मोहम्मद गौरी: जीवन, युद्ध और विरासत
पूरा नाम: शिहाबुद्दीन मोहम्मद बिन साम
जन्म: 1149 ई. (गौर, अफगानिस्तान)
मृत्यु: 1206 ई. (सिंध, पाकिस्तान)
मोहम्मद गौरी गौरी वंश का शासक था, जिसने भारत पर कई आक्रमण किए और यहाँ इस्लामी शासन की नींव रखी। उसने दिल्ली सल्तनत के उदय का मार्ग प्रशस्त किया और 1192 ई. में तराइन के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हराकर दिल्ली और उत्तरी भारत पर कब्जा कर लिया।
मोहम्मद गौरी का प्रारंभिक जीवन और परिवार
मोहम्मद गौरी का जन्म 1149 ई. में गौर (आधुनिक अफगानिस्तान) में हुआ था। उसका असली नाम शिहाबुद्दीन मोहम्मद बिन साम था। वह गौरी वंश का शासक था और उसके बड़े भाई गयासुद्दीन ने उसे गजनी का शासक बनाया था।
गौरी वंश मूल रूप से ग़ज़नी के तुर्क शासकों के अधीन था, लेकिन बाद में गयासुद्दीन और मोहम्मद गौरी ने स्वतंत्र शासन स्थापित कर लिया। गयासुद्दीन की मृत्यु के बाद, मोहम्मद गौरी गजनी और गौर दोनों का शासक बन गया।
मोहम्मद गौरी के भारत पर आक्रमण और युद्ध
मोहम्मद गौरी ने भारत पर कई आक्रमण किए और यहाँ इस्लामी शासन स्थापित करने का प्रयास किया।
1. 1191 ई. – तराइन का पहला युद्ध (पृथ्वीराज चौहान से हार)
मोहम्मद गौरी ने दिल्ली और अजमेर के शासक पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया। पृथ्वीराज ने हांसी के पास उसे हराया और गज़नी वापस भागने पर मजबूर कर दिया।
2. 1192 ई. – तराइन का दूसरा युद्ध (पृथ्वीराज चौहान से जीत)
गौरी ने 1192 ई. में फिर से हमला किया और इस बार उसने पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया। पृथ्वीराज को बंदी बना लिया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई। इस युद्ध के बाद, दिल्ली और अजमेर पर गौरी का नियंत्रण हो गया।
3. 1194 ई. – कन्नौज का युद्ध (जयचंद को हराया)
गौरी ने गहड़वाल राजा जयचंद को हराया और बनारस तक का क्षेत्र जीत लिया।
4. 1202 ई. – चंदेल शासकों से युद्ध
मोहम्मद गौरी ने कालिंजर और महोबा के चंदेल शासकों पर आक्रमण किया और वहाँ कई मंदिर तोड़े।
मोहम्मद गौरी की मृत्यु (1206 ई.)
1206 ई. में मोहम्मद गौरी जब गजनी लौट रहा था, तब उसे सिंध के पास घक्खर जनजाति के लोगों ने मार डाला। उसकी मृत्यु के बाद, उसका गुलाम सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का शासक बना और यहीं से दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई।
मोहम्मद गौरी के समय का साहित्य और विद्वान
गौरी स्वयं साहित्य प्रेमी नहीं था, लेकिन उसके शासनकाल में फारसी साहित्य को संरक्षण मिला।
- हसन निज़ामी –
उसने “ताज-उल-मासिर” नामक ग्रंथ लिखा, जिसमें मोहम्मद गौरी और उसके उत्तराधिकारी कुतुबुद्दीन ऐबक के शासनकाल का वर्णन किया गया है। - फखरुद्दीन मुबारकशाह –
उसने “तारीख-ए-मुबारकशाही” नामक ग्रंथ लिखा।
मोहम्मद गौरी द्वारा नष्ट किए गए मंदिर
- सोमनाथ मंदिर (गुजरात) –
यह मंदिर पहले महमूद गजनवी ने 1025 ई. में नष्ट किया था, लेकिन मोहम्मद गौरी ने भी इसे दोबारा नष्ट कराया। - काशी और मथुरा के मंदिर –
उसने वाराणसी और मथुरा में कई प्रमुख मंदिरों को ध्वस्त किया। - अजमेर और दिल्ली के मंदिर –
पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद, उसने कई हिन्दू मंदिरों को नष्ट किया।
मोहम्मद गौरी द्वारा किए गए कार्य
- इस्लामी शासन की स्थापना –
मोहम्मद गौरी ने भारत में एक संगठित मुस्लिम शासन की नींव रखी, जिसे बाद में दिल्ली सल्तनत ने आगे बढ़ाया। - गुलाम वंश की स्थापना –
गौरी ने अपने सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली का शासक बनाया, जिससे गुलाम वंश की शुरुआत हुई। - प्रशासनिक सुधार –
उसने दिल्ली और उत्तर भारत में मुस्लिम प्रशासन स्थापित किया, जो बाद में दिल्ली सल्तनत के लिए मजबूत नींव बनी।
मोहम्मद गौरी के समय की स्थापत्य कला और निर्माण कार्य
- कुतुब मीनार (दिल्ली) –
यह संरचना उसके सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाई थी, लेकिन गौरी के आदेश पर इसे शुरू किया गया था। - अढाई दिन का झोपड़ा (अजमेर) –
यह एक प्राचीन संस्कृत महाविद्यालय था, जिसे गौरी ने मस्जिद में बदल दिया। - जामा मस्जिद (दिल्ली और अजमेर) –
गौरी ने अपने विजित क्षेत्रों में कई मस्जिदें बनवाईं।
निष्कर्ष
मोहम्मद गौरी को भारत में इस्लामी शासन की नींव रखने वाला शासक माना जाता है। उसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना के लिए मार्ग प्रशस्त किया, जिससे अगले 600 वर्षों तक भारत में मुस्लिम शासन रहा। हालाँकि उसने कई मंदिर नष्ट किए और हिंदू शासकों को पराजित किया, लेकिन उसका योगदान प्रशासन और राज्य विस्तार में भी महत्वपूर्ण रहा। उसकी मृत्यु के बाद, उसके गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारत में दिल्ली सल्तनत की स्थापना की, जो बाद में खिलजी, तुगलक और लोदी वंशों के रूप में आगे बढ़ी।