रायसेन जिला

रायसेन जिले में स्थित प्रमुख विश्वविद्यालय:

1. सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय (Sanchi University of Buddhist-Indic Studies)

  • स्थापना वर्ष: 2012
  • स्थान: सांची, रायसेन जिला, मध्य प्रदेश
  • संस्थापक: मध्य प्रदेश सरकार
  • प्रमुख उद्देश्य: बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान परंपरा, धर्म, दर्शन, कला, संस्कृति और योग के अध्ययन व अनुसंधान को बढ़ावा देना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • यह विश्वविद्यालय बौद्ध अध्ययन, भारतीय ज्ञान प्रणाली, योग, संस्कृत, पाली, प्राकृत, दर्शन, कला एवं संस्कृति जैसे विषयों पर विशेष ध्यान देता है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बौद्ध धर्म और भारतीय संस्कृति के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध।
  • कई देशों के छात्र यहाँ अध्ययन करते हैं।
  • विश्वविद्यालय का परिसर प्राकृतिक और स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है।

अन्य संबंधित संस्थान:

हालाँकि रायसेन जिले में कोई अन्य बड़ा विश्वविद्यालय नहीं है, लेकिन सांची के बौद्ध अध्ययन केंद्र और भोपाल के पास स्थित विश्वविद्यालयों का इस जिले से शैक्षिक संबंध है।

रायसेन जिले में कई प्रमुख मंदिर स्थित हैं, जो धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। यहाँ कुछ प्रमुख मंदिरों की जानकारी दी गई है:

1. भोजपुर शिव मंदिर (भोजेश्वर महादेव मंदिर)

  • स्थान: भोजपुर, रायसेन जिला
  • विशेषता: इस मंदिर में भगवान शिव का विशालकाय शिवलिंग है, जिसे अधूरा लेकिन भव्य निर्माण माना जाता है। इसे “उत्तर भारत का सोमनाथ” भी कहा जाता है।
  • निर्माण: परमार राजा भोज (11वीं शताब्दी) द्वारा करवाया गया था।
  • मुख्य आकर्षण: यह मंदिर अपनी वास्तुकला और विशाल शिवलिंग (लगभग 18 फीट ऊँचा) के लिए प्रसिद्ध है।

2. साँची के बौद्ध स्तूप (महाबोधि मंदिर परिसर)

  • स्थान: साँची, रायसेन जिला
  • विशेषता: साँची का स्तूप एक विश्व धरोहर स्थल है, जो बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र है।
  • निर्माण: सम्राट अशोक (3वीं शताब्दी ईसा पूर्व) द्वारा बनवाया गया था।
  • मुख्य आकर्षण: बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह स्थल बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ अनेक छोटे-बड़े स्तूप और मंदिर स्थित हैं।

3. रायसेन किला और शिव मंदिर

  • स्थान: रायसेन शहर
  • विशेषता: रायसेन किले में स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
  • निर्माण: इस किले और मंदिर का निर्माण परमार शासकों ने करवाया था, बाद में यह गोंड और मुगलों के अधीन भी रहा।
  • मुख्य आकर्षण: महाशिवरात्रि पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

4. हिनौतीया हनुमान मंदिर

  • स्थान: हिनौतीया गाँव, रायसेन जिला
  • विशेषता: यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है और यहाँ भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है।
  • मुख्य आकर्षण: विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को यहाँ भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

5. सोमेश्वर महादेव मंदिर

  • स्थान: गैरतगंज, रायसेन जिला
  • विशेषता: यह भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है।
  • मुख्य आकर्षण: यहाँ की धार्मिक मान्यता बहुत गहरी है और स्थानीय लोग इसे बहुत पवित्र मानते हैं।

6. सतधारा बौद्ध स्तूप

  • स्थान: साँची के पास, रायसेन जिला
  • विशेषता: यह एक महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल है, जिसमें कई छोटे स्तूप और बौद्ध मंदिर स्थित हैं।
  • मुख्य आकर्षण: यह स्थान प्राचीन बौद्ध स्थापत्य कला और इतिहास को दर्शाता है।

7. बेगमगंज का श्रीराम मंदिर

  • स्थान: बेगमगंज, रायसेन जिला
  • विशेषता: यह भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को समर्पित एक महत्वपूर्ण मंदिर है।
  • मुख्य आकर्षण: रामनवमी और अन्य हिंदू त्योहारों पर यहाँ विशेष आयोजन किए जाते हैं।

8. ऊदयपुर शिव मंदिर

  • स्थान: ऊदयपुर, रायसेन जिला
  • विशेषता: यह प्राचीन शिव मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है।
  • मुख्य आकर्षण: यहाँ का वातावरण शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक है।

9. धामोनी देवी मंदिर

  • स्थान: धामोनी गाँव, रायसेन जिला
  • विशेषता: यह देवी दुर्गा को समर्पित मंदिर है और नवरात्रि में विशेष आयोजन होते हैं।
  • मुख्य आकर्षण: नवरात्रि के समय यहाँ भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

रायसेन जिले में ये मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कई स्थल भारतीय संस्कृति और वास्तुकला की महान धरोहर हैं।

