मध्य प्रदेश के किले

मध्य प्रदेश के 55 जिले निम्नलिखित हैं:

  1. आगर-मालवा
  2. अलीराजपुर
  3. अनूपपुर
  4. अशोकनगर
  5. बालाघाट
  6. बड़वानी
  7. बैतूल
  8. भिंड
  9. भोपाल
  10. बुरहानपुर
  11. छतरपुर
  12. छिंदवाड़ा
  13. दमोह
  14. दतिया
  15. देवास
  16. धार
  17. डिंडोरी
  18. ग्वालियर
    • ग्वालियर जिले में प्रमुख रूप से ग्वालियर किला स्थित है, जिसे “किलों का गहना” कहा जाता है। इसके अलावा, जिले में कुछ अन्य ऐतिहासिक गढ़ और दुर्ग भी मौजूद हैं। यहाँ इनके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
    • 1. ग्वालियर किला
      • निर्माण काल: 6वीं शताब्दी (प्रारंभिक निर्माण), 15वीं शताब्दी में तोमर वंश द्वारा पुनर्निर्माण
      • निर्माता: राजा सूरजसेन (माना जाता है), 15वीं शताब्दी में राजा मान सिंह तोमर द्वारा विस्तार
      • विशेषताएँ:
        • यह किला 300 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और इसे भारत के सबसे शक्तिशाली किलों में से एक माना जाता है।
        • किले के अंदर कई महत्वपूर्ण स्थापत्य नमूने हैं, जैसे कि गुजरी महल, मानसिंह महल, कर्ण महल, विक्रम महल और शाहजहाँ महल
        • सास बहू के मंदिर और तेली का मंदिर, जो द्रविड़ और नागर शैली में बने हैं, भी यहाँ स्थित हैं।
        • किले में जैन तीर्थंकरों की विशाल प्रतिमाएँ उकेरी गई हैं, जो इसकी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाती हैं।
        • मुगल, मराठा, ब्रिटिश और सिंधिया राजवंशों का इस किले पर शासन रहा।
    • 2. गिजारी किला (गुजरी महल किला)
      • निर्माण काल: 15वीं शताब्दी
      • निर्माता: राजा मान सिंह तोमर
      • विशेषताएँ:
        • इसे राजा मान सिंह तोमर ने अपनी पत्नी मृगनयनी के लिए बनवाया था।
        • वर्तमान में यह गुजरी महल संग्रहालय के रूप में कार्यरत है, जहाँ मध्यकालीन मूर्तिकला और पुरातत्व संग्रह प्रदर्शित हैं।
    • 3. नरवर किला (ग्वालियर जिले के नजदीक)
      • निर्माण काल: 10वीं शताब्दी
      • निर्माता: कछवाहा राजपूतों द्वारा प्रारंभिक निर्माण, बाद में परमार और तोमर शासकों ने इसका पुनर्निर्माण किया।
      • विशेषताएँ:
        • यह किला सिंध नदी के किनारे स्थित है और 500 फीट ऊँची पहाड़ी पर फैला हुआ है।
        • यहाँ राजा नल और दमयंती की प्रेम कथा से जुड़े कई लोककथाएँ प्रचलित हैं।
        • यह किला ऐतिहासिक युद्धों और रणनीतिक महत्व के लिए जाना जाता है।
    • 4. बिजौली किला
      • निर्माण काल: 16वीं शताब्दी
      • निर्माता: स्थानीय राजपूत शासकों द्वारा निर्माण
      • विशेषताएँ:
        • यह ग्वालियर के पास स्थित एक छोटा किंतु महत्वपूर्ण किला है।
        • इसे सुरक्षा चौकी और प्रशासनिक केंद्र के रूप में उपयोग किया जाता था।
    • 5. शिवपुरी किला (पूर्व में ग्वालियर राज्य का हिस्सा)
      • निर्माण काल: 18वीं शताब्दी
      • निर्माता: सिंधिया राजवंश
      • विशेषताएँ:
        • यह ग्वालियर रियासत के अंतर्गत आता था और सिंधिया शासकों द्वारा प्रशासनिक कार्यों के लिए उपयोग किया जाता था।
        • यहाँ कई महल और स्मारक स्थित हैं।
    • विशेष तथ्य:
      • ग्वालियर किला भारत के सबसे पुराने किलों में से एक है और इसकी सुरक्षा दीवारें 35 फीट तक ऊँची हैं।
    • अकबर ने 1558 में इस किले पर कब्जा किया और इसे मुगल प्रशासन का हिस्सा बनाया।
      • झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 के विद्रोह के दौरान इसी किले में अंतिम युद्ध लड़ा था।
      • यहाँ स्थित तेली का मंदिर भारत के सबसे ऊँचे और प्राचीन हिंदू मंदिरों में से एक है।
      • यह किला गुप्तकालीन शिलालेखों और मूर्तिकला के लिए भी प्रसिद्ध है।
  19. हरदा
  20. होशंगाबाद (नर्मदापुरम)
    • होशंगाबाद जिले के प्रमुख किले और उनकी जानकारी
    • होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) जिले में ऐतिहासिक रूप से किलों की संख्या सीमित रही है। यह क्षेत्र मुख्यतः धार्मिक, प्राकृतिक सौंदर्य और नर्मदा नदी के किनारे बसे प्राचीन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, ऐतिहासिक दृष्टि से यहाँ कुछ दुर्ग और गढ़ उल्लेखनीय हैं।
