इंटरनेशनल नॉर्मलाइज्ड रेश्यो (INR – International Normalized Ratio).
इंटरनेशनल नॉर्मलाइज्ड रेश्यो (INR – International Normalized Ratio) टेस्ट की विस्तृत जानकारी
1. INR टेस्ट क्यों किया जाता है?
INR (International Normalized Ratio) टेस्ट खून के जमने (Clotting) की प्रक्रिया को जांचने के लिए किया जाता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए आवश्यक होता है जो ब्लड थिनर (Anticoagulant) दवाएं जैसे वॉरफेरिन (Warfarin) ले रहे होते हैं।
इसका मुख्य उद्देश्य यह देखना है कि रक्त जमने में कितना समय लगता है और क्या यह सामान्य सीमा के भीतर है या नहीं। यह परीक्षण प्रोथ्रॉम्बिन टाइम (PT) टेस्ट पर आधारित होता है और इसे अधिक मानकीकृत रूप में प्रस्तुत करता है ताकि विभिन्न प्रयोगशालाओं में परिणाम की तुलना की जा सके।
INR टेस्ट की जरूरत इन स्थितियों में पड़ती है:
- ब्लड थिनर (Warfarin) की सही खुराक सुनिश्चित करने के लिए।
- गहरी शिरा घनास्रता (Deep Vein Thrombosis – DVT) की निगरानी के लिए।
- फेफड़ों में रक्त के थक्के (Pulmonary Embolism – PE) की पहचान के लिए।
- हृदय की कुछ बीमारियों जैसे एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial Fibrillation) में रक्त के थक्के बनने की संभावना को कम करने के लिए।
- कृत्रिम हृदय वाल्व (Artificial Heart Valve) वाले मरीजों की जांच के लिए।
- लीवर की बीमारियों की पहचान के लिए, क्योंकि लीवर रक्त जमाने वाले फैक्टर्स का उत्पादन करता है।
- कोगुलेशन विकारों (Clotting Disorders) के कारण रक्तस्राव की प्रवृत्ति का मूल्यांकन करने के लिए।
2. इस टेस्ट से किन-किन बीमारियों का पता चलता है?
- डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT) – पैरों की नसों में खून के थक्के बनने की स्थिति।
- पल्मोनरी एम्बोलिज्म (PE) – फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं में थक्का जम जाना।
- एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial Fibrillation – AF) – अनियमित दिल की धड़कन जिससे रक्त के थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है।
- कृत्रिम हृदय वाल्व (Artificial Heart Valve) – जिन मरीजों को कृत्रिम हृदय वाल्व लगाया गया है, उन्हें रक्त पतला करने वाली दवाएं दी जाती हैं, और उनकी निगरानी INR टेस्ट से की जाती है।
- लिवर रोग (Liver Disease) – गंभीर लीवर बीमारियों में INR बढ़ सकता है क्योंकि लिवर रक्त के थक्के बनाने वाले फैक्टर्स का उत्पादन करता है।
- डीआईसी (Disseminated Intravascular Coagulation – DIC) – एक गम्भीर स्थिति जिसमें शरीर में अनियंत्रित थक्के बनने और रक्तस्राव दोनों की समस्या हो सकती है।
- विटामिन K की कमी – जो रक्त के जमने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
3. यह टेस्ट कैसे किया जाता है?
- ब्लड सैंपल लिया जाता है – एक लैब तकनीशियन नस (Vein) से रक्त निकालता है।
- ब्लड को टेस्ट ट्यूब में एकत्र किया जाता है – इसमें पहले से सोडियम साइट्रेट (Sodium Citrate) मौजूद होता है, जो खून को जमने से रोकता है।
- सेंट्रीफ्यूज किया जाता है – जिससे प्लाज्मा को अलग किया जाता है।
- प्रोथ्रॉम्बिन टाइम (PT) टेस्ट किया जाता है – इसमें प्लाज्मा में विशेष रसायन मिलाकर देखा जाता है कि खून का थक्का बनने में कितना समय लगता है।
- INR की गणना की जाती है – विभिन्न प्रयोगशालाओं में माप में भिन्नता को दूर करने के लिए PT परिणाम को मानकीकृत करके INR स्कोर निकाला जाता है।
4. इस टेस्ट को करने के लिए कौन-कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?