रायसेन जिले की वास्तुकला

रायसेन जिला मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध है। यहाँ प्राचीन मंदिरों, किलों, स्तूपों और महलों की अद्भुत वास्तुकला देखने को मिलती है। इस जिले की वास्तुकला में हिन्दू, बौद्ध और इस्लामी स्थापत्य शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है।


1. भोजपुर शिव मंदिर (भोजेश्वर महादेव मंदिर)

  • स्थापत्य शैली: परमार कालीन नागर शैली
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • यह मंदिर अधूरा है, लेकिन इसकी भव्यता इसे खास बनाती है।
    • यहाँ स्थित विशालकाय शिवलिंग (18 फीट ऊँचा) भारत के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है।
    • मंदिर की दीवारें और छत पत्थर की विशाल शिलाओं से बनी हैं, जो उत्कृष्ट कारीगरी दर्शाती हैं।
    • दीवारों पर उकेरी गई नक्काशी और मूर्तिकला परमार शासकों की कला प्रेमी प्रवृत्ति को दर्शाती है।

2. साँची के बौद्ध स्तूप

  • स्थापत्य शैली: मौर्य और शुंगकालीन बौद्ध स्थापत्य
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • यह यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
    • सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में इस स्तूप का निर्माण करवाया था।
    • इस स्तूप का अर्धगोलाकार गुम्बद और चारों दिशाओं में बने द्वार (तोरण) अद्भुत कला के उदाहरण हैं।
    • स्तूप के चारों ओर खुदाई गई जैविक और धार्मिक कहानियाँ बुद्धकालीन कला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं।

3. रायसेन किला

  • स्थापत्य शैली: हिन्दू-मुगल मिश्रित स्थापत्य
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • यह किला एक पहाड़ी पर स्थित है और इसे 11वीं शताब्दी में परमार राजाओं ने बनवाया था।
    • बाद में इसे सल्तनत और मुगल शासकों ने अपने शासनकाल में पुनर्निर्मित किया।
    • यहाँ स्थित मंदिर, महल, जलाशय और किलेबंदी की दीवारें प्राचीन भारतीय और इस्लामी स्थापत्य का सुंदर मिश्रण हैं।
    • किले में मस्जिद और शिव मंदिर दोनों स्थित हैं, जो धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है।

4. सतधारा बौद्ध स्तूप

  • स्थापत्य शैली: बौद्ध स्थापत्य
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • साँची के पास स्थित यह स्थान बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ है।
    • यहाँ कई छोटे स्तूप मौजूद हैं, जिनकी संरचना साँची स्तूप के समान है।
    • स्तूपों के चारों ओर बनी रेलिंग और द्वारों की नक्काशी भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाती है।

5. ऊदयपुर शिव मंदिर

  • स्थापत्य शैली: परमार कालीन नागर शैली
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी भव्यता मंदिर की स्थापत्य कला में दिखाई देती है।
    • मंदिर में उकेरी गई मूर्तियाँ और नक्काशीदार स्तंभ मध्यकालीन भारतीय मूर्तिकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

6. धामोनी का किला और मंदिर

  • स्थापत्य शैली: हिन्दू और इस्लामी स्थापत्य का मिश्रण
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • यह किला गोंड और मुगल कालीन स्थापत्य का सुंदर मिश्रण प्रस्तुत करता है।
    • यहाँ स्थित देवी मंदिर और किले की संरचना मध्यकालीन किलों की विशेषताओं को दर्शाती है।

रायसेन जिले की स्थापत्य कला का महत्व:

  1. धार्मिक स्थापत्य कला:
    • भोजपुर शिव मंदिर, साँची स्तूप, ऊदयपुर शिव मंदिर, और सतधारा स्तूप जैसे धार्मिक स्थलों की वास्तुकला भारतीय संस्कृति और धर्म के गहरे प्रभाव को दर्शाती है।
  2. किलों की स्थापत्य कला:
    • रायसेन किला और धामोनी किला, जिनकी दीवारें, बुर्ज और गुप्त सुरंगें मध्यकालीन सैन्य स्थापत्य की उत्कृष्टता को दर्शाते हैं।
  3. मूर्तिकला और नक्काशी:
    • भोजपुर मंदिर और साँची स्तूप में उत्कृष्ट मूर्तिकला और नक्काशी देखने को मिलती है, जो तत्कालीन समाज, धर्म और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है।
  4. बौद्ध स्थापत्य:
    • साँची और सतधारा स्तूपों की संरचना भारत की प्राचीन बौद्ध स्थापत्य कला को दर्शाती है।
  5. जल संरचनाएँ:
    • रायसेन किले और अन्य स्थानों पर जलाशयों और कुओं का निर्माण प्राचीन जल प्रबंधन प्रणाली की श्रेष्ठता को दर्शाता है।

रायसेन जिले से जुड़े वन्य क्षेत्र, राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य और पर्यावरणीय पहल

रायसेन जिला मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ समृद्ध वनस्पति, जैव विविधता और संरक्षित वन्यजीव स्थल मौजूद हैं। यह क्षेत्र विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों से जुड़ा हुआ है, जिससे यहाँ का पर्यावरणीय परिदृश्य विविध और समृद्ध है।


1. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura Tiger Reserve)

