शक वंश (शक क्षत्रप वंश) की विस्तृत जानकारी
1. शक वंश की स्थापना
- शक मूलतः मध्य एशिया (साइथियन जाति) के थे, जो 2nd शताब्दी ईसा पूर्व में भारत आए।
- इनकी पहली उपस्थिति गृहयुद्धों और यवन (यूनानी) शासकों की कमजोरी के कारण भारत में हुई।
- शक वंश की स्थापना महाराष्ट्र, गुजरात, मालवा और सिंध क्षेत्र में हुई।
- शक शासन मुख्यतः पश्चिमी भारत (गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, सिंध और पंजाब) में फैला।
2. शक वंश के प्रमुख राजा
- मौएस (मोआ/Maues) (90-60 ईसा पूर्व) – पहला शक राजा, जिसने गांधार (पाकिस्तान) में शासन किया।
- अज़ेस प्रथम (Azes I) (60-20 ईसा पूर्व) – शक संवत् (शक कैलेंडर) की स्थापना की।
- नहपान (Nahapana) (119-124 ई.) – महाराष्ट्र और पश्चिमी भारत में प्रभावी शासन।
- चष्टन (Chastana) (130-150 ई.) – उज्जयिनी (मध्य प्रदेश) को अपनी राजधानी बनाया।
- रुद्रदामन प्रथम (Rudradaman I) (130-150 ई.) – सबसे शक्तिशाली शक राजा, जिसने संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया।
- रुद्रसिंह प्रथम (Rudrasimha I) (175-188 ई.) – उज्जैन में शासन किया।
- रुद्रसिंह तृतीय (Rudrasimha III) (388-395 ई.) – अंतिम शक शासक, जिसे चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) ने हराया।
3. शक वंश का पतन
- चंद्रगुप्त विक्रमादित्य (गुप्त वंश) ने 388-409 ई. में शकों को पराजित किया।
- उज्जैन पर कब्ज़ा कर लिया और शक साम्राज्य समाप्त हो गया।
- इसके बाद शक शासक स्वतंत्र शक्ति के रूप में नहीं रहे।
4. शक वंश के प्रमुख युद्ध
- शक-यूनानी संघर्ष (90-60 ईसा पूर्व) – मौएस ने ग्रीक शासन को समाप्त कर भारत में शक साम्राज्य स्थापित किया।
- शक-सातवाहन युद्ध (119-124 ई.) – सातवाहन राजा गौतमीपुत्र शातकर्णी ने शक राजा नहपान को हराया।
- शक-गुप्त युद्ध (388-409 ई.) – चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने शक राजा रुद्रसिंह तृतीय को हराकर पश्चिम भारत से शकों का अंत किया।
5. शक वंश के प्रमुख राजा और उनकी उपलब्धियाँ
(A) रुद्रदामन प्रथम (130-150 ई.)
- पश्चिमी क्षत्रपों का सबसे शक्तिशाली राजा।
- संस्कृत भाषा को राजभाषा बनाया।
- गिरनार शिलालेख (गुजरात) में उसके शासन का उल्लेख है।
- सुदर्शन झील (गिरनार, गुजरात) का पुनर्निर्माण कराया।
(B) नहपान (119-124 ई.)
- महाराष्ट्र, गुजरात और मालवा पर शासन किया।
- सातवाहन राजा गौतमीपुत्र शातकर्णी से पराजित हुआ।
(C) अज़ेस प्रथम (60-20 ईसा पूर्व)
- शक संवत् (शक कैलेंडर) की शुरुआत की, जो आज भी भारत में उपयोग होता है।
6. शक वंश के प्रमुख मंदिर और स्थापत्य कला
- सुदर्शन झील (गिरनार, गुजरात) – रुद्रदामन प्रथम द्वारा पुनर्निर्माण।
- बुद्ध गुफाएँ (महाराष्ट्र) – अजंता और एलोरा गुफाओं के निर्माण में योगदान।
- गिरनार का जैन मंदिर (गुजरात) – शक शासकों के संरक्षण में बना।
- उज्जैन के मंदिर – शक शासकों के समय कई हिन्दू मंदिर बने।
7. प्रसिद्ध स्थल
- गिरनार (गुजरात) – शक राजा रुद्रदामन प्रथम का शासन केंद्र।
- उज्जयिनी (मध्य प्रदेश) – शक शासन की प्रमुख राजधानी।
- काठियावाड़ (गुजरात) – पश्चिमी क्षत्रपों का प्रमुख केंद्र।
- मालवा और महाराष्ट्र – शक संस्कृति और प्रशासन का केंद्र।
8. शक वंश में लिखे गए प्रमुख ग्रंथ और साहित्य
- शक काल में संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया गया।
- रुद्रदामन प्रथम ने संस्कृत में पहला शिलालेख (गिरनार शिलालेख) खुदवाया।
- बौद्ध और जैन ग्रंथों का संरक्षण किया गया।
प्रसिद्ध ग्रंथ:
- गिरनार शिलालेख (रुद्रदामन प्रथम) – पहला संस्कृत शिलालेख।
- संस्कृत व्याकरण ग्रंथ – शक शासकों ने संरक्षण दिया।
- बौद्ध त्रिपिटक – शक शासकों के संरक्षण में लिपिबद्ध हुआ।
9. प्रसिद्ध लेखक और विद्वान
- पाणिनि – शक शासनकाल में संस्कृत व्याकरण का विकास।
- अश्वघोष – बौद्ध ग्रंथों के रचयिता।
- चरक – चिकित्सा ग्रंथ “चरक संहिता” की रचना।
- पतंजलि – योगसूत्रों के लेखक।
10. शक वंश से जुड़े प्रमुख व्यक्ति
- रुद्रदामन प्रथम – सबसे शक्तिशाली शक राजा।
- नहपान – महाराष्ट्र और गुजरात में शासन।
- गौतमीपुत्र शातकर्णी (सातवाहन राजा) – शक वंश के विरुद्ध युद्ध किया।
- चंद्रगुप्त विक्रमादित्य (गुप्त वंश) – जिसने शक वंश का अंत किया।
- अश्वघोष – बौद्ध धर्म के प्रचारक और लेखक।
निष्कर्ष
शक वंश भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण विदेशी राजवंश था, जिसने पश्चिमी भारत पर शासन किया और भारतीय संस्कृति में घुल-मिल गया। इन्होंने संस्कृत भाषा, मंदिर निर्माण और प्रशासनिक सुधारों में योगदान दिया। परंतु सातवाहन और गुप्त शासकों द्वारा पराजित होने के बाद इनका पतन हो गया। इनका सबसे बड़ा योगदान “शक संवत् (78 ई.)” है, जो आज भी भारतीय कैलेंडर के रूप में उपयोग होता है।