    • 1. होशंगाबाद किला (नर्मदापुर दुर्ग)
      • निर्माण काल: 15वीं शताब्दी
      • निर्माता: सुल्तान होशंग शाह (मालवा सल्तनत)
      • विशेषताएँ:
        • यह किला नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और शहर के नामकरण से भी जुड़ा हुआ है।
        • यह मालवा के सुल्तानों द्वारा सुरक्षा और प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया था।
        • किले की वास्तुकला में अफगानी और मालवा शैली का प्रभाव देखा जा सकता है।
        • समय के साथ यह किला क्षतिग्रस्त हो गया और अब इसके अवशेष ही बचे हैं।
    • 2. हंडिया किला
      • निर्माण काल: 16वीं शताब्दी
        • निर्माता: परमार और बाद में मालवा के सुल्तानों द्वारा पुनर्निर्मित
      • विशेषताएँ:
        • यह किला नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और मध्यकाल में व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था।
        • मुगलों और मराठों के बीच कई संघर्षों का साक्षी रहा।
        • वर्तमान में यह किला खंडहर में बदल चुका है, लेकिन इसके अवशेष इतिहास की गवाही देते हैं।
    • 3. सोहागपुर किला
      • निर्माण काल: 18वीं शताब्दी
        • निर्माता: स्थानीय गोंड शासकों द्वारा निर्मित, बाद में मराठों द्वारा पुनर्निर्मित
      • विशेषताएँ:
        • यह किला गोंड शासकों के अधीन था और बाद में मराठों ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया।
        • इसकी सुरक्षा दीवारें और बुर्जें रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थीं।
        • वर्तमान में यह एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाता है।
    • 4. पचमढ़ी का किला (सतपुड़ा किला)
      • निर्माण काल: 19वीं शताब्दी
      • निर्माता: ब्रिटिश शासन द्वारा सैन्य उपयोग के लिए निर्मित
      • विशेषताएँ:
        • यह कोई परंपरागत राजपूत या मराठा किला नहीं था, बल्कि ब्रिटिश काल में पचमढ़ी हिल स्टेशन की सुरक्षा और सैन्य प्रशासन के लिए बनाया गया था।
        • ब्रिटिश सैनिकों द्वारा इसे एक गुप्त पोस्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
        • आज यह स्थान पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र है।
    • 5. बाबई किला
      • निर्माण काल: 17वीं शताब्दी
      • निर्माता: स्थानीय परमार राजाओं द्वारा
      • विशेषताएँ:
        • यह किला मालवा और गोंड साम्राज्य के बीच संघर्षों का साक्षी रहा है।
        • किला अब खंडहर में बदल चुका है, लेकिन इसके अवशेष ऐतिहासिक महत्व रखते हैं।
    • विशेष तथ्य:
      • होशंगाबाद का किला (अब नर्मदापुर किला) मालवा सल्तनत के दौरान एक प्रशासनिक केंद्र था और नर्मदा नदी की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण था।
      • हंडिया किला व्यापार मार्गों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था और यहाँ से नर्मदा नदी पार करने वाले मार्गों की निगरानी होती थी।
      • सोहागपुर किला गोंड और मराठा संघर्षों का साक्षी था और स्थानीय शासकों के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था।
      • पचमढ़ी का किला ब्रिटिश शासन के दौरान सैन्य रणनीति के लिए उपयोग किया गया।
  21. इंदौर
    • इंदौर जिले के प्रमुख किले और उनकी जानकारी
    • इंदौर, जो वर्तमान में मध्य प्रदेश का व्यापारिक और औद्योगिक केंद्र है, ऐतिहासिक रूप से होलकर राजवंश के शासन के दौरान महत्वपूर्ण था। हालांकि, इंदौर में बहुत अधिक किले नहीं हैं, लेकिन कुछ प्रमुख ऐतिहासिक दुर्ग और किलानुमा संरचनाएँ यहां स्थित हैं।
    • 1. राजवाड़ा किला (राजवाड़ा महल)
    • निर्माण काल: 18वीं शताब्दी (1747)
      निर्माता: मल्हारराव होलकर प्रथम
      विशेषताएँ: यह इंदौर शहर के केंद्र में स्थित है और होलकर राजवंश के प्रशासनिक और आवासीय केंद्र के रूप में कार्य करता था।
      सात मंजिला यह भवन मराठा, मुगल और फ्रेंच वास्तुकला का मिश्रण है।
      1984 में इसमें आग लगी थी, जिसके बाद इसे पुनर्निर्मित किया गया।
      आज यह इंदौर का प्रमुख ऐतिहासिक स्थल और पर्यटक आकर्षण है।
      इसमें एक संग्रहालय भी है जो होलकर वंश से जुड़ी वस्तुओं को प्रदर्शित करता है।