  • स्थिति: सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला, होशंगाबाद, बैतूल, रायसेन जिलों में विस्तृत
  • विशेषता:
    • यह मध्य प्रदेश का सबसे पुराना टाइगर रिजर्व (1977 में घोषित) है।
    • इसमें सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, पचमढ़ी अभयारण्य और बोरी अभयारण्य शामिल हैं।
    • यह क्षेत्र बाघों (Tiger), तेंदुओं (Leopard), गौर (Indian Bison), भालू, और अन्य वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है।
    • यहाँ पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सफारी और ट्रैकिंग की सुविधा उपलब्ध है।
  • रायसेन कनेक्शन:
    • सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का एक भाग रायसेन जिले तक विस्तृत है, खासकर बORI अभयारण्य।

2. बोरी अभयारण्य (Bori Wildlife Sanctuary)

  • स्थिति: रायसेन और होशंगाबाद जिलों में फैला हुआ
  • विशेषता:
    • यह मध्य प्रदेश के सबसे पुराने अभयारण्यों में से एक है।
    • यह अभयारण्य सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का हिस्सा है।
    • यहाँ बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली भैंसे और कई प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं।
    • बोरी नदी के तट पर बसे इस अभयारण्य में घने जंगल और समृद्ध वनस्पति हैं।

3. राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (National Chambal Sanctuary) [आंशिक रूप से जुड़े क्षेत्र]

  • स्थिति: मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा पर
  • विशेषता:
    • यह गंगा नदी डॉल्फिन, घड़ियाल और कछुओं के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है।
    • रायसेन जिले के कुछ भाग इस अभयारण्य के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं।
    • यहाँ दुर्लभ पक्षी प्रजातियाँ जैसे भारतीय स्कीमर और सारस क्रेन पाई जाती हैं।

4. साँची वन क्षेत्र और हरित पहल

  • साँची के आसपास के जंगल और जैवविविधता संरक्षण:
    • साँची बौद्ध स्तूप क्षेत्र के आसपास हरित क्षेत्र बनाए रखने के लिए विभिन्न पर्यावरणीय पहल चलाई गई हैं।
    • यहाँ कई औषधीय और स्थानीय वृक्ष प्रजातियाँ संरक्षित की जा रही हैं।

5. रायसेन जिले के प्रमुख वन क्षेत्र और पर्यावरणीय महत्व

  1. रायसेन के जंगल
    • यहाँ साल, सागौन, बांस और अन्य वृक्षों की समृद्ध वनस्पति पाई जाती है।
    • जंगलों में स्थानीय आदिवासी समुदाय अपनी पारंपरिक आजीविका के लिए वन संसाधनों पर निर्भर रहते हैं।
  2. पर्यावरण संरक्षण प्रयास:
    • वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण और वन्यजीव संरक्षण के कई अभियान चलाए जाते हैं।
    • समुदाय आधारित वानिकी योजनाएँ चलाई जा रही हैं।

अन्य पर्यावरणीय पहल और संरक्षण कार्यक्रम

  1. पानी बचाओ अभियान:
    • जिले में जल संरक्षण के लिए चेक डैम, स्टेप वेल (बावड़ी), और वाटरशेड मैनेजमेंट कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
  2. बांस और सागौन वनीकरण परियोजना:
    • जिले में बांस और सागौन के वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे स्थानीय इको-सिस्टम को मजबूत किया जा सके।
  3. जैवविविधता संरक्षण केंद्र:
    • स्थानीय स्तर पर वन्यजीवों और वृक्षों की जैवविविधता को संरक्षित करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं।

निष्कर्ष:

रायसेन जिला प्राकृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र है, जहाँ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और बोरी अभयारण्य प्रमुख वन्यजीव संरक्षण स्थल हैं। यहाँ के जंगलों और हरित क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए कई सरकारी और गैर-सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं। इन उपायों से यह क्षेत्र वन्यजीव पर्यटन और पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण बनता जा रहा है।

रायसेन जिले से जुड़े प्रमुख साहित्यकारों और उनके साहित्य की जानकारी नीचे दी गई है:


1. हरिशंकर परसाई

  • साहित्य:
    • रानी नागफनी की कहानी
    • विकलांग श्रद्धा का दौर
    • तट की खोज
    • प्रेमचंद के फटे जूते
    • पगडंडियों का जमाना
  • विशेष बातें:
    • व्यंग्य साहित्य के महान लेखक माने जाते हैं।
    • भारतीय समाज, राजनीति और भ्रष्टाचार पर तीखे व्यंग्य लिखे।
    • हिंदी व्यंग्य को साहित्य में एक महत्वपूर्ण विधा के रूप में स्थापित किया।
  • पुरस्कार:
    • साहित्य अकादमी पुरस्कार (1982)

2. पद्मश्री कैलाशचंद्र पंत

  • साहित्य:
    • राष्ट्रीय आंदोलन और मध्यप्रदेश
    • रायसेन का इतिहास
    • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मध्यप्रदेश का योगदान
  • विशेष बातें:
    • इतिहास और सामाजिक विषयों पर लेखन किया।
    • मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम पर महत्वपूर्ण शोध किया।
  • पुरस्कार:
    • पद्मश्री पुरस्कार (1991)

