मध्य प्रदेश के राजवंश

मध्य प्रदेश का इतिहास कई प्रमुख राजवंशों से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इस क्षेत्र पर शासन किया और अपनी सांस्कृतिक, धार्मिक और प्रशासनिक विरासत छोड़ी। MPPSC परीक्षा की दृष्टि से, यहाँ कुछ महत्वपूर्ण राजवंशों का विवरण दिया जा रहा है:


1. नाग वंश (3rd – 4th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: विदिशा, ग्वालियर, मालवा
महत्वपूर्ण शासक: भानुगुप्त, वृष्ण वर्मन
विशेषताएँ:

  • यह वंश गुप्त साम्राज्य के समकालीन था।
  • विदिशा और ग्वालियर क्षेत्र में प्रभावी था।
  • नाग वंश का उल्लेख एरण शिलालेख (सागर) में मिलता है।

2. गुप्त वंश (4th – 6th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: ग्वालियर, विदिशा, उज्जैन
महत्वपूर्ण शासक: चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य)
विशेषताएँ:

  • उज्जैन को इस समय एक प्रमुख केंद्र बनाया गया।
  • समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति शिलालेख से इसकी जानकारी मिलती है।
  • गुप्त काल में दशावतार मंदिर (देवगढ़, ललितपुर) और भीतरगांव मंदिर (कानपुर के पास) का निर्माण हुआ।

3. औलिकर वंश (5th – 6th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: ग्वालियर, मुरैना
महत्वपूर्ण शासक: यशोधर्मन (मालवा के शासक)
विशेषताएँ:

  • यशोधर्मन ने हूणों को पराजित कर गुप्तों से स्वतंत्रता प्राप्त की।
  • मंदसौर शिलालेख (मालवा) यशोधर्मन की वीरता का उल्लेख करता है।
  • बाघ गुफाएँ (धार) इसी काल में बनीं।

4. वाकाटक वंश (3rd – 5th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ
महत्वपूर्ण शासक: प्रवरसेन प्रथम, हरिषेण
विशेषताएँ:

  • यह गुप्त वंश का सहयोगी था।
  • इस वंश के संरक्षण में अजंता गुफाएँ (महाराष्ट्र) बनीं।
  • यह संस्कृत साहित्य और कला को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध था।

5. कलचुरी वंश (6th – 12th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: त्रिपुरी (जबलपुर), महिष्मति (महेश्वर)
महत्वपूर्ण शासक: कोक्कल प्रथम, गंगेयदेव, कर्ण
विशेषताएँ:

  • त्रिपुरी (जबलपुर) इनकी राजधानी थी।
  • अमरकंटक (नर्मदा नदी का उद्गम) में कलचुरी राजा कर्णदेव ने मंदिर बनवाए।
  • बिलहरी शिलालेख (कटनी) में इनका उल्लेख मिलता है।

6. प्रतिहार वंश (7th – 10th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: ग्वालियर, उज्जैन
महत्वपूर्ण शासक: नागभट्ट प्रथम, मिहिर भोज
विशेषताएँ:

  • प्रतिहारों ने अरब आक्रमणकारियों से लड़ाई की।
  • ग्वालियर का तेली का मंदिर और सास बहू के मंदिर इसी काल में बने।

7. परमार वंश (9th – 14th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: मालवा (धार, उज्जैन, मांडू)
महत्वपूर्ण शासक: मुंज, राजा भोज
विशेषताएँ:

  • राजा भोज (1010-1055 ई.) इस वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक थे।
  • राजा भोज ने भोजशाला (धार) और भोजपुर शिव मंदिर का निर्माण कराया।
  • धार, मांडू और उज्जैन इस वंश के प्रमुख क्षेत्र थे।
  • राजा भोज ने चिकित्सा, वास्तुशास्त्र और साहित्य में योगदान दिया।

8. चंदेल वंश (9th – 13th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: खजुराहो, महोबा, कालंजर
महत्वपूर्ण शासक: यशोवर्मन, विद्याधर
विशेषताएँ:

  • खजुराहो के मंदिर (विष्णु, शिव, जैन मंदिर) इसी वंश के संरक्षण में बने।
  • कालिंजर का किला (बांदा, UP) भी इसी वंश ने बनवाया।

9. गहड़वाल वंश (11th – 12th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: ग्वालियर, चंदेरी
महत्वपूर्ण शासक: जयचंद
विशेषताएँ:

