Coombs Test

Coombs Test (Direct और Indirect) – ऑटोइम्यून एनीमिया की जांच

Coombs Test (Direct और Indirect) – ऑटोइम्यून एनीमिया की जांच

1. यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

कूंब्स टेस्ट (Coombs Test) यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि क्या शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) गलती से लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) पर हमला कर रही है। यह ऑटोइम्यून एनीमिया (Autoimmune Hemolytic Anemia) और रक्त आधान (Blood Transfusion) की असंगति जैसी स्थितियों की जांच के लिए किया जाता है।

यह दो प्रकार का होता है:

  • डायरेक्ट कूंब्स टेस्ट (Direct Coombs Test – DCT): यह जांचता है कि क्या शरीर में पहले से मौजूद एंटीबॉडीज़ RBCs से जुड़ी हुई हैं और उन्हें नष्ट कर रही हैं।
  • इनडायरेक्ट कूंब्स टेस्ट (Indirect Coombs Test – ICT): यह जांचता है कि क्या रक्त प्लाज्मा में ऐसी एंटीबॉडीज़ मौजूद हैं, जो भविष्य में RBCs पर हमला कर सकती हैं (जैसे, गर्भावस्था के दौरान या रक्त आधान से पहले)।

2. इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

  • ऑटोइम्यून हीमोलिटिक एनीमिया (Autoimmune Hemolytic Anemia) – जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही RBCs को नष्ट करने लगती है।
  • नवजात शिशुओं में हीमोलिटिक डिजीज (Hemolytic Disease of the Newborn – HDN) – जब माँ की प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रूण के RBCs पर हमला करती है (Rh असंगति के कारण)।
  • रक्त आधान की जटिलताएँ (Blood Transfusion Reactions) – अगर दाता (Donor) और प्राप्तकर्ता (Recipient) के रक्त में एंटीबॉडी असंगत हों, तो प्रतिरक्षा प्रणाली दान किए गए RBCs पर हमला कर सकती है।
  • दवाओं से प्रेरित हीमोलिटिक एनीमिया (Drug-Induced Hemolytic Anemia) – कुछ दवाएँ RBCs को नष्ट करने वाली एंटीबॉडीज बना सकती हैं।
  • संयुक्त रोग (Lupus, Rheumatoid Arthritis, आदि) – कुछ ऑटोइम्यून रोग भी हीमोलिटिक एनीमिया का कारण बन सकते हैं।

3. यह टेस्ट कैसे किया जाता है?

  • डायरेक्ट कूंब्स टेस्ट (DCT):
    • मरीज की नस से रक्त लिया जाता है।
    • रक्त को एक विशेष टेस्ट ट्यूब में रखकर एंटी-ह्यूमन ग्लोबुलिन (Coombs Reagent) मिलाया जाता है।
    • अगर RBCs आपस में चिपकने (Agglutination) लगते हैं, तो यह दर्शाता है कि उनमें एंटीबॉडीज़ पहले से मौजूद हैं और वे नष्ट हो रहे हैं।
  • इनडायरेक्ट कूंब्स टेस्ट (ICT):
    • मरीज के रक्त प्लाज्मा को अलग किया जाता है।
    • इसे टेस्ट RBCs के साथ मिलाया जाता है और फिर Coombs Reagent डाला जाता है।
    • अगर एग्लूटिनेशन होता है, तो इसका मतलब है कि रक्त में ऐसी एंटीबॉडीज़ हैं, जो भविष्य में RBCs को नुकसान पहुँचा सकती हैं।

4. इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  • ऑटोमैटेड ब्लड बैंक एनालाइज़र (Automated Blood Bank Analyzer)
  • माइक्रोप्लेट रीडर (Microplate Reader)
  • सेंटीफ्यूज (Centrifuge)
  • माइक्रोस्कोप (Microscope)

5. इस टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  • Coombs Reagent (Anti-Human Globulin – AHG) – यह RBCs पर एंटीबॉडीज की उपस्थिति का पता लगाने में मदद करता है।
  • टेस्ट RBCs (Reagent Red Cells) – इनका उपयोग ICT में किया जाता है।
  • सलाइन सॉल्यूशन (Normal Saline) – रक्त कोशिकाओं को साफ करने और टेस्ट प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए।

6. टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझा जाता है?