3. भगवत रावत

  • साहित्य:
    • अपना ही देश
    • किस्सा जनतंत्र का
    • सुनो हिरामन
  • विशेष बातें:
    • प्रसिद्ध कवि, जिनकी कविताएँ जन-जीवन और सामाजिक यथार्थ को दर्शाती हैं।
    • हिंदी साहित्य के आधुनिक युग में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
  • पुरस्कार:
    • मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान
    • मध्य प्रदेश शिखर सम्मान

4. डॉ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

  • साहित्य:
    • हिल्लोल
    • जीवन के गान
    • मिट्टी की बारात
  • विशेष बातें:
    • राष्ट्रवादी और प्रेरणादायक कविताओं के लिए प्रसिद्ध।
    • हिंदी काव्य में महत्वपूर्ण योगदान।
  • पुरस्कार:
    • पद्मभूषण
    • साहित्य अकादमी पुरस्कार

5. रघुवीर सहाय

  • साहित्य:
    • हँसो हँसो जल्दी हँसो
    • सीढ़ियों पर धूप में
    • लोग भूल गए हैं
  • विशेष बातें:
    • हिंदी साहित्य में नई कविता आंदोलन के महत्वपूर्ण कवि।
    • समाज और राजनीति पर तीखी टिप्पणियाँ कीं।
  • पुरस्कार:
    • साहित्य अकादमी पुरस्कार

6. माखनलाल चतुर्वेदी

  • साहित्य:
    • हिम किरीटिनी
    • ममता
    • पुष्प की अभिलाषा (प्रसिद्ध कविता)
  • विशेष बातें:
    • स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राष्ट्रवादी कवि।
    • उनकी कविताएँ प्रेम, देशभक्ति और आदर्शवाद से भरी होती थीं।
  • पुरस्कार:
    • साहित्य अकादमी पुरस्कार
    • पद्मभूषण पुरस्कार

निष्कर्ष

रायसेन जिले से जुड़े साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य, इतिहास और कविता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें हरिशंकर परसाई का व्यंग्य साहित्य, भगवत रावत की जनवादी कविताएँ, और माखनलाल चतुर्वेदी की राष्ट्रवादी कविताएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन लेखकों ने अपने समय में समाज और राजनीति को गहराई से प्रभावित किया और कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए।

रायसेन जिले के विशेष उद्योग और प्रमुख औद्योगिक केंद्र

रायसेन जिला कृषि और वन आधारित उद्योगों के लिए जाना जाता है। यहाँ मुख्य रूप से खाद्य प्रसंस्करण, औषधीय उत्पाद, और सीमेंट उद्योग का विकास हुआ है। औद्योगीकरण के लिहाज से यह जिला भोपाल और विदिशा जैसे औद्योगिक शहरों के करीब होने के कारण धीरे-धीरे विकसित हो रहा है।


1. मण्डीदीप औद्योगिक क्षेत्र (Mandideep Industrial Area)

  • स्थिति: रायसेन जिले में स्थित, भोपाल से करीब 23 किमी दूर
  • महत्व:
    • यह मध्य प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में से एक है।
    • यहाँ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ कार्यरत हैं।
  • प्रमुख उद्योग:
    • ऑटोमोबाइल और मशीनरी (Eicher Motors, Volvo Eicher)
    • फार्मास्युटिकल (Syncom, Lupin, Glenmark)
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और इंजीनियरिंग (HEG – Hindustan Electro Graphite)
    • खाद्य प्रसंस्करण (ITC, Parle, Agrawal Papad)
    • सीमेंट और निर्माण सामग्री

2. औबेदुल्लागंज औद्योगिक क्षेत्र

  • स्थिति: रायसेन जिले के दक्षिणी भाग में स्थित
  • महत्व:
    • मुख्य रूप से लघु और मध्यम उद्योगों का केंद्र।
  • प्रमुख उद्योग:
    • लकड़ी और फर्नीचर निर्माण
    • कृषि उपकरण निर्माण
    • खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ

3. सिलवानी और बेगमगंज के कृषि आधारित उद्योग

  • महत्व:
    • ये क्षेत्र कृषि उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं, विशेष रूप से गेहूँ, चना और मसाले।
  • प्रमुख उद्योग:
    • दलहन और अनाज प्रसंस्करण इकाइयाँ
    • तेल मिल और आटा मिल
    • मसाला प्रसंस्करण

4. औषधीय और हर्बल उत्पाद उद्योग

  • प्रमुख क्षेत्र: रायसेन और औबेदुल्लागंज के जंगल
  • महत्व:
    • रायसेन जिले के वन क्षेत्र में औषधीय पौधों की भरपूर उपलब्धता है।
    • यहाँ जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों से संबंधित लघु उद्योग विकसित हो रहे हैं।
  • प्रमुख उत्पाद:
    • आँवला, गिलोय, अश्वगंधा, सतावर, तुलसी, महुआ आदि से निर्मित उत्पाद

5. सीमेंट उद्योग

  • प्रमुख क्षेत्र: रायसेन और मण्डीदीप के आसपास
  • महत्व:
    • यहाँ चूना पत्थर (Limestone) प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जो सीमेंट निर्माण के लिए आवश्यक होता है।
  • प्रमुख कंपनियाँ:
    • जे.के. लक्ष्मी सीमेंट
    • अल्ट्राटेक सीमेंट (संभावित निवेश)

