मध्य प्रदेश के लोक संस्कृति

लोक संस्कृति का अर्थ

लोक संस्कृति किसी क्षेत्र विशेष की परंपराओं, लोकगीतों, लोकनृत्यों, लोककथाओं, रीति-रिवाजों, वेशभूषा, त्योहारों, भाषाओं और जीवनशैली का वह स्वरूप है, जो आम जनमानस द्वारा अपनाया जाता है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक परंपराओं द्वारा आगे बढ़ता है। यह संस्कृति वहां के सामाजिक और ऐतिहासिक पहलुओं को दर्शाती है।


मध्य प्रदेश की लोक संस्कृति

मध्य प्रदेश की लोक संस्कृति इसकी भौगोलिक विविधता और विभिन्न जनजातियों एवं समुदायों के समृद्ध परंपराओं का मिश्रण है। यहां की लोक संस्कृति विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग स्वरूप में देखने को मिलती है।


1. मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य और उनके क्षेत्र

  • राई नृत्य – बुंदेलखंड क्षेत्र (सागर, छतरपुर, टीकमगढ़) की विशेष पहचान। इसे विशेष रूप से नाचने वाली समुदाय की महिलाएं करती हैं।
  • सहेलिया नृत्य – मालवा क्षेत्र (उज्जैन, इंदौर) की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य।
  • गोंडी नृत्य – गोंड जनजाति द्वारा किया जाता है, जो विशेष रूप से मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, छिंदवाड़ा जिलों में प्रचलित है।
  • भगोरिया नृत्य – भील और भिलाला जनजातियों द्वारा झाबुआ, अलीराजपुर, धार और खरगोन जिलों में किया जाता है।
  • मटीक नृत्य – निमाड़ क्षेत्र में कृषि कार्यों से संबंधित नृत्य।
  • कठपुतली नृत्य – बुंदेलखंड और निमाड़ क्षेत्र में मनोरंजन के लिए किया जाता है।
  • टेराटाली नृत्य – मालवा और निमाड़ क्षेत्रों की भक्ति से जुड़ी नृत्य शैली।

2. मध्य प्रदेश के प्रमुख लोकगीत और उनके क्षेत्र

  • फाग गीत – होली के अवसर पर बुंदेलखंड, मालवा और निमाड़ में गाए जाते हैं।
  • लौंडा गीत – बुंदेलखंड क्षेत्र में शादी-विवाह में गाए जाने वाले पारंपरिक गीत।
  • निमाड़ी गीत – निमाड़ क्षेत्र (खंडवा, खरगोन, बड़वानी) में कृषि और प्रकृति से जुड़े गीत।
  • सुवा गीत – गोंड और बैगा जनजातियों की महिलाओं द्वारा दीपावली के समय गाए जाते हैं।
  • धमार गीत – भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़े हुए गीत, जो विशेष रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रचलित हैं।
  • भजन और कीर्तन – मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भक्ति परंपरा के रूप में गाए जाते हैं।
  • गवरी गीत – मालवा और निमाड़ क्षेत्र में लोक नाटकों के दौरान गाए जाते हैं।

3. प्रमुख लोक त्योहार और उनके क्षेत्र

  • भगोरिया हाट महोत्सव – झाबुआ, अलीराजपुर और धार जिलों में भील जनजाति का प्रमुख त्योहार।
  • मेले (कुंभ, नागाजी, पचमढ़ी, चीतलमाता मेला) – उज्जैन का सिंहस्थ कुंभ, पचमढ़ी का नागपंचमी मेला और अन्य धार्मिक मेले प्रसिद्ध हैं।
  • आल्हा उत्सव – बुंदेलखंड में आल्हा-ऊदल की वीरता के सम्मान में मनाया जाता है।
  • काजली तीज – बुंदेलखंड क्षेत्र में महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार।
  • हरेली पर्व – गोंड और बैगा जनजातियों द्वारा कृषि से जुड़ा प्रमुख पर्व, विशेष रूप से छत्तीसगढ़ से सटे जिलों में मनाया जाता है।
  • मांडई उत्सव – आदिवासी समाज का प्रमुख पर्व, जिसमें जनजातीय नृत्य, संगीत और परंपराएं देखने को मिलती हैं।
  • तुलसी विवाह – पूरे मध्य प्रदेश में धार्मिक रूप से मनाया जाता है।
  • गोवर्धन पूजा – विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि से जुड़े लोग इसे हर्षोल्लास से मनाते हैं।

