मध्य प्रदेश के नृत्य

मध्य प्रदेश में कई जनजातियाँ निवास करती हैं, और प्रत्येक जनजाति की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान होती है, जिसमें उनके पारंपरिक नृत्य महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

गोंड जनजाति – यह राज्य की सबसे बड़ी जनजाति है, जो महाकौशल, विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्रों में पाई जाती है। इनका प्रसिद्ध नृत्य रेला और सेला नृत्य है। रेला नृत्य उत्सवों के दौरान सामूहिक रूप से किया जाता है, जबकि सेला नृत्य में लकड़ी की छड़ियों का प्रयोग होता है।

बैगा जनजाति – यह जनजाति विशेष रूप से मंडला, डिंडोरी और बालाघाट जिलों में रहती है। इनका प्रमुख नृत्य सैंला नृत्य है, जिसे त्योहारों और खास अवसरों पर किया जाता है। बैगा लोग प्राचीन रीति-रिवाजों और तंत्र-मंत्र में विश्वास रखते हैं।

भील जनजाति – यह मालवा और निमाड़ क्षेत्र में अधिक पाई जाती है। इनके पारंपरिक नृत्य भगोरिया और गवरी नृत्य हैं। भगोरिया नृत्य विशेष रूप से भगोरिया हाट उत्सव के दौरान किया जाता है, जबकि गवरी नृत्य धार्मिक और पौराणिक कथाओं को दर्शाने के लिए किया जाता है।

कोरकू जनजाति – यह जनजाति विशेष रूप से होशंगाबाद और बैतूल जिलों में पाई जाती है। इनका प्रमुख नृत्य सहेलवा नृत्य है, जो सामूहिक रूप से किया जाता है। इस नृत्य में पुरुष और महिलाएँ एक घेरा बनाकर नृत्य करते हैं।

कालबेलिया और नट जनजाति – ये घुमंतू समुदाय हैं और इनका प्रमुख नृत्य कालबेलिया नृत्य है, जिसे साँप की तरह लचकते हुए किया जाता है। यह नृत्य राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर अधिक प्रचलित है।

सहरिया जनजाति – यह बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अधिक पाई जाती है। इनका प्रमुख नृत्य राई नृत्य है, जिसे विशेष रूप से फसल कटाई और खुशी के अवसरों पर किया जाता है।

बड़िया और डागरिया जनजाति – यह निमाड़ क्षेत्र में पाई जाती हैं। इन जनजातियों के नृत्य में लोकगीतों का विशेष महत्व होता है, और वे समूहों में मिलकर नृत्य करते हैं।

मालवा क्षेत्र में नृत्य – यहाँ के भील और अन्य जनजातियाँ भगोरिया और गवरी नृत्य करती हैं। भगोरिया विशेष रूप से होली के समय किया जाता है, जबकि गवरी नृत्य पौराणिक कथाओं को नाटकीय रूप में प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है।

बुंदेलखंड क्षेत्र में नृत्य – यहाँ की प्रमुख जनजातियाँ सहरिया और कोल हैं, जो राई नृत्य और सहेलवा नृत्य करती हैं। राई नृत्य बुंदेलखंड की पहचान माना जाता है और इसे महिलाएँ विशेष उत्सवों पर प्रस्तुत करती हैं।

निमाड़ क्षेत्र में नृत्य – यहाँ की भील और बड़िया जनजातियाँ भगोरिया और मटकी नृत्य करती हैं। भगोरिया नृत्य विशेष रूप से भगोरिया हाट मेले के दौरान किया जाता है, जिसमें युवा लड़के-लड़कियाँ एक-दूसरे को पसंद कर विवाह संबंध तय करते हैं।

मध्य प्रदेश के इन विभिन्न जनजातीय नृत्यों में पारंपरिक वेशभूषा, वाद्ययंत्र और गीतों का विशेष महत्व होता है, जो जनजातीय संस्कृति की समृद्धि को दर्शाते हैं।

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