  • डायरेक्ट कूंब्स टेस्ट (DCT) के परिणाम:
    • पॉजिटिव (Positive): यह दर्शाता है कि मरीज के RBCs पर एंटीबॉडीज मौजूद हैं और वे ऑटोइम्यून हीमोलिटिक एनीमिया, दवा-प्रेरित एनीमिया, या नवजात शिशु में हीमोलिटिक बीमारी का संकेत दे सकते हैं।
    • नेगेटिव (Negative): इसका मतलब है कि RBCs पर कोई असामान्य एंटीबॉडीज नहीं पाई गईं।
  • इनडायरेक्ट कूंब्स टेस्ट (ICT) के परिणाम:
    • पॉजिटिव (Positive): यह दर्शाता है कि प्लाज्मा में RBCs को नष्ट करने वाली एंटीबॉडीज हैं, जो रक्त आधान असंगति (Blood Transfusion Mismatch) या गर्भावस्था में Rh असंगति का संकेत हो सकती हैं।
    • नेगेटिव (Negative): इसका मतलब है कि रक्त में कोई हानिकारक एंटीबॉडीज नहीं मिलीं।

7. रिपोर्ट को उदाहरण सहित समझाना

उदाहरण 1: डायरेक्ट कूंब्स टेस्ट पॉजिटिव

  • मरीज में हीमोग्लोबिन 7.5 g/dL (कम) है।
  • डायरेक्ट कूंब्स टेस्ट पॉजिटिव आया।
  • मरीज को Autoimmune Hemolytic Anemia हो सकता है, जिससे शरीर अपने ही RBCs को नष्ट कर रहा है।

उदाहरण 2: इनडायरेक्ट कूंब्स टेस्ट पॉजिटिव (गर्भावस्था में)

  • एक गर्भवती महिला का ICT पॉजिटिव आया।
  • इसका मतलब है कि उसके रक्त में एंटी-Rh एंटीबॉडीज हैं, जो भ्रूण के RBCs पर हमला कर सकती हैं।
  • डॉक्टर एंटी-D इम्युनोग्लोबुलिन (Rhogam Injection) देकर बच्चे को होने वाले नुकसान से बचाने की कोशिश करेंगे।

8. बीमारी के उपचार और सुझाव

  • ऑटोइम्यून हीमोलिटिक एनीमिया (AIHA) का उपचार:
    • स्टेरॉयड (Prednisone) – प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को दबाने के लिए।
    • इम्यूनोसप्रेसिव दवाएँ (Rituximab, Azathioprine) – अगर स्टेरॉयड प्रभावी न हो।
    • रक्त आधान (Blood Transfusion) – जब हीमोग्लोबिन बहुत कम हो जाता है।
    • स्प्लीन हटाने की सर्जरी (Splenectomy) – अगर अन्य उपचार काम न करें, तो तिल्ली (Spleen) हटाने से RBCs की तोड़फोड़ कम हो सकती है।
  • गर्भावस्था में Rh असंगति का उपचार:
    • गर्भवती महिला को 28वें हफ्ते पर और डिलीवरी के बाद Rhogam Injection दिया जाता है, जिससे भ्रूण को नुकसान से बचाया जा सके।
  • ब्लड ट्रांसफ्यूजन असंगति से बचाव:
    • रक्त आधान से पहले हमेशा ICT टेस्ट करवाएँ।
    • सही ब्लड ग्रुप और एंटीबॉडी मिलान सुनिश्चित करें।

निष्कर्ष

Coombs Test शरीर में RBCs के विरुद्ध एंटीबॉडीज की जाँच करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह ऑटोइम्यून एनीमिया, रक्त आधान समस्याएँ, और गर्भावस्था में Rh असंगति जैसी स्थितियों का पता लगाने में मदद करता है। सही समय पर इस टेस्ट को करवाकर गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।

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