Monocytes

मोनोसाइट्स (Monocytes)

मोनोसाइट (Monocyte) क्या होता है और DLC में इसकी जांच कैसे की जाती है?

मोनोसाइट (Monocyte) एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका (WBC) है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह संक्रमण, सूजन और अन्य रोगों से लड़ने में मदद करती है।

DLC (Differential Leukocyte Count) टेस्ट में मोनोसाइट की संख्या और प्रतिशत को मापा जाता है, जिससे शरीर में किसी भी संक्रमण, सूजन या रक्त संबंधी विकारों का पता लगाया जा सकता है।


DLC में मोनोसाइट की जांच कैसे की जाती है?

  1. ब्लड सैंपल कलेक्शन:
    • मरीज के हाथ की नस से रक्त लिया जाता है।
    • यह रक्त सैंपल EDTA युक्त ट्यूब (Ethylenediaminetetraacetic Acid) में रखा जाता है ताकि खून न जमे।
  2. ब्लड सैंपल की जांच:
    • सैंपल को हेमेटोलॉजी एनालाइजर (Hematology Analyzer) नामक ऑटोमेटेड मशीन में डाला जाता है।
    • यह मशीन रक्त में उपस्थित सभी प्रकार के WBC की संख्या और प्रतिशत की गणना करती है।
  3. माइक्रोस्कोप द्वारा मैन्युअल जांच:
    • ब्लड की एक बूंद को स्लाइड पर डालकर Leishman’s Stain या Wright’s Stain से रंगा जाता है।
    • माइक्रोस्कोप की सहायता से विभिन्न प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाओं की गणना की जाती है।
    • इसमें 100 WBC को गिनकर यह देखा जाता है कि मोनोसाइट्स का प्रतिशत कितना है।

DLC में मोनोसाइट की जांच क्यों की जाती है?

मोनोसाइट की संख्या यह बताती है कि शरीर में किसी प्रकार का संक्रमण, सूजन या प्रतिरक्षा संबंधी विकार (Immune Disorder) तो नहीं है। इस टेस्ट का उपयोग निम्नलिखित स्थितियों का पता लगाने के लिए किया जाता है:

  • बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण (Tuberculosis, HIV, Mononucleosis)
  • आंतरिक सूजन और ऑटोइम्यून बीमारियाँ (Lupus, Rheumatoid Arthritis)
  • ब्लड कैंसर (Leukemia, Lymphoma)
  • बोन मैरो डिसऑर्डर

इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

1. मोनोसाइटोसिस (Monocytosis) – जब मोनोसाइट्स बढ़ जाते हैं

  • बैक्टीरियल संक्रमण (Tuberculosis, Brucellosis)
  • वायरल संक्रमण (Mononucleosis, Hepatitis)
  • आंतरिक सूजन (Ulcerative Colitis, Crohn’s Disease)
  • कैंसर (Leukemia, Lymphoma)
  • ऑटोइम्यून बीमारियाँ (Lupus, Rheumatoid Arthritis)

2. मोनोसाइटोपेनिया (Monocytopenia) – जब मोनोसाइट्स घट जाते हैं

  • कीमोथेरेपी या स्टेरॉयड के कारण
  • सर्वाइकल बोन मैरो डिसऑर्डर (Aplastic Anemia)
  • HIV/AIDS और अन्य इम्यूनोडेफिशिएंसी स्थितियाँ

DLC टेस्ट कैसे किया जाता है?

  1. ऑटोमेटेड हेमेटोलॉजी एनालाइजर द्वारा:
    • यह मशीन सभी प्रकार के WBC की गणना स्वचालित रूप से करती है।
    • यह विधि तेज और सटीक होती है।
  2. माइक्रोस्कोप द्वारा मैनुअल काउंटिंग:
    • रक्त की एक बूंद को स्लाइड पर फैलाया जाता है।
    • स्लाइड को Leishman’s Stain या Wright’s Stain से रंगकर माइक्रोस्कोप के तहत देखा जाता है।
    • 100 WBC की गणना करके मोनोसाइट्स का प्रतिशत निकाला जाता है।

DLC टेस्ट करने के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनें

  1. Hematology Analyzer (Auto Analyzer Machine)
  2. Flow Cytometry
  3. Microscope

DLC टेस्ट के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन (Reagents)

  1. EDTA – खून को जमने से रोकने के लिए
  2. Leishman’s Stain या Wright’s Stain – रक्त कोशिकाओं को रंगने के लिए
  3. Buffer Solution – pH संतुलन बनाए रखने के लिए

रिपोर्ट को कैसे समझें और पढ़ें (उदाहरण सहित)?

उदाहरण रिपोर्ट:

  • मोनोसाइट्स: 12% (सामान्य से अधिक)
  • न्यूट्रोफिल्स: 50% (सामान्य)
  • लिम्फोसाइट्स: 30%
  • ईओसिनोफिल्स: 5%
  • बेसोफिल्स: 0.5%

रिपोर्ट की व्याख्या:

  • यदि मोनोसाइट्स की संख्या 12% से अधिक है, तो यह टीबी, वायरल संक्रमण, या ऑटोइम्यून बीमारी का संकेत हो सकता है।
  • यदि मोनोसाइट्स की संख्या कम है, तो इम्यूनोडेफिशिएंसी (HIV/AIDS), बोन मैरो डिसऑर्डर या स्टेरॉयड थेरेपी का प्रभाव हो सकता है।

बीमारी का उपचार और सुझाव

1. यदि मोनोसाइट्स अधिक हैं (Monocytosis):

  • यदि बैक्टीरियल संक्रमण है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं।
  • ऑटोइम्यून बीमारी में स्टेरॉयड या इम्यूनोसप्रेसिव दवाएँ दी जा सकती हैं।
  • ल्यूकेमिया या कैंसर होने की स्थिति में बोन मैरो टेस्ट करवाना चाहिए।

2. यदि मोनोसाइट्स कम हैं (Monocytopenia):

  • विटामिन B12 और फोलिक एसिड युक्त आहार लें।
  • यदि कीमोथेरेपी या स्टेरॉयड दवाओं के कारण कमी हुई है, तो डॉक्टर से परामर्श लें।
  • संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखें और स्वस्थ आहार लें।

निष्कर्ष

DLC टेस्ट के माध्यम से मोनोसाइट्स की संख्या का विश्लेषण किया जाता है, जो शरीर के संक्रमण, सूजन, कैंसर और इम्यून डिसऑर्डर जैसी स्थितियों का पता लगाने में मदद करता है।

यदि रिपोर्ट में मोनोसाइट्स की संख्या असामान्य पाई जाती है, तो डॉक्टर की सलाह से उचित जांच और उपचार करवाना जरूरी होता है। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और स्वच्छता अपनाकर रोगों से बचाव किया जा सकता है।

Scroll to Top