Mean Corpuscular Hemoglobin (MCH) क्या होता है?
Mean Corpuscular Hemoglobin (MCH) लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells – RBCs) में औसत हीमोग्लोबिन की मात्रा को मापने वाला पैरामीटर है। यह दर्शाता है कि प्रत्येक RBC में औसतन कितनी मात्रा में हीमोग्लोबिन मौजूद है। इसे पिकोग्राम (pg) में मापा जाता है।
- सामान्य MCH रेंज: 27-33 pg
- यदि MCH 27 pg से कम है, तो RBCs में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है (Hypochromic)।
- यदि MCH 33 pg से अधिक है, तो RBCs में हीमोग्लोबिन अधिक होता है (Hyperchromic)।
MCH मुख्य रूप से एनीमिया (Anemia) के प्रकार का पता लगाने में मदद करता है और यह MCV (Mean Corpuscular Volume) के साथ मिलकर देखा जाता है।
CBC में MCH की जांच कैसे की जाती है?
1. रक्त सैंपल लेना
- मरीज की नस (Vein) से EDTA युक्त ट्यूब में रक्त लिया जाता है ताकि यह जमने से बचा रहे।
2. मशीन द्वारा जांच (Automated Hematology Analyzer Method)
- MCH की गणना ऑटोमेटेड हेमेटोलॉजी एनालाइजर (Automated Hematology Analyzer) द्वारा की जाती है।
- यह मशीन हीमोग्लोबिन और RBC काउंट के आधार पर MCH निकालती है: MCH (pg) = (Total Hemoglobin × 10) ÷ RBC Count (Million/µL)
3. माइक्रोस्कोप से अतिरिक्त जांच (Peripheral Blood Smear – PBS)
- यदि MCH असामान्य है, तो ब्लड स्मीयर बनाकर RBCs के रंग और हीमोग्लोबिन सामग्री को माइक्रोस्कोप से देखा जाता है।
MCH टेस्ट क्यों किया जाता है?
यह टेस्ट मुख्य रूप से एनीमिया (Anemia) के प्रकार का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह बताता है कि RBCs में पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन है या नहीं।
- लो MCH (कम हीमोग्लोबिन वाली RBCs – Hypochromic Anemia) का पता लगाने के लिए
- हाई MCH (अधिक हीमोग्लोबिन वाली RBCs – Hyperchromic Anemia) का पता लगाने के लिए
- एनीमिया के कारण को समझने के लिए (आयरन की कमी, विटामिन B12 की कमी, थैलेसीमिया आदि)।
- लिवर और बोन मैरो से जुड़ी बीमारियों की जांच के लिए।
MCH टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?
1. जब MCH कम होता है (Hypochromic Anemia – MCH < 27 pg)
- आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया (Iron Deficiency Anemia)
- थैलेसीमिया (Thalassemia – एक अनुवांशिक रक्त विकार)
- क्रॉनिक डिजीज से जुड़ा एनीमिया (Anemia of Chronic Disease)
- साइडरब्लास्टिक एनीमिया (Sideroblastic Anemia)
2. जब MCH सामान्य होता है (Normochromic Anemia – MCH 27-33 pg)
- ब्लड लॉस (Acute Blood Loss)
- क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease – CKD)
- अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anemia)
- हीमोलिटिक एनीमिया (Hemolytic Anemia)
3. जब MCH अधिक होता है (Hyperchromic Anemia – MCH > 33 pg)
- विटामिन B12 और फोलिक एसिड की कमी से होने वाला एनीमिया
- लिवर डिजीज (Liver Disease)
- अल्कोहल से जुड़ा एनीमिया (Alcohol-related Anemia)
- हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)
- मायेलोडिसप्लास्टिक सिंड्रोम (Myelodysplastic Syndrome – MDS)
MCH टेस्ट करने के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनें
- Automated Hematology Analyzer – MCH, Hemoglobin, RBC Count और अन्य पैरामीटर्स को मापने के लिए।
- Centrifuge Machine – रक्त सैंपल को अलग-अलग घटकों में विभाजित करने के लिए।
- Microscope – यदि RBCs के रंग की मैन्युअल जांच करनी हो।
MCH टेस्ट करने के लिए आवश्यक रसायन (Reagents)
- EDTA (Ethylenediaminetetraacetic Acid) – रक्त को जमने से बचाने के लिए।
- Leishman’s Stain या Wright’s Stain – ब्लड स्मीयर देखने के लिए।
टेस्ट रिपोर्ट को कैसे पढ़ें? (उदाहरण सहित)
उदाहरण रिपोर्ट:
- MCH: 24 pg (कम)
- हीमोग्लोबिन: 9.5 g/dL (कम)
- MCV: 75 fL (कम)
रिपोर्ट की व्याख्या:
- अगर MCH < 27 pg है, तो RBCs में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम है, जो Iron Deficiency Anemia या Thalassemia का संकेत हो सकता है।
- अगर MCH 27-33 pg है, तो RBCs में हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य है।
- अगर MCH > 33 pg है, तो यह Vitamin B12 Deficiency, Liver Disease या Alcoholism का संकेत हो सकता है।
बीमारी का उपचार और सुझाव
1. यदि MCH कम है (Hypochromic Anemia में)
- आयरन युक्त आहार (हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, रेड मीट, गुड़) खाएँ।
- आयरन सप्लीमेंट्स (डॉक्टर की सलाह से) लें।
- यदि थैलेसीमिया है, तो डॉक्टर से नियमित जांच कराएँ।
2. यदि MCH सामान्य है (Normochromic Anemia में)
- यदि किडनी डिजीज है, तो डॉक्टर से Erythropoietin इंजेक्शन के बारे में पूछें।
- अगर ब्लड लॉस हुआ है, तो आयरन और फोलिक एसिड सप्लीमेंट्स लें।
3. यदि MCH अधिक है (Hyperchromic Anemia में)
- विटामिन B12 और फोलिक एसिड सप्लीमेंट लें।
- अल्कोहल कम करें, क्योंकि यह MCH बढ़ा सकता है।
- यदि लिवर डिजीज या थायरॉयड समस्या है, तो डॉक्टर से उचित दवाएं लें।
निष्कर्ष
MCH यह जानने में मदद करता है कि प्रत्येक RBC में औसतन कितनी मात्रा में हीमोग्लोबिन है। इससे एनीमिया, आयरन की कमी, विटामिन B12 / फोलिक एसिड की कमी, लिवर डिजीज, और बोन मैरो डिसऑर्डर जैसी बीमारियों का पता लगाया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार सही आहार, सप्लीमेंट्स और जीवनशैली में बदलाव करके इस स्तर को संतुलित किया जा सकता है।