लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes)
लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes) क्या हैं और DLC में इनकी जांच कैसे की जाती है?
लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes) एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका (WBC) है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। यह कोशिकाएं शरीर को वायरल संक्रमण, बैक्टीरियल संक्रमण और कैंसर से बचाने में मदद करती हैं।
DLC (Differential Leukocyte Count) टेस्ट के दौरान लिम्फोसाइट्स की संख्या और प्रतिशत की जांच की जाती है, जिससे शरीर की इम्यूनिटी और संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
लिम्फोसाइट्स की जांच कैसे की जाती है?
- ब्लड सैंपल कलेक्शन:
- मरीज के हाथ की नस से रक्त लिया जाता है।
- खून को EDTA युक्त ट्यूब (Ethylenediaminetetraacetic Acid) में रखा जाता है ताकि खून न जमे।
- ब्लड सैंपल प्रोसेसिंग:
- सैंपल को हेमेटोलॉजी एनालाइजर (Hematology Analyzer) नामक ऑटोमेटेड मशीन में डाला जाता है।
- यह मशीन सभी प्रकार के WBC की संख्या और प्रतिशत को गणना करती है।
- माइक्रोस्कोप द्वारा जांच:
- कुछ मामलों में ब्लड की एक बूंद को स्लाइड पर डालकर Leishman’s Stain या Wright’s Stain से रंगा जाता है।
- माइक्रोस्कोप से लिम्फोसाइट्स की पहचान की जाती है और कुल 100 कोशिकाओं में इनकी प्रतिशत संख्या को गिना जाता है।
DLC में लिम्फोसाइट्स की जांच क्यों की जाती है?
यह टेस्ट शरीर की इम्यूनिटी को समझने और निम्नलिखित समस्याओं की पहचान करने के लिए किया जाता है:
- वायरल संक्रमण (Viral Infection) जैसे डेंगू, मीजल्स, हेपेटाइटिस
- बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial Infection) जैसे ट्यूबरकुलोसिस
- कैंसर (Leukemia, Lymphoma)
- ऑटोइम्यून बीमारियाँ जैसे ल्यूपस (SLE)
- इम्यूनोडेफिशिएंसी (Immunodeficiency) जैसे HIV/AIDS
इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?
- लिम्फोसाइटोसिस (Lymphocytosis):
- जब लिम्फोसाइट्स की संख्या 40% से अधिक हो जाती है।
- यह आमतौर पर वायरल संक्रमण (डेंगू, चिकनपॉक्स, हेपेटाइटिस) या ब्लड कैंसर (Chronic Lymphocytic Leukemia) का संकेत हो सकता है।
- लिम्फोपेनिया (Lymphopenia):
- जब लिम्फोसाइट्स की संख्या 20% से कम हो जाती है।
- यह HIV/AIDS, कीमोथेरेपी, स्टेरॉयड दवाओं के उपयोग, या गंभीर संक्रमण का संकेत हो सकता है।
DLC टेस्ट कैसे किया जाता है?
- ऑटोमेटेड हेमेटोलॉजी एनालाइजर द्वारा:
- मशीन रक्त में सभी प्रकार के WBC की गणना करती है।
- यह विधि तेज, सटीक और विश्वसनीय होती है।
- माइक्रोस्कोप द्वारा मैनुअल काउंटिंग:
- रक्त की एक बूंद को स्लाइड पर फैलाकर रंगा जाता है।
- माइक्रोस्कोप से लिम्फोसाइट्स की गिनती की जाती है।
DLC टेस्ट करने के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनें
- Hematology Analyzer (Auto Analyzer Machine)
- Flow Cytometry
- Microscope
DLC टेस्ट के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन (Reagents)
- EDTA – खून को जमने से रोकने के लिए
- Leishman’s Stain या Wright’s Stain – रक्त कोशिकाओं को रंगने के लिए
- Buffer Solution – सही pH बनाए रखने के लिए
रिपोर्ट को कैसे समझें और पढ़ें (उदाहरण सहित)?
उदाहरण रिपोर्ट:
- लिम्फोसाइट्स: 50% (सामान्य से अधिक)
- न्यूट्रोफिल्स: 40% (सामान्य)
- मोनोसाइट्स: 5%
- ईओसिनोफिल्स: 3%
- बेसोफिल्स: 0.5%
रिपोर्ट की व्याख्या:
- लिम्फोसाइट्स की अधिक मात्रा वायरल संक्रमण (डेंगू, हेपेटाइटिस) को दर्शाती है।
- यदि लिम्फोसाइट्स की संख्या 50% से अधिक है और न्यूट्रोफिल्स कम हैं, तो यह वायरल संक्रमण का संकेत है।
बीमारी का उपचार और सुझाव
- यदि लिम्फोसाइट्स अधिक हैं (Lymphocytosis):
- वायरल संक्रमण होने पर आराम करें, हाइड्रेटेड रहें और पोषण युक्त भोजन लें।
- डॉक्टर द्वारा सुझाए गए एंटीवायरल या एंटीबायोटिक दवाएँ लें।
- अगर कैंसर की संभावना हो तो बोन मैरो टेस्ट कराएँ।
- यदि लिम्फोसाइट्स कम हैं (Lymphopenia):
- इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए विटामिन C, विटामिन D और जिंक युक्त आहार लें।
- यदि HIV या कैंसर है तो डॉक्टर द्वारा सुझाए गए इलाज पर अमल करें।
- संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखें।
निष्कर्ष
DLC टेस्ट शरीर में लिम्फोसाइट्स की मात्रा को मापने के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है, जिससे वायरल संक्रमण, कैंसर और इम्यून डिसऑर्डर जैसी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। इस टेस्ट में न्यूट्रोफिल्स, लिम्फोसाइट्स, मोनोसाइट्स, ईओसिनोफिल्स और बेसोफिल्स की संख्या और प्रतिशत की गणना की जाती है। रिपोर्ट में असमान्यता होने पर डॉक्टर की सलाह लेकर उचित उपचार किया जाना चाहिए।
स्वस्थ इम्यूनिटी के लिए संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और स्वच्छता बेहद जरूरी है।