लैक्टोज टॉलरेंस टेस्ट (Lactose Tolerance Test) क्या है?
लैक्टोज टॉलरेंस टेस्ट (LTT) एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है, जिसका उपयोग यह जानने के लिए किया जाता है कि शरीर दूध और दूध से बने उत्पादों में मौजूद लैक्टोज (Lactose) नामक शुगर को कितनी अच्छी तरह पचा सकता है। यह टेस्ट विशेष रूप से लैक्टोज इनटॉलरेंस (Lactose Intolerance) यानी दूध न पचने की समस्या की पुष्टि के लिए किया जाता है।
LTT क्यों किया जाता है?
यह टेस्ट तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को दूध या डेयरी उत्पादों का सेवन करने के बाद पेट दर्द, सूजन, गैस, डायरिया या असहजता महसूस होती है। इसके मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं:
- लैक्टोज इनटॉलरेंस की पहचान – जब शरीर में लैक्टेज (Lactase) एंजाइम की कमी होती है और दूध सही से नहीं पचता।
- छोटे बच्चों और वयस्कों में पाचन संबंधी समस्याओं का पता लगाना – खासकर उन लोगों में जो दूध पीने के बाद पेट में भारीपन या गैस महसूस करते हैं।
- पाचन तंत्र में लैक्टोज अवशोषण की क्षमता की जांच – यह देखने के लिए कि छोटी आंत (Small Intestine) कितना लैक्टोज अवशोषित कर पाती है।
LTT से किन बीमारियों का पता चलता है?
- लैक्टोज इनटॉलरेंस – जब शरीर लैक्टोज को पूरी तरह से पचाने में असमर्थ होता है, जिससे डायरिया, पेट दर्द और सूजन होती है।
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर (Gastrointestinal Disorder) – जब लैक्टोज इनटॉलरेंस के कारण पेट में गैस और ऐंठन की समस्या होती है।
- सीलिएक डिजीज (Celiac Disease) – यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें ग्लूटेन के कारण आंतों को नुकसान होता है, जिससे लैक्टोज इनटॉलरेंस हो सकता है।
- क्रोहन डिजीज (Crohn’s Disease) – यह एक पुरानी आंतों की बीमारी है जिसमें लैक्टोज पचाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
- मलअब्जॉर्प्शन सिंड्रोम (Malabsorption Syndrome) – जब छोटी आंत आवश्यक पोषक तत्वों को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाती।
LTT कैसे किया जाता है?
- फास्टिंग (खाली पेट) ब्लड शुगर टेस्ट – टेस्ट शुरू करने से पहले मरीज को 8 घंटे तक कुछ भी नहीं खाना होता।
- लैक्टोज घोल पीना – मरीज को 50 ग्राम लैक्टोज पाउडर पानी में मिलाकर पीने के लिए दिया जाता है।
- ब्लड सैंपलिंग – लैक्टोज लेने के बाद 30 मिनट, 1 घंटे और 2 घंटे बाद मरीज का ब्लड सैंपल लिया जाता है।
- ब्लड शुगर लेवल की जांच – अगर शरीर में लैक्टेज एंजाइम मौजूद है, तो लैक्टोज ग्लूकोज और गैलेक्टोज में टूट जाएगा और ब्लड शुगर का स्तर बढ़ेगा।
- अगर ब्लड शुगर नहीं बढ़ता है, तो लैक्टोज इनटॉलरेंस की पुष्टि होती है।
LTT के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?
- ग्लूकोमीटर – खून में शुगर की तुरंत जांच के लिए।
- बायोकेमिकल एनालाइज़र – खून में शुगर लेवल का सही माप करने के लिए।
- स्पेक्ट्रोफोटोमीटर – ब्लड सैंपल में लैक्टोज ब्रेकडाउन से उत्पन्न ग्लूकोज की मात्रा मापने के लिए।
- हाइड्रोजन ब्रीथ टेस्ट मशीन – यह मशीन सांस में हाइड्रोजन गैस की मात्रा मापती है, जो लैक्टोज इनटॉलरेंस की पहचान में मदद करती है।
LTT के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?
