सिख साम्राज्य

सिख साम्राज्य (1799-1849) की कहानी

परिचय

सिख साम्राज्य की स्थापना महाराजा रणजीत सिंह ने 1799 ई. में की थी। यह साम्राज्य 1799 से 1849 तक चला और यह पंजाब, कश्मीर, पेशावर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत के कई हिस्सों में फैला हुआ था।


सिख साम्राज्य के प्रमुख शासक और उनके कार्य

1. महाराजा रणजीत सिंह (1799-1839)

➤ शासनकाल: 1799-1839
➤ विशेष कार्य:

  • लाहौर पर विजय (1799): रणजीत सिंह ने लाहौर पर कब्जा कर इसे अपनी राजधानी बनाया
  • सशक्त सेना का गठन: रणजीत सिंह ने फ्रांसीसी अफसरों की सहायता से यूरोपीय शैली की आधुनिक सेना बनाई।
  • सुधार कार्य: भूमि कर प्रणाली को व्यवस्थित किया, धार्मिक सहिष्णुता अपनाई और कला तथा स्थापत्य को प्रोत्साहित किया।
  • स्वर्ण मंदिर (अमृतसर) का पुनर्निर्माण: उन्होंने हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) को सोने की परत से सजवाया।
  • कश्मीर पर अधिकार (1819): उन्होंने कश्मीर को अफगानों से छीनकर सिख साम्राज्य में मिला लिया।
  • पेशावर पर कब्जा (1834): उन्होंने पेशावर पर अधिकार कर लिया।

2. महाराजा खड़क सिंह (1839-1840)

➤ शासनकाल: 1839-1840

  • रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र खड़क सिंह गद्दी पर बैठे, लेकिन वे कमजोर शासक थे।
  • उनके शासनकाल में दरबार में षड्यंत्र शुरू हो गए और सिख साम्राज्य कमजोर होने लगा।

3. महाराजा नौनिहाल सिंह (1840)

➤ शासनकाल: 1840 (कुछ महीनों के लिए)

  • खड़क सिंह की मृत्यु के बाद उनका पुत्र नौनिहाल सिंह राजा बना, लेकिन कुछ महीनों बाद ही संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।

4. महाराजा चंद्रकांता (1840-1841) और शेर सिंह (1841-1843)

  • इस समय सिख साम्राज्य कमजोर पड़ने लगा और कई गुटों में बंट गया।
  • शेर सिंह ने सत्ता संभालने के बाद इसे स्थिर करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें भी षड्यंत्र में मार दिया गया।

5. महाराजा दलीप सिंह (1843-1849)

➤ शासनकाल: 1843-1849

  • रणजीत सिंह के सबसे छोटे पुत्र दलीप सिंह अंतिम सिख सम्राट बने।
  • वे मात्र 5 साल के थे, इसलिए उनकी माँ रानी जिंद कौर ने राज्य का कार्यभार संभाला।
  • इस दौरान अंग्रेजों से सिख युद्ध (1845-1849) हुए और अंततः 1849 में अंग्रेजों ने पंजाब पर कब्जा कर लिया

सिख साम्राज्य के विशेष युद्ध

1. अफगानों से युद्ध (1813-1834)

  • महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानों से कश्मीर और पेशावर छीनकर सिख साम्राज्य में मिला लिया।

2. एंग्लो-सिख युद्ध (1845-1849)

  • पहला एंग्लो-सिख युद्ध (1845-1846):
    • सिख सेना और अंग्रेजों के बीच लड़ा गया।
    • सिखों की हार हुई, और अंग्रेजों ने सिखों पर कई संधियाँ थोपीं।
  • दूसरा एंग्लो-सिख युद्ध (1848-1849):
    • इस युद्ध में भी सिख हार गए और अंग्रेजों ने पंजाब पर पूर्ण कब्जा कर लिया

सिख साम्राज्य की स्थापत्य कला और विशेष शहर

  • स्वर्ण मंदिर (अमृतसर): महाराजा रणजीत सिंह ने इसे स्वर्ण जड़ित करवाया।
  • लाहौर का किला: इसे भव्य तरीके से बनवाया गया और इसमें कई महल जोड़े गए।
  • रामबाग महल: रणजीत सिंह ने इसे अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में बनवाया।
  • गोबिंदगढ़ किला: इसे सिख सेना की सुरक्षा के लिए मजबूत किया गया।

सिख साम्राज्य में लिखी गई पुस्तकें और साहित्य

  • “ज़फ़रनामा” (गुरु गोबिंद सिंह द्वारा लिखा गया पत्र)
  • “सिख इतिहास” (रतन सिंह भंगू द्वारा लिखित)
  • “पंजाब की लड़ाइयाँ” (ए.सी. बनर्जी द्वारा लिखित)

विशेष व्यक्ति

  1. हरि सिंह नलवा: सिख सेना के वीर सेनापति, जिन्होंने अफगानों के खिलाफ कई युद्ध लड़े।
  2. रानी जिंद कौर: दलीप सिंह की माँ, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया।
  3. दीवान मोहकम चंद: रणजीत सिंह के मुख्य सलाहकार और रणनीतिकार।

निष्कर्ष

सिख साम्राज्य रणजीत सिंह के नेतृत्व में अपने चरम पर था, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद यह कमजोर होता चला गया। 1849 में अंग्रेजों ने इसे हरा दिया और पंजाब को ब्रिटिश भारत में मिला लिया। फिर भी, सिखों की वीरता और रणजीत सिंह के शासन की प्रशंसा इतिहास में की जाती है।

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