।
- उन्होंने दक्षिण भारत के लगभग 16 राज्यों पर विजय प्राप्त की, जिससे मौर्य साम्राज्य अपने चरम पर पहुँच गया।
- बिंदुसार को “लौहपुरुष” भी कहा जाता है, क्योंकि वे कठोर निर्णय लेने के लिए प्रसिद्ध थे।
- उन्होंने अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश और नेपाल के कुछ हिस्सों तक अपने साम्राज्य को मजबूत बनाए रखा।
- उन्होंने कर व्यवस्था को अधिक सुव्यवस्थित किया, जिससे राजकोष को स्थायित्व मिला।
- बिंदुसार ने अपने पुत्रों को विभिन्न प्रांतों का प्रशासक नियुक्त किया, जिससे प्रशासनिक दक्षता बढ़ी।
- उनका शासनकाल युद्धों से ज्यादा प्रशासनिक स्थिरता और सांस्कृतिक विकास के लिए जाना जाता है।
- उन्होंने यूनानी शासकों से दोस्ती बनाई, जिससे व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ा।
9. बिंदुसार के समय लिखी गई पुस्तकें:
- उनके शासनकाल में विशेष रूप से कोई महत्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि “अर्थशास्त्र” (चाणक्य द्वारा लिखित) का प्रभाव उनकी नीतियों पर था।
- कुछ बौद्ध और जैन ग्रंथों में उनका उल्लेख “अमित्रघात” के रूप में किया गया है।
10. धार्मिक और आध्यात्मिक विकास:
- बिंदुसार अजिविक संप्रदाय के अनुयायी थे, जो उस समय एक महत्वपूर्ण धार्मिक आंदोलन था।
- उन्होंने अजिविक भिक्षुओं और संतों को संरक्षण दिया।
- हालाँकि, वे बौद्ध धर्म और जैन धर्म के प्रति भी सहिष्णु थे।
11. बिंदुसार का साम्राज्य और उसकी वर्तमान स्थिति:
- बिंदुसार के समय मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कर्नाटक तक और पश्चिम में अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में बंगाल और असम तक फैला हुआ था।
- उनके साम्राज्य के क्षेत्र आज भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान में बँटे हुए हैं।
- उनकी राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, बिहार) थी।
- आज, उनके द्वारा शासित कई स्थानों के नाम बदल चुके हैं, लेकिन उनका ऐतिहासिक महत्व अब भी बना हुआ है।
- गांधार (अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान में)
- तक्षशिला (अब पाकिस्तान में)
- अवंतिका (अब उज्जैन, मध्य प्रदेश)
- मगध (अब बिहार)
- काशी (अब वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
- कांचीपुरम (अब तमिलनाडु)
बिंदुसार से जुड़े रोचक तथ्य – सामान्य ज्ञान
- बिंदुसार का उपनाम “अमित्रघात” था, जिसका अर्थ है “शत्रुओं का संहार करने वाला”।
- वे चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र और महान सम्राट अशोक के पिता थे।
- बिंदुसार अजिविक संप्रदाय के अनुयायी थे, लेकिन अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णु थे।
- उन्होंने दक्षिण भारत के 16 राज्यों पर विजय प्राप्त की, जिससे मौर्य साम्राज्य का विस्तार हुआ।
- यूनानी इतिहासकारों के अनुसार, सीरिया के सम्राट एंटियोकस-I ने बिंदुसार को उपहार भेजे थे।
- उनके शासनकाल में यूनानी राजदूत डायमेकस भारत आया था, जो मौर्य प्रशासन का अध्ययन करना चाहता था।
- बिंदुसार ने अपने पुत्र अशोक को उज्जैन का गवर्नर नियुक्त किया था।
- उन्होंने मौर्य साम्राज्य की कर प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाया, जिससे राजस्व बढ़ा।
- बिंदुसार की मृत्यु 273 ईसा पूर्व में हुई, और उनकी मृत्यु के बाद अशोक सम्राट बने।
- उनके काल में मौर्य साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर कर्नाटक तक फैला हुआ था।
- उन्होंने गुप्तचरों और प्रशासनिक अधिकारियों का एक मजबूत तंत्र विकसित किया।
- बिंदुसार के शासनकाल में किसी बड़े विद्रोह या आंतरिक संघर्ष का उल्लेख नहीं मिलता।
- उन्होंने नंद वंश के शेष बचे प्रभावों को पूरी तरह समाप्त किया।
- बिंदुसार के शासनकाल में मौर्य प्रशासन और आर्थिक नीतियाँ और अधिक संगठित हुईं।
- उन्हें भारतीय इतिहास के सबसे शांतिप्रिय लेकिन कुशल प्रशासकों में से एक माना जाता है।
- बिंदुसार ने चाणक्य के बाद अपने शासन में सुबन्धु नामक मंत्री को प्रधान सलाहकार बनाया था।
- उन्होंने यूनानी क्षेत्रों से वाइन (शराब) और अंजीर के आयात की अनुमति मांगी थी, लेकिन गुलामों के आयात को मना कर दिया था।
- उनके शासनकाल में मौर्य साम्राज्य की नौकरशाही प्रणाली और अधिक विकसित हुई।
- बिंदुसार ने दक्षिण भारत में चोल, पांड्य और चेर राजाओं के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए रखे।
- उन्होंने कई नगरों और प्रशासनिक केंद्रों की स्थापना की, जिससे व्यापार और कर संग्रह बेहतर हुआ।
- बिंदुसार के शासन में अशोक को तक्षशिला भेजा गया था, जहाँ एक विद्रोह को शांत किया गया था।
- उनके शासनकाल के दौरान साम्राज्य में कोई बड़ा बाहरी आक्रमण नहीं हुआ, जिससे आंतरिक विकास संभव हो सका।
- यूनानी इतिहासकारों ने बिंदुसार को “अमित्रोचट्स” (Amitrochates) कहा है, जिसका अर्थ “शत्रुओं का संहार करने वाला” होता है।
- उनके शासन में मौर्य साम्राज्य के लिए प्रमुख व्यापार मार्गों का विस्तार हुआ, जिससे वाणिज्य और उद्योग फलता-फूलता रहा।
- बिंदुसार ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से पूरे साम्राज्य पर कठोर लेकिन प्रभावी नियंत्रण रखा।
- वे युद्ध के बजाय कूटनीति को प्राथमिकता देने वाले शासक थे, जिससे साम्राज्य को स्थिरता मिली।
- बिंदुसार के समय में बौद्ध धर्म उतना प्रभावी नहीं था, लेकिन अशोक के समय में इसे सबसे ज्यादा बढ़ावा मिला।
- उन्होंने अपने शासनकाल में नदियों और सड़कों का विकास करवाया, जिससे व्यापार और संचार सुगम हुआ।
- बिंदुसार ने अपने साम्राज्य के हर क्षेत्र में मजबूत गवर्नर नियुक्त किए, जिससे प्रशासनिक स्थिरता बनी रही।
- उनकी मृत्यु के बाद सत्ता संघर्ष हुआ, जिसमें अशोक विजयी होकर सम्राट बने।