Glucose Tolerance Test (GTT)

ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (GTT) क्या है?

ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (GTT) एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है, जिसका उपयोग यह जानने के लिए किया जाता है कि शरीर ग्लूकोज (शुगर) को कितनी अच्छी तरह प्रोसेस कर रहा है। यह टेस्ट मुख्य रूप से डायबिटीज और इंसुलिन से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है।


GTT क्यों किया जाता है?

इस टेस्ट को निम्नलिखित स्थितियों के लिए किया जाता है:

  1. टाइप 2 डायबिटीज का पता लगाने के लिए: जब किसी व्यक्ति को हाई ब्लड शुगर के लक्षण होते हैं, लेकिन डायबिटीज की पुष्टि नहीं हुई होती।
  2. गर्भावस्था के दौरान (Gestational Diabetes): गर्भवती महिलाओं में यह टेस्ट किया जाता है ताकि यह जांचा जा सके कि गर्भावस्था के दौरान शरीर शुगर को ठीक से कंट्रोल कर पा रहा है या नहीं।
  3. हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia): अगर ब्लड शुगर सामान्य से कम हो रही हो, तो GTT से इसका कारण पता लगाया जाता है।
  4. इंसुलिन रेजिस्टेंस: जब शरीर में इंसुलिन का उत्पादन सही हो, लेकिन उसका सही उपयोग न हो रहा हो।
  5. मेटाबोलिक सिंड्रोम: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड शुगर जैसी समस्याएं एक साथ पाई जाती हैं।

GTT से किन बीमारियों का पता चलता है?

  1. टाइप 2 डायबिटीज – शरीर में ब्लड शुगर का स्तर लगातार बढ़ा हुआ होता है।
  2. गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes) – गर्भवती महिलाओं में अस्थायी रूप से बढ़ी हुई ब्लड शुगर।
  3. हाइपोग्लाइसीमिया – ब्लड शुगर सामान्य से कम हो जाता है, जिससे कमजोरी, सिरदर्द और बेहोशी हो सकती है।
  4. प्री-डायबिटीज – जब ब्लड शुगर सामान्य से अधिक लेकिन डायबिटीज के स्तर से कम होता है।
  5. पैंक्रियाज से संबंधित समस्याएँ – जब पैंक्रियाज इंसुलिन का सही से उत्पादन नहीं कर रहा हो।

GTT कैसे किया जाता है?

  1. फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट: सबसे पहले, मरीज को कम से कम 8-12 घंटे तक उपवास (Fasting) रखना होता है।
  2. ग्लूकोज लोडिंग: मरीज को 75 ग्राम ग्लूकोज घोलकर पीने के लिए दिया जाता है। (गर्भवती महिलाओं में 50-100 ग्राम ग्लूकोज दिया जा सकता है)।
  3. ब्लड सैंपल: ग्लूकोज पीने के बाद, 30 मिनट, 1 घंटे, 2 घंटे और 3 घंटे बाद ब्लड सैंपल लिया जाता है।
  4. शुगर लेवल की जाँच: हर सैंपल के बाद ब्लड शुगर लेवल की जाँच की जाती है और देखा जाता है कि शरीर ग्लूकोज को कितनी तेजी से उपयोग कर रहा है।

GTT के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  1. ग्लूकोमीटर: रक्त में ग्लूकोज की तुरंत जांच के लिए।
  2. बायोकेमिकल एनालाइज़र: यह मशीन लैब में ब्लड सैंपल का विश्लेषण करने के लिए उपयोग की जाती है।
  3. स्पेक्ट्रोफोटोमीटर: यह मशीन रक्त के नमूने में शुगर के स्तर को मापने के लिए उपयोग होती है।
  4. ऑटोमैटिक ब्लड एनालाइज़र: बड़े लैब में इसका उपयोग तेजी से कई सैंपल की जांच के लिए किया जाता है।

GTT करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  1. ग्लूकोज मोनोहाइड्रेट (Glucose Monohydrate): ग्लूकोज घोल तैयार करने के लिए।
  2. सोडियम फ्लोराइड (Sodium Fluoride): ब्लड सैंपल को स्टेबल रखने के लिए।
  3. एंजाइम्स (Enzymes like Glucose Oxidase, Hexokinase): ब्लड शुगर लेवल को मापने के लिए।
  4. एंटीकोआगुलेंट (EDTA या Heparin): ब्लड सैंपल को जमने से बचाने के लिए।

GTT रिपोर्ट को कैसे पढ़ा जाता है?

उदाहरण के लिए एक रिपोर्ट:

अगर मरीज का GTT टेस्ट के दौरान ब्लड शुगर निम्नलिखित स्तर पर आता है:

  • फास्टिंग (खाली पेट): 90 mg/dL (सामान्य)
  • 1 घंटे बाद: 160 mg/dL (सामान्य 140-180 mg/dL)
  • 2 घंटे बाद: 145 mg/dL (सामान्य 140 mg/dL से कम)
रिपोर्ट का विश्लेषण:
  • अगर 2 घंटे बाद ब्लड शुगर 140 mg/dL से कम है, तो यह सामान्य है।
  • अगर 140-199 mg/dL के बीच है, तो यह प्री-डायबिटीज का संकेत हो सकता है।
  • अगर 200 mg/dL या उससे अधिक है, तो यह डायबिटीज की पुष्टि करता है।

बीमारी का उपचार और प्रबंधन

  1. टाइप 2 डायबिटीज:
    • डाइट कंट्रोल: कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम करें और हाई-फाइबर फूड खाएं।
    • व्यायाम: रोजाना 30-45 मिनट की शारीरिक गतिविधि करें।
    • मेडिकेशन: डॉक्टर द्वारा मेटफॉर्मिन (Metformin) जैसी दवाएँ दी जा सकती हैं।
    • इंसुलिन थेरेपी: जब दवाओं से शुगर कंट्रोल न हो, तब इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत होती है।
  2. गर्भावस्था मधुमेह:
    • डायट मॉडिफिकेशन और व्यायाम से इसे कंट्रोल किया जाता है।
    • कुछ मामलों में इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत पड़ सकती है।
  3. हाइपोग्लाइसीमिया:
    • अगर ब्लड शुगर बहुत कम हो जाए तो तुरंत 15 ग्राम ग्लूकोज या कोई मीठा पदार्थ लें।
    • गंभीर मामलों में डॉक्टर ग्लूकोज इंजेक्शन दे सकते हैं।
  4. इंसुलिन रेजिस्टेंस:
    • कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) वाले फूड खाएं।
    • नियमित व्यायाम करें और वजन को नियंत्रित रखें।
    • मेटफॉर्मिन जैसी दवाएँ ली जा सकती हैं।

निष्कर्ष

ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (GTT) एक महत्वपूर्ण डायग्नोस्टिक टेस्ट है, जो डायबिटीज और शुगर मेटाबोलिज्म से जुड़ी बीमारियों की जाँच करता है। इस टेस्ट के परिणामों को सही तरीके से समझकर उचित उपचार किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति डायबिटीज या प्री-डायबिटीज से पीड़ित है, तो उसे डाइट, व्यायाम और दवाइयों के सही संयोजन से अपने शुगर लेवल को नियंत्रित रखना चाहिए।

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