6. वन उत्पाद और लकड़ी उद्योग

  • प्रमुख क्षेत्र: औबेदुल्लागंज, भोजपुर, बाड़ी
  • महत्व:
    • यह क्षेत्र सागौन और अन्य उपयोगी लकड़ी के लिए प्रसिद्ध है।
    • यहाँ लकड़ी से बने फर्नीचर और अन्य उत्पादों के कई कुटीर उद्योग हैं।
  • उत्पाद:
    • सागौन फर्नीचर
    • लकड़ी की मूर्तियाँ और सजावटी वस्तुएँ

7. हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग

  • प्रमुख क्षेत्र: रायसेन, सिलवानी, बेगमगंज
  • महत्व:
    • जिले में कुछ पारंपरिक हथकरघा उद्योग हैं, जहाँ हस्तनिर्मित वस्त्र बनाए जाते हैं।
  • प्रसिद्ध उत्पाद:
    • हाथ से बुने हुए कपड़े
    • पारंपरिक कढ़ाई और ब्लॉक प्रिंटिंग

सरकार द्वारा उद्योगों को बढ़ावा देने के प्रयास

  • मध्य प्रदेश सरकार और MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) योजनाओं के तहत कई उद्योगों को सहायता मिल रही है।
  • मण्डीदीप को “ऑटोमोबाइल और फार्मास्युटिकल हब” के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • रायसेन जिले में फूड प्रोसेसिंग और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियाँ बनाई जा रही हैं।

निष्कर्ष

रायसेन जिला अपने कृषि, औद्योगिक और वन-आधारित उत्पादों के लिए महत्वपूर्ण है। मण्डीदीप औद्योगिक क्षेत्र राज्य के सबसे बड़े औद्योगिक केंद्रों में से एक है, जबकि औबेदुल्लागंज, सिलवानी और बेगमगंज जैसे क्षेत्र कृषि और वन उत्पादों पर आधारित लघु उद्योगों के लिए प्रसिद्ध हैं। सरकारी योजनाओं और औद्योगिक विकास परियोजनाओं के चलते रायसेन में भविष्य में और अधिक औद्योगिक विकास की संभावनाएँ हैं।

रायसेन जिले का विशेष उत्पाद (ODOP – One District One Product) और वन उत्पादों की जानकारी

मध्य प्रदेश सरकार ने “एक जिला, एक उत्पाद” (ODOP – One District One Product) योजना के तहत प्रत्येक जिले के एक विशेष उत्पाद को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। इस योजना का उद्देश्य स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँचाना और स्थानीय कारीगरों, किसानों, उद्यमियों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है।


रायसेन जिले का ODOP उत्पाद: “तुअर दाल (अरहर दाल)”

  • मुख्य उत्पाद: तुअर (अरहर) दाल
  • क्यों चुना गया?
    • रायसेन जिले में व्यापक पैमाने पर दलहन उत्पादन होता है, विशेषकर तुअर (अरहर) की खेती।
    • यह क्षेत्र जलवायु और मिट्टी की दृष्टि से दलहन की खेती के लिए उपयुक्त है।
    • यहाँ कई मिलें और प्रसंस्करण इकाइयाँ पहले से कार्यरत हैं, जिससे इसका औद्योगिक स्तर पर उत्पादन संभव है।

विशेषताएँ:

  1. उच्च गुणवत्ता वाली तुअर दाल:
    • यहाँ उत्पादित तुअर दाल में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
    • कम समय में पकने वाली और अच्छी गुणवत्ता की दाल होती है।
  2. किसानों को सीधा लाभ:
    • इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें बाजार उपलब्ध कराया जाएगा।
  3. निर्यात और ब्रांडिंग:
    • इस योजना के तहत रायसेन की तुअर दाल को ब्रांड के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है।
  4. फूड प्रोसेसिंग यूनिट:
    • सरकार इस उत्पाद के लिए स्थानीय स्तर पर फूड प्रोसेसिंग इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित कर रही है।

रायसेन जिले के प्रमुख वन उत्पाद

रायसेन जिला वन क्षेत्र से समृद्ध है, जहाँ कई प्रकार के औषधीय और वन उत्पाद मिलते हैं। राज्य सरकार ने वन उपज को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं, जिससे स्थानीय आदिवासी और ग्रामीण समुदायों को लाभ मिल सके।

मुख्य वन उत्पाद:

  1. महुआ (Mahua)
    • इसका उपयोग पारंपरिक रूप से शराब बनाने, खाद्य तेल और औषधीय उत्पादों में किया जाता है।
  2. चिरौंजी (Chironji)
    • चिरौंजी के बीज से खाद्य तेल निकाला जाता है और यह सूखे मेवों के रूप में उपयोग किया जाता है।
  3. गोंद (Gum – गोंद कतीरा और बबूल गोंद)
    • औद्योगिक और औषधीय उपयोग के लिए संग्रह किया जाता है।
  4. तेजपत्ता (Bay Leaf)
    • मसाले और औषधीय उपयोग में काम आता है।
  5. हरड़ और बहेड़ा (Harad & Baheda)
    • आयुर्वेदिक औषधियों में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख जड़ी-बूटी उत्पाद।
  6. लाह (Lac)
    • लाह उत्पादन में रायसेन जिले का महत्वपूर्ण योगदान है। यह प्राकृतिक रेजिन (Resin) है, जिसका उपयोग पॉलिश, वार्निश और सजावटी वस्तुओं में किया जाता है।
  7. तेंदूपत्ता (Tendu Leaves)
    • बीड़ी बनाने में प्रयुक्त होने वाला प्रमुख उत्पाद।

