मराठा सम्राज्य

मराठा साम्राज्य (1674-1818) – विस्तार से जानकारी

1. परिचय

  • स्थापना: 1674 ई. (शिवाजी द्वारा)
  • राजधानी: रायगढ़ (शिवाजी), सतारा (शंभाजी), पुणे (पेशवा शासन)
  • मुख्य शासक: शिवाजी, शंभाजी, राजाराम, ताराबाई, शाहूजी, पेशवा बालाजी बाजीराव आदि
  • अंत: 1818 ई. (अंग्रेजों द्वारा पराजय के बाद)

मराठा साम्राज्य 17वीं और 18वीं शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे शक्तिशाली सत्ता थी। इसने मुगलों, अफगानों और अंग्रेजों से युद्ध किए और भारत में स्वराज्य की अवधारणा को साकार किया।


2. मराठा साम्राज्य के प्रमुख शासक और उनके कार्य

(1) छत्रपति शिवाजी महाराज (1674-1680 ई.)

  • स्थापना: मराठा साम्राज्य की स्थापना रायगढ़ में की और छत्रपति की उपाधि धारण की।
  • महत्वपूर्ण युद्ध:
    • आदिलशाही, मुगल और पुर्तगालियों से युद्ध।
    • अफजल खान का वध (1659) और प्रतापगढ़ विजय।
    • पुरंदर संधि (1665) और आगरा से मुक्ति (1666)।
  • विशेष कार्य:
    • नौसेना की स्थापना।
    • गुरिल्ला युद्ध प्रणाली (गणिमी कावा) का विकास।
    • प्रशासनिक सुधार (अष्टप्रधान मंडल)।
  • स्थापत्य कला: रायगढ़ किला, सिंधुदुर्ग किला, प्रतापगढ़ किला।
  • परिवार: पुत्र शंभाजी, पत्नी सईबाई, माता जीजाबाई।

(2) शंभाजी महाराज (1681-1689 ई.)

  • युद्ध: मुगलों, पुर्तगालियों और सिद्धियों से संघर्ष किया।
  • मृत्यु: औरंगजेब ने पकड़कर हत्या कर दी।
  • स्थापत्य: पन्हाला किला और विशालगढ़ का पुनर्निर्माण।
  • परिवार: पुत्र संभाजी द्वितीय, पत्नी यसुबाई।

(3) राजाराम महाराज (1689-1700 ई.)

  • महत्वपूर्ण कार्य:
    • मुगलों से संघर्ष जारी रखा।
    • महाराष्ट्र छोड़कर जिनजी (तमिलनाडु) में राजधानी बनाई।
    • मराठा गुरिल्ला युद्ध को और संगठित किया।
  • परिवार: पत्नी ताराबाई।

(4) महारानी ताराबाई (1700-1714 ई.)

  • कार्य:
    • मराठा शासन को बचाने के लिए मुगलों से संघर्ष किया।
    • मराठा साम्राज्य का विस्तार किया।
    • अपने पुत्र शिवाजी द्वितीय को राजा बनाया।

(5) शाहू महाराज (1707-1749 ई.)

  • महत्वपूर्ण कार्य:
    • पेशवा पद की स्थापना (बालाजी विश्वनाथ को पहला पेशवा बनाया)।
    • मराठा शक्ति को पूरे भारत में फैलाया।
    • मुगलों पर प्रभाव जमाया।
  • विशेष साहित्य: भक्ति आंदोलन को बढ़ावा दिया।
  • परिवार: चित्तौड़ की महारानी साक्षीबाई से विवाह।

(6) पेशवा शासन (1713-1818 ई.)

मराठा साम्राज्य में पेशवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

(1) बालाजी विश्वनाथ (1713-1720)

  • शाहू महाराज के पहले पेशवा।
  • मुगलों से समझौता किया।

(2) बाजीराव प्रथम (1720-1740)

  • दिल्ली पर मराठों का प्रभाव बढ़ाया।
  • बुंदेलखंड और मालवा में विस्तार किया।
  • प्रसिद्ध युद्ध – पालखेड़ युद्ध (1728) निजाम के खिलाफ।
  • स्थापत्य – शनिवार वाड़ा (पुणे)।

(3) बालाजी बाजीराव (1740-1761)

  • मराठा साम्राज्य चरम पर पहुंचा।
  • पानीपत का तीसरा युद्ध (1761) में अहमद शाह अब्दाली से हार।

(4) माधवराव पेशवा (1761-1772)

  • साम्राज्य को पुनर्जीवित किया।

(5) नारायणराव पेशवा (1772-1773)

  • हत्या कर दी गई।

(6) रघुनाथराव पेशवा (1773-1774)

  • अंग्रेजों से संपर्क किया।

(7) माधवराव द्वितीय (1774-1796)

  • अंग्रेजों से संघर्ष।

(8) बाजीराव द्वितीय (1796-1818)

  • अंग्रेजों से हारकर पेशवा शासन समाप्त हुआ।

3. मराठा साम्राज्य के प्रमुख युद्ध

  1. अफजल खान का वध (1659) – शिवाजी द्वारा आदिलशाही के सेनापति की हत्या।
  2. सूरत की लूट (1664) – मुगलों के व्यापारिक केंद्र पर आक्रमण।
  3. पुरंदर संधि (1665) – शिवाजी और मुगलों के बीच संधि।
  4. अग्नि युद्ध (1666) – शिवाजी की आगरा से मुक्ति।
  5. तराईन का युद्ध (1757) – अहमद शाह अब्दाली के खिलाफ।
  6. पानीपत का तृतीय युद्ध (1761) – मराठों की सबसे बड़ी हार, साम्राज्य कमजोर हुआ।
  7. अंग्रेजों से संघर्ष (1818) – अंग्रेजों के खिलाफ तीन युद्ध, जिसमें मराठों की हार हुई।

4. स्थापत्य कला और विशेष शहर

(1) प्रमुख किले और भवन

  • रायगढ़ किला – शिवाजी की राजधानी।
  • सिंधुदुर्ग किला – समुद्री सुरक्षा के लिए शिवाजी ने बनवाया।
  • शनिवार वाड़ा (पुणे) – पेशवाओं की राजधानी।
  • शिवनेरी किला – शिवाजी का जन्मस्थान।
  • गागा भट्ट का मंदिर (काशी) – शिवाजी के राज्याभिषेक के समय।

(2) प्रमुख शहर

  • पुणे – पेशवाओं की राजधानी, मराठा संस्कृति का केंद्र।
  • नागपुर – भोंसले शासकों द्वारा बसाया गया।
  • ग्वालियर – मराठों के अधीन रहा।
  • इंदौर – होल्कर वंश की राजधानी।

5. साहित्य और ग्रंथ

  • “शिवभारत” – परमानंद द्वारा लिखा गया।
  • “बखर” – मराठों के इतिहास से जुड़ी पुस्तकों की श्रृंखला।
  • संस्कृत और मराठी साहित्य का विकास।

6. निष्कर्ष

मराठा साम्राज्य ने स्वराज्य की अवधारणा को स्थापित किया और पूरे भारत में अपनी शक्ति का विस्तार किया। हालांकि, पानीपत के युद्ध और अंग्रेजों की नीतियों के कारण यह साम्राज्य धीरे-धीरे समाप्त हो गया। लेकिन मराठा वीरता, प्रशासनिक क्षमता और स्थापत्य कला भारतीय इतिहास में अद्वितीय हैं।

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