      2. लालबाग किला (लालबाग पैलेस)
      निर्माण काल: 19वीं शताब्दी (1886-1921)
      निर्माता: तुकोजीराव होलकर द्वितीय और तुकोजीराव होलकर तृतीय
      विशेषताएँ: यह इंदौर का सबसे भव्य महलनुमा किला है और यूरोपीय शैली की वास्तुकला से निर्मित है।
      यहाँ के फर्नीचर, झूमर और इंटीरियर लंदन और फ्रांस से मंगवाए गए थे।
      महल में रोमन शैली की मूर्तियाँ और भव्य दरबार हॉल है।
      इसमें एक विशाल बॉलरूम भी है, जिसे विशेष रूप से ब्रिटिश गवर्नर और राजघराने के मेहमानों के लिए बनाया गया था।
      आज यह एक प्रमुख पर्यटक स्थल है और इसके कुछ हिस्सों को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है।

      3. छत्रीबाग (किलानुमा स्मारक स्थल)
      निर्माण काल: 18वीं-19वीं शताब्दी
      निर्माता: होलकर वंश के विभिन्न शासकों द्वारा
      विशेषताएँ: यह कोई पारंपरिक किला नहीं है, बल्कि होलकर राजवंश के शासकों की समाधियों (छत्रियों) का एक समूह है।
      यहाँ रानी अहिल्याबाई होलकर और अन्य शासकों की याद में भव्य स्मारक बनाए गए हैं।
      छत्रियों की वास्तुकला में मराठा और राजपूत शैली का प्रभाव देखा जाता है।
      यह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है और स्थानीय त्योहारों, विशेष रूप से होलकर जयंती के दौरान यहाँ कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

      4. महेश्वर किला (इंदौर से संबंधित किला)
      निर्माण काल: 18वीं शताब्दी
      निर्माता: अहिल्याबाई होलकर
      विशेषताएँ: यह इंदौर जिले के अंतर्गत आने वाले महेश्वर में स्थित है और नर्मदा नदी के किनारे बसा है।
      अहिल्याबाई होलकर का प्रशासनिक मुख्यालय यहीं था।
      इस किले में महेश्वर की प्रसिद्ध हथकरघा (हैंडलूम) वस्त्र निर्माण इकाइयाँ भी स्थित थीं।
      यह स्थान कई फिल्मों की शूटिंग के लिए प्रसिद्ध है।