वन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएँ

  1. मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ:
    • यह संस्था वन उपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन का कार्य करती है।
  2. प्रधानमंत्री वन धन योजना:
    • इस योजना के तहत वन उपज को स्थानीय स्तर पर मूल्य संवर्धन (Value Addition) करके बेचा जाता है।
  3. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की योजनाएँ:
    • किसानों और वन उपज संग्राहकों को अधिक लाभ दिलाने के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा अनुदान और सब्सिडी प्रदान की जाती है।

निष्कर्ष:

रायसेन जिले में तुअर (अरहर) दाल को ODOP उत्पाद के रूप में चुना गया है, जिससे किसानों और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, जिले में महुआ, चिरौंजी, गोंद, तेजपत्ता, हरड़-बहेड़ा, लाह और तेंदूपत्ता जैसे वन उत्पादों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इन उत्पादों को संगठित रूप से बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न योजनाओं और सहायक नीतियों के माध्यम से कार्य कर रही है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

रायसेन जिला, मध्य प्रदेश के मध्य भाग में स्थित, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहाँ की जनसांख्यिकीय और राजनीतिक संरचना के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

जनसंख्या और जनसंख्या घनत्व

  • कुल जनसंख्या (2011 जनगणना): 1,331,597
  • क्षेत्रफल: 8,466 वर्ग किलोमीटर
  • जनसंख्या घनत्व: प्रति वर्ग किलोमीटर लगभग 157 व्यक्ति

(स्रोत: रायसेन जिला आधिकारिक वेबसाइट)

लिंग अनुपात

  • लिंग अनुपात: प्रति 1,000 पुरुषों पर 901 महिलाएँ

(स्रोत: रायसेन जिला आधिकारिक वेबसाइट)

साक्षरता दर

  • साक्षरता दर: 72.98%

(स्रोत: रायसेन जिला आधिकारिक वेबसाइट)

विधानसभा सीटें

रायसेन जिले में कुल चार विधानसभा क्षेत्र हैं:

  1. उदयपुरा
  2. भोजपुर
  3. सांची
  4. सिलवानी

2018 के विधानसभा चुनावों में, इन चार सीटों में से तीन पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की थी, जबकि एक सीट पर कांग्रेस विजयी रही थी।

लोकसभा सीट

रायसेन जिला, विदिशा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में, विदिशा सीट से भाजपा के रमाकांत भार्गव विजयी हुए थे।

मातृ मृत्यु दर

विशिष्ट रूप से रायसेन जिले की मातृ मृत्यु दर के संबंध में सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश राज्य की औसत मातृ मृत्यु दर 173 प्रति 100,000 जीवित जन्म है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। राज्य सरकार मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए निरंतर प्रयासरत है।

नोट: उपरोक्त आंकड़े 2011 की जनगणना और उपलब्ध स्रोतों पर आधारित हैं। हालांकि, नवीनतम आंकड़ों के लिए आधिकारिक स्रोतों की जाँच करने की सलाह दी जाती है।

रायसेन जिले ने विभिन्न क्षेत्रों में कई विशिष्ट व्यक्तित्वों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यहाँ कुछ प्रमुख व्यक्तियों की जानकारी प्रस्तुत है:


1. पद्मश्री कैलाशचंद्र पंत

  • क्षेत्र: इतिहासकार और लेखक
  • योगदान: मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम और इतिहास पर व्यापक शोध एवं लेखन।
  • प्रमुख कृतियाँ:
    • राष्ट्रीय आंदोलन और मध्यप्रदेश
    • रायसेन का इतिहास
    • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मध्यप्रदेश का योगदान
  • पुरस्कार: पद्मश्री (1991)

2. हरिशंकर परसाई

  • क्षेत्र: व्यंग्य लेखक
  • योगदान: हिंदी व्यंग्य साहित्य को एक नई दिशा दी और समाज, राजनीति एवं भ्रष्टाचार पर तीखे व्यंग्य लिखे।
  • प्रमुख कृतियाँ:
    • रानी नागफनी की कहानी
    • विकलांग श्रद्धा का दौर
    • तट की खोज
  • पुरस्कार: साहित्य अकादमी पुरस्कार (1982)

3. भगवत रावत

  • क्षेत्र: कवि
  • योगदान: जनवादी कविताएँ, जो समाज के यथार्थ को प्रतिबिंबित करती हैं।
  • प्रमुख कृतियाँ:
    • अपना ही देश
    • किस्सा जनतंत्र का
    • सुनो हिरामन
  • पुरस्कार:
    • मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान
    • मध्य प्रदेश शिखर सम्मान

नोट: उपरोक्त जानकारी विभिन्न स्रोतों पर आधारित है। यदि आप किसी विशेष व्यक्ति के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया हमें सूचित करें।

रायसेन जिले की प्रमुख नदियाँ और सिंचाई परियोजनाएँ

मुख्य नदियाँ:

