Procalcitonin – to diagnose sepsis

प्रोकैल्सिटोनिन (Procalcitonin) – सेप्सिस की पहचान के लिए

प्रोकैल्सिटोनिन (Procalcitonin – PCT) टेस्ट: सेप्सिस और संक्रमण की पहचान

1. यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

प्रोकैल्सिटोनिन (Procalcitonin – PCT) टेस्ट सेप्सिस (Sepsis), बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial Infection), और गंभीर सूजन (Inflammation) की पहचान करने के लिए किया जाता है। जब शरीर में बैक्टीरिया के कारण गंभीर संक्रमण होता है, तो थायरॉयड और अन्य ऊतक प्रोकैल्सिटोनिन का अधिक उत्पादन करते हैं, जिससे रक्त में इसका स्तर बढ़ जाता है।

इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य है:

  • सेप्सिस (Sepsis) की पुष्टि करना, जो एक जानलेवा संक्रमण हो सकता है।
  • बैक्टीरियल संक्रमण और वायरल संक्रमण में अंतर करना।
  • एंटीबायोटिक थेरेपी की जरूरत को समझना।
  • संक्रमण के इलाज की प्रभावशीलता को मॉनिटर करना।

2. इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

प्रोकैल्सिटोनिन टेस्ट निम्नलिखित स्थितियों का संकेत दे सकता है:

  1. गंभीर संक्रमण (Severe Bacterial Infections):
    • सेप्सिस (Sepsis)
    • निमोनिया (Pneumonia)
    • मेनिन्जाइटिस (Meningitis)
    • यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI)
    • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण (Gastrointestinal Infections)
  2. फंगल और पैरासिटिक इंफेक्शन:
    • फंगल सेप्सिस
    • मलेरिया जैसी बीमारियाँ
  3. फेफड़ों और किडनी से जुड़ी समस्याएँ:
    • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)
    • किडनी फेल्योर में संक्रमण का पता लगाना
  4. सर्जरी के बाद संक्रमण का पता लगाना:
    • अगर कोई सर्जरी के बाद गंभीर संक्रमण विकसित करता है, तो प्रोकैल्सिटोनिन बढ़ जाता है।
  5. बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण का अंतर:
    • बैक्टीरियल संक्रमण में प्रोकैल्सिटोनिन का स्तर अधिक होता है।
    • वायरल संक्रमण में इसका स्तर बहुत कम या सामान्य रहता है।

3. इस टेस्ट को कैसे किया जाता है?

प्रोकैल्सिटोनिन टेस्ट एक साधारण ब्लड टेस्ट है, जिसमें निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:

  1. ब्लड सैंपल लेना:
    • मरीज की बांह से एक सिरिंज के माध्यम से रक्त निकाला जाता है।
    • यह ब्लड सैंपल एक विशेष सीरम या प्लाज्मा ट्यूब में रखा जाता है।
  2. ब्लड प्रोसेसिंग:
    • ब्लड को सेंट्रीफ्यूज (Centrifuge) मशीन में घुमाया जाता है ताकि सीरम और प्लाज्मा को अलग किया जा सके।
  3. प्रोकैल्सिटोनिन का विश्लेषण:
    • इम्यूनोऐस्से (Immunoassay) और केमिलुमिनेसेंस (Chemiluminescence) तकनीक का उपयोग करके इसका स्तर मापा जाता है।

4. इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  • Cobas e411 (Roche Diagnostics): इम्यूनोऐस्से आधारित परीक्षण करता है।
  • VIDAS PCT (bioMérieux): फास्ट PCT टेस्टिंग के लिए उपयोग होता है।
  • Architect i1000SR (Abbott): बड़े पैमाने पर ब्लड टेस्टिंग के लिए।
  • ELISA (Enzyme-Linked Immunosorbent Assay): PCT की सटीक माप के लिए।

5. इस टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  • इम्यूनोऐस्से किट (Immunoassay Kits)
  • केमिलुमिनेसेंस रिएजेंट्स (Chemiluminescence Reagents)
  • एंटीबॉडी कोटेड माइक्रोपार्टिकल्स (Antibody-Coated Microparticles)
  • एलाइजा बफर सॉल्यूशन (ELISA Buffer Solution)

6. टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझा और पढ़ा जाता है?

प्रोकैल्सिटोनिन का स्तर नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (ng/mL) में मापा जाता है।

  • 0.1 ng/mL से कम: कोई गंभीर संक्रमण नहीं, सामान्य।
  • 0.1 – 0.5 ng/mL: हल्का संक्रमण, निगरानी की जरूरत।
  • 0.5 – 2.0 ng/mL: बैक्टीरियल संक्रमण संभव, डॉक्टर से परामर्श लें।
  • 2.0 – 10.0 ng/mL: गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण, एंटीबायोटिक थेरेपी आवश्यक।
  • 10.0 ng/mL से अधिक: सेप्सिस (Severe Sepsis या Septic Shock), जीवन के लिए खतरा।

उदाहरण:

  • यदि किसी मरीज का PCT स्तर 0.3 ng/mL है, तो संक्रमण हल्का हो सकता है।
  • यदि किसी मरीज का PCT स्तर 5.0 ng/mL है, तो गंभीर संक्रमण (Sepsis) हो सकता है।
  • यदि PCT स्तर 15 ng/mL से अधिक है, तो यह सेप्टिक शॉक (Septic Shock) का संकेत हो सकता है, जिसमें ICU देखभाल जरूरी है।

7. बीमारी के उपचार के सुझाव

यदि प्रोकैल्सिटोनिन का स्तर बढ़ा हुआ है, तो डॉक्टर निम्नलिखित उपचार दे सकते हैं:

  1. एंटीबायोटिक थेरेपी:
    • यदि बैक्टीरियल संक्रमण पाया जाता है, तो एम्पिसिलिन, सेफ्ट्रियाक्सोन, वैनकोमाइसिन, या मेरोपेनेम जैसी एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं।
    • संक्रमण की गंभीरता के आधार पर IV एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं।
  2. एंटीवायरल थेरेपी:
    • यदि संक्रमण वायरल है, तो एंटीवायरल दवाएँ (Oseltamivir, Remdesivir) दी जाती हैं।
  3. आईसीयू देखभाल (ICU Care) और सेप्सिस मैनेजमेंट:
    • यदि PCT स्तर 10 ng/mL से अधिक है, तो मरीज को इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में भर्ती किया जाता है।
    • इंट्रावेनस फ्लूइड्स (IV Fluids), ऑक्सीजन सपोर्ट, और ब्लड प्रेशर कंट्रोल जरूरी हो सकता है।
  4. सूजन कम करने के लिए दवाएँ:
    • यदि संक्रमण के कारण सूजन अधिक हो, तो स्टेरॉयड और एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स दी जाती हैं।
  5. समर्थन उपचार (Supportive Care):
    • अगर किडनी प्रभावित हो, तो डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है।
    • ब्लड प्रेशर में गिरावट होने पर वेसोप्रेसर्स (Vasopressors) दिए जाते हैं।

निष्कर्ष

प्रोकैल्सिटोनिन टेस्ट सेप्सिस और गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण की पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है। यह संक्रमण की गंभीरता का अनुमान लगाने में मदद करता है और डॉक्टर को सही उपचार चुनने में सहायता करता है। यदि PCT का स्तर अधिक है, तो तत्काल चिकित्सा उपचार की जरूरत हो सकती है, खासकर अगर मरीज सेप्टिक शॉक में चला गया हो। इसलिए, यह टेस्ट गंभीर संक्रमण के शीघ्र निदान और प्रभावी उपचार के लिए बहुत उपयोगी है।

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