  • ग्वालियर का किला और चंदेरी के मंदिर इस वंश की स्थापत्य कला के उदाहरण हैं।

10. खंगार वंश (12th – 13th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: बुंदेलखंड (निवाड़ी, दमोह)
महत्वपूर्ण शासक: वीर सिंह खंगार
विशेषताएँ:

  • अजयगढ़ किला और किला कुण्डार इस वंश की प्रमुख विरासत हैं।

11. बुंदेला वंश (16th – 18th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: ओरछा, टीकमगढ़
महत्वपूर्ण शासक: वीर सिंह देव, छत्रसाल
विशेषताएँ:

  • ओरछा का किला और राम राजा मंदिर (टीकमगढ़) बुंदेलों की कला के उदाहरण हैं।
  • छत्रसाल ने मुगलों के विरुद्ध संघर्ष किया।

12. होल्कर वंश (18th – 19th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: इंदौर, महेश्वर
महत्वपूर्ण शासक: मल्हारराव होल्कर, अहिल्याबाई होल्कर
विशेषताएँ:

  • अहिल्याबाई होल्कर ने महेश्वर को सांस्कृतिक केंद्र बनाया
  • काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण में योगदान दिया।

13. सिंधिया वंश (18th – 20th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: ग्वालियर
महत्वपूर्ण शासक: महादजी सिंधिया, दौलतराव सिंधिया
विशेषताएँ:

  • ग्वालियर इस वंश की राजधानी थी।
  • ग्वालियर का जय विलास पैलेस इसी वंश की विरासत है।

MPPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. गुप्त काल में उज्जैन व्यापार और शिक्षा का केंद्र था।
  2. यशोधर्मन ने हूणों को हराया, जिससे गुप्त वंश कमजोर हुआ।
  3. राजा भोज ने भोजशाला और भोजपुर मंदिर बनवाया।
  4. चंदेल वंश ने खजुराहो के मंदिर बनाए।
  5. अहिल्याबाई होल्कर ने कई धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण कराया।

14. नल वंश (4th – 5th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: बस्तर (वर्तमान में छत्तीसगढ़) और मध्य प्रदेश का दक्षिणी क्षेत्र
महत्वपूर्ण शासक: स्कंदवर्मन,arthapati
विशेषताएँ:

  • नल वंश दक्षिण कोसल और विदर्भ क्षेत्र में प्रभावी था।
  • इनका उल्लेख पावई ताम्रपत्र (मध्य प्रदेश) और पृथ्वीशेन प्रथम के शिलालेख में मिलता है।
  • इस वंश के कुछ अवशेष अमरकंटक और छत्तीसगढ़ क्षेत्र में पाए गए हैं।

15. कोशल वंश (प्राचीन काल – 3rd शताब्दी ईस्वी तक)

स्थान: जबलपुर, शहडोल, रीवा
महत्वपूर्ण शासक: महापद्मनंद, दशरथ
विशेषताएँ:

  • यह महाजनपद कालीन कोशल राज्य का विस्तार माना जाता है।
  • अशोक के शासनकाल में यह क्षेत्र मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था।
  • सतधारा (सांची के पास) और देवगढ़ (ललितपुर) में बौद्ध और जैन स्मारक इस वंश के प्रभाव को दर्शाते हैं।

16. सातवाहन वंश (1st शताब्दी ईसा पूर्व – 2nd शताब्दी ईस्वी)

स्थान: विदिशा, उज्जैन, महिष्मति (महेश्वर)
महत्वपूर्ण शासक: गौतमीपुत्र सातकर्णी, हाल
विशेषताएँ:

  • सातवाहन शासकों ने विदिशा को अपने प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया।
  • सांची का स्तूप (अशोक द्वारा निर्मित, लेकिन सातवाहनों ने इसे बढ़ाया)
  • इस वंश के दौरान मध्य प्रदेश में बौद्ध धर्म फला-फूला।

17. चालुक्य वंश (6th – 8th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: धार, उज्जैन, मंदसौर
महत्वपूर्ण शासक: पुलकेशिन द्वितीय
विशेषताएँ:

  • चालुक्यों ने दक्षिण भारत में शासन किया, लेकिन उनकी सत्ता उज्जैन और मालवा तक फैली थी।
  • मंदसौर शिलालेख (यशोधर्मन काल का) इस काल की जानकारी देता है।

18. राठौर वंश (13th – 17th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: मालवा, ग्वालियर, बुंदेलखंड
महत्वपूर्ण शासक: राव चूड़ा, मालदेव
विशेषताएँ:

  • यह वंश राजस्थान से जुड़ा हुआ था, लेकिन इसके प्रभाव क्षेत्र में ग्वालियर और मालवा भी आए।
  • ग्वालियर का सूर्य मंदिर और बुंदेलखंड के किले राठौरों के शासनकाल के दौरान विकसित हुए।

19. तुगलक वंश (14th – 15th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: ग्वालियर, चंदेरी
महत्वपूर्ण शासक: गयासुद्दीन तुगलक, फिरोजशाह तुगलक
विशेषताएँ:

  • इस्लामिक शासन का प्रसार इस काल में हुआ।
  • चंदेरी किला का पुनर्निर्माण तुगलकों ने कराया।

20. खिलजी वंश (13th – 14th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: धार, मांडू, ग्वालियर
महत्वपूर्ण शासक: अलाउद्दीन खिलजी
विशेषताएँ:

  • मालवा क्षेत्र पर खिलजी वंश का नियंत्रण था।
  • मांडू के कुछ किले और इमारतें इस काल में बनीं।

21. गौड़ वंश (15th – 16th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: चंदेरी, ग्वालियर
महत्वपूर्ण शासक: निजाम शाह, महमूद शाह
विशेषताएँ:

  • मालवा के शासकों में से एक था।
  • चंदेरी का जामा मस्जिद और किला इस वंश के संरक्षण में बने।

22. शुंग वंश (2nd – 1st शताब्दी ईसा पूर्व)

स्थान: विदिशा, सांची
महत्वपूर्ण शासक: पुष्यमित्र शुंग, अग्निमित्र शुंग
विशेषताएँ:

  • पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य वंश के पतन के बाद सत्ता संभाली।
  • सांची के स्तूपों का पुनर्निर्माण और विस्तार इस काल में हुआ।

23. बघेल वंश (14th – 18th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: रीवा, सतना
महत्वपूर्ण शासक: वीर सिंह बघेल
विशेषताएँ:

  • रीवा राज्य बघेल वंश के अधीन था।
  • रीवा का गोविंदगढ़ किला और विन्ध्याचल मंदिर इस वंश के संरक्षण में बने।

24. मुगल शासन (16th – 18th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: ग्वालियर, मांडू, धार
महत्वपूर्ण शासक: बाबर, अकबर, औरंगजेब
विशेषताएँ:

  • मुगलों ने मध्य प्रदेश को अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाया।
  • ग्वालियर का किला और जहाज़ महल (मांडू) मुगलों के समय विकसित हुआ।

25. मराठा शासन (18th – 19th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: इंदौर, ग्वालियर, महेश्वर
महत्वपूर्ण शासक: पेशवा बाजीराव, महादजी सिंधिया
विशेषताएँ:

  • मराठों ने मुगलों से मध्य प्रदेश का बड़ा हिस्सा जीत लिया।
  • महेश्वर (अहिल्याबाई होल्कर का केंद्र) इस वंश के संरक्षण में पनपा।
  • ग्वालियर का सिंधिया महल और इंदौर का राजवाड़ा मराठा काल की देन हैं।

MPPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण निष्कर्ष

  1. नाग वंश और औलिकर वंश मध्य प्रदेश में प्रारंभिक राजवंश थे।
  2. गुप्त और परमार वंश ने मध्य प्रदेश में शिक्षा, कला और स्थापत्य को बढ़ावा दिया।
  3. कलचुरी वंश का त्रिपुरी (जबलपुर) क्षेत्र पर प्रभाव था।
  4. चंदेल वंश ने खजुराहो के मंदिरों का निर्माण कराया।
  5. बुंदेला और बघेल वंश ने रीवा और ओरछा में अपने राज्य की स्थापना की।
  6. मुगल और मराठों ने ग्वालियर और इंदौर को प्रमुख सत्ता केंद्र बनाया।


26. गुर्जर-प्रतिहार वंश (7th – 11th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: ग्वालियर, उज्जैन, विदिशा
महत्वपूर्ण शासक: नागभट्ट प्रथम, मिहिरभोज
विशेषताएँ:

  • प्रतिहारों ने अरब आक्रमणकारियों को भारत में प्रवेश करने से रोका।
  • इस काल में ग्वालियर और उज्जैन का विकास हुआ।
  • ग्वालियर किले का प्रारंभिक विकास और तेली का मंदिर इसी काल में बनाए गए।

