षड्दर्शन (भारतीय दर्शन के छह प्रमुख स्कूल)
परिचय
भारतीय दर्शन में षड्दर्शन (छह दर्शनों) का महत्वपूर्ण स्थान है। ये वेदों पर आधारित छह प्रमुख दार्शनिक प्रणालियाँ हैं, जो आध्यात्मिक, तर्कशास्त्र, नैतिकता, और ब्रह्मांड की उत्पत्ति पर अपने-अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं। ये दर्शन मुख्य रूप से सत्य, आत्मा, ब्रह्म, मोक्ष और जीवन के उद्देश्यों की व्याख्या करते हैं।
षड्दर्शन के नाम और उनके प्रवर्तक
- न्याय दर्शन – महर्षि गौतम
- वैशेषिक दर्शन – महर्षि कणाद
- सांख्य दर्शन – महर्षि कपिल
- योग दर्शन – महर्षि पतंजलि
- पूर्व मीमांसा (मीमांसा दर्शन) – महर्षि जैमिनि
- उत्तर मीमांसा (वेदांत दर्शन) – महर्षि बादरायण (व्यास)
1. न्याय दर्शन (तर्क और प्रमाण पर आधारित)
- प्रवर्तक – महर्षि गौतम
- मुख्य सिद्धांत – ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रमाण (साक्ष्य) आवश्यक हैं।
- प्रमाण के चार प्रकार – प्रत्यक्ष (इंद्रियों से ज्ञान), अनुमान (तर्क से ज्ञान), उपमान (समानता से ज्ञान), शब्द (वेदों की गवाही से ज्ञान)।
- सत्य की खोज – सत्य को तर्क, अनुभव और शास्त्रों के आधार पर जाना जाता है।
- महत्व – भारतीय न्यायशास्त्र और तर्कशास्त्र का आधार बना।
सामान्य ज्ञान
- न्याय दर्शन तर्क (लॉजिक) पर आधारित दर्शन है।
- यह भारतीय न्याय प्रणाली और वैज्ञानिक पद्धति का आधार बना।
- इसे भारतीय लॉजिक का जनक कहा जाता है।
2. वैशेषिक दर्शन (भौतिक जगत और परमाणु सिद्धांत)
- प्रवर्तक – महर्षि कणाद
- मुख्य सिद्धांत – सृष्टि पंचभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) और परमाणुओं से बनी है।
- परमाणु सिद्धांत – यह भारतीय दर्शन का पहला “एटॉमिक थ्योरी” है, जिसमें बताया गया है कि संपूर्ण ब्रह्मांड अनादि (शाश्वत) परमाणुओं से बना है।
- नौ पदार्थ (द्रव्य) – द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय, अभाव, संख्या, और प्रयास।
- महत्व – भौतिक विज्ञान और पदार्थ विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सामान्य ज्ञान
- वैशेषिक दर्शन को प्राचीन भारत का भौतिकवाद कहा जाता है।
- यह परमाणु सिद्धांत को प्रस्तुत करने वाला पहला भारतीय दर्शन है।
- यह “सांख्य दर्शन” के समान भौतिक जगत को व्याख्यायित करता है, लेकिन इसमें ईश्वर का स्थान भी है।
3. सांख्य दर्शन (प्रकृति और पुरुष का द्वैतवाद)
- प्रवर्तक – महर्षि कपिल
- मुख्य सिद्धांत – जगत दो तत्वों से बना है – प्रकृति (भौतिक तत्व) और पुरुष (चेतन तत्व)।
- तत्वों की संख्या – 25 तत्व (प्रकृति, महत, अहंकार, पंच महाभूत, पंच तन्मात्रा, पंच ज्ञानेन्द्रियाँ, पंच कर्मेन्द्रियाँ, मन और पुरुष)।
- मोक्ष का मार्ग – प्रकृति और पुरुष का भेद जानना ही मोक्ष है।
- ईश्वर का स्थान – सांख्य दर्शन ईश्वर को स्वीकार नहीं करता।
सामान्य ज्ञान
- यह भारत का सबसे प्राचीन दार्शनिक दर्शन है।
