ईओसिनोफिल्स (Eosinophils)
ईओसिनोफिल्स (Eosinophils) क्या होते हैं और DLC में इनकी जांच कैसे की जाती है?
ईओसिनोफिल्स (Eosinophils) एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका (WBC) होती है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) का हिस्सा होती है। यह कोशिकाएं एलर्जी, परजीवी संक्रमण (Parasite Infections) और सूजन जैसी स्थितियों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं।
DLC (Differential Leukocyte Count) टेस्ट में ईओसिनोफिल्स की संख्या और प्रतिशत को मापा जाता है, जिससे एलर्जी, अस्थमा, परजीवी संक्रमण और अन्य रोगों का पता लगाया जा सकता है।
DLC में ईओसिनोफिल्स की जांच कैसे की जाती है?
- ब्लड सैंपल कलेक्शन:
- मरीज की नस से रक्त लिया जाता है।
- रक्त को EDTA युक्त ट्यूब (Ethylenediaminetetraacetic Acid) में रखा जाता है ताकि यह जमने से बचा रहे।
- ब्लड सैंपल की जांच:
- सैंपल को हेमेटोलॉजी एनालाइजर (Hematology Analyzer) में डाला जाता है, जो WBC की सभी श्रेणियों की गणना करता है।
- माइक्रोस्कोप द्वारा मैनुअल जांच:
- रक्त की एक बूंद को स्लाइड पर डालकर Leishman’s Stain या Wright’s Stain से रंगा जाता है।
- माइक्रोस्कोप के नीचे 100 WBC गिनकर ईओसिनोफिल्स का प्रतिशत निकाला जाता है।
DLC में ईओसिनोफिल्स की जांच क्यों की जाती है?
इस टेस्ट से एलर्जी, परजीवी संक्रमण, अस्थमा, ऑटोइम्यून बीमारियों और कैंसर जैसी स्थितियों का पता लगाया जाता है। डॉक्टर ईओसिनोफिल्स की संख्या देखकर यह निर्धारित करते हैं कि मरीज को कोई एलर्जिक या इम्यून डिसऑर्डर तो नहीं है।
इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?
1. ईोसिनोफिलिया (Eosinophilia) – जब ईओसिनोफिल्स की संख्या बढ़ जाती है
- एलर्जी (Allergy) – अस्थमा, एटोपिक डर्मेटाइटिस, हे फीवर
- परजीवी संक्रमण (Parasitic Infection) – फाइलेरिया, राउंडवर्म, हुकवर्म
- त्वचा रोग (Skin Disorders) – सोरायसिस, एक्जिमा
- ऑटोइम्यून रोग (Autoimmune Diseases) – ल्यूपस, रूमेटॉइड आर्थराइटिस
- कैंसर (Cancer) – ल्यूकेमिया, लिम्फोमा
2. ईोसिनोफिलोपेनिया (Eosinopenia) – जब ईओसिनोफिल्स की संख्या घट जाती है
- गंभीर संक्रमण (Severe Infection) – बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण
- स्ट्रेस (Stress) और स्टेरॉयड थेरेपी
- कुशिंग सिंड्रोम (Cushing’s Syndrome)
DLC टेस्ट कैसे किया जाता है?
- ऑटोमेटेड हेमेटोलॉजी एनालाइजर द्वारा:
- यह मशीन स्वचालित रूप से ईओसिनोफिल्स की संख्या और प्रतिशत की गणना करती है।
- यह विधि तेज और अधिक सटीक होती है।
- माइक्रोस्कोप द्वारा मैनुअल काउंटिंग:
- रक्त की एक बूंद को स्लाइड पर फैलाया जाता है और विशेष दाग (stain) से रंगा जाता है।
- माइक्रोस्कोप की सहायता से विभिन्न प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाओं की गणना की जाती है।
DLC टेस्ट करने के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनें
- Hematology Analyzer (Auto Analyzer Machine)
- Flow Cytometry
- Microscope
DLC टेस्ट के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन (Reagents)
- EDTA – रक्त को जमने से रोकने के लिए
- Leishman’s Stain या Wright’s Stain – रक्त कोशिकाओं को रंगने के लिए
- Buffer Solution – pH संतुलन बनाए रखने के लिए
रिपोर्ट को कैसे समझें और पढ़ें (उदाहरण सहित)?
उदाहरण रिपोर्ट:
- ईओसिनोफिल्स: 8% (सामान्य से अधिक)
- न्यूट्रोफिल्स: 50%
- लिम्फोसाइट्स: 30%
- मोनोसाइट्स: 5%
- बेसोफिल्स: 0.5%
रिपोर्ट की व्याख्या:
- यदि ईओसिनोफिल्स 5% से अधिक हैं, तो यह एलर्जी, अस्थमा, या परजीवी संक्रमण का संकेत हो सकता है।
- यदि ईओसिनोफिल्स 1% से कम हैं, तो यह स्ट्रेस या गंभीर संक्रमण के कारण हो सकता है।
बीमारी का उपचार और सुझाव
1. यदि ईओसिनोफिल्स अधिक हैं (Eosinophilia):
- एलर्जी की दवाएँ (Antihistamines) लें।
- यदि अस्थमा है, तो डॉक्टर द्वारा सुझाए गए इनहेलर और दवाएँ लें।
- यदि परजीवी संक्रमण है, तो एंटीपैरासिटिक दवाएँ लें।
- यदि त्वचा रोग (Psoriasis, Eczema) है, तो त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श करें।
2. यदि ईओसिनोफिल्स कम हैं (Eosinopenia):
- शरीर को स्ट्रेस और संक्रमण से बचाने के लिए आराम करें।
- यदि दवाओं या स्टेरॉयड के कारण कमी हुई है, तो डॉक्टर से परामर्श लें।
- स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम करें।
निष्कर्ष
DLC टेस्ट में ईओसिनोफिल्स की संख्या की गणना करके एलर्जी, परजीवी संक्रमण, अस्थमा, त्वचा रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। यदि रिपोर्ट में असामान्यता पाई जाती है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर उचित उपचार किया जाना चाहिए।
स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और स्वच्छता बनाए रखना रोगों से बचाव के लिए आवश्यक है।