स्वतंत्रता के पश्चात् भारत का एकीकरण एवं पुनर्गठन 

स्वतंत्रता के पश्चात भारत का एकीकरण एवं पुनर्गठन

भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली, लेकिन यह प्रशासनिक रूप से विभाजित था। इसमें ब्रिटिश शासित प्रांतों के साथ-साथ 562 रियासतें भी थीं, जो स्वतंत्र निर्णय ले सकती थीं। सरदार वल्लभभाई पटेल और वी.पी. मेनन के प्रयासों से इन रियासतों को भारत में मिलाया गया और बाद में राज्यों का पुनर्गठन किया गया।


1. भारत का एकीकरण (1947-1950)

जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती रियासतों का विलय थी। ब्रिटिश सरकार ने इन्हें यह अधिकार दिया था कि वे स्वतंत्र रहें या भारत या पाकिस्तान में शामिल हों। सरदार वल्लभभाई पटेल और वी.पी. मेनन ने इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन के माध्यम से अधिकांश रियासतों को भारत में शामिल कर लिया।

महत्वपूर्ण रियासतों का विलय

हैदराबाद: निजाम ने पाकिस्तान में शामिल होने का प्रयास किया, लेकिन भारतीय सेना ने “ऑपरेशन पोलो” (सितंबर 1948) के तहत इस पर नियंत्रण कर लिया।
जूनागढ़: नवाब ने पाकिस्तान जाने का निर्णय लिया, लेकिन जनमत संग्रह के बाद इसे भारत में मिला लिया गया।
जम्मू और कश्मीर: पाकिस्तान समर्थित कबायली हमले के कारण राजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को भारत में विलय किया।
भोपाल: नवाब विलय के खिलाफ था, लेकिन जनता और सरकार के दबाव में मार्च 1949 में भारत में मिला।

  1. हैदराबाद – निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान
  2. जूनागढ़ – नवाब मुहम्मद महाबत खानजी III
  3. जम्मू और कश्मीर – महाराजा हरि सिंह (विलय में देर कर रहे थे)
  4. भोपाल – नवाब हमीदुल्लाह खान

इन प्रयासों से 1950 तक भारत एक एकीकृत राष्ट्र बन गया।


2. भारत में राज्यों का पुनर्गठन (1950-1960)

स्वतंत्रता के बाद राज्यों की सीमाएँ ऐतिहासिक और प्रशासनिक आधार पर थीं, लेकिन भाषायी और सांस्कृतिक समानताओं को नजरअंदाज किया गया था। इससे प्रशासनिक समस्याएँ उत्पन्न हुईं और भाषायी आधार पर राज्यों की माँग उठी।

पहला पुनर्गठन (1950-1956)

संविधान लागू होने के बाद भारत को चार भागों में विभाजित किया गया:

  1. भाग A राज्य – ब्रिटिश भारत के पूर्व प्रांत।
  2. भाग B राज्य – देशी रियासतों से बने राज्य।
  3. भाग C राज्य – छोटे देशी रियासतों को मिलाकर बनाए गए क्षेत्र।
  4. भाग D राज्य – अंडमान और निकोबार द्वीप (केंद्र शासित प्रदेश)।

1952 में आंध्र प्रदेश के तेलुगु भाषी लोगों ने अलग राज्य की माँग को लेकर आंदोलन किया। भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की जरूरत महसूस हुई।

राज्यों का पुनर्गठन अधिनियम 1956

1953 में सरकार ने फज़ल अली आयोग गठित किया, जिसने 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों की सिफारिश की। 1956 में “राज्यों का पुनर्गठन अधिनियम” लागू हुआ, जिससे राज्यों की सीमाएँ भाषायी आधार पर पुनर्गठित की गईं।

फजल अली आयोग भारत के राज्यों के पुनर्गठन के लिए गठित एक महत्वपूर्ण आयोग था, जिसे 1953 में स्थापित किया गया था। यह आयोग भारत में राज्य सीमाओं के पुनर्गठन के लिए काम करता था, खासकर भाषायी आधार पर राज्यों की पुनर्रचना के संदर्भ में। इसके प्रमुख सदस्य थे फजल अली, जो इसके अध्यक्ष थे, साथ ही के. एम. पन्निकर और वृंदा चौधरी भी इसमें शामिल थे।

आयोग की सिफारिशें:

  1. राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशें (1955):
    • आयोग ने राज्यों का पुनर्गठन अधिनियम, 1956 का मार्ग प्रशस्त किया।
    • इस अधिनियम के तहत भारत में 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों का गठन किया गया।
    • आयोग ने राज्यों के पुनर्गठन में भाषायी आधार को प्रमुख तत्व माना। उदाहरण के लिए, तेलुगु भाषी क्षेत्र को आंध्र प्रदेश में समाहित किया गया, जबकि कन्नड़ भाषियों के लिए कर्नाटका राज्य गठित किया गया।
  2. दक्षिण भारत में राज्यों का पुनर्गठन:
    • आयोग ने विशेष रूप से दक्षिण भारत में तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम भाषाओं के आधार पर राज्यों की सीमाओं का पुनर्गठन किया।
  3. राज्य सीमा निर्धारण:
    • राज्यों के आकार और सीमा निर्धारण के समय सांस्कृतिक, भाषायी, भौगोलिक और ऐतिहासिक पहलुओं को ध्यान में रखा गया।

महत्वपूर्ण राज्य जो पुनर्गठित हुए:

  1. आंध्र प्रदेश (1953 में)
  2. महाराष्ट्र और गुजरात (1960 में)
  3. कर्नाटका (1956 में)
  4. तमिलनाडु (1956 में)


3. 1960 के बाद भारत में नए राज्य बने

1956 के बाद भी कई राज्यों का पुनर्गठन किया गया। 1960 में बॉम्बे राज्य को तोड़कर गुजरात और महाराष्ट्र बनाए गए। 1966 में पंजाब से हरियाणा अलग हुआ। 1971 में हिमाचल प्रदेश पूर्ण राज्य बना। 1987 में अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और गोवा स्वतंत्र राज्य बने। 2000 में बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के पुनर्गठन से झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ बनाए गए।

2014 में आंध्र प्रदेश से तेलंगाना अलग कर नया राज्य बनाया गया।


4. मध्य प्रदेश का पुनर्गठन (1956 और 2000)

1956: मध्य प्रदेश का गठन

1 नवंबर 1956 को “राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम” के तहत मध्य प्रदेश का गठन हुआ। इसमें मध्य भारत, विंध्य प्रदेश, भोपाल और महाकौशल क्षेत्र को मिलाया गया। शुरू में जबलपुर को राजधानी बनाने की चर्चा थी, लेकिन अंततः भोपाल को चुना गया।

2000: छत्तीसगढ़ का निर्माण

मध्य प्रदेश का पुनर्गठन करके 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया। इसका उद्देश्य जनजातीय विकास और प्रशासनिक सुगमता था।


निष्कर्ष

भारत का एकीकरण और पुनर्गठन स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक था। सरदार पटेल की रणनीति से देशी रियासतों का विलय सफलतापूर्वक किया गया। इसके बाद भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया, जिससे प्रशासनिक स्थिरता आई।

MPPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. 562 रियासतों का भारत में विलय सरदार पटेल के नेतृत्व में हुआ।
  2. 1956 में “राज्यों का पुनर्गठन अधिनियम” लागू हुआ।
  3. मध्य प्रदेश का गठन 1956 में हुआ और 2000 में इससे छत्तीसगढ़ अलग हुआ।
  4. 1956 में भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाया गया।

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