नसीरुद्दीन नसरत शाह

नसीरुद्दीन नुसरत शाह (1394-1412 ई.) – तुगलक वंश का कमजोर शासक

1. परिचय

नसीरुद्दीन नुसरत शाह तुगलक वंश के अंतिम शासकों में से एक था, जो 1394 से 1412 ई. तक दिल्ली की गद्दी पर रहा। यह एक कमजोर शासक था और इसके शासनकाल में तुगलक वंश का पतन तेजी से हुआ।

2. राज्य का विस्तार और राजनीतिक स्थिति

  • इस समय दिल्ली सल्तनत बहुत कमजोर हो चुकी थी।
  • दिल्ली केवल नाममात्र का साम्राज्य रह गया था, जबकि बंगाल, गुजरात, मालवा, दक्कन और पंजाब स्वतंत्र हो गए थे।
  • तैमूर (1398 ई.) के आक्रमण ने तुगलक वंश की स्थिति और खराब कर दी थी।
  • इस दौरान तुगलक वंश के दो अलग-अलग उत्तराधिकारी घोषित किए गए:
    • नसीरुद्दीन नुसरत शाह (दिल्ली का शासक)
    • महमूद तुगलक (मीरत और गुजरात में समर्थित)

3. राजधानी और प्रशासन

  • इसकी राजधानी दिल्ली ही थी, लेकिन इसका नियंत्रण बहुत कमजोर था।
  • तैमूर के आक्रमण के बाद दिल्ली पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी और सल्तनत की प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई थी।
  • इस शासक का दरबार प्रभावहीन था, और वास्तविक सत्ता अमीरों और सरदारों के हाथ में थी।

4. युद्ध और संघर्ष

  • इसने अपने समकालीन तुगलक शासकों से ही संघर्ष किया।
  • महमूद तुगलक के साथ इसका निरंतर संघर्ष चलता रहा।
  • तैमूर लंग ने 1398 में दिल्ली पर हमला किया, जिससे तुगलक शासन पूरी तरह समाप्त होने की कगार पर आ गया।
  • दिल्ली में भीमराव और अन्य स्थानीय शासकों का प्रभाव बढ़ गया था।

5. साहित्य और किताबें

इस समय कोई विशेष साहित्य या ऐतिहासिक ग्रंथ उपलब्ध नहीं है, क्योंकि यह दौर दिल्ली सल्तनत के पतन का समय था। अधिकांश विद्वान और कवि अन्य क्षेत्रों में चले गए थे।

6. स्थापत्य कला और विशेष निर्माण

  • नसीरुद्दीन नुसरत शाह का शासन बहुत कमजोर था, इसलिए इसने कोई महत्वपूर्ण इमारत या स्मारक नहीं बनवाया।
  • तैमूर के आक्रमण के कारण दिल्ली पहले से निर्मित इमारतों और मस्जिदों को काफी नुकसान हुआ।
  • सल्तनत की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण कोई नई निर्माण परियोजना नहीं हुई।

7. विशेष व्यक्ति और घटनाएँ

  • इस समय दिल्ली में कोई प्रभावी विद्वान, सेनापति या मंत्री नहीं था जो शासन को बचा सके।
  • इस समय अधिकांश शक्तिशाली लोग या तो अन्य राज्यों में चले गए थे या तैमूर की सेना द्वारा मार दिए गए थे।
  • दिल्ली का अधिकांश व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र तबाह हो गया था।

8. नसीरुद्दीन नुसरत शाह की विशेष बातें

  • यह तुगलक वंश का अंतिम कमजोर शासक था, जिसने नाम मात्र के लिए दिल्ली की गद्दी संभाली।
  • इसका शासनकाल तैमूर के आक्रमण (1398 ई.) और दिल्ली सल्तनत की अव्यवस्था के लिए जाना जाता है।
  • इसके समय में सल्तनत पूरी तरह बिखर चुकी थी और स्थानीय राजाओं ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी।

9. अंत और निष्कर्ष

  • 1412 ई. में जब तुगलक वंश समाप्त हुआ, तब सैय्यद वंश की स्थापना हुई।
  • नसीरुद्दीन नुसरत शाह के बाद खिज्र खान ने दिल्ली की सत्ता संभाली और सैय्यद वंश की नींव रखी।
  • यह शासक अपनी अक्षमता और तैमूर के आक्रमण के कारण दिल्ली सल्तनत के इतिहास में एक कमजोर और अयोग्य शासक के रूप में जाना जाता है।
Scroll to Top