Bone Marrow Aspiration & Biopsy

बोन मैरो एस्पिरेशन (Bone Marrow Aspiration & Biopsy)

बोन मैरो एस्पिरेशन और बायोप्सी: विस्तृत जानकारी

1. यह टेस्ट क्यों किया जाता है?

बोन मैरो एस्पिरेशन और बायोप्सी टेस्ट बोन मैरो (अस्थि मज्जा) की स्थिति का आकलन करने के लिए किया जाता है। यह शरीर में रक्त कोशिकाओं के उत्पादन और उनकी गुणवत्ता की जांच करने में मदद करता है। इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य रक्त संबंधी विकारों, कैंसर और अन्य असामान्यताओं का पता लगाना है।

2. इस टेस्ट से कौन-कौन सी बीमारियों का पता चलता है?

यह टेस्ट विभिन्न रक्त और बोन मैरो संबंधी बीमारियों की पहचान करने में मदद करता है, जिनमें शामिल हैं:

  • ल्यूकेमिया (Leukemia): यह एक प्रकार का ब्लड कैंसर है जिसमें असामान्य श्वेत रक्त कोशिकाएं (WBCs) अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं।
  • लिंफोमा (Lymphoma): एक प्रकार का कैंसर जो लसीका प्रणाली (Lymphatic System) को प्रभावित करता है।
  • मायलोमा (Myeloma): प्लाज्मा कोशिकाओं से संबंधित कैंसर।
  • एप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anemia): जब बोन मैरो पर्याप्त रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता।
  • मायलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (Myelodysplastic Syndrome): असामान्य बोन मैरो कोशिकाओं के कारण रक्त निर्माण की समस्या।
  • हेमोक्रोमैटोसिस (Hemochromatosis): शरीर में अत्यधिक आयरन जमा होना।
  • इंफेक्शन (Infections): बोन मैरो में बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से जुड़े संक्रमण।
  • थैलेसीमिया (Thalassemia): अनुवांशिक रूप से होने वाली रक्त विकार जिसमें शरीर में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बनता।

3. इस टेस्ट को कैसे किया जाता है?

बोन मैरो एस्पिरेशन और बायोप्सी आमतौर पर निम्नलिखित चरणों में किया जाता है:

1. रोगी की तैयारी:

  • रोगी को लेटा दिया जाता है और डॉक्टर बोन मैरो निकाले जाने वाली जगह (आमतौर पर कूल्हे की हड्डी या स्तन की हड्डी) को चुनते हैं।
  • स्थानीय एनेस्थीसिया (Local Anesthesia) दिया जाता है ताकि दर्द कम हो।

2. बोन मैरो एस्पिरेशन:

  • डॉक्टर एक पतली सुई को हड्डी में डालते हैं और बोन मैरो से तरल (Fluid) नमूना निकालते हैं।
  • यह नमूना माइक्रोस्कोप से जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है।

3. बोन मैरो बायोप्सी:

  • एस्पिरेशन के बाद, एक बड़ी सुई से बोन मैरो का ठोस टुकड़ा निकाला जाता है।
  • यह परीक्षण बोन मैरो की संरचना और कोशिकाओं की संख्या का आकलन करने के लिए किया जाता है।

4. इस टेस्ट को करने के लिए कौन सी मशीनों का उपयोग किया जाता है?

  • ऑटोमेटेड सेल काउंटर: रक्त कोशिकाओं की गणना करने के लिए।
  • माइक्रोस्कोप: बोन मैरो की कोशिकाओं की संरचना देखने के लिए।
  • फ्लो साइटोमेट्री (Flow Cytometry): रक्त कैंसर और इम्यून सेल्स का विश्लेषण करने के लिए।
  • PCR (Polymerase Chain Reaction) मशीन: आनुवंशिक परीक्षणों के लिए।
  • इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री सिस्टम: कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने के लिए।

5. इस टेस्ट को करने के लिए कौन से रसायनों की जरूरत होती है?

  • इथेनॉल (Ethanol): त्वचा को साफ करने के लिए।
  • लिडोकेन (Lidocaine): एनेस्थीसिया के लिए।
  • गीम्सा स्टेन (Giemsa Stain): बोन मैरो के स्लाइड को रंगने के लिए।
  • एच एंड ई स्टेन (Hematoxylin and Eosin Stain): कोशिका संरचना की जांच के लिए।
  • EDTA (Ethylenediaminetetraacetic Acid): रक्त के नमूनों को स्थिर रखने के लिए।

6. टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझा और पढ़ा जाता है?

रिपोर्ट को पढ़ने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखा जाता है:

  • WBC, RBC, Platelets की संख्या: अगर कोई कोशिका असामान्य रूप से अधिक या कम है, तो यह बीमारी का संकेत हो सकता है।
  • बोन मैरो की संरचना: अगर बोन मैरो में असामान्य कोशिकाएं या कैंसर कोशिकाएं पाई जाती हैं, तो यह गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है।
  • फ्लो साइटोमेट्री रिपोर्ट: यह बताती है कि कैंसर की कोशिकाएं कौन-सी हैं और कितनी तेजी से बढ़ रही हैं।

उदाहरण:
अगर किसी मरीज की रिपोर्ट में बोन मैरो में ब्लास्ट सेल्स (Blast Cells) 20% से अधिक हैं, तो यह एक्यूट मायलॉइड ल्यूकेमिया (AML) का संकेत हो सकता है।

7. बीमारी के उपचार के सुझाव

इलाज बीमारी के प्रकार पर निर्भर करता है:

  • ल्यूकेमिया और लिंफोमा:
    • कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
    • रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy)
    • बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant)
  • एप्लास्टिक एनीमिया:
    • स्टेम सेल ट्रांसप्लांट
    • इम्यूनोसप्रेसेन्ट थेरेपी (Immunosuppressant Therapy)
  • हेमोक्रोमैटोसिस:
    • ब्लड लेटिंग (Phlebotomy)
    • लो-आयरन डाइट
  • थैलेसीमिया:
    • नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन
    • बोन मैरो ट्रांसप्लांट

निष्कर्ष

बोन मैरो एस्पिरेशन और बायोप्सी टेस्ट रक्त और बोन मैरो से जुड़ी बीमारियों की पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है। इस टेस्ट के माध्यम से कैंसर, एनीमिया और अन्य रक्त विकारों का शीघ्र पता लगाया जा सकता है, जिससे सही समय पर उपचार संभव हो पाता है। यदि किसी व्यक्ति को बार-बार संक्रमण हो रहा है, अत्यधिक थकान या असामान्य ब्लीडिंग हो रही है, तो डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।

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