मध्य प्रदेश की प्रमुख फसलें
मध्य प्रदेश को “भारत का हृदय प्रदेश” कहा जाता है और यह एक प्रमुख कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ की जलवायु, मिट्टी और सिंचाई संसाधन विभिन्न प्रकार की फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल हैं। राज्य में मुख्यतः रबी, खरीफ, नगदी और व्यापारिक फसलें उगाई जाती हैं।
1. रबी फसलें (Rabi Crops)
रबी फसलें सर्दियों में बोई जाती हैं और गर्मी की शुरुआत में काटी जाती हैं। ये फसलें सिंचित क्षेत्रों में अधिक पाई जाती हैं।
(1) गेहूँ (Wheat) – मध्य प्रदेश की प्रमुख फसल
- उत्पादन में स्थान: मध्य प्रदेश भारत में गेहूँ उत्पादन में अग्रणी राज्यों में से एक है।
- मुख्य उत्पादक जिले: होशंगाबाद, विदिशा, सागर, उज्जैन, रायसेन, इंदौर, धार।
- बोआई का समय: अक्टूबर-नवंबर
- कटाई का समय: मार्च-अप्रैल
- उपयुक्त मिट्टी: काली मिट्टी और जलोढ़ मिट्टी
- जलवायु: ठंडी और सूखी जलवायु
- विशेषताएँ:
- मध्य प्रदेश का “शरबती गेहूँ” अपनी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है।
- गेहूँ उत्पादन में होशंगाबाद और विदिशा प्रमुख जिले हैं।
(2) चना (Gram)
- उत्पादन में स्थान: मध्य प्रदेश भारत में चना उत्पादन में प्रथम स्थान पर है।
- मुख्य उत्पादक जिले: विदिशा, छिंदवाड़ा, सागर, होशंगाबाद।
- बोआई का समय: अक्टूबर-नवंबर
- कटाई का समय: मार्च-अप्रैल
- उपयुक्त मिट्टी: काली और दोमट मिट्टी
- जलवायु: ठंडी जलवायु
(3) जौ (Barley)
- मुख्य उत्पादक जिले: सागर, विदिशा, रायसेन
- उपयोग: मक्का और चावल के विकल्प के रूप में पशु आहार में प्रयोग।
2. खरीफ फसलें (Kharif Crops)
खरीफ फसलें मानसून के दौरान बोई जाती हैं और शरद ऋतु में काटी जाती हैं।
(1) धान (Paddy) – मध्य प्रदेश की प्रमुख खरीफ फसल
- उत्पादन में स्थान: मध्य प्रदेश भारत में धान उत्पादन में प्रमुख स्थान रखता है।
- मुख्य उत्पादक जिले: जबलपुर, बालाघाट, सिवनी, मंडला, नरसिंहपुर।
- बोआई का समय: जून-जुलाई
- कटाई का समय: अक्टूबर-नवंबर
- उपयुक्त मिट्टी: जलोढ़ और दोमट मिट्टी
- जलवायु: अधिक वर्षा (120-150 सेमी)
- विशेषताएँ:
- बालाघाट को “धान का कटोरा” कहा जाता है।
- धान की प्रमुख किस्में – IR-64, MTU-1010।
(2) मक्का (Maize)
- मुख्य उत्पादक जिले: छिंदवाड़ा, बैतूल, बालाघाट
- जलवायु: 75-100 सेमी वर्षा
- विशेषताएँ: मक्का का उपयोग पशु आहार, स्टार्च और बायोफ्यूल में किया जाता है।
(3) सोयाबीन (Soybean) – मध्य प्रदेश की नगदी फसल
- उत्पादन में स्थान: मध्य प्रदेश को “सोयाबीन राज्य” कहा जाता है।
- मुख्य उत्पादक जिले: उज्जैन, इंदौर, देवास, धार, मंदसौर।
- बोआई का समय: जून-जुलाई
- कटाई का समय: सितंबर-अक्टूबर
- उपयुक्त मिट्टी: काली मिट्टी
- जलवायु: 75-100 सेमी वर्षा
- विशेषताएँ:
- मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक राज्य है।
- इसका उपयोग खाद्य तेल, पशु आहार और औद्योगिक उपयोग में किया जाता है।
3. नगदी फसलें (Cash Crops)
नगदी फसलें वे फसलें होती हैं, जो व्यापारिक रूप से लाभ के लिए उगाई जाती हैं।
(1) कपास (Cotton)
- मुख्य उत्पादक जिले: खंडवा, खरगोन, बड़वानी, धार
- बोआई का समय: जून-जुलाई
- कटाई का समय: अक्टूबर-नवंबर
- उपयुक्त मिट्टी: काली मिट्टी
- जलवायु: 60-80 सेमी वर्षा
- विशेषताएँ:
- कपास से वस्त्र उद्योग को कच्चा माल मिलता है।
(2) गन्ना (Sugarcane)
- मुख्य उत्पादक जिले: नरसिंहपुर, जबलपुर, होशंगाबाद
- जलवायु: गर्म जलवायु, 100-150 सेमी वर्षा
- विशेषताएँ:
- गन्ना का उपयोग चीनी, गुड़ और इथेनॉल उत्पादन में होता है।
4. तिलहन फसलें (Oilseed Crops)
(1) सरसों (Mustard)
- मुख्य उत्पादक जिले: मुरैना, ग्वालियर, श्योपुर
- बोआई का समय: अक्टूबर-नवंबर
- कटाई का समय: फरवरी-मार्च
- उपयुक्त मिट्टी: दोमट और जलोढ़ मिट्टी
- जलवायु: 50-75 सेमी वर्षा
5. दालें (Pulses)
मध्य प्रदेश को “भारत का दाल कटोरा” कहा जाता है।
(1) अरहर (Pigeon Pea)
- मुख्य उत्पादक जिले: सागर, छतरपुर, टीकमगढ़
- बोआई का समय: जून-जुलाई
- कटाई का समय: दिसंबर-जनवरी
- उपयुक्त मिट्टी: दोमट और काली मिट्टी
MPPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
- मध्य प्रदेश की मुख्य फसल कौन-सी है?
- उत्तर: गेहूँ और सोयाबीन
- मध्य प्रदेश में सबसे अधिक उत्पादन किस फसल का होता है?
- उत्तर: गेहूँ
- मध्य प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन में पहला स्थान किस जिले का है?
- उत्तर: उज्जैन
- मध्य प्रदेश में धान उत्पादन का सबसे बड़ा क्षेत्र कौन-सा है?
- उत्तर: बालाघाट
- मध्य प्रदेश को “दालों का कटोरा” क्यों कहा जाता है?
- उत्तर: क्योंकि यहाँ चना, अरहर, मूंग और उड़द का अधिक उत्पादन होता है।
- “शरबती गेहूँ” किस राज्य में पाया जाता है?
- उत्तर: मध्य प्रदेश
- मध्य प्रदेश में कपास उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र कौन-सा है?
- उत्तर: खरगोन
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश की कृषि में रबी, खरीफ, नगदी और तिलहन फसलों का महत्वपूर्ण योगदान है। गेहूँ, सोयाबीन, धान और चना यहाँ की मुख्य फसलें हैं। राज्य में कृषि उत्पादन और सिंचाई की आधुनिक तकनीकों के प्रयोग से यहाँ की उपज और गुणवत्ता में लगातार सुधार हो रहा है।