- लैक्टोज मोनोहाइड्रेट (Lactose Monohydrate) – टेस्ट के लिए लैक्टोज घोल बनाने में उपयोग किया जाता है।
- सोडियम फ्लोराइड (Sodium Fluoride) – ब्लड सैंपल को स्टेबल रखने के लिए।
- एंजाइम्स (Hexokinase, Glucose Oxidase) – ब्लड शुगर लेवल मापने के लिए।
- एंटीकोआगुलेंट (EDTA या Heparin) – ब्लड सैंपल को जमने से बचाने के लिए।
LTT रिपोर्ट को कैसे पढ़ा जाता है?
उदाहरण:
अगर किसी व्यक्ति की ब्लड शुगर रिपोर्ट निम्नलिखित परिणाम दिखाती है:
- फास्टिंग (खाली पेट): 85 mg/dL (सामान्य)
- 1 घंटे बाद: 90 mg/dL (सामान्य 100-140 mg/dL)
- 2 घंटे बाद: 87 mg/dL (सामान्य 140 mg/dL से कम)
रिपोर्ट का विश्लेषण:
- अगर ब्लड शुगर का स्तर 20 mg/dL या उससे अधिक बढ़ जाता है, तो शरीर लैक्टोज को ठीक से पचा रहा है।
- अगर ब्लड शुगर में 20 mg/dL से कम की वृद्धि होती है, तो यह लैक्टोज इनटॉलरेंस का संकेत देता है।
- अगर हाइड्रोजन ब्रीथ टेस्ट में सांस में अधिक हाइड्रोजन गैस पाई जाती है, तो लैक्टोज इनटॉलरेंस की पुष्टि होती है।
बीमारी का उपचार और प्रबंधन
- लैक्टोज इनटॉलरेंस का उपचार:
- लैक्टोज-फ्री डाइट अपनाएं – दूध और डेयरी उत्पादों से परहेज करें या लैक्टोज-फ्री दूध का उपयोग करें।
- लैक्टेज सप्लीमेंट लें – बाजार में उपलब्ध लैक्टेज एंजाइम की गोलियाँ या बूंदें लें, जो लैक्टोज पचाने में मदद करती हैं।
- प्रोबायोटिक्स का सेवन करें – दही, किमची और अन्य प्रोबायोटिक फूड्स से आंतों में अच्छे बैक्टीरिया बढ़ते हैं, जिससे पाचन में सुधार होता है।
- कैल्शियम और विटामिन D सप्लीमेंट लें – डेयरी उत्पादों से परहेज करने के कारण शरीर में कैल्शियम और विटामिन D की कमी हो सकती है, इसलिए इन्हें सप्लीमेंट के रूप में लें।
- क्रोहन डिजीज और सीलिएक डिजीज का उपचार:
- ग्लूटेन-फ्री और हाई-फाइबर डाइट अपनाएं।
- आंतों में सूजन कम करने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएँ लें।
- आवश्यकता पड़ने पर स्टेरॉयड थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है।
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर का उपचार:
- पाचन क्रिया सुधारने के लिए हल्का भोजन करें।
- कैफीन, मसालेदार भोजन और शराब से बचें।
- व्यायाम और योग को दिनचर्या में शामिल करें।
निष्कर्ष
लैक्टोज टॉलरेंस टेस्ट (LTT) एक महत्वपूर्ण डायग्नोस्टिक टेस्ट है, जो यह निर्धारित करने में मदद करता है कि व्यक्ति का शरीर दूध और डेयरी उत्पादों को ठीक से पचा सकता है या नहीं। अगर किसी व्यक्ति को लैक्टोज इनटॉलरेंस है, तो उसे अपने खानपान में बदलाव करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह के अनुसार लैक्टेज एंजाइम सप्लीमेंट लेना चाहिए। सही उपचार और प्रबंधन से इस समस्या को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।