Hemoglobin Electrophoresis

हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस (Hemoglobin Electrophoresis) – सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया के लिए

हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस (Hemoglobin Electrophoresis) – सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया की जांच

1. यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस टेस्ट यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि व्यक्ति के रक्त में कौन-कौन से प्रकार के हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) मौजूद हैं और उनकी मात्रा क्या है। यह विशेष रूप से सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia), थैलेसीमिया (Thalassemia), और अन्य हीमोग्लोबिन असामान्यताओं (Hemoglobinopathies) की जांच के लिए उपयोग किया जाता है।

2. इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

  • सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia) – जब हीमोग्लोबिन S (HbS) शरीर में प्रमुख रूप से मौजूद होता है, जिससे लाल रक्त कोशिकाएँ अर्धचंद्र (Sickle) आकार की हो जाती हैं और रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है।
  • थैलेसीमिया (Thalassemia – Alpha और Beta) – जब हीमोग्लोबिन उत्पादन असामान्य या अपर्याप्त होता है, जिससे गंभीर एनीमिया हो सकता है।
  • हीमोग्लोबिन C बीमारी (Hemoglobin C Disease) – यह एक विरासत में मिली हुई स्थिति है, जिसमें हीमोग्लोबिन C की उपस्थिति से हल्का एनीमिया हो सकता है।
  • हीमोग्लोबिन E ट्रेट (Hemoglobin E Trait) – यह मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया और भारत में पाया जाता है और हल्के एनीमिया का कारण बन सकता है।
  • हीमोग्लोबिन D, F और अन्य असामान्यताएँ – कुछ दुर्लभ प्रकार के हीमोग्लोबिन, जो रक्त विकार पैदा कर सकते हैं।

3. यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

  • मरीज की नस से रक्त लिया जाता है।
  • इस रक्त को इलेक्ट्रोफोरेसिस मशीन में रखा जाता है, जहाँ हीमोग्लोबिन के विभिन्न प्रकारों को उनकी गति और चार्ज के आधार पर अलग किया जाता है।
  • नतीजे एक बैंड पैटर्न के रूप में सामने आते हैं, जिससे डॉक्टर पहचान सकते हैं कि रक्त में कौन-कौन से हीमोग्लोबिन प्रकार मौजूद हैं।

4. इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  • कैपिलरी इलेक्ट्रोफोरेसिस मशीन (Capillary Electrophoresis Machine) – यह अत्यधिक सटीक तकनीक है।
  • हाई परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (HPLC – High Performance Liquid Chromatography) – थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया की सटीक पहचान के लिए।
  • गेल इलेक्ट्रोफोरेसिस (Gel Electrophoresis) – पारंपरिक और कम लागत वाली तकनीक।

5. इस टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  • बफर सॉल्यूशन (Buffer Solution) – रक्त में हीमोग्लोबिन को स्थिर रखने के लिए।
  • इलेक्ट्रोफोरेसिस जेल (Electrophoresis Gel) – अलग-अलग हीमोग्लोबिन प्रकारों को अलग करने के लिए।
  • डाई (Staining Dye) – इलेक्ट्रोफोरेसिस के बाद बैंड को देखने के लिए।

6. टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझा जाता है?

सामान्य व्यक्ति में हीमोग्लोबिन के प्रकार

  • HbA (अडल्ट हीमोग्लोबिन) – 95-98%
  • HbA2 – 2-3%
  • HbF (फीटल हीमोग्लोबिन) – 1% से कम

सिकल सेल एनीमिया में

  • HbS – 80-100%
  • HbA – अनुपस्थित (Absent)

थैलेसीमिया में

  • Beta Thalassemia Trait – HbA2 बढ़ा हुआ (>3.5%)
  • Beta Thalassemia Major – HbF बढ़ा हुआ (>50%) और HbA अनुपस्थित या बहुत कम।

उदाहरण:

  • एक व्यक्ति की रिपोर्ट में HbS = 90% और HbA = 0% दिखता है, तो इसका मतलब है कि उसे सिकल सेल एनीमिया है।
  • अगर किसी बच्चे की रिपोर्ट में HbF = 60% और HbA = 30% है, तो उसे थैलेसीमिया मेजर हो सकता है।

7. बीमारी के उपचार और सुझाव

सिकल सेल एनीमिया का उपचार

  • हाइड्रोक्सीयूरिया (Hydroxyurea) – यह दवा हीमोग्लोबिन F (HbF) के उत्पादन को बढ़ाती है, जिससे सिकल सेल की समस्या कम होती है।
  • रक्त आधान (Blood Transfusion) – गंभीर एनीमिया के मामलों में आवश्यक।
  • हड्डी मज्जा प्रत्यारोपण (Bone Marrow Transplant) – यह एकमात्र स्थायी उपचार हो सकता है।
  • दर्द नियंत्रण – नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) और ओपिओइड्स का उपयोग किया जाता है।

थैलेसीमिया का उपचार

  • नियमित रक्त आधान (Frequent Blood Transfusions) – हीमोग्लोबिन का स्तर बनाए रखने के लिए।
  • आयरन चेलेशन थेरेपी (Iron Chelation Therapy) – बार-बार रक्त आधान से शरीर में अतिरिक्त आयरन जमा हो सकता है, जिसे निकालने के लिए दवाएँ दी जाती हैं (Deferasirox, Deferiprone)।
  • फोलिक एसिड सप्लीमेंट (Folic Acid Supplementation) – लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक।
  • बोन मैरो ट्रांसप्लांट – थैलेसीमिया मेजर के मरीजों के लिए संभावित इलाज।

8. निष्कर्ष

हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस टेस्ट सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया और अन्य हीमोग्लोबिन असामान्यताओं की पहचान करने के लिए एक महत्वपूर्ण जांच है। यह रक्त विकारों की सटीक पहचान में मदद करता है और समय पर सही उपचार की दिशा में मार्गदर्शन करता है। यदि किसी व्यक्ति के परिवार में यह विकार है, तो समय से पहले स्क्रीनिंग और जेनेटिक परामर्श आवश्यक है।

Scroll to Top