- योग दर्शन इसी से प्रभावित है।
- यह विज्ञान और दार्शनिक चिंतन का आधार माना जाता है।
4. योग दर्शन (आत्मसंयम और ध्यान पर आधारित)
- प्रवर्तक – महर्षि पतंजलि
- मुख्य सिद्धांत – योग के माध्यम से आत्मा और ब्रह्म का मिलन संभव है।
- अष्टांग योग – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि।
- मोक्ष का मार्ग – ध्यान और समाधि के द्वारा आत्मा की शुद्धि।
- महत्व – यह भारत की योग पद्धति और आत्मसंयम का आधार बना।
सामान्य ज्ञान
- योग दर्शन का मुख्य ग्रंथ योगसूत्र है।
- यह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) का आधार है।
- पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है।
5. पूर्व मीमांसा (मीमांसा दर्शन) (कर्मकांड प्रधान)
- प्रवर्तक – महर्षि जैमिनि
- मुख्य सिद्धांत – यज्ञ और कर्मकांड ही मोक्ष प्राप्ति के साधन हैं।
- वेद अपौरुषेय हैं – अर्थात वेदों को किसी मानव ने नहीं लिखा, वे ईश्वर की वाणी हैं।
- कर्म का महत्व – यह कर्मफल पर विश्वास करता है और कहता है कि यज्ञ और अनुष्ठान से मोक्ष मिलता है।
सामान्य ज्ञान
- इसे वैदिक कर्मकांड का दर्शन कहा जाता है।
- यह वेदों की अनिवार्यता पर बल देता है।
- यह मंदिरों और अनुष्ठानों की परंपरा का आधार बना।
6. उत्तर मीमांसा (वेदांत दर्शन) (ज्ञान और भक्ति प्रधान)
- प्रवर्तक – महर्षि बादरायण (व्यास)
- मुख्य सिद्धांत – आत्मा और ब्रह्म एक हैं।
- ब्रह्मसूत्र – इसका मुख्य ग्रंथ है, जो अद्वैतवाद की व्याख्या करता है।
- मोक्ष का मार्ग – ज्ञान और भक्ति के माध्यम से मोक्ष।
- तीन प्रमुख भेद –
- अद्वैत वेदांत (शंकराचार्य) – आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं।
- विशिष्टाद्वैत वेदांत (रामानुजाचार्य) – आत्मा और ब्रह्म अलग हैं लेकिन जुड़े हुए हैं।
- द्वैत वेदांत (माध्वाचार्य) – आत्मा और ब्रह्म अलग-अलग हैं।
सामान्य ज्ञान
- यह हिंदू धर्म का सबसे प्रभावशाली दर्शन है।
- भगवद गीता और उपनिषद इसी पर आधारित हैं।
- भक्ति आंदोलन इसी से प्रेरित हुआ।
षड्दर्शन से संबंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान
- षड्दर्शन कितने हैं? – 6
- किसे “भारतीय लॉजिक का जनक” कहा जाता है? – न्याय दर्शन।
- कौन-सा दर्शन “परमाणु सिद्धांत” से जुड़ा है? – वैशेषिक दर्शन।
- कौन-सा दर्शन “योग और ध्यान” पर आधारित है? – योग दर्शन।
- सबसे पुराना दर्शन कौन-सा है? – सांख्य दर्शन।
- “यज्ञ और कर्म” को सबसे महत्वपूर्ण कौन मानता है? – पूर्व मीमांसा।
- “अद्वैतवाद” की व्याख्या किस दर्शन में की गई है? – वेदांत दर्शन।
- किस दर्शन में “मोक्ष” को “ज्ञान” से जोड़ा गया है? – वेदांत दर्शन।
- “अष्टांग योग” की अवधारणा किसने दी? – पतंजलि (योग दर्शन)।
निष्कर्ष
षड्दर्शन भारतीय ज्ञान परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये तर्क, विज्ञान, भक्ति, कर्म, ध्यान और ब्रह्मज्ञान के आधारभूत सिद्धांतों को परिभाषित करते हैं।