4. प्रमुख लोक कलाएँ और परंपराएँ

  • भील और गोंड चित्रकला – झाबुआ, अलीराजपुर और मंडला क्षेत्रों की आदिवासी चित्रकला।
  • पिथोरा चित्रकला – भील जनजाति की पारंपरिक चित्रकला, जो विशेष रूप से मालवा और निमाड़ में प्रचलित है।
  • नंदना प्रिंट – मालवा क्षेत्र की प्रसिद्ध हस्तकला, जो विशेष प्रकार की छपाई (Block Printing) के लिए प्रसिद्ध है।
  • मांडना कला – दीवारों और फर्श पर की जाने वाली चित्रकारी, जो मुख्य रूप से मालवा और बुंदेलखंड में देखने को मिलती है।
  • डोकरा कला – गोंड और बैगा जनजातियों की धातु से बनी हस्तकला, जो बालाघाट और मंडला क्षेत्रों में प्रसिद्ध है।

5. प्रमुख जनजातीय संस्कृति और परंपराएँ

  • गोंड जनजाति – मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, छिंदवाड़ा और सिवनी में निवासरत।
    • गोंडी नृत्य और गोंडी पेंटिंग प्रसिद्ध हैं।
    • पेन पूजा इनकी विशेष परंपरा है।
  • भील जनजाति – झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी में निवासरत।
    • भगोरिया त्योहार प्रसिद्ध है।
    • तीरंदाजी और पारंपरिक हथियार इनके प्रमुख प्रतीक हैं।
  • बैगा जनजाति – डिंडोरी, मंडला और अनूपपुर जिलों में प्रमुख रूप से निवासरत।
    • बैगा नृत्य और चिकित्सा पद्धति प्रसिद्ध है।
  • कोरकू जनजाति – होशंगाबाद, बैतूल, खंडवा जिलों में निवासरत।
    • कृषि और जंगलों पर निर्भर जीवनशैली।
  • सहरिया जनजाति – शिवपुरी, ग्वालियर, मुरैना जिलों में निवासरत।
    • शिकार और वन्य जीवन से जुड़ी परंपराएँ।

6. प्रमुख पारंपरिक व्यंजन

  • डाल-बाटी और चूरमा – मालवा और बुंदेलखंड की प्रसिद्ध थाली।
  • बाफला – निमाड़ और मालवा में प्रमुख रूप से खाया जाता है।
  • पोहा और जलेबी – इंदौर और उज्जैन की पहचान।
  • चकौड़ा भाजी – निमाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध सब्जी।
  • कोरकू जनजाति का महुआ व्यंजन – महुआ फूल से बनने वाले पारंपरिक पेय और मिठाइयाँ।
  • गोइठा रोटी – गोंड जनजाति में प्रचलित अनाज आधारित भोजन।

MPPSC परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण तथ्य

  1. मध्य प्रदेश की संस्कृति में भील, गोंड, बैगा जैसी जनजातियों का विशेष योगदान है।
  2. भगोरिया हाट महोत्सव को मध्य प्रदेश की “आदिवासी होली” कहा जाता है।
  3. राई नृत्य बुंदेलखंड में वीरता से जुड़ा लोकनृत्य है।
  4. गोंड चित्रकला मध्य प्रदेश की विश्व प्रसिद्ध कला शैली है।
  5. मालवा और निमाड़ क्षेत्रों में सहेलिया नृत्य प्रसिद्ध है।
  6. आल्हा-ऊदल की गाथाएँ बुंदेलखंड की वीरता संस्कृति का हिस्सा हैं।
  7. लोक मेले और त्योहार मध्य प्रदेश की लोक जीवनशैली में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
  8. मांडना कला घरों की दीवारों और फर्श पर बनाई जाने वाली पारंपरिक चित्रकारी है।

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