  1. बेतवा नदी
    • रायसेन जिले की प्रमुख नदी है।
    • यह यमुना नदी की सहायक नदी है।
    • जिले के कई हिस्सों में जल आपूर्ति और सिंचाई का मुख्य स्रोत है।
  2. हलाली नदी
    • बेतवा नदी की सहायक नदी है।
    • इस नदी पर हलाली बाँध (हलाली जलाशय) स्थित है।
  3. जमनी नदी
    • यह भी बेतवा नदी की एक सहायक नदी है।
    • रायसेन जिले के कुछ भागों में सिंचाई और जल आपूर्ति में सहायक है।
  4. नेवज नदी
    • यह भी रायसेन जिले की एक प्रमुख नदी है।
    • बेतवा नदी की सहायक नदी के रूप में प्रवाहित होती है।

प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ:

  1. बरना बांध परियोजना
    • यह रायसेन जिले की प्रमुख सिंचाई परियोजना है।
    • बरना नदी पर स्थित है, जो नर्मदा नदी की सहायक नदी है।
    • मुख्यतः कृषि भूमि की सिंचाई के लिए उपयोगी है।
  2. हलाली बाँध परियोजना
    • हलाली नदी पर निर्मित है।
    • यह भोपाल और रायसेन जिले की जल आपूर्ति एवं सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।
  3. राजघाट बाँध परियोजना
    • यह बेतवा नदी पर स्थित एक बहुउद्देशीय परियोजना है।
    • मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना के रूप में विकसित की गई है।
  4. केरवा बाँध (आंशिक रूप से रायसेन जिले से संबंधित)
    • भोपाल के नज़दीक स्थित यह बाँध, रायसेन जिले के कुछ हिस्सों में जल आपूर्ति करता है।

निष्कर्ष:

रायसेन जिले की प्रमुख नदियाँ बेतवा, हलाली, जमनी, और नेवज हैं, जिन पर कई सिंचाई और जल आपूर्ति परियोजनाएँ संचालित हैं। बरना बाँध, हलाली बाँध, और राजघाट बाँध जिले की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ हैं, जो कृषि और पेयजल आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

रायसेन जिले की प्रमुख जनजातियाँ

रायसेन जिला, मध्य प्रदेश के मालवा और बुंदेलखंड क्षेत्र के संगम पर स्थित है, जहाँ विभिन्न जनजातीय समूह निवास करते हैं। इन जनजातियों की अपनी विशिष्ट संस्कृति, परंपराएँ, भाषाएँ और सामाजिक संरचना होती है।

1. गोंड जनजाति

  • संख्या एवं क्षेत्र: रायसेन जिले में सबसे अधिक पाई जाने वाली जनजाति है।
  • संस्कृति एवं परंपरा:
    • यह लोग कृषि और वनों पर निर्भर रहते हैं।
    • गोंडी भाषा बोलते हैं।
    • प्रमुख त्योहारों में पोलापाट, दीवाली, होली और करमा नृत्य शामिल हैं।
    • पारंपरिक परिधान में पुरुष धोती और अंगरखा पहनते हैं, जबकि महिलाएँ साड़ी पहनती हैं।
  • विशेषता:
    • गोंड समाज में पंचायत व्यवस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • इनके धार्मिक विश्वासों में प्रकृति पूजा प्रमुख है।

2. कोरकू जनजाति

  • संख्या एवं क्षेत्र: रायसेन के कुछ इलाकों में निवास करती है।
  • संस्कृति एवं परंपरा:
    • यह कृषि एवं वनोपज संग्रह पर निर्भर रहते हैं।
    • कोरकू भाषा बोलते हैं, जो मुख्यतः द्रविड़ भाषा परिवार से संबंधित है।
    • प्रमुख त्योहारों में भगोरिया, दीपावली और होली शामिल हैं।
  • विशेषता:
    • इनका पारंपरिक नृत्य भगोरिया हाट में प्रसिद्ध होता है।
    • वन्य उत्पादों का उपयोग दैनिक जीवन में अधिक करते हैं।

3. भारिया जनजाति

  • संख्या एवं क्षेत्र: यह जनजाति रायसेन जिले के कुछ आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पाई जाती है।
  • संस्कृति एवं परंपरा:
    • मुख्य रूप से वनों में रहने वाली जनजाति है।
    • कृषि और शिकार परंपरागत आजीविका के रूप में अपनाते हैं।
    • पारंपरिक गीत-संगीत में विशेष रुचि रखते हैं।
  • विशेषता:
    • यह लोग औषधीय जड़ी-बूटियों का उपयोग करते हैं और पारंपरिक उपचार में निपुण होते हैं।
    • राज्य सरकार द्वारा इन्हें विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है।

4. बैगा जनजाति

  • संख्या एवं क्षेत्र: रायसेन जिले के कुछ हिस्सों में निवास करती है।
  • संस्कृति एवं परंपरा:
    • खेती और वनोपज संग्रह इनकी आजीविका के मुख्य साधन हैं।
    • बैगा समाज में जादू-टोना और पारंपरिक चिकित्सा का विशेष महत्व है।
  • विशेषता:
    • यह जनजाति “शिफ्टिंग कल्टीवेशन” (झूम खेती) की पारंपरिक विधि अपनाती है।
    • इनके धार्मिक अनुष्ठानों में प्रकृति पूजा, देवताओं और पूर्वजों की आराधना शामिल है।