27. परिहार वंश (8th – 13th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: नरवर (शिवपुरी), ग्वालियर
महत्वपूर्ण शासक: चंद्रराज, ढूंढराज
विशेषताएँ:

  • परिहार वंश ग्वालियर और शिवपुरी क्षेत्र में प्रभावी था।
  • नरवर किला (शिवपुरी) और ग्वालियर का किला परिहार राजाओं के समय में मजबूत हुए।

28. सोम वंश (12th – 14th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: कटनी, जबलपुर, मंडला
महत्वपूर्ण शासक: सोमेश्वर, जयसिंहदेव
विशेषताएँ:

  • इस वंश ने नर्मदा घाटी में शासन किया।
  • मदन महल किला (जबलपुर) और करंजिया मंदिर (कटनी) इनके शासनकाल में बने।

29. खेरला वंश (14th – 15th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: बैतूल, छिंदवाड़ा
महत्वपूर्ण शासक: नसरत शाह
विशेषताएँ:

  • यह गोंड और मुस्लिम प्रभाव वाला राजवंश था।
  • खेरला किला (बैतूल) इस वंश के शासनकाल का प्रमुख अवशेष है।

30. गोंड वंश (14th – 18th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: गढ़ा-मंडला (जबलपुर), चंदा, देवगढ़
महत्वपूर्ण शासक: संग्राम शाह, हृदय शाह, दलपत शाह
विशेषताएँ:

  • यह वंश गोंड जनजाति से संबंधित था और मध्य प्रदेश के जंगलों पर शासन करता था।
  • गढ़ा-मंडला (जबलपुर) इनकी राजधानी थी।
  • संग्राम शाह द्वारा बनवाए गए 52 किले, जिनमें मदन महल किला (जबलपुर) प्रमुख है।
  • संग्राम शाह की 52 गढ़ी योजना महत्वपूर्ण प्रशासनिक प्रणाली थी।

31. बड़ौद वंश (16th – 18th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: बड़ौद (मध्य प्रदेश)
महत्वपूर्ण शासक: बहादुर शाह, फतेह शाह
विशेषताएँ:

  • यह वंश मालवा क्षेत्र में प्रभावी था।
  • बड़ौद का किला और जलमहल इस वंश की धरोहर हैं।

32. भील वंश (प्राचीन काल – 19th शताब्दी ईस्वी तक)

स्थान: झाबुआ, अलीराजपुर, निमाड़
महत्वपूर्ण शासक: भीमा नायक, टंट्या भील
विशेषताएँ:

  • यह भील जनजाति से संबंधित एक स्वतंत्र राज्य था।
  • टंट्या भील को “भारतीय रॉबिनहुड” कहा जाता है, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह किया।

33. भादौरिया वंश (16th – 18th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: दतिया, भिंड, मुरैना
महत्वपूर्ण शासक: हरबल्लभ सिंह, अनूप सिंह
विशेषताएँ:

  • भादौरिया राजपूतों ने दतिया और ग्वालियर के कुछ हिस्सों पर शासन किया।
  • दतिया का किला और ओरछा के किले इस वंश के योगदान हैं।

34. देवड़ा वंश (14th – 18th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: झाबुआ, धार
महत्वपूर्ण शासक: आनंद देव, प्रताप देव
विशेषताएँ:

  • यह वंश धार और झाबुआ क्षेत्र में प्रभावी था।
  • धार किला और झाबुआ की गढ़ी इस वंश की पहचान हैं।

35. फड़कीर वंश (18th – 19th शताब्दी ईस्वी)

स्थान: बुंदेलखंड, सागर
महत्वपूर्ण शासक: हिम्मत सिंह, रघुनाथ सिंह
विशेषताएँ:

  • यह बुंदेलखंड के वीर योद्धाओं का वंश था।
  • सागर का किला इस वंश की प्रमुख धरोहर है।

MPPSC परीक्षा के लिए मुख्य निष्कर्ष:

  1. गोंड वंश ने मध्य प्रदेश के जनजातीय शासन को मजबूत किया और 52 गढ़ी योजना चलाई।
  2. प्रतिहार और परिहार वंशों ने ग्वालियर और शिवपुरी क्षेत्र को समृद्ध किया।
  3. बड़ौद वंश ने जलमहल जैसे संरचनात्मक चमत्कार बनाए।
  4. भील और गोंड राजाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किए।
  5. फड़कीर वंश बुंदेलखंड के योद्धाओं का समूह था।

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