मध्य प्रदेश के पारंपरिक ऊर्जा स्रोत
मध्य प्रदेश में ऊर्जा के प्रमुख पारंपरिक स्रोत थर्मल (कोयला आधारित), हाइड्रो (जल विद्युत) और गैस आधारित ऊर्जा संयंत्र हैं। ये स्रोत राज्य की कुल ऊर्जा जरूरतों का अधिकांश भाग पूरा करते हैं।
1. मध्य प्रदेश के प्रमुख पारंपरिक ऊर्जा स्रोत
(1) थर्मल ऊर्जा (Thermal Energy – कोयला आधारित बिजली उत्पादन)
मध्य प्रदेश में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों का सबसे अधिक योगदान है। प्रदेश में प्रमुख थर्मल पावर प्लांट (TPP) निम्नलिखित हैं—
मुख्य थर्मल पावर प्लांट
- सिंगरौली सुपर थर्मल पावर प्लांट (NTPC)
- स्थान: सिंगरौली
- क्षमता: 2000 मेगावाट
- कोयला स्रोत: नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL)
- सांची थर्मल पावर प्लांट
- स्थान: बेतुल
- क्षमता: 1200 मेगावाट
- विशेषता: निजी क्षेत्र द्वारा संचालित
- सरनी थर्मल पावर स्टेशन (सतपुड़ा TPP)
- स्थान: बेतुल
- क्षमता: 1330 मेगावाट
- विशेषता: मध्य प्रदेश पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (MPPGCL) द्वारा संचालित
- अमरकंटक थर्मल पावर प्लांट
- स्थान: अनुपपुर
- क्षमता: 210 मेगावाट
- झाबुआ थर्मल पावर प्लांट
- स्थान: झाबुआ
- क्षमता: 600 मेगावाट
विशेष जानकारी
- मध्य प्रदेश में कुल थर्मल पावर क्षमता 15,000 मेगावाट से अधिक है।
- कोयला मुख्यतः सिंगरौली, उमरिया, अनूपपुर, और शहडोल जिलों से प्राप्त होता है।
(2) जल विद्युत (Hydro Power – हाइड्रो पावर प्लांट)
मध्य प्रदेश में जल विद्युत उत्पादन के लिए नर्मदा, चंबल, सोन और तवा नदियों पर कई बांध बने हुए हैं।
मुख्य जल विद्युत परियोजनाएँ
- इंदिरा सागर जल विद्युत परियोजना
- स्थान: खंडवा
- नदी: नर्मदा
- क्षमता: 1000 मेगावाट
- ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना
- स्थान: खंडवा
- नदी: नर्मदा
- क्षमता: 520 मेगावाट
- बाणसागर जल विद्युत परियोजना
- स्थान: रीवा
- नदी: सोन
- क्षमता: 425 मेगावाट
- गांधी सागर जल विद्युत परियोजना
- स्थान: मंदसौर
- नदी: चंबल
- क्षमता: 115 मेगावाट
- राजघाट जल विद्युत परियोजना
- स्थान: ललितपुर (MP-UP सीमा)
- नदी: बेतवा
- क्षमता: 45 मेगावाट
विशेष जानकारी
- मध्य प्रदेश की जल विद्युत उत्पादन क्षमता 3000 मेगावाट से अधिक है।
- नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की “ऊर्जा धारा” कहा जाता है।
(3) गैस आधारित विद्युत उत्पादन (Gas-based Power Plants)
गैस से बिजली उत्पादन मध्य प्रदेश में सीमित है, लेकिन इसकी क्षमता धीरे-धीरे बढ़ रही है।
मुख्य गैस पावर प्लांट
- ग्वालियर गैस पावर प्लांट
- स्थान: ग्वालियर
- क्षमता: 300 मेगावाट
- विजयपुर गैस पावर प्लांट
- स्थान: ग्वालियर
- क्षमता: 500 मेगावाट
विशेष जानकारी
- गैस आधारित ऊर्जा उत्पादन अभी सीमित है और भविष्य में इसके विस्तार की योजना है।
- राज्य में गैस की आपूर्ति मुख्य रूप से गुजरात और ओएनजीसी के गैस फील्ड्स से होती है।
2. मध्य प्रदेश ऊर्जा से संबंधित 30 महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान प्रश्न
- मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट कौन सा है?
- उत्तर: सिंगरौली सुपर थर्मल पावर प्लांट
- सिंगरौली सुपर थर्मल पावर प्लांट किस जिले में स्थित है?
- उत्तर: सिंगरौली
- ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना किस नदी पर स्थित है?
- उत्तर: नर्मदा नदी
- गांधी सागर जल विद्युत परियोजना किस जिले में स्थित है?
- उत्तर: मंदसौर
- बाणसागर जल विद्युत परियोजना किस नदी पर बनी है?
- उत्तर: सोन नदी
- राजघाट जल विद्युत परियोजना किस नदी पर स्थित है?
- उत्तर: बेतवा नदी
- मध्य प्रदेश में कुल जल विद्युत उत्पादन क्षमता कितनी है?
- उत्तर: 3000 मेगावाट
- मध्य प्रदेश में सबसे अधिक ऊर्जा उत्पादन किस स्रोत से होता है?
- उत्तर: थर्मल पावर (कोयला आधारित)
- सरनी थर्मल पावर प्लांट किस जिले में स्थित है?
- उत्तर: बेतुल
- इंदिरा सागर जल विद्युत परियोजना की क्षमता कितनी है?
- उत्तर: 1000 मेगावाट
- मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कोयला कहाँ मिलता है?
- उत्तर: सिंगरौली, उमरिया, अनूपपुर
- ग्वालियर में कौन सा गैस पावर प्लांट स्थित है?
- उत्तर: ग्वालियर गैस पावर प्लांट
- मध्य प्रदेश का कुल ऊर्जा उत्पादन लगभग कितना है?
- उत्तर: 20,000 मेगावाट
- थर्मल पावर प्लांट किस ईंधन पर आधारित होते हैं?
- उत्तर: कोयला
- बिजली उत्पादन में मध्य प्रदेश की भारत में क्या रैंकिंग है?
- उत्तर: शीर्ष 5 राज्यों में
- मध्य प्रदेश में सबसे पहला जल विद्युत संयंत्र कौन सा था?
- उत्तर: गांधी सागर
- ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना कब पूरी हुई?
- उत्तर: 2007
- बाणसागर परियोजना से कितने जिले लाभान्वित होते हैं?
- उत्तर: 4 जिले
- मध्य प्रदेश में गैस आधारित बिजली उत्पादन किस जिले में होता है?
- उत्तर: ग्वालियर
- गांधी सागर बाँध परियोजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- उत्तर: सिंचाई और बिजली उत्पादन
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों में थर्मल, जल विद्युत और गैस आधारित संयंत्र प्रमुख हैं। राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने में ये ऊर्जा स्रोत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।