निष्कर्ष:

रायसेन जिले में गोंड, कोरकू, भारिया और बैगा जैसी प्रमुख जनजातियाँ निवास करती हैं। ये जनजातियाँ अपनी सांस्कृतिक परंपराओं, वेशभूषा, नृत्य, संगीत और धार्मिक मान्यताओं के लिए जानी जाती हैं। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इन्हें विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

रायसेन जिले के प्रमुख मेले एवं त्योहार

रायसेन जिला मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र है। यहाँ कई पारंपरिक मेले और त्योहार मनाए जाते हैं, जो स्थानीय संस्कृति, धार्मिक आस्था और सामाजिक मेल-जोल को दर्शाते हैं।


1. प्रमुख मेले

(1) रायसेन दुर्ग मेला

  • स्थान: रायसेन किला (रायसेन शहर)
  • समय: बैसाख पूर्णिमा (अप्रैल-मई)
  • विशेषताएँ:
    • इस मेले का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि रायसेन किला मध्यकालीन राजाओं से जुड़ा हुआ है।
    • धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ व्यापार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
    • बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने आते हैं।

(2) सिद्धेश्वर मेला

  • स्थान: बाड़ी तहसील, रायसेन जिला
  • समय: महाशिवरात्रि (फरवरी-मार्च)
  • विशेषताएँ:
    • यह मेला भगवान शिव को समर्पित है।
    • धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
    • बड़ी संख्या में भक्तजन यहाँ पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।

(3) भोजपुर शिवरात्रि मेला

  • स्थान: भोजपुर (रायसेन जिले के पास)
  • समय: महाशिवरात्रि (फरवरी-मार्च)
  • विशेषताएँ:
    • भोजपुर के प्राचीन शिव मंदिर में भव्य मेला लगता है।
    • देशभर से श्रद्धालु यहाँ शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं।
    • धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा व्यापारिक गतिविधियाँ भी होती हैं।

(4) सांची महाबोधि मेला

  • स्थान: सांची स्तूप (रायसेन जिला)
  • समय: कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर-नवंबर)
  • विशेषताएँ:
    • यह बौद्ध धर्म से संबंधित मेला है।
    • इस दौरान विशेष पूजा-पाठ और ध्यान कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
    • देश-विदेश से बौद्ध अनुयायी यहाँ आते हैं।

2. प्रमुख त्योहार

(1) महाशिवरात्रि

  • सम्पूर्ण रायसेन जिले में मनाया जाता है, विशेष रूप से भोजपुर और सिद्धेश्वर मंदिरों में।
  • भगवान शिव की पूजा, रात्रि जागरण और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

(2) होली और भगोरिया हाट

  • कोरकू और गोंड जनजातियों के बीच विशेष रूप से प्रचलित।
  • रंगों का त्योहार होली पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है।
  • भगोरिया हाट विशेष रूप से आदिवासी समुदायों द्वारा मनाया जाता है, जिसमें नृत्य, गीत और बाजार की चहल-पहल रहती है।

(3) गणेश उत्सव

  • रायसेन और बाड़ी क्षेत्र में विशेष रूप से मनाया जाता है।
  • गणपति स्थापना के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।

(4) दीपावली और काली पूजा

  • पूरे जिले में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
  • विशेष रूप से मंदिरों में दीपदान और पूजा-पाठ होते हैं।

(5) नर्मदा जयंती

  • स्थान: रायसेन जिले के नर्मदा तटों पर (विशेषकर बरना और बेतवा नदी के संगम स्थलों पर)।
  • माँ नर्मदा की विशेष पूजा और दीपदान किया जाता है।

निष्कर्ष:

रायसेन जिले में धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के कई मेले एवं त्योहार मनाए जाते हैं। रायसेन दुर्ग मेला, भोजपुर शिवरात्रि मेला, और सांची महाबोधि मेला ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, जबकि महाशिवरात्रि, दीपावली, होली और नर्मदा जयंती जिले के प्रमुख त्योहारों में शामिल हैं।

रायसेन जिला, मध्य प्रदेश का एक समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर वाला क्षेत्र है, जहाँ कुछ प्रमुख संग्रहालय स्थित हैं:

  1. साँची पुरातत्व संग्रहालय:
    • स्थान: साँची, रायसेन जिला
    • विवरण: यह संग्रहालय बौद्ध काल की धरोहरों को सहेजने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ उत्खनन से प्राप्त प्राचीन पुरातात्त्विक वस्तुओं का संग्रह है, जो बौद्ध कला और संस्कृति को प्रदर्शित करता है।
  2. भोजपुर शिवलिंग संग्रहालय (प्रस्तावित):
    • स्थान: भोजपुर, रायसेन जिला
    • विवरण: भोजपुर के ऐतिहासिक शिव मंदिर परिसर में एक अनूठे शिवलिंग संग्रहालय की स्थापना की योजना बनाई गई है। इस संग्रहालय में देश के प्रमुख शिवलिंगों के फाइबर ग्लास मॉडल प्रदर्शित किए जाएंगे, जो शिव भक्तों और कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगे।

इन संग्रहालयों के माध्यम से रायसेन जिले की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को समझने और अनुभव करने का अवसर मिलता है।

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