शिहाबुद्दीन उमर (1316 ई.) दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का एक शासक था, लेकिन उसका शासनकाल बेहद संक्षिप्त और महत्वहीन था। वह अलाउद्दीन खिलजी का पुत्र था और उसके मरने के बाद गद्दी पर बैठा।
शिहाबुद्दीन उमर का दिल्ली की गद्दी पर बैठना
- 1316 ई. में अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु हो गई।
- मलिक काफूर (अलाउद्दीन का प्रमुख सेनापति) ने उसके बेटे शिहाबुद्दीन उमर को गद्दी पर बैठाया।
- लेकिन शिहाबुद्दीन उमर केवल एक नाममात्र का सुल्तान था, असली शक्ति मलिक काफूर के हाथों में थी।
- कुछ महीनों के अंदर खिलजी दरबार में षड्यंत्र हुआ और मलिक काफूर मारा गया।
शासनकाल और साम्राज्य
- शिहाबुद्दीन उमर का शासन बहुत अल्पकालिक (1316 ई.) था।
- उसका साम्राज्य दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों तक ही सीमित रहा।
- वह एक कमजोर शासक था और शासन को संभालने में असफल रहा।
- जल्द ही उसके चचेरे भाई कुतुबुद्दीन मुबारक शाह ने उसे अंधा कर दिया और खुद गद्दी पर बैठ गया।
मुख्य युद्ध और विद्रोह
- चूंकि शिहाबुद्दीन उमर का शासनकाल बहुत संक्षिप्त था, इसलिए उसने कोई महत्वपूर्ण युद्ध नहीं लड़ा।
- उसके समय में दरबार में सत्ता संघर्ष अधिक था।
- अंततः कुतुबुद्दीन मुबारक शाह ने उसे अपदस्थ कर दिया।
शिहाबुद्दीन उमर और स्थापत्य कला
- चूंकि उसका शासनकाल अत्यंत छोटा था, इसलिए उसने कोई महत्वपूर्ण भवन, मस्जिद, या किला नहीं बनवाया।
- उसके पिता अलाउद्दीन खिलजी ने “अलाई दरवाजा” और “सिरी किला” का निर्माण करवाया था, लेकिन शिहाबुद्दीन उमर का इसमें कोई योगदान नहीं था।
साहित्य और पुस्तकें
- उसके शासनकाल में कोई महत्वपूर्ण साहित्यिक कार्य या पुस्तकें नहीं लिखी गईं।
- अमीर खुसरो और जियाउद्दीन बरनी जैसे विद्वान उसके पिता अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में थे, लेकिन शिहाबुद्दीन उमर के समय में कोई उल्लेखनीय साहित्यिक योगदान नहीं हुआ।
शिहाबुद्दीन उमर का अंत
- कुतुबुद्दीन मुबारक शाह ने 1316 ई. में उसे कैद कर लिया और अंधा कर दिया।
- इसके बाद वह पूरी तरह से राजनीति से अलग कर दिया गया और उसका कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं रहा।
निष्कर्ष
- शिहाबुद्दीन उमर केवल एक नाममात्र का शासक था, जिसे मलिक काफूर ने सत्ता में बिठाया था।
- उसने कोई महत्वपूर्ण युद्ध नहीं लड़ा, न ही कोई प्रशासनिक सुधार किए।
- उसका शासन केवल कुछ महीनों तक चला और उसके बाद कुतुबुद्दीन मुबारक शाह ने उसे अपदस्थ कर दिया।
- उसका योगदान न स्थापत्य कला में था, न साहित्य में, न ही युद्धों में।
- अंततः वह गुमनाम हो गया और खिलजी वंश जल्द ही समाप्त हो गया।