- कोगुलेशन विश्लेषक (Coagulation Analyzer) – यह मशीन PT और INR की गणना स्वचालित रूप से करती है।
- सेंट्रीफ्यूज मशीन – रक्त के प्लाज्मा को अलग करने के लिए।
- माइक्रो पिपेट्स और इनक्यूबेटर – सही मात्रा में रसायन मिलाने और तापमान बनाए रखने के लिए।
5. इस टेस्ट को करने के लिए कौन-कौन से रसायनों की जरूरत होती है?
- सोडियम साइट्रेट (Sodium Citrate) – रक्त को जमने से रोकने के लिए।
- थ्रोम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin Reagent) – यह खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को शुरू करता है।
- कैल्शियम क्लोराइड (Calcium Chloride – CaCl₂) – यह कोगुलेशन प्रक्रिया को सक्रिय करने के लिए आवश्यक होता है।
6. टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझें?
- INR का सामान्य मान 0.8 से 1.2 होता है।
- अगर INR 2.0 – 3.0 के बीच है, तो यह उन मरीजों के लिए सामान्य है जो ब्लड थिनर (Warfarin) ले रहे हैं।
- अगर INR 3.5 से अधिक है, तो रक्तस्राव (Bleeding) का खतरा बढ़ जाता है।
- अगर INR 0.8 से कम है, तो रक्त गाढ़ा हो सकता है और थक्के बनने का खतरा बढ़ सकता है।
उदाहरण:
- यदि कोई व्यक्ति Warfarin ले रहा है और उसकी INR वैल्यू 4.5 है, तो इसका मतलब है कि खून बहुत पतला हो चुका है और ब्लीडिंग का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में डॉक्टर Warfarin की खुराक कम कर सकते हैं।
- अगर किसी व्यक्ति की INR वैल्यू 1.0 से कम है और उसे DVT या हार्ट वाल्व संबंधी समस्या है, तो इसका मतलब है कि खून बहुत गाढ़ा हो गया है और ब्लड क्लॉट बनने का खतरा बढ़ गया है। डॉक्टर Warfarin की खुराक बढ़ा सकते हैं।
7. बीमारियों के उपचार के सुझाव
- यदि INR बहुत अधिक (>4.0) है
- Warfarin की खुराक कम कर दी जाती है।
- अत्यधिक ब्लीडिंग के मामलों में विटामिन K इंजेक्शन दिया जाता है ताकि खून गाढ़ा हो सके।
- गंभीर मामलों में ताजा जमे हुए प्लाज्मा (Fresh Frozen Plasma – FFP) दिया जा सकता है।
- यदि INR बहुत कम (<0.8) है
- Warfarin की खुराक बढ़ाई जाती है।
- मरीज को रक्त पतला करने वाले अन्य उपाय जैसे हिपैरिन (Heparin) इंजेक्शन भी दिया जा सकता है।
- DVT और PE का उपचार
- लंबे समय तक Warfarin या NOACs (नई एंटीकोएगुलेंट दवाएं) जैसे Rivaroxaban, Apixaban दी जाती हैं।
- INR 2.0 – 3.0 के बीच बनाए रखने की सिफारिश की जाती है।
- एट्रियल फाइब्रिलेशन और कृत्रिम हृदय वाल्व
- Warfarin का उपयोग INR 2.5 – 3.5 के स्तर पर नियंत्रित किया जाता है।
निष्कर्ष
INR टेस्ट रक्त के जमने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है। यह ब्लड थिनर दवाओं की सही खुराक सुनिश्चित करने, रक्तस्राव विकारों की पहचान करने और हृदय संबंधी स्थितियों के उपचार में मदद करता है। INR को संतुलित रखना आवश्यक है ताकि न तो अत्यधिक रक्तस्राव हो और न ही अनावश्यक रक्त के थक्के बनें।