      5. मांडू किला (इंदौर के समीप स्थित, ऐतिहासिक महत्व का किला)
      निर्माण काल: 10वीं-15वीं शताब्दी
      निर्माता: परमार राजवंश, बाद में मालवा सल्तनत
      विशेषताएँ: यह किला इंदौर जिले के नजदीक धार जिले में स्थित है लेकिन इंदौर से ऐतिहासिक रूप से जुड़ा हुआ है।
      इसे मांडू या मंडवगढ़ के नाम से भी जाना जाता है और यह प्रेम कहानी “बाज बहादुर और रानी रूपमती” के लिए प्रसिद्ध है।
      यहाँ जहाज महल, हिंडोला महल और रूपमती महल जैसे अन्य स्मारक भी स्थित हैं।
      यह मालवा सल्तनत के दौरान महत्वपूर्ण सैन्य किला था।

      इंदौर के किलों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (सामान्य ज्ञान):
      राजवाड़ा किला इंदौर के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों में से एक है और इसे “होलकर वंश का गौरव” कहा जाता है।
      लालबाग किला को यूरोपीय शैली में डिज़ाइन किया गया है और इसमें इटैलियन संगमरमर का उपयोग किया गया था।
      महेश्वर किला को अहिल्याबाई होलकर ने अपने प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित किया और इसे “हस्तकरघा वस्त्रों की नगरी” भी कहा जाता है।
      छत्रीबाग स्मारक को होलकर शासकों के समाधि स्थल के रूप में विकसित किया गया और यह मराठा वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
      मांडू किला, जो इंदौर के करीब है, मध्यकालीन भारत के सबसे सुंदर किलों में से एक माना जाता है।
      राजवाड़ा किला को अंग्रेजों ने 1984 में आग लगा दी थी, लेकिन बाद में इसे पुनर्निर्मित किया गया।
      लालबाग किला में दरवाजे लंदन से लाए गए थे और इसकी दीवारों पर सोने और चाँदी की नक्काशी की गई थी।
      महेश्वर किला को ऐतिहासिक फिल्मों और टीवी सीरियलों के लिए फिल्मांकन स्थल के रूप में भी उपयोग किया गया है।
      राजवाड़ा और लालबाग पैलेस को देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक इंदौर आते हैं।
      छत्रीबाग में स्थित संगमरमर की छतरियों में नक्काशी का कार्य राजस्थान से आए कारीगरों द्वारा किया गया था।
  22. जबलपुर
    • जबलपुर जिले के प्रमुख किले और उनकी जानकारी
      जबलपुर, जिसे मध्य प्रदेश की “संस्कारी नगरी” कहा जाता है, ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण रहा है। यह नगर विभिन्न राजवंशों जैसे गोंड, मराठा, और ब्रिटिश शासनकाल के दौरान महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र रहा। जबलपुर जिले में कुछ प्रमुख ऐतिहासिक किले हैं, जो इसकी समृद्ध विरासत और स्थापत्य कला को दर्शाते हैं।

      1. मदन महल किला
      निर्माण काल: 11वीं शताब्दी
      निर्माता: गोंड राजा मदन सिंह
      विशेषताएँ: यह जबलपुर का सबसे प्रसिद्ध किला है और राजा मदन सिंह द्वारा बनवाया गया था।
      यह किला एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यहाँ से पूरे जबलपुर शहर का शानदार दृश्य देखा जा सकता है।
      किले में सैनिक छावनी, अस्तबल और गुप्त सुरंगों के अवशेष देखे जा सकते हैं।
      इस किले का उपयोग मुख्य रूप से सुरक्षा और सैन्य रणनीतियों के लिए किया जाता था।
      माना जाता है कि यहाँ गोंड रानी दुर्गावती का भी निवास रहा था।
      स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, यहाँ छिपे हुए खजाने और गुप्त सुरंगों की कहानियाँ भी प्रचलित हैं।

