मध्य प्रदेश के प्रमुख जनजाति व्यक्तित्व

मध्य प्रदेश में कई जनजातीय नेता और समाज सुधारक हुए हैं, जिन्होंने आदिवासी समाज के उत्थान, उनके अधिकारों की रक्षा और उनके सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ कुछ प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्वों की जानकारी दी गई है:

1. टंट्या भील (1842-1889)

  • परिचय: टंट्या भील को “भारतीय रॉबिनहुड” कहा जाता है। वे भील जनजाति से थे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया।
  • योगदान: उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया और गरीबों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया।
  • मृत्यु: 1889 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें पकड़कर फाँसी दे दी।
  • विरासत: मध्य प्रदेश में टंट्या भील के सम्मान में कई स्मारक बनाए गए हैं।

2. भीमा नायक (1821-1876)

  • परिचय: भीमा नायक भिलाला जनजाति से थे और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ लड़े।
  • योगदान: उन्होंने आदिवासी समूहों को संगठित कर अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध लड़ा।
  • मृत्यु: उन्हें 1876 में कैद में मार दिया गया।
  • विरासत: मध्य प्रदेश सरकार ने उनके सम्मान में कई योजनाएँ चलाई हैं।

3. राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह (1857)

  • परिचय: राजा शंकर शाह गोंड जनजाति के प्रमुख नेता थे और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह ने भी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।
  • योगदान: 1857 की क्रांति में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया।
  • मृत्यु: 18 सितंबर 1857 को उन्हें जबलपुर में तोप से उड़ा दिया गया।
  • विरासत: आज भी जबलपुर में उनकी स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

4. रानी दुर्गावती (1524-1564)

  • परिचय: रानी दुर्गावती गोंडवाना की शासक थीं और गोंड जनजाति की वीरांगना मानी जाती हैं।
  • योगदान: उन्होंने मुगलों के खिलाफ युद्ध लड़ा और आत्मसमर्पण करने के बजाय वीरगति को चुना।
  • मृत्यु: 24 जून 1564 को मुगलों से युद्ध करते हुए उन्होंने आत्मबलिदान दिया।
  • विरासत: जबलपुर विश्वविद्यालय का नाम रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय रखा गया है।

5. बिरसा मुंडा (1875-1900)

  • परिचय: बिरसा मुंडा मुंडा जनजाति से थे और आदिवासी समाज के हक और स्वाभिमान के लिए संघर्ष किया।
  • योगदान: उन्होंने 19वीं सदी में “उलगुलान” नामक विद्रोह किया, जो अंग्रेजों और जमींदारों के खिलाफ था।
  • मृत्यु: उन्हें 1900 में जेल में मार दिया गया।
  • विरासत: भारत सरकार हर साल 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती मनाती है।

6. जयसिंह डोढवे

  • परिचय: वे बैगा जनजाति से थे और 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ लड़े।
  • योगदान: उन्होंने बैगा जनजाति को संगठित कर ब्रिटिश विरोधी संघर्ष किया।
  • मृत्यु: ब्रिटिश सरकार ने उन्हें मार दिया।
  • विरासत: बैगा समाज में आज भी उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है।

7. मंगलू बैगा

  • परिचय: बैगा जनजाति के इस नेता ने वन अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
  • योगदान: उन्होंने जंगलों पर आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ी।
  • विरासत: उनकी प्रेरणा से कई आदिवासी आंदोलन हुए।

8. नन्हकू राम अहिरवार

  • परिचय: यह मध्य प्रदेश के एक प्रमुख आदिवासी नेता थे।
  • योगदान: उन्होंने आदिवासी कल्याण और शिक्षा के क्षेत्र में काम किया।

9. शंकर शाह और रघुनाथ शाह

  • योगदान: ये दोनों गोंड शासक थे जिन्होंने 1857 की क्रांति में हिस्सा लिया था।
  • मृत्यु: अंग्रेजों ने उन्हें तोप से उड़ा दिया।

10. ठाकुर देव सिंह

  • परिचय: वे गोंड समाज से थे और आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़े।

जनजातीय आंदोलनों में योगदान

  • भीमा नायक और टंट्या भील ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया।
  • बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों और जमींदारों के खिलाफ “उलगुलान” आंदोलन किया।
  • रानी दुर्गावती ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
  • मंगलू बैगा ने वन अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश के जनजातीय नेता केवल स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित नहीं थे, बल्कि उन्होंने आदिवासियों के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अधिकारों की रक्षा के लिए भी संघर्ष किया। उनकी विरासत आज भी आदिवासी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है।

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