हुमायूं

हुमायूं: एक संक्षिप्त परिचय

पूरा नाम: नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं
जन्म: 6 मार्च 1508, काबुल (अफगानिस्तान)
मृत्यु: 27 जनवरी 1556, दिल्ली
पिता: जहीरुद्दीन बाबर (मुगल वंश के संस्थापक)
माता: महम बेगम
राज्याभिषेक: 1530 (आगरा)

हुमायूं मुगल वंश का दूसरा शासक था, जिसने अपने पिता बाबर की मृत्यु के बाद 1530 में शासन संभाला। लेकिन वह एक कुशल प्रशासक नहीं था और उसे अपने शासनकाल में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।


हुमायूं का साम्राज्य और उसका विस्तार

प्रारंभिक साम्राज्य (1530):

  • हुमायूं ने अपने शासन की शुरुआत में दिल्ली, आगरा, पंजाब, बिहार, बंगाल, गुजरात, मालवा और राजस्थान पर शासन किया।

अफगान संघर्ष और हार (1540):

  • शेरशाह सूरी के खिलाफ संघर्ष के कारण वह 1540 में शेरशाह से हारकर भारत से भाग गया और अगले 15 साल निर्वासन में रहा।
  • इस दौरान वह ईरान (1544-1555) में शाह तहमास्प प्रथम के दरबार में शरण ली।

सत्ता की पुनर्बहाली (1555):

  • 1555 में हुमायूं ने शेरशाह सूरी के उत्तराधिकारी सिकंदर सूरी को हराकर दिल्ली की सत्ता फिर से प्राप्त की।

हुमायूं द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध

1. दौहरिया का युद्ध (1531)

  • प्रतिद्वंदी: अफगान सरदार महमूद लोदी
  • परिणाम: हुमायूं की विजय, बिहार और बंगाल पर नियंत्रण बढ़ा।

2. गुजरात विजय (1535)

  • प्रतिद्वंदी: बहादुर शाह (गुजरात का शासक)
  • परिणाम: प्रारंभ में हुमायूं ने विजय प्राप्त की लेकिन बाद में गुजरात पर नियंत्रण खो दिया।

3. चौसा का युद्ध (26 जून 1539)

  • प्रतिद्वंदी: शेरशाह सूरी
  • परिणाम: हुमायूं की करारी हार, वह किसी तरह भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहा।

4. कन्नौज (बिलग्राम) का युद्ध (17 मई 1540)

  • प्रतिद्वंदी: शेरशाह सूरी
  • परिणाम: हुमायूं को पूर्ण रूप से हराया गया और उसे भारत छोड़कर भागना पड़ा

5. दिल्ली और आगरा पर पुनः अधिकार (1555)

  • प्रतिद्वंदी: सिकंदर सूरी (शेरशाह सूरी का उत्तराधिकारी)
  • परिणाम: हुमायूं ने पुनः दिल्ली की गद्दी हासिल की।

हुमायूं से जुड़े विशेष कार्य और उपलब्धियाँ

  1. भारतीय प्रशासन में फारसी प्रभाव
    • ईरान में निर्वासन के दौरान हुमायूं ने फारसी संस्कृति और प्रशासनिक नीतियों को अपनाया, जिसे उसने भारत में लागू किया।
  2. सैनिक संगठन में सुधार
    • उसने अपने सैनिकों को बेहतर रणनीतियों के तहत पुनर्गठित किया और पुनः भारत पर अधिकार किया।
  3. मुगल चित्रकला की नींव
    • हुमायूं के शासनकाल में मीर सैय्यद अली और अब्दुस समद नामक दो फारसी चित्रकार भारत आए, जिन्होंने मुगल चित्रकला की नींव रखी।

हुमायूं के समय लिखे गए साहित्य और किताबें

  1. अमल-ए-सालिह (शाहजहाननामा) – अब्दुल हामिद लाहौरी
  2. तारीख-ए-हुमायूं (हुमायूंनामा) – गुलबदन बेगम (हुमायूं की बहन)
    • यह मुगलकालीन इतिहास की एक महत्वपूर्ण किताब है, जिसमें हुमायूं के जीवन और संघर्षों का विस्तृत विवरण मिलता है।
  3. हुमायूंनामा – ख्वाजा निजामुद्दीन अहमद
  4. तारीख-ए-शेरशाही – अब्बास खान सरवानी (इसमें हुमायूं और शेरशाह के संघर्ष का उल्लेख है)।

हुमायूं के समय में निर्मित स्थापत्य कला और भवन

  1. पुराना किला (दिल्ली)
    • हुमायूं ने दिल्ली में एक विशाल किला बनवाया, जिसे बाद में शेरशाह सूरी ने पुनर्निर्मित किया।
    • इसमें किला-ए-कुहना मस्जिद स्थित है।
  2. हुमायूं का मकबरा (1565, दिल्ली)
    • इसे हुमायूं की बेगम हमीदा बानो बेगम ने बनवाया था।
    • यह मुगल और फारसी स्थापत्य शैली का मिश्रण है और बाद में ताजमहल के निर्माण में इसकी शैली को अपनाया गया।
  3. लाहौर का किला
    • हुमायूं ने इसे मजबूत किया, लेकिन इसका वर्तमान स्वरूप बाद के शासकों द्वारा दिया गया।

हुमायूं के शासनकाल में जुड़े प्रमुख व्यक्ति

  1. गुलबदन बेगम – हुमायूं की बहन, जिसने “हुमायूंनामा” लिखा।
  2. बैरम खान – हुमायूं का सेनापति और विश्वासपात्र, जिसने अकबर के राज्यारोहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  3. हमीदा बानो बेगम – हुमायूं की पत्नी और अकबर की माता।
  4. शेरशाह सूरी – उसका सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी, जिसने उसे पराजित कर भारत से बाहर कर दिया।
  5. मीर सैय्यद अली और अब्दुस समद – प्रसिद्ध चित्रकार, जो हुमायूं के दरबार में थे।

हुमायूं की मृत्यु और उत्तराधिकारी

  • मृत्यु (27 जनवरी 1556):
    • हुमायूं की मृत्यु पुराना किला, दिल्ली में सीढ़ियों से गिरने के कारण हुई।
    • उस समय वह अपने पुस्तकालय में था और नमाज़ के लिए उठते समय सीढ़ियों से गिर पड़ा।
  • उत्तराधिकारी:
    • उसके पुत्र अकबर को बैरम खान ने 1556 में गद्दी पर बैठाया।
    • अकबर का शासन भारत के मुगल साम्राज्य का सबसे स्वर्णिम काल साबित हुआ।

निष्कर्ष

हुमायूं मुगल साम्राज्य का दूसरा शासक था, लेकिन वह एक कमजोर प्रशासक साबित हुआ।
उसके शासनकाल में उसे शेरशाह सूरी से हारकर भारत छोड़ना पड़ा और लंबे समय तक निर्वासन में रहना पड़ा।
हालांकि, 1555 में उसने पुनः दिल्ली पर अधिकार कर लिया, लेकिन मात्र 6 महीने बाद उसकी मृत्यु हो गई
उसकी मृत्यु के बाद अकबर ने मुगल साम्राज्य को अपने चरम पर पहुँचाया।

हुमायूं का सबसे महत्वपूर्ण योगदान उसकी सांस्कृतिक रुचि और फारसी प्रभाव था, जिसने बाद के मुगल शासकों की नीति और कला को प्रभावित किया।

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