      2. रानी दुर्गावती किला (सिंगौरगढ़ किला)
      निर्माण काल: 16वीं शताब्दी
      निर्माता: गोंड राजा दलपत शाह
      विशेषताएँ: यह किला जबलपुर जिले के सिंगौरगढ़ में स्थित है और गोंड शासक दलपत शाह द्वारा बनवाया गया था।
      रानी दुर्गावती, जो बहादुरी के लिए जानी जाती हैं, ने इस किले को अपना प्रमुख निवास स्थान बनाया था।
      यह किला प्राकृतिक सुरक्षा से घिरा हुआ था और इसे मजबूत सुरक्षा के लिए जाना जाता था।
      1564 में मुगल सेना के साथ युद्ध के दौरान रानी दुर्गावती ने वीरगति प्राप्त की थी।
      यह किला आज खंडहर में बदल चुका है, लेकिन इसके ऐतिहासिक महत्व के कारण यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

      3. शेर शाह सूरी का किला (गढ़ा किला)
      निर्माण काल: 16वीं शताब्दी
      निर्माता: शेर शाह सूरी
      विशेषताएँ: यह किला गढ़ा क्षेत्र में स्थित है और शेर शाह सूरी ने इसे बनवाया था।
      इस किले का उपयोग मुगलों और अफगानों ने प्रशासनिक और सैन्य गतिविधियों के लिए किया था।
      किले में विशाल दीवारें और प्राचीन वास्तुकला के अवशेष मौजूद हैं।
      यह किला वर्तमान में खंडहर की स्थिति में है लेकिन ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

      4. कचनार किला (वर्तमान में शिव मंदिर के रूप में प्रसिद्ध)
      निर्माण काल: अज्ञात (प्राचीन काल से जुड़ा हुआ)
      विशेषताएँ: यह किला अब एक प्रसिद्ध शिव मंदिर के रूप में विकसित किया गया है।
      कहा जाता है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल में एक दुर्ग या किलेबंदी के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
      यहाँ एक विशाल शिव प्रतिमा स्थित है, जो जबलपुर का प्रमुख धार्मिक स्थल है।

      जबलपुर के किलों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:
      मदन महल किला जबलपुर के सबसे प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है और यहाँ से पूरे शहर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
      रानी दुर्गावती किला (सिंगौरगढ़ किला) का नाम बहादुर रानी दुर्गावती के कारण प्रसिद्ध है, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया था।
      गढ़ा किला, जिसे शेर शाह सूरी ने बनवाया था, मुगलों और अफगानों के शासनकाल में प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करता था।
      मदन महल किला के बारे में कहा जाता है कि यहाँ गुप्त सुरंगें हैं जो अन्य स्थानों तक जाती थीं।
      सिंगौरगढ़ किला में रानी दुर्गावती से जुड़ी कई ऐतिहासिक घटनाएँ घटित हुईं, जो भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
      गढ़ा किला का नाम गोंड साम्राज्य के गढ़ा-मंडला क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, जो मध्यकाल में एक प्रमुख शक्ति केंद्र था।
      मदन महल किला गोंड शासकों की सैन्य शक्ति और रणनीति का प्रतीक है।
      रानी दुर्गावती किला (सिंगौरगढ़) को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित किया है।
      मदन महल किला की बनावट पहाड़ी इलाके में सुरक्षित रहने के लिए बनाई गई थी, जिससे इसे प्राकृतिक सुरक्षा मिलती थी।
      सिंगौरगढ़ किले के पास रानी दुर्गावती के बलिदान स्थल को भी एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है।
  23. झाबुआ
  24. कटनी
  25. खंडवा
  26. खरगोन
  27. मंडला
  28. मंदसौर
  29. मुरैना
  30. नरसिंहपुर
  31. नीमच
  32. पन्ना
  33. रायसेन
  34. राजगढ़
  35. रतलाम
  36. रीवा
  37. सागर
  38. सतना
  39. सीहोर
  40. सिवनी
  41. शहडोल
  42. शाजापुर
  43. शिवपुरी
  44. श्योपुर
  45. सिंगरौली
  46. टीकमगढ़
  47. उज्जैन
  48. उमरिया
  49. विदिशा
  50. छछौरा (नया जिला)
  51. मैहर (नया जिला)
  52. नागदा (नया जिला)
  53. मंडी (नया जिला)
  54. मऊगंज (नया जिला)
  55. चाचौड़ा (नया जिला)

ये सभी जिले प्रशासनिक रूप से मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत आते हैं।

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